Book Title: Agam Prakashan Suchi
Author(s): Nirav B Dagli
Publisher: Gitarth Ganga
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आगम प्रकाशन परिचय
279
प्रकाशन नाम एवं परिचय प्रकाशक {ग्रंथमाला} संपादक, संशोधक आदि वि.सं. (आ.) पृष्ठ (कद) आदि कृतियों का संग्रह) विभाग 1
{गु.) [T] {1560, 1564) 1767 प्राचीन स्तवनादि संग्रह {गु.} [T] कुंवरजी आणंदजी शाह संग्रा.-उत्तमश्रीजी साध्वी 1993 (अ.) 286 (D)
{538) 1768 अध्यात्म रत्नमाळा (जीवविचार, कोरशी विजपाल जैन अप्रदर्शित
1993 (4) 820 (D) नवतत्त्व विगेरे साथे) {पुन्यप्रकाश का स्तवन, दश.सूत्र की वृद्धिविजयजी कृत सज्झाय आदि} {दे.ना., गु.) {178, 290, 907,
1035, 1513, 1558) 11769 प्राचीन-स्तवनादि संग्रह {गु.) [T] मोहनलाल रुगनाथ संग्रा.-तिलकविजयजी पंन्यास |1993 (1) 430 (D)
{211,538,900,903,907, 1035,
1130) 1770 सज्झायमाळा {गु.} [T] {86,333, मफतलाल झवेरचंद गांधी संपा.-मफतलाल झवेरचंद गांधी 1995 (2) 248 (D)
890,900, 1035, 1564} 1771 जैन सज्झाय संग्रह [सचित्र] {गु.} [T] साराभाई मणीलाल नवाब संशो., संपा.-साराभाई 1996 (1) 512 (D) {207, 422, 900)
मणीलाल नवाब 1772 आठ दृष्टिनी सज्झाय अर्थ युक्त तथा जैन धर्म प्रसारक सभा । अप्रदर्शित
1997 (अ.) 100 (D) समकितना 67 बोलनी सज्झाय सार्थ {शेठ माणेकलाल विगेरे. (यशोविजयजी महो. आदि कृत चुनीलाल ग्रंथमाला 5} सज्झाय आदि} {गु., दे.ना.} [T]
(1560,1564} 1773 आवश्यक मुक्तावली (विविध स्तवन, लब्धिसूरि जैन ग्रंथमाला, संपा.-महिमाविजयजी 2011 (2) 670 (D)
सज्झाय आदि} {गु., दे.ना.} [T] छाणी {क्र. 27}
{1020, 1035,1513} 1774 समयसुन्दर-कृति-कुसुमाञ्जलि
नाहटा ब्रधर्स {15} |संग्रा., संपा.-भंवरलाल नाहटा, 2013 (1) |790 (D) (कविवर की 563 लघु रचनाओं का
अगरचंद नाहटा, संग्रह) समयसुंदरजी उपा.कृत
संशो.-विनयसागरजी आगमिक सज्झायादि संग्रह (दे.ना.} [T] {87,143, 144,206,217,423, 540, 584,585,896,897,898,
910, 911,912,913, 1174} 1775 धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली {धर्मवर्द्धनजी कृत सादूल राजस्थानी रिसर्च संपा.-अगरचंद नाहटा 2017 (1) 466 (D)
45 आगम का (मा.गु.) स्तवन आदि इन्स्टीट्यूट विविध कृतियाँ) (दे.ना.} [T] {330,
586, 1131, 1555} 1776 सज्जन सन्मित्र याने एकादश पोपटलाल केशवजी दोशी संग्रा.-पोपटलाल केशवलाल | 2021 (3) 1228 (B) महानिधी {गु.} {375, 484, 890,
दोशी 903, 1020, 1035,1130, 1135, 1136, 1186, 1295, 1508, 1513,
1569} 1777 45 आगमनी पूजा तथा विधि {45 आत्म कमल
अप्रदर्शित
2031 (#) 48 (D) आगम की रूपविजयजी पं. कृत पूजा) |लब्धिसूरीश्वरजी जैन
(अ.) {गु.) {1570)
ज्ञानमंदिर 1778 शासनप्रभावक आचार्य जिनप्रभ और अभय जैन ग्रंथमाला{30) लेखक-विनयसागरजी 2032 (अ.) 254 (D)
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