Book Title: Adhik Mas Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Sarupchand Punamchand Nanavati

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Page 19
________________ अधिक-मास-दर्पण. गिनतीमे लेनेका पक्ष करते हो तो गयेवर्स दो भादवे मानकर पांच महिनेका चौमासा क्यों माना? और चौमासी प्रतिक्रमण पांचमें महिनेके अंतरेसे क्यों किया? एक महिने पहलेसे चौमासी प्रतिक्रमण करना था. और एक महिने पहलेही चौमासा खतम करके विहार कर देना था, चौमासी प्रतिक्रमण पांचमें महिने किया फिर अधिक महिना गिनतीम लिया कहां सबुत हुवा ? जेसा कहना वेसा बरताव करना चाहिये.. ११ फिर खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजी अपने बनायेहुवे लघुपर्युषण निर्णयग्रंथके पृष्ठ (२५) पर इस दलिलको पेश करते हैं, दुसरे आषाड में चौमासी प्रतिक्रमण करनेसे अधिक मास गिनतीमेसे निषेध नही हो सकता. (जवाब) दुसरे आषाढमें चौमासी प्रतिक्रमण करनेसे चातुर्मासिक व्रत नियमकी अपेक्षा आपकेही कथनसे निषेध हो गया, अगर कहाजाय पहेला आषाड ग्रीष्मऋतुमें चला गया तो फिर आपके कहनेसे ग्रीष्मऋतुका चौमासा पांच महिनेका हो गया, और चौमासा चार महिनेका होना चाहिये, आप तो लिखते हो निशीथचूर्णिमें और दशवैकालिकबृहवृत्तिमें अधिकमास दिनोंकी गिनतीमें सिद्ध करके बतलाया है, फिर यहां पहले आषाडको चातुर्मासिक व्रतनियमकी अपेक्षा गिनतीमेसे क्यों छोडा? दुसरोंको कहना अधिकमास गिनतीमें लेना चाहिये, और आप उस बातपर अमल नही करना यह भी कोइ इन्साफ है ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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