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गगनमंडल एक रवि है एक है रजनीपति । करण दानी एक हो गये एक थे जम्बू जती ॥ सम्पति समय के श्रमण गण में एक आप दयाल है। आनन्द कन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥७॥ चिर काल तक कायम रहे जिनदेव से यह प्रार्थना।। कुशलगढ में एक 'मेवाडी मुनो' की विरचना ॥ करत अनुचर विनय नत हो आप ही प्रतिपाल है। आनन्द कन्द दिनिन्द सुरतरु पूज्य घासीलाल है ॥८॥
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