Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga
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परिशिष्ट 1
K(कृति क्रमांक) P (प्रकाशन क्रमांक)
क्र. कर्ता-संपादक आदि (अन्यनाम, विशेषण, संप्रदाय, संवत् सहित) 654 | विक्रमसेनविजयजी गणि- गुरु-पुण्यानंदसूरिजी (तपा.}
[प्रका.सं. वि.2049]
K(23, 58,59,60) P (64,65, 77, 98, 770, 806, 807, 1240, 1251.1265.1790. 1799%D12) P(1360)
P(346)
P(1799)
K(444)P(427, 1652, 1653)
K (1244, 1478, 1479)
K(421)
K(277)
P(1316)
K (945)
655 | विचारश्रीजी- गुरु-वसंतश्रीजी (तपा.} [गुरु.सं. वि.2019] 656 विजयकुमार डॉ. [ज.सं. ई.1965] 657 | विजयभाई श्रीमाली -चित्रकार [प्रका.सं. वि.2060] 658 विजयमुनि - गुरु-अमरचंद्रजी {स्था.} [चातु.सं. ई.1967] 659 विजयविमल गणि (वानरर्षि, वीपाऋषि) - गुरु-आनंदविमलसूरिजी
{विमलशाखा} [र.सं.वि.1634] 660 विद्याकीर्तिजी - गुरु-पुण्यतिलक उपाध्याय {ख.)
र.काळ सं.वि.1669-1675] 661 विद्याविजयजी - गुरु-धर्मसूरि (काशीवाळा) {तपा.} [प्रका.सं. वि.1973] 662 | विद्युत्प्रभाश्रीजी - गुरु-नरेन्द्र श्रीजी {अचलगच्छ} [ज.सं. वि.1980] 663 विनय मुनि (स्था.) 664 विनयकुमारजी मुनि वागीश, गुरु-कनैयालालजी (कमल) {स्था.}
[चातु.सं. ई.1980] |665 | विनयचंद्र मुनि (स्था.} [दी.सं.वि.1986] 666 | विनयचंद्रजी - गुरु-ज्ञानतिलकजी {ख.) [र.सं. वि.1755] 667 विनयमेरु गणि - गुरु-हेमधर्मगणिजी (ख.} [र.सं. वि.1692] 668 विनयरक्षितविजयजी - गुरु-बोधिरत्नसूरिजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.2061] 669 | विनयवर्धनविजयजी - गुरु-नयवर्धनसूरिजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.2063] 670 | विनयविजयजी उपाध्याय - गुरु-कीर्तिविजयजी उपाध्याय (तपा.)
[र.सं. वि.1696] 671 विनयश्रीजी {ख.} [प्रका.सं. वि.2003] 672 | विनयसागरजी महोपाध्याय (पूर्व साधु अव. - गुरु-जिनमणिसागरसूरिजी)
{जैन ख.) [ज.सं. ई.1929]
P (37, 46,216, 655, 671, 685, 748, 1082, 1113, 1387, 1561, 1566, 1569, 1570%D14) K(494)
K(1565)
K (588)
P(1334,1342, 1405, 1621)
P(1261)
6 (211,456, 1130, 1192, 1366,151336)
K (348, 361)
K (1397,1466) P (71, 769, 1086, 1208, 1302, 1303, 1304.1733. 1774.1778%D10) P(1792)
673 | विनोदचंद्र रमणलाल शाह (जैन) [प्रका.सं. ई.1998] 674 विबुधप्रभसूरि {तपा.} [र.स. वि.1300#] |675 विमलकुमारजी नवलखा (जैन स्था.} [प्रका.सं. वि.2050]
K(205)
P (284, 1664, 1665, 1669, 1670, 1671, 1672, 1673, 1674, 1675, 1676, 1677, 1678, 1679, 1680, 1681, 1682, 1683, 1684, 1685, 1686,1687,1688%D23)
P(1564,1573)
K(138)
|676 | विमलप्रज्ञा साध्वी (तेरा.} [प्रका.सं. ई.1996] |677 विमलहर्ष उपाध्याय - गुरु-नगर्षिगणिजी (तपा.} [उपा. सं. वि.1628] 678 | विरलबाई साध्वी(महासती) - गुरु-प्राणकुंवरबाई महासती {स्था.}
[प्रका.सं.ई.2000]
P(136)
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