Book Title: Acharangadyekadashangya Sutradgathadyakaradi
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Tribhovandas Pitambardas Sushravak

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Page 54
________________ ८आ. ९सू. १० स्था. ११ स. १२ भ. १३ ज्ञा. ॥ ५० ॥ सूत्राद्यादि. जइणं भंते! अट्ठमस्स जइणं भंते ! चउत्थस्स जहणं भंते! छट्टस्स० तेणं महुरानाम १८ |जह णं भंते! पंचमस्स० कोर्सबीनामं १८ जहणं मंत! सक्के० पभू विविए ? १३ १८ जहणं भंते! समणेणं० २ दसमस्स अंग १८ जणं भंते! समणेणं दुहविवागाणं १२ १२९ १८ सूत्राद्यङ्कः | ८५ २० २५ २३ २ १४ ९ सूत्राद्यादि. सूत्रे. जइ णं भंते! समणेणं० सत्तमस्स अंगस्स जहणो के पुच्छिज्जा | जइ ताव निज्जरमओ जइ ते सुता लोहितपूअयाई ९ जब ते सुया वेयरणीऽभिदुग्गा९ जइ बेईदिएहिंतो उव० किं पज्जत बे० ९ १२ जर मणुस्सेहिंतो उव० किं सन्निमणु० जइ मणुस्सेहिंतो उव० किं सभीमणु० जविय कामेहि लाविया ७ सूत्राद्यङ्कः सूत्राद्यादि. सूत्रे. जइविय णिगणे किसे चरे जइयो के पुच्छिज्जा जइ सभिपंचिदियति ० ४४नि. उववज्जंति किं संखे १८ ४९९# १२ ३२३ ३०७ ७०३ ९ ९ सूत्रायङ्कः ९७ ५००* जओ वज्जं समुप्पज्जे १० जणवय सम्मय ठवणा जति उक्खेओ अट्ठमस्स १५ जति० उक्खेवो सत्तमस्स पाडलसंडे १८ २७ ६९७ जति छट्ठस्स उक्खेवओ० १५ १२ जति णं मंते! अट्ठमस्स वग्गस्स १५ १७ जति णं भेत ! अट्ठारसमस्स १३ १४७ ९ १०९* | जति णं भंते! अणुत्तरो० पढ० १६ २ १२ ७०४ १२ ६९५ ८ ३४* १५०* ६ ল৬ १४ उपा १५ अंतअनु. १६ प्रश्न, १७ विपा. ॥ ५० ॥

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