Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 117
________________ . [ श्रीमदागमसुधासिस्थुः // त्रयोदशमी विभाग:पगिज्झेजा, इत्थी-विप्पजहें अणगारे / धम्मं च पेसलं नचा, तत्थ ठविज भिक्खु अप्पाणं // 11 // इइ एस धम्मे अक्खाए, कविलेणं च विसुद्धपन्नेणं / तरिहिन्ति जे उ काहिन्ति, तेहिं पाराहिया दुवे लोगु // 20 // त्ति बेमि // // इति अष्टममध्ययनम् // 8 // // 6 // अथ नमिप्रव्रज्याख्यं नवममध्ययनम् // चइऊण देवलोगायो, उववन्नो माणुसम्मि लोगंमि / उवसन्त-मोह. णिजो, सरइ पोराणियं जाई // 1 // जाई सरित्तु भयवं, सहसंबुद्धो अणुत्तरे धम्मे / पुत्तं ठवेत्तु रज्जे, अभिणिक्खमई नमी राया // 2 // सो देवलोगसरिसे, अन्तेउर-वरगया वरे भोए / भुजित्तु नमी राया, बुद्धो भोगे परिचयइ // 3 // मिहिलं सपुरजणवयं बलमोरोहं च परियणं सव्वं / चिच्चा अभिनिखन्तो, एगन्त-महिटियो भयवं // 4 // कोलाहलगभूयं, श्रासी मिहिलाए पव्वयंतमि / तइया रायरिसिम्मि, नमिम्मि अभिणिक्ख-मन्तम्मि // 5 // अभुट्ठियं रायरिसिं, पव्वजा-ठाणमुत्तमं / सको माहणरूवेण, इमं वयणमञवी // 6 // किराणु भो ! अज मिहिलाए, कोलाहलगसंकुला। सुव्वन्ति दारुणा सद्दा, पासाएसु गिहेसु य // 7 // एयम8 निसामित्ता, हेउकारणचोइयो। तयो नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी // 8 // मिहिलाए चेइए वच्छे, सीयच्छाए मणोरमे / पत्तपुप्फ-फलोवेए, बहूणं बहुगुणे सया // 1 // वारण हीरमाणंमि, चेइयंमि मणोरमे / दुहिया असरणा अत्ता, , एए कन्दन्ति भो ! खगा // 10 // एयम४ निसामित्ता, हेउकारणचोइयो। तो नमि रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी // 11 // एस अग्गी व वाऊ य, एयं डझइ मन्दिरं / भयवं अन्तेउरं तेणं, कीस णं नावपिक्खह // 12 // .. एयमट्ठ निसामित्ता, हेउकारणचोइयो / तयो नमी रायरिसी, देवेन्दं इणमन्बी // 13 // सुई वसामो जीवामो, जेसि मो नत्थि किंच णं / मिहि.

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