Book Title: Abhayratnasara
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Danmal Shankardas Nahta

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Page 749
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७१८ भक्ष्याभक्ष्य विचार | २७ रायता - केला, दाख, खजूर, छुहारे आदिका रायता बनाते हैं । इसका समय १६ पहरका कहा गया है । यदि इसे विदलके साथ खाना हो, तो खूब गरम करके दही डालना चाहिये। सेव, गाँठियाँ, बंदिया आदि डाल कर रायता बनाना हो तो पहले दही गरम करके तब इन बिदल पदार्थोंको मिलाना चाहिये । यह रायता शाम तक खाने योग्य है । २८ भूना हुआ अन्न चावल, चना, मटर, मक्का आदिको भून कर चबेना बनात हैं । इसका काल - प्रमाण भुंजिया, पूरी, चूरमे के लड्ड आदिके समान है । इसे चौमासेमें १५ दिन, जाड़े में १ महीना और गरमीमें २० दिन जानना । २६ ढुंढरिया - यह काठियावाड़ में बनती है । ज्वार - बजरे में पानी डालते और कूटते हैं । इसके बाद उसे सुखाकर भूसी अलग कर देते हैं । उसका समय वर्षा में १५ दिन, जामें १ महीना और गरमीमें २० दिन । I For Private And Personal Use Only

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