Book Title: Acharangadyekadashangya Sutradgathadyakaradi
Author(s): Sagaranandsuri, Anandsagarsuri
Publisher: Tribhovandas Pitambardas Sushravak
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८आ. ९सू. १० स्था. ११ स. १२ भ.
१४ उपा. १५ अत
१७नि
१६ प्रश्न. १७विपा.
१३वा
॥६२॥
सूत्राद्यादि. सूत्रे, सूत्रायङ्कः सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्राधकः। सूत्राद्यादि. सूत्रे.. सूत्राघङ्क: जे रक्खसा वा जमलोइया वा९ ५४७* | जो जं पाविहिति पुणो १२ ८०*
ठकारः VIजे विग्गहीए अन्नायभासी ९ ५६२* | जो जीवो भविओ खलु ९ १४५नि. ठाणी विविहठाणाणि ९ ४२२*
जे विनवणाहिज्जोसिया ९ १४४* | जो जेण पत्तपुव्वो १२ ७९* | ठिइअणुभावे बंधण. ९ |जेसिं तं उवकप्पंति ९ ५१५* | जोणिभूए बीए ८ १३८नि. ठिई उस्सासाऽहारे १२ २*
जेहिं काले परिकंत ९ २३९* | जोणीसंगहलेसा १२ ५६* | ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा वा ९ ३७५* जेहिं नारीण संजोगा ९ २४१* | जो तुमे णियमो चिण्णो ९ १९९४ |
डकार: जेहिं वा सद्धिं संवसति ८ ६५ | जोधाण य उप्पत्ती १० ११९* | उज्झइ तिब्धकसाओ ८ २०८नि. जोइसिया ण भंते! कओहितो१२ ७१५ । जो परिभवइ परं जणं ९ ११२* | डहरा बुड्डा य पासह ९ ९०* | जोएण कम्मएणं ९ १७७नि. जो पुढवि समारंभइ ८ १०२नि. डहरेण बड़ेणऽणुसासिए उ ९ ५८६* | जोगुवोगकसाए १२ ९६* जो सो वरवीरवयणविरति०१७ २९ डहरे य पाणे बुड़े य पाणे ९ ५५२* जोगुवओगे वन १२ ६८* | जोहेसु णाए जह वीससेणे ९ ३७३*
णकार: | जो चेव होइ मुक्खो
३४६* झकार:
ण करेति दुक्खमोक्खं ९ १२६नि. | जो जइया तित्थयरो ८ २७५नि./ झाणजोगं समाह१ ९ ४३६* ण किंचि रूवेणऽभिधारयामो ९ ६८१*
ARRIERREGISR-
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