Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 214
________________ श्रीमदुत्तराष्पयनसूत्रम् / अध्ययनं 36 ) 6-17 जहन्नेणं, दमवाससहस्सिया // 211 // पलिम्रोवममेगं तु, वासलक्खेण साहियं / पलियोवमट्ठभागो, जोइसेसु जहनिया // 220 // दो चेव सागराई, उकोसेणं वियाहिया / सोहम्मंमि जहन्नेणं, एगं च पलिश्रोवमं // 221 // सागरा साहिया दुन्नि, उक्कोसेण वियाहिया। ईसाणम्मि जहन्नेणं, साहियं पलिग्रोवमं // 222 // सागराणि य सत्तेव, उकोसेण ठि भवे / सणंकुमारे जहन्नणं, दुन्नि ऊ सागरोवमा // 223 // सागरा साहिया सत्त, उक्कोसेण बियाहिया / माहिन्दमि जहन्न णं, साहिया दुन्नि सागरा // 224 // दम चेव सागराइं, उक्कोसेण वियाहिया। बम्भलोए जहन्नणं, सत्त उ सागरोवमा // 225 // चरद्दस सागराई, उकोसेण रियाहिया / लन्नगम्मि जहन्नणं, दस उ सागरोवमा // 226 // सत्तरस सागराइं, उकोसेण वियाहिया / महासुक्के जहन्नणं, चउद्दस सागरोवमा // 227 // अहारत सागराई, उक्कोसेण प्रियाहिया। सहस्सारे जहन्नणं, सतरल सागरोवमा // 228 // सागरा अउणवीसं तु, उकोसेण ठिई भवे / प्राणयम्मि जहन्नेणं, अट्ठारस सागरोवमा / 221 // वीसं तु सागराइं तु उक्कोसेणं ठिई भवे / श्राणयम्मि जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमा // 230 // वीसं तु सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे / पाणयम्मि जहन्नेणं, सागरा उणवीसई // 231 // सागरा इकवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे / श्रारणम्मि जहन्नेणं, विसई सागरोवमा // 232 // बावीस सागराई, उक्कोसेणं ठिई भवे / श्रच्चुयम्मि जहन्नेणं, सागरा इक्वीसई // 233 / / तेवीस सागराइ, उकोसेण ठिई भवे / पढम.म्म जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा // 234 // चउवीम सागराइ, उक्को तेण ठिई भवे / बिइयम्मि जहन्नेणं, तेवीसं सागरोवमा // 235 // पणवीस सागरा ऊ, उक्कोसेण ठिई भवे / तइयम्मि जहन्नेणं, चउवीसं सागरोपमा // 236 // छब्बीस सागराई', उकोसेग लिई भवे। चउत्थयम्मि

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