Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 195
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassa garsuri Gyanmandir मोहमिच्छत्तादीणंखओवसमेणं सम्मग्गं समोवलभित्ताणं निविनकामभोगे निरणुबंधं पुन्नमहिज्जे, तं च तवसंजमाणुढाणेणं, तस्सेव तवसंजमकिरियाए जाव णं गुरू सयमेव विग्धं पयरे अहा णं परेहिं कारवे कीरमाणे वा सभणुवेक्खे सपक्खेण वा परपक्खेण वाताव णं तस्स महाणुभागस्स साहुणो संतियं विजमाणमवि धम्मवीरियं पणस्से जाव णं धम्मवीरियं पणस्से ताव णं जे पुनभागे आसन्नपुरक्खडे चेव सोपणस्से, जइणंणो सभणलिंगं विष्पजहे ताहे जे एवंगुणोववए से णं गच्छमुझिय अन्नं गच्छं समुप्पयाइ, तत्थविजावणं संपवेसंण लभेतावणं कयाइ उण अविहीए पाणे पयहेज्जा कयाइ उण मिच्छत्तभावंगच्छिय परपासंडियभासएज्जा क्याइ उण दाराइसंगहं काऊणं अगारवासे पविसेज्जा अहा णं से ताहे महातवस्सी भवेत्ताणं पुणो अतवस्सी होऊणं प हवेजा जावणं एयाई न हवंति तावणंएगंतेणं वुड्ढि गच्छे मिच्छत्ततमे जावणं मिच्छत्ततमधीकए बहुजणनिवहे दुक्खेणं समणुद्वेज्जा दुग्गइनिवारए सोक्खपरंपरकारए अहिंसालक्खणसमणधम्मे, जावणंएयाइं भवंति तावणं तित्थस्सेव वोच्छित्ती, तावणंसुदूरववाहिए परमपए, जावणं सुदूरववहिए परमपए तावणं अच्चंतसुदुखिए चेव भव्वसत्तसंघाए पुणो चउगईए संसरेज्जा, एएणं अटेणं एवं वुच्चइ गोयमा! जहाणं जे णं एएणेव पयारेणं कुगुरू अक्खरे णोपएज्जा से णं संघबझे उवइसेजा।१४से भयवं! केवइएणं कालेणं पहे कुगुरू भविहिंति?, गोयमा! इओय अद्धतेरसण्हं वासस्याणं साइरेगाणं सभइवंताणं परओ भविंस,से भ्यवं! देणं अटेणं?,गोयमा! तत्कालंइड्ढीरससायगारवसंगए ममीकारअहंकारगीए अंतोसंपज्जलंतबोंदीअहमहंतिक्रयमाणसे अमुणियसमयसब्भावे ॥ श्री महानिशीथसूत्र । | १८४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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