Book Title: Agam 37 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Ek Adhyayan Author(s): Ashok Kumar Singh Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 4
________________ · प्रकाशकीय सम्पादन, अनुवाद, प्रकाशन की दृष्टि से जैन आगम ग्रन्थों (प्रकीर्णकों को छोड़कर) पर बहुत अधिक कार्य हुआ है। आज आगमग्रन्थों के बहुत से प्रकाशित संस्करण उपलब्ध हैं। गुजराती या हिन्दी, अनुवाद के साथ विवरणात्मक टिप्पणी आदि देकर एक-एक आगम ग्रन्थ के अनेक संस्करण मिलते है। कुछ आगम ग्रन्थों के अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित हुए हैं। परन्तु आगमों के प्राचीन व्याख्या साहित्यनियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, तथा वृत्ति के अनुवाद की स्थिति ठीक इसके विपरीत हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर इस दिशा में नहीं के बराबर कार्य हुआ है। आगमिक व्याख्या साहित्य में प्रतिपादित तथ्यों की सुलभता के लिए इनका अनुवाद सहित प्रकाशन बहुत जरुरी है। जैन विद्या के अध्ययन शोध एवं प्रकाशन के क्षेत्र में पिछले ६० वर्षों से कार्यरत का हि०वि०वि० द्वारा शोध हेतु मान्यता प्राप्त पार्श्वनाथ विद्यापीठ ने प्राकृत एवं संस्कृत के जैन ग्रन्थों का हिन्दी एवं अंग्रेजी अनुवाद सहित प्रकाशन आरम्भ किया है। फलस्वरूप वज्जालग्गम्, गाथासप्तशती, पञ्चाशकप्रकरणम् आदि प्राकृत ग्रन्थों एवं जैनमेघदूतम्, नेमिदूतम्, नलविलासनाटकम्, निर्भयभीमव्यायोगम् आदि संस्कृत ग्रन्थ हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशित हुए। इसी क्रम में छेदसूत्र दशाश्रुतस्कन्ध पर नियुक्तिकार भद्रबाहु द्वारा निबद्ध दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति का हिन्दी अनुवाद (अध्ययन सहित) प्रस्तुत है। विद्यापीठ की समस्त गतिविधियों के केन्द्र एवं प्रेरणास्रोत निदेशक प्रो०सागरमल जैन हैं, अत: हम उनके आभारी है। इस ग्रन्थ का अनुवाद, सम्पादन एवं प्रूफ-संशोधन विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ०अशोक कुमार सिंह ने किया इसलिए हम उन्हें साधुवाद देते हैं। प्रकाशन व्यवस्था के लिए विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय भी धन्यवाद के पात्र हैं। उत्कृष्ट कम्पोजिंग के लिए श्री अजय कुमार चौहान, सरिता कम्प्यूटर्स एवं सुरुचिपूर्ण मुद्रण के लिए रत्ना प्रिण्टिग वर्क्स, वाराणसी के भी हम आभारी है। भूपेन्द्रनाथ जैन मानद सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ . वाराणसीPage Navigation
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