Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Shyamacharya, Madhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रकाशकीय अंग-आगमों में व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र के समान ही उपांग-आगमों में प्रज्ञापनासूत्र भी विविध-विषयक एवं विशालकाय है । वर्ण्यविषयों की दृष्टि से भी व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र के जैसा ही है। संक्षेप में कहा जाये तो इसमें जैन दर्शन के तात्त्विक विवेचन-चिन्तन-मनन को सारगर्भित शब्दों में समाहित कर दिया है। इसलिए जिज्ञासु पाठकों के स्वाध्याय-अध्ययन-अध्यापन के लिए इस महत्वपूर्ण सूत्रग्रन्थ का तृतीय संस्करण प्रकाशित किया जा रहा है। . ग्रन्थ में कुल ३६ अध्ययन हैं। इन सबको एक साथ प्रकाशित किया जाना शक्य नहीं था। अतः प्रथम भाग में १ से ९ अध्याय, द्वितीय भाग में १० से २२ अध्याय और तृतीय भाग में २३ से ३६ अध्याय प्रकाशित किये गये थे। इसी क्रम से तृतीय संस्करण भी प्रकाशित है। यह द्वितीय भाग है। प्रथम भाग प्रकाशित हो गया है और तृतीय भाग प्रकाशित हो रहा है। समिति का उद्देश्य आगम-साहित्य का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार एवं पाठक वर्ग को सुगमता से तात्त्विक बोध करने में सहकार देना है। इसीलिये अपने पूर्व प्रकाशित अप्राप्त सूत्र ग्रन्थों के तृतीय संस्करण प्रकाशित कर रही है एवं प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में इस प्रयास के लिये सहयोग देने वाले सज्जनों का सधन्यवाद आभार मानती है। साथ ही हम यह अपेक्षा करते हैं कि भविष्य में भी इसी प्रकार सहयोग देकर समिति की यशोवृद्धि करेंगे एवं हमें कार्य करने के लिये प्रोत्साहित एवं प्रेरित करते रहेंगे। सरदार मल चौरड़िया ज्ञानचन्द बिनायकिया सागरमल बेताला रतन चंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष अध्यक्ष मंत्री महामंत्री यवाहक अध्यक्ष श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर

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