Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga
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आगम प्रकाशन परिचय
175
क्र.
वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) 2023 (अ.) 388 (D)
878
प्रकाशन नाम एवं परिचय
प्रकाशक {ग्रंथमाला) संपादक, संशोधक आदि धर्म-प्रज्ञप्ति (दशवकालिक : जैन श्वेतांबर तेरापंथी संपा.-महाप्रज्ञजी आचार्य वर्गीकृत) {दश.सूत्र के पाठों का महासभा {वर्गीकृत आगम विषयानुसार संकलन सह महाप्रज्ञजी ग्रंथमाला 1} आचार्य कृत (हिं.) अनु.) खंड 1 {दे.ना.} [T] {1020, 1083)
मोतीलाल बनारसीदास पब्लीशर्स प्रा.लि.
संपा.-K. C. Lalwani
2029 (1)
288 (C)
879 DASAVAIKALIKA SUTRA
(Dasaveyalia Sutta) {दश.सूत्र सह के. सी. ललवानी कृत छाया, (अं.) अनु., विवे.} {दे.ना., रो.} {1020,1086,1043a)
2005|2031 (3)
472+3563 828 (B)
20172031 (3)
141+773 218 (B)
2031 (2)
628 (A)
2035 (2)
288 (E)
(अ.)
880 दशवैकालिकसूत्रम् (दश.सूत्र सह अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि
घासी. कृत छाया, टीका, (हिं., गु.) स्थानकवासी जैन स्वोपज्ञ टीकानु. (अ.10), (गु.) अन्व. शास्त्रोद्धार समिति (अ.5)} भाग 1-2 {दे.ना., गु.} [T] {1020, 1040,1046, 1053,1102,
1103} 881 दशवैकालिकसूत्रम् {दश.सूत्र की अखिल भारतीय श्वेतांबर नियो.-कन्हैयालालजी मुनि
घासी. कृत टीका का (गु.) स्वोपज्ञ अनु. स्थानकवासी जैन |(अ.10),} भाग 1-2 {गु., दे.ना.) शास्त्रोद्धार समिति
{1103) 882 दसवेआलियं DASAVEALIYAM जैन विश्व भारती संपा.-महाप्रज्ञजी आचार्य
(दश.सूत्र सह महाप्रज्ञजी आदि कृत छाया, (हिं.) अनु., (अर्वाचीन) टिप्पन) {दे.ना.) [T,S] {1020,
|1042, 1083} 883 सुमति-समुह-दान-नेम-परिमल केशर कमल जय ग्रंथमाळा अप्रदर्शित
{दश.सूत्र मूल और पंचसूत्र आदि) {गु.} {1020} दशवकालिकजी सूत्र (गुजराती प्रेम जिनागम प्रकाशन संपा.-शोभाचंद्रजी भारिल्ल अनुवाद सहित) {दश.सूत्र सह समिति (प्रेम लीलमबाई महासतीजी कृत (गु.) जिना.प्रका.ग्रं. 10) अन्व., अनु., वृद्धिविजयजी कृत सज्झाय} {गु., दे.ना.} {1020,
| 1035, 1055) 885 दशवैकालिकसूत्र मूल (दश.सूत्र मूल) रामनगर श्वे.मू.पू.जैन अप्रदर्शित {दे.ना.} {1020}
संघ-अमदावाद 886 दशवैकालिकसूत्रम् (दश.सूत्र सह भारतीय प्राच्य तत्त्व अप्रदर्शित
नियुक्ति, भाष्य, हारि. टीका) प्रकाशन समिति (P) {दे.ना.) [T, S] {1020, 1021, देवचंद लालभाई जैन 1023, 1026)
पुस्तकोद्धार फंड 887 दशवैकालिक सूत्र (दश.सूत्र सह रामनगर श्वे.मू.पू.जैन संपा.-भद्रंकरसूरि
भद्रंकरसूरिजी कृत (गु.) अन्व., संघ, अमदावाद विवे.} {गु., दे.ना.} [T] [{1020, 1059)
884
2035 (1)
254 (B)
72 (D)
2035 (#) (अ.)
2037 (अ.) 192 (B)
2037 (2) (3)
502 (D)
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