Book Title: Abhayratnasara
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Danmal Shankardas Nahta

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Page 759
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७२८ भक्ष्याभक्ष्य विचार | ८ -मीठा काजू -हलवाई जो मीठा काजू बनाता है, उसको बिना देखे माल बना डालता है, इसलिये उसमें त्रस - जीव होनेकी शङ्का रहती है । इसलिये उसे नहीं खाना चाहिये । यदि खाने की इच्छा हो तो घर में बना लो और काजुका छिलका अलग करके भलीभाँति देख लो कि कोई जीव तो नहीं हैं । 1-विलायती दूध - विलायतसे डिब्बों में भरे हुए नेसल्स मिल्क,' 'मिल्कमेड मिल्क' आदि दस-बारह तरहके बनावटी दूध आते हैं, जो मुसाफिरीमें दूधके बदले चायमें डाले जा सकते हैं; परन्तु ये सब तथा शीशेमें बन्द करके आनेवाले आचार, मुरब्बे, गुलकन्द और विलायत विस्कुट आदि वस्तुएं अभक्ष्य हैं। इसलिये इन सबका त्याग कर देना चाहिये । आजकल हमारे देशमें इतना रोग-शोक इन्हीं सब अभक्ष्य पदार्थों के खानेसे बढ़ गया है । १० - सोडा, लेमोनेट, जिञ्जर, राजबेरी, पिक-मी-अप, बिलकास, एलटौनिक, कोल्ड ड्रिङ्क, कोल्ड क्रीम, जिजरेल - लाइम, लीथियो, मरीक, चेरी सीडर, चैम्पियन सीडर, क्विनाइन, टौनिक, क्रीम सोडा आदि कितनी ही चीज़ बोतलमें बन्द करके आती हैं । इनका व्यवहार करना ठीक नहीं है । इसका कारण यह है कि इन बोतलोंको मुसलमान, पारसी, आदि सभी मुहमें लगाते हैं - फिर उन्हें अपने मुंहसे लगाना धर्म भ्रष्ट होना नहीं तो और क्या है ? फिर ये न जाने कितने दिनोंकी भरी भरायी दूकानोंमें धरी रहती हैं । आजलकके अंग्रेजी पढ़ े जैन युवकोंको इस भ्रष्टकारी आदत से बचना चाहिये । For Private And Personal Use Only

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