Book Title: Agam 42 Mool 03 Dash Vaikalik Sutra
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Shashikant Popatlal Trust Ahmedabad
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भूण सूत्र]
. ४१३ (१५६) अह कोइ न इच्छिज्जा, तओ भुजिज्ज एक गाओ।
__ आलोए भायणे साहू, जयं अपरिसाडिअं॥१-९६॥ (१५७) तित्तगं व कडु व कसायं, अबिलं व महुरं लवणं वा ।
एयलद्धमन्नत्थपउत्तं, महुघयं व जिज्ज संजए॥१-९७॥ (१५८) असं विरसं वा वि, सूइ वा असूइअं।
उल्लं वा जइ वा सुक्कं, मंथुकुम्मास भोअणं ॥१-९८॥ (१.५८) उप्पन्नं नाइहीलिज्जा, अप्पं वा बहु फासु।
मुहालद्धं मुहाजीवी, भुंजिज्जा दोसवज्जिअं॥१-९९॥ (१६०) दुल्लहा उ मुहादाई, मुहाजीवी वि दुल्लहा । मुहादाई मुहाजीवी, दो वि गच्छति सुग्गइं-ति बेमि
॥१-१०॥ બીજો ઉસે (१६१) पडिग्गहं संलिहिताणं, लेवमायाइ संजए।
दुग्गंधं वा सुगंधं वा, सव्वं मुंजे न छड्डए ॥२-१॥ (१६२) सेज्जानिसीहियाए, समावन्नो अ गोअरे ।
यावयट्ठा भुच्चा णं, जइ तेणं न संथरे ॥२-२॥ (१६३) तओ कारणमुप्पन्ने, भत्तपाणं गवेसए।
विहिणा पुव्वउत्तेण, इमेणं उत्तरेण य ॥२-३॥ (१६४) कालेण निक्खमे भिक्खू, कालेण य पडिक्कमे ।
अकालं च विवज्जित्ता, काले कालं समायरे॥२-४॥ (१६५) अकाले चरसि भिक्खू !, कालं न पडिलेहसि ।
अप्पाणं च किलामेसि, संनिवेसं च गरिहसि ॥२-५॥
(१६२)
यहा भुधा
भत्तपाणं
॥२-३
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