Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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स्थलसोक्खहेउभूयाओ न इट्ठदेवयानमोकारविरहिए केई पारं गच्छेज्जा, इट्ठदेवयाणं च नमोक्कारं पंचभंगलमेव गोयमा!, जो णमनति, ता णियमओ पंचभंगलस्सेव पढमं ताव विणओवहाणं कायव्वंति।११। से भयवं! कयराए विहीए पंचमंगलस्स णं विणओवहाणं कायव्वं?, ऐयमा! इमाए विहीए पंचमंगलस्स णं विणओवहाणं कायव्वं तंजहा सुपसत्थे चेव सोहणे तिहिकरणमुत्तनक्ख्त्त जोगलग्गससीबले विष्यमुक्कजायाइभ्यासंकेण संजायसद्धासंवेगसुतिव्वतरमहंतुल्लसंतसुहझवसायाणुगयभत्तीबहुमाणपुव्वं णिणियाणं दुवालसभत्तहिएणं चेइयालए जंतुविरहिओगासे भत्तिभरनिब्भरुधुसियससीसरोमावलीपप्फुल्लण (व) यणसयवत्तपसत्तसोमथिरदिट्ठीणवणवसंवेगसमुच्छलंतसंजायबहलधणनिरंतरअचिंतपरमसुहपरिणामविसेसुल्लासियजीववीरियाणुसमयविवड्ढंतपभोयसुद्धसुनिम्मलथिरदढयरंतकरणेणं खितिणिहियजाणुणिसिउत्तमंगकलकमलमउलसोहंजलिपुडेणं सिरिउसभाइपवरवधम्मतित्थ्यरपडिमाबिंबविणिवेसियणयणमाणसेगम्गतम्गयझवसाएणं समयण्णुदढचरित्तादिगुणसंपओववेयगुरुसहत्थाणुद्वाणकरणेकबद्धलक्खत्तऽबाहियगुरुवयणविणिग्गयं विणयादिबहुमाणपरिओसाणुकंपोवलद्धं अणेगसोगसंतावुव्वेगमहावाहिवियणाधोरदक्खदारिदकिलेसरोगजन्म जरामरणगब्भवासाइट्ठसावगावगाहभीमभवोदहितरंडगभूयं इणमो सथलागममझत्तगस्स भिच्छत्तदोसोवहयविसिद्धबुद्धीपरिकप्पिय कुभणिय अघडमाणअसेसहे उदिटुंत जुत्तीविद्धंसणिकपच्चलपोट्टस्स | पंचभंगलमहासुयक्खंधस्स पंचझ्यणेगचूलापरिक्खित्तस्स पवरपक्यणदेवयाहिट्ठियस्स तिपदपरिच्छिन्नेगालावगसत्तक्खरपरिमाणं ॥ श्री महानिशीथसूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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