Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga

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Page 348
________________ परिशिष्ट 1 K (कृति क्रमांक) P(प्रकाशन क्रमांक) K (1502, 1503, 1509, 1510) P(1337, 1343) P (97, 159, 229, 953, 998, 1006=6) क्र. | कर्ता-संपादक आदि (अन्यनाम, विशेषण, संप्रदाय, संवत् सहित) | 401 पार्श्वरत्नसागर . गुरु-वैराग्यरत्नसागरजी गणि (तपा.) [प्रका.सं. वि.2069] 402 पुण्यकीर्तिविजय गणि - गुरु-दिव्यकीर्तिविजय गणि (तपा.) [प्रका.सं. वि.2063] 403 पुण्यधनविजयजी - गुरु-भद्रानंदविजयजी (तपा.) [प्रका.सं. वि.2055] 404 | पुण्यप्रभविजयजी- गुरु-मुक्तिप्रभसूरिजी (तपा.) [प्रका.सं. वि.2046] 405 | पुण्यरत्नसूरिजी - गुरु-गुणरत्नसूरिजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.2052] 406 | पुण्यविजयजी (आगमप्रभाकर) - गुरु-चतुरविजयजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.1989] P(63) K (1384)P (1217) P(96) K (609) P (150, 225, 226, 227,549,642,680, 695, 932, 1091, 1095, 1121, 1131, 1174, 1251, 1258,1336,1338,1365,1372,1379%321) P(933) P(1555,1691) K(574) K(251) 407 पुण्यश्रमणविजयजी - गुरु-युगचंद्रसूरिजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.2061] 408 पुण्योदयसागरसूरिजी - गुरु-माणिक्यसागरसूरिजी (तपा.} | [प्रका.सं. वि.2034] 409 | पुनिताबाई साध्वी(महासती) {स्था.} [प्रका.सं. वि.2061] 410 | पुरुषोत्तम गीगाभाई शाह (जैन श्वेतांबर) [प्रका.सं. वि.1974] |411 | पुरुषोत्तमसिंह सरदार - चित्रकार [प्रका.सं. वि.2048] 412 | पुष्पवती महासती {स्था.} [प्रका.सं. वि.2042] 413 पुष्पाबाई महासती - गुरु-लीलमबाई महासती (स्था.} [प्रका.सं. वि.2062] 414 पूर्णचंद्रविजयजी गणि - गुरु-कलापूर्णसूरिजी {तपा.} [प्रका.सं. वि.2044] 415 पूर्णचंद्रसागरजी गणि-गुरु-हेमचंद्रसागरसूरिजी (तपा.) [प्रका.सं. वि.2060] P(342, 409,767,911, 1088, 1264-6) K (1087)P (905, 1641) | K(19)P (835) P(822, 832,949) P (81, 143, 194, 224, 305, 350, 386, 412, 433,454,482, 499,520, 537,566, 580, 594, 604,608, 611,614, 617, 620, 634,646,659, 673, 687, 696, 805, 809, 935, 990, 1013, 1026, 1029, 1033, 1036, 1043, 1052, 1055, 1060, 1093, 1126, 1290, 1323,1332347) P (892) K (327) 416 | पूर्णचंद्रसूरि - गुरु-जयकुंजरसूरिजी (तपा.} [प्रका.सं. वि.2041] 417 पूर्णभद्रसूरि - गुरु-जिनपतिसूरिजी (ख.) [र.सं. वि.1275] 418 पूर्णानंदविजयजी पंन्यास - कुमारश्रमण, गुरु-विद्याविजयजी पंन्यास (तपा.) [प्रका.सं. वि.2035] 419 पूर्वधर महर्षि 420 पूर्वाचार्य K (256, 257, 477, 1357) P(273,276, 278,448) K (768) K (515, 535,561, 564, 611, 623, 641,647, 672, 697, 722, 745, 795, 887, 1168, 1187, 1235, 1243, 1254, 1266, 1271, 1278, 1371, 1445, 1457, 1460, 1477, 1491, 1494, 1504, 1505, 1520, 1521=33)

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