Book Title: Ahimsa ki Sukshma Vyakhya Kriya ke Sandarbh Me Author(s): Gaveshnashreeji Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 5
________________ आशीर्वचन जैन दर्शन में क्रिया पर सूक्ष्म और व्यापक दृष्टि से चिन्तन किया गया है। उसका संबंध जन्मों की श्रृंखला, आत्मिक उन्नति और अवनति, बंध और मुक्ति आदि अनेक विषयों से है। साध्वी गवेषणाश्री ने 'अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया', आत्मा की आंतरिक चेतना में रहे हुए परिस्पंद के सिद्धान्त पर अध्ययन किया है। उसमें अध्ययन की गंभीरता झलक रही है। यह अध्ययन केवल जैन दर्शन और साहित्य तक सीमित नहीं है। शरीर विज्ञान, मनोविज्ञान आदि आधुनिक चिन्तन धाराओं के संदर्भ में भी क्रिया को यहां देखने का प्रयास किया है। साध्वी गवेषणाश्री ने इस कार्य में तटस्थता पूर्वक श्रम और शक्ति का नियोजन किया है। सुधी पाठक को इससे क्रिया, कर्म, बंध और मुक्ति आदि को जानने का अवसर मिलेगा। आचार्य महाप्रज्ञ 8 जनवरी, 2008 रायपुर (राजस्थान)Page Navigation
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