Book Title: Adhik Mas Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Sarupchand Punamchand Nanavati

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Page 33
________________ ३० अधिक-मास-दर्पण. मासनिर्णय छपेको पांच महिने हो गये दोंनो किताबोंके पृष्ठ (५६) हुवे हैं इनके दरेक बयानका पुरे पुरा जवाब दीजिये. एक दो छोटे छोटे विज्ञापन छपवा दिये इससे मेरी किताबका जवाब नहीं हो सकता. ५ मेरी तर्फसे बनी हुइ तीसरी किताब बंबइमें छप रही है, थोडे रौजमें आप लोगोंके सामने आ जायगी, उसकाभी माकुल जवाब दिजिये गा. दुसरी दफे-जाहिर सूचना. १-कलम पहेली,-आम जैनश्वेतांबरसमाजको मालुम होगा, मेने-अधिकमहिनेके वारेमें शास्त्रार्थकरनेके लिये पनरांह रौजकी मुदत देकर एक इस्तिहार छपवाया था, और शहर बंबइमें बांट दिया था, हिंदके बडे बडे शहर में ब-जरीये डाकके रवाना करके मुस्तहेर करवा दिया था, और अखवारे जैनमें उसकी जाहिरातभी देदिइथी, जिससे आम जैन श्वेतांबरसमाजकों मालुम हो गया होगा, अधिकमासके बारेमें सभा हुइ नही, शास्त्रार्थ हुवा नही फिर किसीकी हार जीतका कहना अकलमंदोंके नजदीक गेरमुमकीन है. २-कलम दुसरी,-मेरा कयाम चौमासे भर थानेमे रहेगा, चुनाचे! दुसरे दो-शहरोंके श्रावकोंकी आर्जू थी मगर मेने यहां थानेमेंही वारीश गुजारना मुकरर किया है, दुसरा सबब-थानेके जैन श्वेतांबरश्रावकोंका इरादा है कि-यहां-जोथाने में पुराना जैनतीर्थ जमाने श्रीपालजीके था, वो जमीनदोस्त हो गया, उसका फिर उद्धार कराना, इसलियेभी मेरा कयाम यहां रहेगा, जो जो सवाल तपगछ-खरतर गछके बारेमें मेरे नजदीक पेश होगें,-में-उनका माकुल जबाब देता रहूं गा. ३-कलम तीसरी,-आगे खरतर गछके मुनि-मणिसागरजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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