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6 उसका जवाब भी इसमें सामील है, किताब स्याद्वादअनु- भवरत्नाकरमें खरतरगछके मुनि श्रीयुत चिदानंदजीने डू * गछादिव्यवस्था निर्णयमें जो कुछ लिखा है, उसका * जवान भी इसमें रोशन है, किताब महाजन वंशमुक्ता
वलीमें ग्रंथकर्ताने जो कुछ मजमून गछके संबंधों पेंशन किया है, उसका जवाबभी इसमें तेहरीर है, किताब प्रश्नोत्तर मंजरीमें और प्रश्नोत्तर विचारमें खरतरगछके पंन्यास श्रीकेशरमुनिजी गणीने तपगछ खरतरगछके • बारेमें जो कुछ लेख लिखा है उसका जवाब भी इसमें * मौजूद है. जिसको पढकर जिज्ञासु लोग खुश होंगे. 6 इतना लेख हाल तयार है, खरतरगछके मुनि श्रीयुत * मणिसागरजीका बनाया हुवा, बृहत्पयूषण निर्णयग्रंथ )
जब मुजकों मीलेगा, उसको देखकर उसका जवाबभी , इसमें जोड दिया जायगा, इस किताबमें कोइ अपशब्द
नही लिखा है. जैनशास्त्रोके पाठ और दाखले दलि
लोंसे जबाव लिखा गया है. जो कोइ जैन श्वेतांबर - श्रावक इस ग्रंथको अपने खर्चसे छपवाना. नाहे तो & उनका नाम प्रकाशकतरीके लिखा जायगा, अगर कोइ कहे ग्रंथका मेटर हमको भेजो देखकर लिखेगे. तो छ जवाबमें मालुम हो मेटर किसको भेजा नहीं जायगा. जिसकी मरजी हो रुबरु अानकर देखजावे. और खर्चा पेश करे. उनका नाम प्रकाशकतरीके लिखा जायगा.
ब-कलम-जैनश्वेतांबर धर्मोपदेष्टा, विद्यासागर न्यायरत्न मुनिशांतिविजयजी,
मुकाम थाणा, मुल्क कोकन.)
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