Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अंसुनिवाए जं जलं गलियो तं अगडतलायनईसमुद्दमाईसु णवि होजा॥९॥ आवीयं थाछीरं सागरसलिलाउ बहुया होज्जा। संसारंमि अणते अबलाजोणीए एकाए ॥४००॥ सत्ताहविवनसुकुहियसाणजोणीए मझदेसंमि। किमियत्तण केवलएण जाणि मुक्काणि देहाणि॥१॥ तेसिं सत्तमपुढवीए सिद्धिखेत्तं च याव उक्कुरुडं। चोइसरजु लोगं व अणंतभागेणवि भरेजा॥२॥ पत्ते य कामभोगे कालमणतं इहं सउवभोगे। अप्युव्वं चिय मनइ जीवो तहवि य विसयसोक्खं॥३॥ जह कच्छुलो कच्छु कंडुयमाणो दुहं मुणइ सोक्खी मोहाउरा मणुस्सा तह कामदुहं सुहं बिंति॥४॥ जाणंति अणुभवंति य जम्मजरामरणसंभवे दुक्खेोन य विसएसु विरज्जति ( गोयमा!) दुग्गइगमणपत्थिए जीवे॥५॥ सव्वगहाणं पभवो महागहो सव्वदोसपायट्टी कामगहो दुरप्पा जेणऽभिभूयं जगं सव्वा तस्स वसं जे गया पाणी)॥६॥ जाणति जड। भोगिड्ढिसंपया सव्वमेव धम्मफलो तहविं दढमूढहियए पावं काऊण दोग्गई जति॥७॥ वच्चइ खणेण जीवो पित्तानलधाउसिंभखोभेहि उज्जमह मा विसीयह तरतमजोगो इमो दुलहो॥८॥पंचिंदियत्तणं माणुसत्तणं आयरिए जणे सुकुली साहुसमागमसुणणासहहणाऽरोगपव्वजा॥९॥ सूलअहिविसविसूइयपाणियसत्थग्गिसंभमेहिं च।। देहतरसंकमणं करेइ जीवो मुहुत्तेण॥४१०॥ जावाउ सावसेसं जाव थेवोवि अस्थि ववसाओ। ताव करेज अप्पहियं मा तप्पिहहा | पुणो पच्छ। ॥१॥ सुरघणुविज्जुखणदिटुनटुसंझाणुरागसिमिणसमी देहं इति तु वियलइ मम्मयभंडं व जलभरिय॥२॥ इय जाव ण चुक्कसि एरिसस्स खणभंगुरस्स देहस्सा उग्गं कुटुं घोरं चरसु तवं नत्थि परिवाडी॥३॥ गोयभोति! 'वाससहस्सपि जई काऊणं ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239