Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga
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क्र. कर्ता-संपादक आदि (अन्यनाम, विशेषण, संप्रदाय, संवत् सहित)
522 मानविजयजी उपाध्याय गुरु- शांतिविजयजी उपा. (तपा. } [र.सं. वि. 17310]
523 मित्रानंदसूरि गुरु- पद्मविजयजी पं. (तपा.} [ज.सं. वि. 1984]
-
524 मिश्रीमलजी मुनि (मधुकर) - मधुकर (स्था.} [जी.काळ सं. वि. 1970-2040]
530 मुक्तिचंद्रविजयजी पंन्यास - गुरु- कलाप्रभसूरिजी (तपा. } [प्रका. सं. वि. 2051]
525 मीठालालजी मुनि तेरा. प्रका. सं. वि. 2020]
K (1083)
526 मीनाबेन अनिलभाई कापडिया (जैन श्वेतांबर} [ प्रका. सं. वि. 2043]
P (759)
527 मुकुंद मोनाणी - गुरु-राजविजयजी [र.सं. वि. 1840]
K (905)
528 मुकुंद लाठ डॉ. [प्रका. सं. ई. 1999]
K (1398)
529 मुक्ताबाई साध्वी ( महासती ) गुरु आम्रवाई महासती (स्था) [प्रका. सं. ई. 2002] K (637)
P (923,1697)
531 मुक्तिप्रभसूरि गुरु-जयकुंजरसूरिजी (तपा.} [ज.सं. वि. 2004] 532 मुक्तिप्रभा साध्वी डॉ. - गुरु- उज्ज्वलकुमारी साध्वी {स्था. } प्रका. सं. वि. 2038]
-
533 मुक्तिविमलजी पं. गुरु- सौभाग्यविमलजी (विमलशाखा) जी.काळ सं. वि. 1949-1974]
कर्ता संपादक अनुक्रमणिका
-
534 मुनिचंद्रविजयजी पंन्यास गुरु कलाप्रभसूरिजी (तपा.) [प्रका. सं. वि.2050]
535 मुनिचंद्रसूरि गुरु- जिनचंद्रविजयजी (तपा.} [ प्रका. सं. वि. 2054]
-
-
536 मूलचंदजी ऋषि - गुरु- धर्मदासजी (#) [र.सं. वि. 1885 ]
537 मेघराज उपाध्याय गुरु-श्रवणऋषिजी (पावंचंद्र.) [र.सं. वि. 16554]
538 मेघविजयजी गुरु-माणिक्यसिंहसूरि (तपा.) [र.सं. वि. 1966]
.
-
539 मेघसूरि गुरु- सिद्धिसूरिजी (तपा. } [ज.सं. वि. 1932 ]
540 मेरुविजयजी गुरु-लालविजयजी [र.सं. वि. 17250]
-
541 मेरुविजयजी गुरु-जयविजयजी तपा. } [र.सं. वि. 1725]
542 मेरुविजयजी गुरु-जिनविजयजी पंन्यास
543 मोतीलाल मनसुखराम शाह [ प्रका. सं. वि. 1954]
544 मोहन (माल्ह) - गुरु - शोभर्षि
545 मोहनलाल दलीचंद देसाई एडवोकेट जैन तपा.) जी.काळ सं. ई. 1885-1945]
-
546 मोहनलाल बांठिया चंचल जैन स्था. } [ प्रका. सं. वी. 2493]
K (कृति क्रमांक) P (प्रकाशन क्रमांक)
K (207, 208)
K (18) P (176, 640, 1658)
P (47, 133, 180, 222, 279, 337, 383, 401, 428, 450, 475, 494, 515, 531, 557, 589, 629, 764, 905, 981, 1080, 1114, 1388, 1456, 1514, 1655, 1696, 1703=28)
P (902, 1244)
K (71, 445)
P (51, 428, 1561, 1566, 1570=5)
K (1379, 1380, 1526)
P (1759)
P (923, 1697)
P (378, 503, 523, 524, 565, 661, 662,
920=8)
K (142)
K (140, 177, 204, 286, 537=5)
K (222)
P (1156)
K (86)
K (374, 541)
K (420)
K (342, 489, 654, 679, 704, 729, 752=7)
K (1333)
P (1622, 1766, 1794)
P (1553, 1554, 1568)
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