Book Title: Agam Sutra Hindi Anuvad Part 05
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Aradhana Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 241
________________ २४० आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद २३३] प्रथम अध्ययन का उपोद्घात कहना चाहिए, जम्बू ! उस काल और उस समय राजगृह नगर था । भगवान् महावीर वहाँ पधारे । यावत् परिषद् निकलकर भगवान् की पर्युपासना करने लगी । उस काल औस उस समय कमला देवी कमला नामक राजधानी में, कमलावतंसक भवन में, कमल नामक सिंहासन पर आसीन थी । शेष काली देवी अनुसार ही जानना । विशेषता यह-पूर्वभव में कमला देवी नागपुर नगर में थी । सहस्त्राभ्रवन चैत्य था। कमल गाथापति था । कमलश्री उसकी पत्नी थी कमला पुत्री थी । कमला अरहन्त पार्श्व के निकट दीक्षित हो गई । शेष पूर्ववत् यावत् वह काल नामक पिशाचेन्द्र की अग्रमहिषी के रूप में जन्मी । उसकी यु वहाँ अर्ध-पल्योपम की है । इसी प्रकार शेष एकतीस अध्ययन दक्षिण दिशा के वाणव्यन्तर इन्द्रों के कह लेने चाहिएँ । कमलप्रभा आदि ३१ कन्याओं ने पूर्वभव में नागपुर में जन्म लिया था । वहाँ सहस्त्राम्रवन उद्यान था । सब-के माता-पिता के नाम कन्याओं के नाम के समान ही हैं । देवीभव में स्थिति सबको आधे-आधे पल्योपम की कहनी चाहिए । (वर्ग-६) [२३४] छठा वर्ग भी पांचवें वर्ग के समान है । विशेषता ये कि सब कुमारियां महाकाल इन्द्र आदि उत्तर दिशा के आठ इन्द्रों की बत्तीस अग्रमहिषियाँ हुई । पूर्वभव में सब साकेतनगर में उत्पन्न हुई । उत्तरकुरु उद्यान था । इन कुमारियों के नाम के समान ही उनके माता-पिता के नाम थे । शेष सब पूर्ववत् । (वर्ग-७) [२३५] सातवें वर्ग का उत्क्षेप कहना चाहिए हे जम्बू ! भगवान् महावीर ने सप्तम वर्ग के चार अध्ययन प्रज्ञप्त किए हैं । सूर्यप्रभा, आतपा, अर्चिमाली और प्रभंकरा । प्रथम अध्ययन का उपोद्घात कहना चाहिए । जम्बू ! उस काल और उस समय राजगृह में भगवान् पधारे यावत् परिषद् उनकी उपासना करने लगी । उस काल और उस समय सूर्य प्रभादेवी सूर्य विमान में सूर्यप्रभ सिंहासन पर आसीन थी । शेष कालीदेवी के समान । विशेष इतना कि पूर्वभव में अक्खुरी नगरी में सूर्याभ गाथापति की सूर्यश्री भार्या थी । सूर्यप्रभा पुत्री थी । अन्त में मरण के पश्चात् वह सूर्य नामक ज्योतिष्क-इन्द्र की अग्रमहिषी हुई । उसकी स्थिति वहाँ पाँच सौ वर्ष अधिक आधे पल्योपम की है । शेष कालीदेवी के समान । इसी प्रकार शेष सब-तीनों देवियों का वृत्तान्त जानना । वे भी अरक्खुरी नगरी में उत्पन्न हुई थीं । वर्ग[२३६] आठवें वर्ग का उपोद्घात कह लेना चाहिए, जम्बू ! श्रमण भगवान् ने आठवें वर्ग के चार अध्ययन प्ररूपित किए हैं । चन्द्रप्रभा, दोसिणाभा, अर्चिमाली, प्रभंकरा । प्रथम अध्ययन का उपोद्घात पूर्ववत् कह लेना चाहिए । जम्बू ! उस काल और उस समय में भगवान् राजगृह नगर में पधारे यावत् परिषद उनकी पर्युपास्ति करने लगी ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274