Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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पिशल.
प्रति
प्रति मजैवि. वसुदेवहिडि
कम्पेरेटिव ग्रामर ओफ द प्राकृत लैंग्वेजेज, आर. पिशल (सुभद्र झा), मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, १९६५ पृष्ठ आचाराङ्ग, सूत्रकृताङ्ग, उत्तराध्ययन और दशवैकालिक (मजैवि.) में उपयोग में ली गयी प्रतियां हमारे द्वारा उपयोग में ली गयी प्रतियों का संकेत महावीर जैन विद्यालय, बम्बई का संस्करण वसुदेवहिण्डिप्रथमखण्डम्, आत्मानन्द सभा, भावनगर, १९३० वृत्ति दशवैकालिकसूत्र पर वृद्धविवरणम् शीलाङ्काचार्यवृत्ति (जिस प्रति के पहले शी. जुड़ा है उस प्रति में शीलाङ्काचार्य-वृत्ति से सम्मत पाठ) वाल्थर शुब्रिग महोदय द्वारा सम्पादित आचाराङ्गसूत्र, लीपजिग, १९१० जिस प्रति के आगे सं. जुड़ा है वहां पर उस प्रति में संशोधित
पाठ
समवा.
सूत्रकृ. स्था.
समवायाङ्गसूत्र, आगमो. १९१८ सूत्रकृताङ्गसूत्रम्, मजैवि. १९७८ स्थानाङ्गसूत्र, आगमो. १९१८-२०
हस्तप्रत-संदर्भ-संकेत इस ग्रंथ के संपादन में जिस सामग्री का उपयोग किया गया है वह इस प्रकार है -
श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई द्वारा प्रकाशित आचाराङ्गसूत्र (इ. स. १९७७) के सम्पादन में जिन प्रतियों का उपयोग किया गया है और उनमें से जो पाठान्तर दिये गये हैं उनका इस संस्करण में उल्लेख किया गया है । उस ग्रंथ के अनुसार प्रतियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है--
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