Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 13
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 174
________________ श्रीमदुराराध्ययनस्त्रम् :: अन्वयनं 2 ]: [ 150 राहाइ, तवेण परिसुझई // 35 // खवित्ता पुनकम्माई, संजमेण तवेण य / सबदुक्खप्पहीणटा, पक्कमन्ति महेसिणो // 36 // त्ति बेमि // // इति अष्टावशिंमध्ययनम् // 28 // // 26 // अथ सम्यक्त्वपराक्रमाख्य-मेकोनत्रिंशमध्ययनम् // सुयं मे याउमं ! तेणं भगवया एवमवखायं-इह खलु सम्मत्तपरकमे नामऽभयण समोणं भगवया महावीरेणं कासवेणं पवेइए, जं सम्मं सद्दहइना पत्तियाइत्ता रोयइत्ता फासइत्ता पालइत्ता तीरइत्ता किट्टइत्ता सोहइत्ता थाराहइत्ता प्राणाए अणुपालइत्ताबहवे जीवा सिझति बुझति मुच्चंति परिनिबायंति सयदुक्खाणमंतं करेंति // तस्स णं अयम? एवमाहिजइ, तं जहासंवेगे 1 निब्बेए 2 धम्मसद्धा 3 गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया 4 पालोयणया 5 निंदणया 6 गरिहणया 7 सामाइए 8 चउवीसत्थए 1 वंदणये 10 पडिकमणे 11 काउस्सग्गे 12 पञ्चक्खाणे 13 थयथुइमंगले 14 कालपडिलेहणया 15 पायच्छित्तकरणे 16 खमावणया 17 सज्झाए 18 वायणया 11 परिपुच्छणया 20 पडियट्टणया 21 अणुप्पेहा 22 धम्मकहा 23 सुयस्स बाराहणया 24 एगग्गमणसंनिवेसणया 25 संजमे 26 तवे 27 वोदाणे 28 सुहसाए 21 अपडिबद्रया 30 विवित्तसयणासणसेवणया 31 विणिवट्टणया 32 संभोगपञ्चक्खाणे 33 उवहिपच्चयखाणे 34 श्राहारपञ्च. क्खाणे 35 कमायपचक्खाणे 36 जोगपञ्चक्खाणे 37 सरीरपञ्चक्खाणे 38 महायपञ्चक्खाणे 31 भत्तपञ्चक्खाणे 40 सम्भावपचक्खाणे 41 पडिस्बया 12 वेयावच्चे 43 सव्वगुणसंपुराणया 44 वीपरागया 45 खंती 46 मुत्ती 17 महवे 48 अजवे 41 भावसच्चे 50 करणसच्चे 51 जोगसच्चे 52 मा.गुत्तया 53 वयगुत्तया 54 कायगुत्तया 55 मणसमाधारणया 56 वयसमाधारणया 57 कायसमाधारणया 58 नाणसंपन्नया 51 दंसणसंपन्नया

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