Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमदुत्तराध्ययनसूत्रम् / अध्यपनं 34 [11 वंकसमायारे, नियडिल्ले अणुज्जुए। पलिउंचग श्रोवहिए मिच्छदिट्ठी अणारिए // 25 // उप्फालग-दुट्टवाई य, तेणे श्राविय मच्छरी / एयजोगसमाउत्तो, काउलेसं तु परिणमे // 26 // नीबावित्ती अचवले, अमाई अकुउहले / विणीयविणए दन्ते, जोगवं उवहाणवं // 27 // पियधम्मे दधम्मे, वनभीरू हिए(या)सए (अणासवे)। एयजोगसमाउत्तो, तेउलेसं तु परिणमे // 28 // पयणुक्कोहमाणो य, मायालोमे य पयणुए। पसन्तचित्ते दन्तप्पा, जोगवं उवहाणवं // 21 // तहा य पयगुवाई य, उवसन्ते जिइंदिए। एयजोगसमाउत्तो, पम्हलेसं तु परिणमे // 30 // अट्टरुदाणि वजित्ता, धम्मसुक्काणि साहए। पसन्तचित्ते दन्तप्पा, समिए गुत्ने य गुत्तिसु // 31 // सरागे वीयरागे वा, उवसंते (सुद्धजोगे) जिइंदिए / एयजोगसमाउत्तो, सुक्कलेसं तु परिणमे // 32 // अस्संखिजाणोसप्पि. णीण, उस्सप्पिणीण जे समया। संखाईया (असंखाईया) लोगा, लेसाण हवंति ठाणाई // 33 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, तित्तीसा सागरा मुहुत्तहिया / उक्कोसा होह ठिई, नायव्वा किराहलेसाए // 34 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, दसउदही पलिय मसंखभाग मभहिया / उक्कोसा होइ ठिई, नायव्वा नीललेसाए / / 35 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, तिराणुदही पलियम-संखभाग-मभहिया / उक्कोसा होइ ठिई, नायव्वा काउलेसाए // 36 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, दोराहुदही पलिय-मसंखभाग-मब्भहिया / उकोसा होइ ठिई, नायव्वा तेउलेसाए // 37 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, दसउदही होइ मुहुत्त-मभहिया / उकोसा होइ ठिई, नायब्वा पम्हलेसाए // 38 // मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, तित्तीसं सागरा मुहुत्तहिया / उक्कोसा होइ ठिई, नायव्वा सुक्कलेसाए // 31 // एसा खलु लेसाणं, पोहेण ठिई उ वरिणया होइ। चउसुवि गईसु इत्तो, लेमाण ठिई उ वुच्छामि // 40 // दसवास-सहस्साई, काऊए ठिई जहनिया होइ / तिनोदही पलिय-असंखेजभागं च उकोसा (उकोसा तिन्नु

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