Book Title: Abhayratnasara
Author(s): Kashinath Jain
Publisher: Danmal Shankardas Nahta

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Page 765
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३४ भक्ष्याभक्ष्य विचार। चीके पत्ते, चाय, गुलाबके फूल, तुलसीके पत्ते, अजवाइनके पसे आदि ८ महीनेतक वर्जित है। गोभी और करमकल्ले (पनागोमी) में भी बहुतसे त्रस जीव उत्पन्न होते हैं, जो मालूम नहीं पड़ते। जाड़े के दिनोंमें इन्हें अच्छी तरह देख भाल और झाड़-पोल कर काममें लाना चाहिये । सब तरहकी तरकारी बहुत सावधानीसे खानी चाहिये। आर्द्रा-नक्षत्रसे ही त्यागने योग्य वनस्पतियाँआम-आम स्वादिष्ट फल है, इसलिये बहुतसे लोग आर्द्रा नक्षत्रके बाद भी खाते हैं ; पर यह भग. वान्की आज्ञाका उल्लंघन करना है, इससे असंख्य जीवोंका नाश होता है, जिससे अन्तमें दुर्गति होती है। इससे आर्द्रा नक्षत्रसे ही इसका खाना छोड़ देना चाहिये। चौमासेमें वर्जनीय वनस्पतियाँ। भिण्डी, ) यों तो अन्य ऋतुओंमें भी त्रस जीव उत्पन्न कंटोला, | होते हैं ; पर चौमासेमें तो खास कर बहुत पैदा करैला, | होते हैं । करेला वगैरह तो ऊपरसे जरा भी तुरैया, सड़े नहीं माल म पड़ते ; पर उनके अन्दर कीड़े होते हैं। कहीं भूलसे जीवहिंसा न हो जाये, इसीलिये चौमासेमें वजनीय है। यदि कोई साग या भाजी खानेकी आवश्यकता ही पड़े, तो उसे भलीभांति देखकर, वनारना खाना चाहिये। For Private And Personal Use Only

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