Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 220
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अन्तिष, असईपि सुहज्झवसायसंचियपुण्णपब्भारे एस अहं, से तुम्ह पडिसत्तू अमुगो णरवती, मा पुणो भणियासु जहा णं णिलुको अम्हाणं भएणं, ता पहरेज्जासु जड़ अत्थि वीरियंति, जावेत्तियं भणे ताव णं तक्खणं चेव थंभिए ते सव्वे गोयमा ! परबलजोहे | सीलाहिट्ठियत्ताए तियसाणंपि अलंघणिज्जाए तस्स भारतीए, जाए य निच्चलदेहे, तओ य णं धसत्ति मुच्छिऊणं णिच्चिट्टे णिवडिए धरणिवट्टे से कुमारे, एयावसरम्ही उ गोयमा! तेण णरिंदाहमेणं गुहियमायाविणा वुत्ते धीरे सव्वत्थावी समत्थे सव्वलोयभमंते धीरे भीरू वियक्खणे मुक्खे सूरे कायरे चउरे चाणक्के बहुपवंचभरिए संधिविग्गहिए निउत्ते छड़ल्ले पुरिसे जहा णं भो भो (गिण्हेह ) तुरियं रायहाणीए वज्जिद नीलससिसूर कंतादीए पवरमणिरयणरासीए हेमज्जुणतवणीय जंबूणयसुवन्नभारलक्खाणं, किं बहुणा ?, विसुद्धबहु जच्चमोत्तियविदुमखारिलक्खपडिपुत्रस्स णं कोसस्स चारंगस्स (य) बलस्स, विसेसओ णं तस्स सुगहियनामगहणस्स | पुरिससीहस्स सीलसुद्धस्स कुमारवरस्सेतिपत्तिमाणेह जेणाहं णिव्वुओ भवेयं, ताहे नरवइणी पणामं काऊणं गोयमा ! गए ते निउत्तपुरिसे जाव णं तुरियं चलचवलजइणकमपवणवेगेहिं णं आरूहिऊणं जच्चतुरंगमेहिं निउंजगिरिकंदरूद्दे सपइरिक्काओ खणेण | पत्ते रायहाणिं, दिट्ठो य तेहिं वामदाहिणभुयाए पल्लवेहिं व्यणसिरोरूहे विलुप्यमाणो कुमारो, तस्स य पुरओ सुक(व)नाभरणणेवत्था दसदिसासु उज्जोयमाणी जयजयसद्दमंगलमुहला स्यहरणवावडो भयकरकमलविरइयंजली देवया, तं च दण विम्हयभूयमणे | लिम्पकम्मणिभ्मविए (ठिए), एयावसरम्हि उ गोयमा ! सहरिसरोमंचकंचुपुलइयसरीराए णमो अरहंताणंति समुच्चरिऊण भणिरे ॥ श्री महानिशीथसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित २०९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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