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आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद
[२४१] हे जम्बू ! धर्म की आदि करने वाले, तीर्थ के संस्थापक, स्वयं बोध प्राप्त करने वाले, पुरुषोत्तम यावत् सिद्धि को प्राप्त श्रमण भगवान् महावीर ने धर्मकथा नामक द्वितीय श्रुतस्कन्ध का यह अर्थ कहा है । धर्मकथा नामक द्वितीय श्रुतस्कन्ध दस वर्गों में समाप्त ।
श्रुतस्कन्ध-२ का मुनिदीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
६ | ज्ञाताधर्मकथा अंगसूत्र-६-पूर्ण