Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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छटुं एक्कासणगं कारणिगस्स, निक्कारणिगे अवंदे संवच्छरं जाव पारंचियं काऊणं उवट्ठवेजा॥७॥जेणं पडिक्कमणं नो पडिकमज्जा से णं तस्सोवठ्ठावणं निद्देसेज्जा, बइठ्ठपडिकमणेणं खमणं, सुन्नासुत्रीए अणोवउत्तपमत्तो वा पडिक्कमणं रेज्जा दुवालसं,
कालस्स चुक्कइ चउत्थं, अकाले पडिक्कमणं रेज्जा चउत्थं, कालेणं वा पडिकमणं णो रेजा चउत्थं, संथारगओ वा संथारगोवविठ्ठो वा पडिकमणं करेजा दुवालसम, मंडलीए ण पडिक्लभेजा उवट्ठावणं, कुसीलेहिं समं पडिक्कमणं करेजा उवट्ठावणं, परिभट्ठबंभचेवएहिं समं पडिक्कमेज्जा पारंचियं,सव्वस्ससमणसंघस्सतिविहंतिविहेणखमणमरिसामणं अकाऊण पडिक्कमणं करेजा उवट्ठावणं, पयंपएणाविच्चामेलियं पडिक्कमणसुत्तंण पयट्टेजा चउत्थं, पडिक्कमणंण काऊणं संथारगेइ वा फलहगेइ वा तुयमुना खमणं, दिया तुयटेजा दुवालसं, पडिक्कमणं काउं गुरुपामूलं वसहिं संदिसावेत्ताणं ण पच्चुप्पेहेइ चउत्थं, वसहिं पच्चुयेहिऊणं ण संपवेएज्जा छटुं, वसहिं असंपवेएत्ताणं रयहरणं पच्चुप्पेहिज्जा पुरिमद्धं, रयहरणं विहीए पच्चुप्पेहित्ताणं गुरुपामूलं मुहणंतगे अपच्चुप्पेहिय उवहिं संदिसावेज्जा पुरिवर्ल्ड( मड्ढे),असंदेसावियं उवहिं पच्चुप्पेहिज्जा पुरिवर्ल्ड,अणुवउत्तो उवहिं वा वसहि वा पच्चुप्पेहे दुवालसं, अविहीए वसहिं वा अन्यरं वा भंडभत्तोवगरणंजायं किंचि अणोवउत्तपमत्तो पच्चुम्पेहिज्जा दुवालसं, वसहिं वा उवहिं वा भंडभत्तोवगरणंवाअपडिलेहियंवा दुष्पडिलेहियंवा परिभुंजेज्जादुवालसं, वसहिं वा उवहिं वा भंडभत्तोवगरणंवाणपच्चुप्पिहिज्जा उवट्ठावर्ण, एवं वसहिं उवहिं पच्चुप्पेहित्ताणं जम्ही पएसे संथारयं जम्ही 3 पएसे उवहीए पच्चुप्पेहणं कयं तं थाम णिउणं हलुयहलुयं ॥ श्री महानिशीथसूत्रा
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पू. सागरजी म. संशोधित
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