Book Title: Adhik Mas Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Sarupchand Punamchand Nanavati

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Page 3
________________ दिवाचा. इस किताबको अवलसे अखीरतक पढलेना चाहिये, छ कइ महाशय ऐसे है जो पन्ने दो पन्ने बांचकर किताबको बैंकार समजकर रख देते है. मगर यह बात बेहत्तर नही. चर्चाकी किताब पढनेसे आदमीकों होशियारी आती है. इस किताबमें अधिकमहिनेके बारेमें इबारत लिखी हुइ है, इसलिये इसका नाम अधिकमासदर्पण रखा है. इस किताबमें अवल सभा करनेका तरीका शास्त्रार्थ करनेके नियम बतला दिये है. मेरा और खरतरगछके मुनि मणिसागर- ) जीका मिलना दादर मुकामपर और दुसरीदफे वालकेसरमें हुवा था, उसका बयान इसमें दर्ज है. जैन मुनिके उत्सर्गमार्ग और अंपवाद मार्गकी नव कलमें इसमें बतला दिइ है. चंद्रसंवत्सर और सूर्यसंवत्सरका मेल मिलानेके ) लिये बीचमेसे अधिकमहिना निकालना पडता है. इसकी कुल हकीकत इस किताबमें रोशन है. मेरी बनाइ हुइ % * किताब मानवधर्म संहिताके लेखकी अधिकमहिनेके बारेमें सत्यता इसमें बयान किइ है. तीर्थकर महाबीर स्वामीके पांच कल्याणिक मानना या छह मानना इसका बयान इसमें उमदातौरसे दिया है. पर्युषणपर्वकी संवत्सरी पंच. मीकी करना या चतुर्थीकी? दादाजीका प्रसाद खाना या केसे करना शास्त्रार्थके लिये दो दफे जाहिर सूचना वगेराके तमाम हालात इसमें दर्ज है, इस किताबकी कापी करने में * यतिवर्य श्रीयुत मनसुखलालजीने अछी मदद दिइ है. ) और किताब छपवाकर जाहिर करानेमें शेठ सरुपचंदजी Q पुनमचंदजी साकीन थापूर मुल्क गुजरात हाल मुकाम बंबइने द्रव्यकी मदद किइ है. इस किताबको आपलोग पढे शू ड) और सचका इम्तिहान करे. • मुकाम-थाणा ब-कलम-जैन श्वेतांबरधर्मोपदेष्टा विद्यासागर४ मुल्क-कोकन. S न्यायरत्न-मुनि-शांतिविजय. ब Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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