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अधिक-मास-दर्पण. बतलाया कि चातुर्मासिक-वार्षिक और कल्याणिकपर्वकी अपेक्षा गिनतीमे लेना जबतक यह नही बतलासकेगे तबतक आपका कहना कोइ किस इन्साफसे कुबुल करेगा.
१६ फिर खरतरगछके मुनि श्रीयुत मणिसागरजी अपने विज्ञापन नंबर सातमें तेहरीर करते है, आपका उत्सूत्रप्ररूपणाका और प्रत्यक्ष अयुत वा मिथ्या लेखको पीछा खेंच लिजिये, और मिछामिदुकडं प्रगट किजिये, नही तो सभामें शास्त्रार्थ करनेको तयार हो जाइये.
जवाब--इस किताबकी शुरुआतमें लिखीहुइ पहेली दुसरी कलमके मुताबिक दोनों पक्षके संघकी सलाहसे वादी प्रतिवादी सभादक्ष और दंडनायकके जरीये सभा होवे और संघका मेरेपर आमंत्रण आवे तो में सभामें शास्त्रार्थ करनेके लिये अानेको तयार हुँ मेरा कौनसा लेख उत्सूत्रप्ररूपणाका अयुत वा मिथ्या था जैनशास्त्र पाठ देकर बतलाया क्यों नही, इन्साफ कहता है, आप-अपने ऐसे लेखोंको पीछा खेंच लिजिये, और मिछामीदुकडं प्रगट किजिये, उत्सूत्रप्ररूपणा किसकी है, इसपर खयाल किजिये, आप हरवख्त लिखते हो कि अधिकमास गिनतीमें लिया है. फिर आप खुद दो आषाड आवे जब एक आषाडको चातुर्मासिक व्रतकी अपेक्षा क्यों छोड देते हो ? पार्श्वनाथ भगवानके जन्मकल्याणिककी अपेक्षा एक पौषकों क्यों छोडते हो, दो चैत श्रावे जब सिद्धचक्रजीके तपकी अपेक्षा पहले चैतको क्यों छोड
देते हो? दो वैशाख आवे जब अखात्रीजपर्वकी अपेक्षा एक ___Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
खुद दो आयो छोड देते हो
क्यों छोडते हो,