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उत्तराध्ययन सूत्र
जो पुद्गल वर्ण से रक्त है, वह गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल वर्ण से पीत है, वह गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पदगल वर्ण से शक्ल हैं वह गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
है।
२४. वण्णओं लोहिए जे उ
भइए से उ गन्धओ। रसओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ २५. वण्णओ पीयए जे उ
भइए से उ गन्धओ। रसओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ २६. वण्णओ सुक्किले जे उ
भइए से उ गन्धओ। रसओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ २७. गन्धओ जे भवे सुब्भी
भइए से उ वण्णओ। रसओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ २८. गन्धओ जे भवे दुब्भी
भइए से उ वण्णओ। रसओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ २९. रसओ तित्तए जे उ
भइए से उ वण्णओ। गन्धओ फासओ चेव
भइए संठाणओ वि य॥ ३०. रसओ कडुए जे उ
भइए से उ वण्णओ गन्धओ फासओ चेव भइए संठाणओ वि य॥
जो पुद्गल गन्ध से सुगन्धित है, वह वर्ण, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है।
जो पुद्गल गन्ध से दुर्गन्धित है, वह वर्ण, रस, स्पर्श और संस्थान से भाज्य है।
जो पुद्गल रस से तिक्त है, वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
जो पुद्गल रस से कटु है—वह वर्ण, गन्ध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य
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