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३५-अनगार-मार्ग-गति
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२०. निज्जूहिऊण आहार
कालधम्मे उवट्टिए। जहिऊण माणुसं बोन्दिं
पहू दुक्खे विमुच्चई॥ २१. निम्ममो निरहंकारो
वीयरागो अणासवो। संपत्तो केवलं नाणं सासयं परिणिव्बुए॥
-त्ति बेमि।
__ अन्तिम काल-धर्म उपस्थित होने पर मुनि आहार का परित्याग कर और मनुष्य-शरीर को छोड़कर दुःखों से मुक्त-प्रभु हो जाता है।
निर्मम, निरहंकार, वीतराग और अनाश्रव मुनि केवल-ज्ञान को प्राप्त कर शाश्वत परिनिर्वाण को प्राप्त होता है।
-ऐसा मैं कहता हूँ।
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