Book Title: Adhik Mas Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Sarupchand Punamchand Nanavati

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ १८ अधिक-मास-दर्पण. चोपन दिनसे आयगा, फिर तीनसो साठ दिन वर्सके किस गिनतीसे गिनोगे ? उसके बारेमें खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजीके पास किसी जैन आगमका सबुत हो तो पेंश करे. अगर सबुत नहीं है तो-मंजुर करना पडेगा उनंतीस दिनके महिनेकोभी तीस दिनका महिना गिनना पडता है. और (१२०) दिनका एक चौमासा गिनना पडता है. १४ अगर सूर्यसंवत्सरपर चलो तो एक मासकी संक्रांति गिनी जाती है, और सूर्यकी चालका एक महिनेका प्रमाण है. कभी एकतीस दिन आ जाते है, जबभी उसको महिना गिनना पडता है, उस जगहभी खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजीको कुबुल करना पडेगा कि महिनेके तीस दिन गिननेका प्रमाण है. इस लिये एकतीस दिनकोंभी तीस दिन गिनते है. तीनसो सवापांसट दिनका एक सूर्यसंवत्सर होता है. उस अपेक्षाभी तीनसो साठ दिन गिननेका नही बन सकता. असलमें सूर्यसंवत्सर और चंद्रसंवत्सरका मेंल मिलानेके लिये बीचमेसें अधिक महिना निकालना पडता है, सबुत हुवा जैसे अधिक दिनकों और कम दिनकों व्रतनियमकी अपेक्षा गिनतीमे लेते नही. इसीतरह अधिकमहिनेकोंभी चातुर्मासिक वार्षिक और कल्याणिकपर्वके व्रतनियमकी अपेक्षा गिनतीमें नही लेना, यह एक इन्साफकी बात है, खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजी इस बातको खयालमें लेते नही और कह देते है अधिक महिना गिन___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38