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સહસ્ર દેદશ પંચ વર્ષે પરમ મંગળ ધામ છે. ધર્મમય જિવન રહે જ્યાં સરસપુર આ ગામ છે, | મંગલ ગાનથી કાન નિવાસ કર્યા પછી
॥ श्री॥ श्री मुनी सुव्रत स्वामीनी प्रार्थना जय सुख शांति दाता की सदा जय हो सदा जय हो दीनानाथ ज्ञाता की सदा जय हो सदा जय हो ॥टेक॥ मुनि सुव्रत है स्वामी दुःख भय, मेटने नामी बने रट मोक्ष के गामी सदा जय हो सदा जय हो ॥१॥ अपराजित स्वर्ग से आये धनुष्य प्रभू बीस तन लाये वर्ण तुम श्याम से जाये सदा जय हो सदा जय हो ॥२॥ राजगृह तात श्री सुमती कूर्म लंच्छन अजिब शक्ति सहस्र तीस वय लगती सदा जय हो सदा जय हो ॥३॥ सती पद्मावती माता सर्व जग जीवकी त्राता नाम से प्राप्त हो साता सदा जय हो सदा जय हो ॥४॥
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