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ज्ञाताधर्मकथा-२/८/-/२३६
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उस काल और उस समय में चन्द्रप्रभा देवी, चन्द्रप्रभ विमान में, चन्द्रप्रभ सिंहासन पर आसीन थी । शेष काली देवी के समान । विशेषता यह - पूर्वभव में मथुरा नगरी की निवासिनी थी । चन्द्रावतंसक उद्यान था । चन्द्रप्रभ गाथापति था । चन्द्रश्री उसकी पत्नी थी । चन्द्रप्रभा पुत्री थी । वह चन्द्र नामक ज्योतिष्क इन्द्र की अग्रमहिषी हुई । उसकी आयु पचास हजार वर्ष अधिक अर्ध पल्योपम की है । शेष सब वर्णन काली देवी के समान । इसी तरह शेष तिन देवी भी मथुरा में उत्पन्न हुइ यावत् माता-पिता के नाम भी पुत्री के समान जानना । वर्ग - ९
[२३७] नौंटे वर्ग का उपोद्घात । हे जम्बू ! यावत् नौवें वर्ग के आठ अध्ययन कहे हैं, पद्मा, शिवा, सती, अंजूब, रोहिणी, नवमिका, अचला और अप्सरा । प्रथम अध्ययन का उत्क्षेप कह लेना चाहिए । जम्बू ! उस काल और उस समय स्वामी - भगवान् महावीर राजगृह में पधारे । यावत् जनसमूह उनकी पर्युपासना करने लगा । उस काल और उस समय पद्मावती देवी सौधर्म कल्प में, पद्मावतंसक विमान में सुधर्मा सभा में, पद्म नामक सिंहासन पर आसीन थी । शेष काली समान जानना ।
काली देवी के गम के अनुसार आठों अध्ययन इसी प्रकार समझ लेने चाहिए । विशेषता इस प्रकार है - पूर्वभव में दो जनी श्रावस्ती में, दो जनी हस्तिनापुर में, दो जनी काम्पिल्यपुर में और दो जनी साकेतनगर में उत्पन्न हुई थीं । सबके पिता का नाम पद्म और माता का नाम विजया था । सभी पार्श्व अरहंत के निकट दीक्षित हुई थीं । सभी शक्रेन्द्र की अग्रमहिषियां हुई । उनकी स्थिति सात पल्योपम की है । सभी यावत् महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर यावत् समस्त दुःखों का अन्त करेंगी-मुक्ति प्राप्त करेंगी ।
(वर्ग- १०
[२३८] दसवें वर्ग का उपोद्घात । जम्बू ! यावत् दसवें वर्ग के आठ अध्ययन प्ररूपित किए हैं ।
[२३९] कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसु, वसुगुप्ता वसुमित्र और वसुन्धरा । ये आठ ईशानेन्द्र की आठ अग्रमहिषियाँ हैं ।
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[२४०] प्रथम अध्ययन का उपाद्घात कहना चाहिए, जम्बू ! उस काल और उस समय में स्वामी राजगृह नगर में पधारे, यावत् परिषद् ने उपासना की । उस काल और उस समय कृष्णा देवी ईशान कल्प में कृष्णावतंसक विमान में सुधर्मा सभा में, कृष्ण सिंहासन पर आसीन थी । शेष काली देवी के समान । आठों अध्ययन काली अध्ययन सदृश है । विशेष यह कि पूर्वभव में इन आठ में से दो जनी बनारस नगरी में, दो जनी राजगृह में, दो जनी श्रावस्ती में और दो जनी कौशाम्बी में उत्पन्न हुई थीं । सबके पिता का नाम राम और माता का नाम धर्मा था । सभी पार्श्व तीर्थंकर के निकट दीक्षित हुई थीं । वे पुष्पचूला नामक आर्या की शिष्या हुईं । वर्त्तमान भव में ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियाँ हैं । सबकी आयु नौ पल्योपम की कही गई है । सब महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त होंगी और सब दुःखों का अन्त करेंगी । यहाँ दसवें वर्ग का निक्षेप - कहना चाहिए ।
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