Book Title: Acharang Sutram
Author(s): Devchandrasagarsuri
Publisher: Vardhaman Jain Agam Tirth

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ अने भणावनार नी पण काइंक ओछास देखावा मांडी हती त्यारे राजसत्ता पासेथी आगमवाचना नी मंजुरी लेवडावी ७ - ७ वखत ज्ञानयज्ञ आरंभ्यो । साधु ने स्वाध्यायनुं सुरक्षा कवच आप्यु । वर्षो सुधी ओ परंपरा चाल्या पछी साधुओनी स्मृति हजी क्षीण थवां मांडी त्यारे जिनागमना क्लिष्ट (अघरा) पदार्थो ने वृत्ती-टीका-भाष्य-चूर्णी थी सरळ करीने साधुओने बक्ष्या... आजे अमना ए फाळाने समृद्ध राखवा- कार्य आपणुं छे । एमना उपकार ने सतत संभाळी तेमांथी कांइक आगमसेवा करीने ऋण ओछु करवानुं काम आपणुं । आ सूत्र स्वाध्याय करतां जल्दी जीवमांथी शीव बनीये एज अभ्यर्थना जिनाज्ञा विरुद्ध कांइ पण लखायुं होय तो त्रिविधे त्रिविधे मिच्छामि दुक्कडम् | पूज्यपाद गुरुदेवश्री देवचन्द्रसागर सूरिजी बुधवार, कात्रज पूना पादपद्मरेणु गणि श्री दिव्यचन्द्रसागर आगम मंदिर -: पुस्तक प्राप्ति स्थान : (१) श्री वर्धमान जैन आगम तीर्थ कात्रज जकात नाका के पास, पूना-सातारा रोड पूना- ४११ ०४६ फोन नं. (०२०) २४३१८६५४, २४३१९८८४ (२) हितेन्द्रभाई छोटालाल शाह ३०४, कौशल एपार्टमेन्ट, रंगीलदास महेतानी शेरी ___गोपीपुरा सुरत ३९५ 009 फोननं. (0261) 2590723, मो. 094280 59823 श्री आचारांग सूत्रम् (००७)

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 146