Book Title: Aagam 19 NIRAYAVALIKA Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
आगम
(१९)
“निरयावलिका" - उपांगसूत्र-८ (मूलं+वृत्ति:) अध्ययनं [१] ------------
------- मूलं [७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१९], उपांग सूत्र - [०८] "निरयावलिका" मूलं एवं चन्द्रसूरि-विरचिता वृत्ति:
प्रत
सूत्राक
दीप
पासिहिसि। तते णं सा काली देवी समेणस्स भगवओ अंतियं एयमह सोचा निसम्म महया पुत्तसोएणं अप्फुमा समाणी परसुनियत्ताविव चंपगलता धस त्ति धरणीतलंसि सब्बंगेहिं संनिवडिया। तते णं सा काली देवी मुहुर्ततरेणं आसत्या समाणी उढाए उद्वेति उद्वित्ता समणं भगवं [महावीरें] बंदइ नमसइ २ एवं क्यासी-एवमेयं भते! तहमेय भते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेय भंते ! सचेण एसमटे से जहेतं तुम्मे बदह त्तिक? समणं भगवं वंदइ नमैसइ २, तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहतिर जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगताभिते ति भगवं गोयमे जाव वंदति नमसति २ एवं क्यासी-कालेण भंते ! कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाब रहमुसलं संगाम संगामेमाणे चेहएणं रम्ना पगाह कूडाइच जीवियाओ ववरोविते समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गते ? कहिं उववन्ने ! गोयमाति समणे भगवं गोयम एवं वदासि-एवं खलु गोयमा! काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहि जाब जीवियाओ ववरोविते समाणे कालमासे कालं किचा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमामे नरगे दससागरोचमठिइएमु नेरइएसु नेरइयत्ताए उबरन्नों कालेणं मते ! कुमारे केरिसरहिं आरंभेहिं कैरिसरहिं (समारंभेहि केरिसरहि) आरंभसमारंभेहि केरिसरहिं भोगेहि केरिसएहि संभोगेहि केरिसरहिं भागसंभोगेहि केरिसेण वा असुभकडकम्मपन्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाब नेरइयचाए उवदन्ने ? एवं खलु गोयमा! ते णं कालेणं ते णं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था, रिद्धत्यिमियसमिद्धा । तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्या, महया। तस्स णं सेणियरस स्मो नंदा नाम देवी होत्या, सोमाला जाव विहरति । तस्स णं सेणिव्याख्या, "अप्फुण्णा समाणी' व्याप्ता सती। शेष सुगम यावत्
अनुक्रम
न
(७)
REaadalona
For P
O
murary.org
मूलसूत्र-८,९
~ 20~
Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42