Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 173
________________ 156) [ भीमदागमसुभासिन्धुः / प्रयोदशमों विभाग: चउविहे सदहाइ सयमेव / एमेव नन्नत्ति य, निस्सग्गरुइत्ति नायब्बो // 18 // एए चेव उ भावे, उवइ8 जो परेण सद्दहइ / छउमत्येण जिणेण व, उवएसरुइत्ति नायवो // 16 // रागो दोसो मोहो, अन्नाणं जस्स गयं होइ। आणाए रोयन्तो, सो खलु पाणारई नाम // 20 // जो सुतमहिज्जन्तो सुएण, श्रोगाहई उ सम्मत्तं / अंगेण बाहिरेण व, सो सुत्तरुइत्ति नायव्यो // 21 // एगेण अणेगाई पयाई, जो पसरई उ सम्मत्तं उदयन्त्र तिलबिन्दू, सो बीयरुइत्ति नायब्बो // 22 // सो होइ अभिगमरुई सुयनाणं, जस्स प्रत्ययो दिटुं। इक्कारस अंगाई, पइराणगं दिट्टिवायो य // 23 // दव्वाण सवभावा सव्वपमाणेहिं जस्स उवल्लद्धा / सव्वाई नयविहीहि य,वित्थाररुइत्ति नायब्धो ॥२४॥दसणनाणचरित्ते, तवविणए सच्चसमिइगुत्तीसु। जो किरियाभावरुई, सो खलु किरियाई नाम // 25 // अणभिग्गहियकुदिट्ठी, संखेवरुइत्ति होइ नायबो। अविसारो पवयणे, अणभिग्गहियो य सेसेसु // 26 // जो अत्थिकायधम्म, सुयधम्मं खलु चरित्तधम्मं च / सदहइ जिणाभिहियं, सो धम्ममइत्ते नायबो // 27 // परमत्थसंथवो वा, सुदिट्ठपरमत्थसेवणा वावि। वावन्न-कुदंसण-वज्जणा य सम्मत्तसदहणा // 28 // नत्थि चरितं सम्मत्तविहूणं, दंसणे उ भइयध्वं / सम्मत्तचरित्ताई, जुगवं पुत्वं व सम्मत्तं // 26 // णादंसणिस्स नाणं, नाणेण विणा न हुन्ति चरणगुणा। श्रगुणिस्स नत्थि मुक्खो, नत्थि अम्मुक्खस्स निवाणं // 30 // निस्संकिय. निक खिय-निबितिगिच्छं अमूढदिट्ठी य / उववूह थिरीकरणं, वन्छल्ल पभावणेऽ?ते // 31 // सामाइयन्त्थ पढम, छेदोवट्ठावणं भवे बितियं / परिहार. विसुद्धीयं, सुहुमं तह संपरायं च // 32 // अकसायं अहक्खायं, छउमत्थस्स जिणस वा। एयं चयरित्तकर, चारित्तं होइ श्राहियं // 33 // तवो अ दुविहो वुत्तो, बाहिरमन्तरो तहा। बाहिरो छब्विहो वुत्तो, एवमभितरो तवो // 34 // नाणेण जाणई भावे, सम्मत्तेण य सरहे / चरित्तेगा निगि

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