Book Title: Acharangadyekadashangya Sutradgathadyakaradi
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Tribhovandas Pitambardas Sushravak

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Page 123
________________ ८आ. ९सू. सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्रायक। सूत्राधादि. सूत्रे. सूत्रायकः। सूत्राचादि. सूत्रे. सूत्रायः १४ उपा१०स्था. | विरयं भिक्खु रीयत ८ १८४ बुज्झमाणाण पाणाणं ९ ५१९* वेरुलियमणिकवाडा १० १२२७१५ अंत. ११ स. विरया वीरा समुट्ठिया ९ १००* | बुसिए य विगयगेही ९ ८६* वेसमणकुंडधारी ८ ११५ अनु.. १२ म. विरिए छक्कं दवे ९ ९१नि. वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे थे. सकार: १६ प्रश्न ११ज्ञा. विसनंदी य सुबंधू ११ १३१* कतिविहे १२ ३४७ सउणि चउप्पयं नागं १७ विपा. ॥११९॥ विसम पवालिणो परिण. १० ३७* वेतालिए नाम महाभितावे ९ ३४३* सउणी जह पंसुगुंडिया विसोहियं ते अणुकाहयंते ९ ५५९* वेयण आहार महस्सवे १२ ३७*सए सए उवट्ठोण विस्स ई पब्बयए ११ १२९* | वेयणवेयावच्च १० ४१* सरहिं परियाएहिं विस्सरं पुण पिंगला १० ७५* वेयालियमग्गमागओ९ ११०* | सक्कता पागता चेव १० 5वीरितपुवस्स णं अट्ठ वत्थू १० ६२७ वेयालिय इह देसियंति ९ ३८नि सक्कस्सणं. अट्ठ अग्ग. १० वीरेहिं एवं अभिभूय दिटुं ८ ३४ | ९ ३६नि. सक्कस्सणं० अभंतरपरि० वीससापरिणयाणपोग्ग० १२ ३११ वेरग्गमप्पमाओ ८ ३४५नि देवाणं पंच पलि ठिती १० ४०५ वीससाबंधे थे०कतिविहे १२ ३४५ वेराई कुव्वई वेरी ९ ४१७* सक्कस्स f० बाहिरपरि० ॥११९॥ र वीसं असमाहिठाणा ११ २० वेराणुगिद्धे णिचयं करेति ९ ४८१७ तिमि पलि० ठिती १० २०० AAAAAEEK SAGARAAAACAR

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