Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga

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Page 166
________________ क्र. प्रकाशन नाम एवं परिचय में Suzuko Ohira कृत शोधपूर्ण (अं.) | अध्ययन} {रो. } [T, S] {281} 288 भगवतीसूत्र-विवेचन (भग. सूत्र के | भुवनभानुरिजी कृत (गु.) प्रव. 12 | (श्रु. 1 अ. 13.1)) भाग 1 (गु.) (271) 289 45 आगमसुत्ताणि (भगवई) (विवाह पन्नति) (भग.सूत्र मूल) दे.ना.. गु. (198) 290 भगवती सूत्रम् (व्याख्याप्रज्ञप्ति) |भग सूत्र की दानशेखरसूरिजी कृत | टीका दे. ना. गु.] [5] (202) |291 VIYAHAPANNATTI (BHAGAVAI) { भग. सूत्र का Jozef Deleu कृत (अं.) शोधग्रंथ) (रो.} {282) 292 आगम-दीप (भगवई) {भग. सूत्र का दीप. कृत (गु.) अनु.) विभाग 2 {गु., दे. ना.} (243) | 293 BHAGAVATISUTRA { भग. सूत्र सह के. सी. ललवानी प्रो. कृत (अं.) टिप्पणयुक्त अनु. (श्रु. 1. 11)} | Vol. 1-4 रो., दे.ना. } {198,240 } 294 भगवती सूत्रम् (भग. सूत्र सह अभय टीका और दानशेखरसूरिजी कृत | टीका} भाग 1-4 (दे.ना.} {198, 200, 202) 295 आगम सुत्ताणि (सटीकं) (भगवती अग सूत्रं-1-2) (भग. सूत्र सह अभय. टीका) भाग-5, 6 (दे.ना., गु.) {198, 200} 296 भगवतीसूत्र (भग. सूत्र सह आरतीबाई महासतीजी डॉ. कृत (गु.) अनु, विवे.) | भाग 1-5 (गु., दे. ना. } [S] [198,248) 297 अभ्युदय आगम सुत्ताणि (भग. सूत्र) { अभ्युदय आगम सुत्ताणि अंतर्गत भग. सूत्र मूल} भाग 5 / 1-3 (दे. ना. } (198) आगम प्रकाशन परिचय प्रकाशक ( ग्रंथमाला } दिव्यदर्शन ट्रस्ट आगम श्रुत प्रकाशन जिनशासन आराधना ट्रस्ट (P) अषभदेव | केशरीमलजी जैन श्वेतांबर संस्था मोतीलाल बनारसीदास पब्लशर्स प्रा. लि. { Lala Sundarlal Jain |Research Series 10} आगमदीप प्रकाशन जैन भवन आगम श्रुत प्रकाशन संपादक, संशोधक आदि गुरुप्राण फाउन्डेशन, महावीर सेवा ट्रस्ट, राजकोट अ.त. संपा. - पद्मसेनविजयजी पंन्यास संशो., संपा. -दीपरत्नसागरजी पूर्व संशो. पूर्व " | संपा. सागरानंदसूरि (#) प्रधान संपा. - SatyaRanjan Banerjee Dr. | संपा. दीपरत्नसागरजी (#) हर्षपुष्यामृत जैन ग्रंथमाला संशो, संपा. जिनेन्द्रसूरि {ग्रं. 353} संशो., संपा. -K. C. Lalwani संशो. संपा, दीपरत्नसागरजी प्रधान संपा. लीलमबाई महासतीजी, | सहसंपादिका - आरतीबाई { आगमबत्रीसी रत्न 12} महासतीजी डॉ., सुबोधिकाबाई साध्वी | | रत्नसागर प्रकाशन निधि संयो. -जितरत्नसागरसूरि, संशो. दीपरत्नसागरजी, संपा. चंद्ररत्नसागरसरि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2051 (3T.) 124 (C) 2052 (अ.) 512 (C) 2052 (पु.मु.) 2052 (1) 20362063 (2) | 2053 (अ.) 528 (C) 2055 (1) 303 (P) 20562059 (1) 372 (C) 2057 (1) 119 352+421+ 326...=1425 (c) 2056 (3T.) 560+528= 1088 (C) 396+398+ 380...=1656 (P) 592+512+ 872...=3416 (B) 175+175+ 187=537 (E)

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