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७१६ भक्ष्याभक्ष्य विचार । है। वह रातको बनायी हुई अभक्ष्य होती है। सूर्योदयके बाद बनानी और सूर्यास्तके पहले ही खालेनी चाहिये । रोटी, पूरी, दाल, कढ़ी, भुजिया, पकौड़ी या बिना दही छिड़का हुआ भात आदि चीज़ बासी होने पर बिलकुल खराब हो जाती हैं। इनके खानेसे अनेक जीवोंके विनाशका भय रहता है, शरीरमें बहुतसे रोग पैदा होते हैं, प्रभुकी आज्ञाका भी उल्लंघन होता है । इसलिये हमको हरएक चाज़ तुरतकी ताजीही खानी चाहिये । बहुतसी जगह यह रिवाज है, कि शीतलाष्टमीके दिन चल्हा नहीं जलाते और रातकी बनी हुई चीज़ दूसरे दिन सवेरे और शामको खाते हैं । यह बिलकुल मिथ्यात्व है। इसे छोड़ देना चाहिये। _२३ दही-बड़े-अगर गरम दहीमें बनाये हों, तो उसी दिन भक्ष्य हैं। कच्चे दहीके बड़े अभक्ष्य हैं।
२४, खाखरा-गुजरात आदि प्रान्तोंमें
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