Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
View full book text
________________ 186) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभाग: वरण यो जे भवे नीले, भइए से उ गन्धयो / रसश्रो फासो चेव, भइए संगणोऽवि य // 24 // वरणयो लोहिए जे उ, भइए से उ गन्धयो / रसयो फासयो चेव, भइए संठाणयोऽवि य॥२५॥ वरायो पीअए जे उ, गइए से उ गन्धयो / रसयो फासश्रो चेव, भइए संठाणयोऽवि य // 26 // वगणयो सुकिले जे उ, भइए से उ गन्धयो / रसश्रो फासयो चेव, भइए संठाणयोऽवि य // 27 // गन्यो जे भवे सुब्भि, भइए से उ वरणयो / रसयो फासयो चेव, भइए संठाणोऽवि य // 28 // गन्धयो जे भवे दुन्भि, भइए से उ वराणयो / रसयो फासयो चेव, भइए संठाणोऽवि य // 21 // रसयो तित्तयो जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्धयो फासयो चेव, भइए संठाणयोऽविय // 30 // रसयो कडुए जे उ, भइए से उ वरणयो / गन्धयो फासयो चेव, भइए संठाणयोऽवि य // 31 // रसयो कसाए जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्धयो फासयो चेव, भइए संठाणयोवि य // 32 // रसयो अम्बिले जे उ, भइए से उ वगणयो / गन्धयो फासो चेत्र, भइए संठाणयोऽवि य // 33 // रसयो महुरए जे उ, भइए से उ. वराणयो। गन्धयो फासयो चेव, भइए संगणयोऽवि य॥ 34 // फासयो कक्खडे जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्धयो रसयो चेव, भइए संठाणोऽवि य // 35 // फासयो मउए जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्धयो रसयो चेव, भइए संगणयोऽवि य // 36 // फासो गुरुए जे उ, भइए से उ वराणयो। गन्धयो रसयो चेव, भइए संगणयोऽवि य // 37 // फासयो लहुए जे उ, भइए से उ वगणयो / गन्धो रसयो चेव. भइए संठाणोऽवि य // 38 // फासो सीयए जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्धयो रसयो चेव, भइए संठाणयोऽवि य // 31 // फासयो उराहए जे उ, भइए से उ वराणयो। गन्धयो रसयो चेव, भइए संठाणयोऽवि य॥ 40 // फासयो निद्धए जे उ, भइए से उ वराणयो / गन्वयो रसयो चेव, भए संठाणयो

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218