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पूजा-संग्रह। कर 'सज्झाय संदिसाहु?, सज्झाय करु?, तथा 'इच्छ- यह सब पूर्व की तरह क्रमशः कहे और खड़े हो कर मासमण-पूर्वक आठ नमुक्कार गिने। फिर एक-एक खमासमण-पूर्वक 'इच्छा' कह कर वेसणे संदिसाहुँ?, बेसणे ठाउँ?' तथा 'इच्छं', यह सब क्रमशः पूर्वकी तरह कहे।
इसके बाद यदि वस्त्रको जरूरत होतो उसके लिये भी एक एक खमासमण पूर्वक 'इछा. कह कर ‘पंगुरण संदिसा९, पंगुरण पडिग्गाहु ? तथा 'इच्छं' यह सब पूर्वकी तरह कहकर वस्त्र ग्रहण कर ले और शुभ ध्यान में समय बितावे
देवसिक-प्रतिक्रमण की वीधि । पहले यथाविधि सामायिक लेवे बाद 'तीन खमासमणपूर्वक इछाकारेण संदिसह भगवन् वन्दन करूँ? कहे । गुरूके 'करेह' कहने पर चैत्य इछं कह कर 'जय तिहुअण' 'जय महायस' कह कर ‘शक्रस्तव' कहे। और 'अरिहत चे इयाणं इत्यादि सब पाठ पूर्वोक्त रीति से पढ़ कर काउ
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