Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga
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क्र. कर्ता-संपादक आदि (अन्यनाम, विशेषण, संप्रदाय, संवत् सहित)
[जी.काळ सं. वि. 1132-1211]
249 जिनदासगणिजी महत्तर गुरु गोपालगणि महत्तर (वज्रशाखा } (र.सं. वि.7330)
कर्ता संपादक अनुक्रमणिका
250 जिनप्रभसूरि (शुभतिलक उपाध्याय उपा. अब.) गुरु जिनसिंहसूरिजी {लघु ख.) [दी.सं. वि. 1326#]
251 जिनप्रभाश्रीजी साध्वी {तेरा. } [प्रका. सं. ई. 1993 ]
252 जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण - पूर्वधर (निर्वृतिकुल} [शक सं. 531#]
253 जिनमणिसागरसूरि (मणिसागर) - गुरु-सुमतिसागरजी उपा. {ख.} [प्रका. सं. वि. 1975 ]
254 जिनविजयजी (जिनविजयजी मुनि अब पुरातत्त्वाचार्य जेन तपा.) [प्रका. सं. वि. 1981)
255 जिनविजयजी गणि गुरु क्षमाविजयजी तपा.] [दी.सं. वि. 1770#)
-
256 जिनहंससूरि (धर्मरंगजी मुनि अव . ) - गुरु-जिनसमुद्रसूरिजी (ख.} [सं. वि. 1573]
257 जिनहर्षसूरि (जसराज) गुरु- शांतिहर्ष (ख.) [र.सं. वि. 1729)
258 जिनेन्द्रविजयजी (जलज) - गुरु नरेन्द्रविजयजी (त्रिस्तु } [प्रका. सं. ई. 1993 ] 250 जिनेन्द्रसूरि गुरु-अमृतसूरिजी तपा.) प्रका. सं. वि. 2022]
280 जिनेशचंद्रविजयजी गणि गुरु-निर्मलचंद्रविजयजी गणि (तपा.) [प्रका. सं. वि. 2058]
261 जिनोत्तमसूरि गुरु-सुशीलसूरिजी तपा.) [प्रका, सं. वि. 2055] 262 जीतमलजी चोपडा (प्रका. सं. वि. 2023]
263 जीतमुनि अध्यात्मजीत [प्रका. सं. वि. 1975 ]
264 जीतविजयजी गुरु पद्यविजयजी तपा.)
265 जीवणलाल छगनलाल संघवी (जैन स्था. } [प्रका. सं. वि. 2029]
266 जीवन मुनि स्था.) [प्रका. सं. वि. 1941 ]
267 जीवराज बेलाभाई दोशी डॉ. जैन स्था.) प्रका. सं. वि. 1967)
268 जेठमलजी मुनि (रूपविजयजी)-गुरु-विनयविजयजी (स्था.) विद्यमान सं. ई. 1823)
K (कृति क्रमांक) P (प्रकाशन क्रमांक)
K (3, 80, 199, 770, 819, 879, 1025, 1120, 1286, 1330, 1443=11)
K (1361, 1554)
P (1562)
K (867, 868, 1119, 1121)
K (1415) P (1146)
P (693, 694, 1532)
K (213,457)
K (5)
K (331, 901, 1037)
P (1659)
P (29, 34, 41, 90, 121, 127, 177, 188, 211, 214, 268, 294, 331, 336, 372, 404, 430, 449, 452, 479, 491, 495, 516, 538, 553, 555, 562, 579, 591, 603, 606, 609, 613, 615, 618, 639, 730, 758, 771, 918, 988, 989, 991, 992, 993, 994, 1011, 1023, 1025, 1032, 1039, 1041, 1047, 1050, 1058, 1084, 1124, 1127, 1198, 1220, 1221, 1288, 1298, 1317, 1319, 1320, 1330, 1367, 1368, 1369, 1370, 1371, 1373, 1374, 1375, 1384, 1451, 1504, 1505, 1509, 1512, 1798=82)
P (922)
P (88, 1718, 1737, 1791)
K (405)
K (1388) P (1147)
K (538)
P ( 731, 740)
K (649, 674, 699, 724, 747-5)
K (150, 339, 804, 851, 930, 1047=6)
P (166, 360, 650, 678, 701, 708, 849=7) K (907)
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