Page #1
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________________
नीचे
(A)
दिए गए चित्रों को किसी भवन से मिलाएँ
मुख्य द्वार के प्रभाव
दिशा प्लॉट
N
5: पुरुष बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी । तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
14: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान (बेटा होने पर) बीमार, बुरी आदतें घर से W5 बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
3 : मुख्य महिला, पहली व पाँचवीं संतान ( बेटी होने पर) बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिकअशान्ति, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
7: धन की कमी, महिलाएं बीमार,, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
6: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
5: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
7: घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा/ परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है ।
L
N
4: घर का मुखिया, पहली व पाँचवींसंतान घर से बाहर रहेंगे ।
W
W
6
16 : धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
4
5
4 + 5: पुरूष बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
L
-
विदिशा प्लॉट
2
S
N
सीढ़ी व मुमटी के प्रभाव
शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी व मुमटी होने के प्रभाव दिशा प्लॉट
S
E 1: पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक -समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
6ः महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक _ अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
E
14
1: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
24
S
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
1: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
E
2: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
3: पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
Page #2
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________________
(B)
विदिशा प्लॉट
7: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
6: धन की कमी, महिलाएं बीमार/ मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
GINORTHA
2: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, 'कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाहा से परेशानी रहेगी।
5: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ: तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक व बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
3: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
4: घर का मुखिया व पुरूष संतान घर से बाहर रहेंगे।
8: घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
घर की चारदीवारी या छत पर कोने में सीढ़ी, मुमटी, टॉयलेट, कमरे व निर्माण के प्रभाव
दिशा प्लॉट
5: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
6: घर के कमाने वाले सदस्य और परा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना,धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
4: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक व बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
/निर्माण
/निर्माण
निर्माण
2: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक व बेटी होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
निर्माण
नर्माण
3: घर का मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान घर से बाहर रहेंगे।
7: घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
चारदीवारी
Page #3
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6 : धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
5: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक N समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक व बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
IN
6
निर्माण
5
निर्माण
W
निर्माण
4
E
1
निर्माण
8
निर्माण
2
निर्माण
चारव
3
2: धन की कमी, महिलाएं बीमार,. मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
(C)
विदिशा प्लॉट
7: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
6
निर्माण
S
5
निर्माण
W
W
निर्माण
f
3 : घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
2 : महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
8
निर्माण
4: घर का मुखिया व पुरूष संतान घर से बाहर रहेंगे ।
1
निर्माण
'
N
L
W
भवन
N बॉलकनी 2
E
2
निर्माण
S
बॉलकनी / छज्जे के प्रभाव
भवन के पूरे भाग में बॉलकनी / छज्जे का निर्माण होने से दीवार पर वजन बढ़ता है
दिशा प्लॉट
विदिशा प्लॉट
3
S
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
ך
+
11
2: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
बॉलकनी
3: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट केस, दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
8 : घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
बॉलकनी 3
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी. कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
E
ר
1
I
S
1 : महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
Page #4
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(D)
गहरे रंग से दिखाए गए भाग में बोरिंग, अन्डरग्राउन्ड टैंक, सैप्टिक टैंक, गढ़ढ़ा, फर्श / छत का तल नीचा होना, शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान होने के प्रभाव
7: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक व बेटी होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
16 : घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
15: घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव
है ।
W
15: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ.. तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
14: घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें अपराधी होना,. जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
4: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
नार्थ-वेस्ट 8
16: घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
N
6 पश्चिम
साउथ-वेस्ट
दिशा प्लॉट
उत्तर
W
पश्चिम 4
N
5
ब्रह्मस्थान
3 दक्षिण
S
8 : धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान 6
5
विदिशा प्लॉट
नार्थ-ईस्ट
500
नार्थ-ईस्ट
3
। 2 साउथ-ईस्ट
साउथ-वेस्ट । दक्षिण
2
E
3: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
साउथ-ईस्ट
1: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
E
1: पुरुषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
2: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे अधिक व बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
S
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, , मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं - संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
Page #5
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(E)
छत पर दिखाई गई जगह से पानी का निकास होने के प्रभाव
दिशा प्लॉट
7: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी । '
16 : महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक व बेटी होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
5: घर के मुखिया व पुरूष, संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
W
15: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
4: घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार बुरी आदतें,, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
पानी का पाईप
6
7
I
नार्थ-वेस्ट | उत्तर
पानी का ) पाईप
साउथ-वेस्ट 4
N
5 पश्चिम
9 : घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
W
पानी का पाईप
6
उत्तर
I
पश्चिम
पानी का
) पाईप
। पानी का । पाईप
|
|
नार्थ-वेस्ट । 5 पानी का पाईप
N
पानी का
पाईप
4: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
9 ब्रह्मस्थान
दक्षिण 3
I |
पानी का पाईप
S
9 : घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
विदिशा प्लॉट
7 नार्थ-ईस्ट
ब्रह्मस्थान
। पानी का ! पाईप
• FO FO
8 नार्थ-ईस्ट
साउथ-वेस्ट
। पानी का
1
1
पाईप (
पानी का पाईप
1 नार्थ-ईस्ट
। साउथ-ईस्ट 2 पानी का पाईप
1: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
8
पूर्व
साउथ-ईस्ट
1 पानी का
पाईप
दक्षिण 2
E
पानी का
पाईप
E
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की , कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
S
2: महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे अधिक व बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
3: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी 'आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
Page #6
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बॉलकनी या निर्माण में कोई एक भाग बढ़ने के प्रभाव
दिशा प्लॉट : महिलाएँ बीमार कर्जे झगडे मानसिक अशान्ति 10: घर के कमाने वाले सदस्य और परा परिवार परेशान बीमार प्रगति दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। व विवाह से परेशानी रहेगी।
8: पुरूष बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
1: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
7: घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
2: पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
6घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान/ (बेटा होने पर) बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
5: मुख्य महिला, पहली व पाँचवीं संतान (बेटी होने पर) बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
4: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
13: महिलाएं बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति,
आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
विदिशा प्लॉट
७: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
10: महिलाएँ व पुरूष बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति, धन की कमी, पुरूष संतान न होना, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट केस,
8: पुरूष बीमार, बुरी आदतें व घर से बाहर रहना संभव है।
NV
1: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
7: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दिवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
2 + 3: महिला व स्त्री संतान बीमार, 7 मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
5 + 6 : घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
4: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
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(G)
प्लॉट/निर्माण में कोना कटने के प्रभाव
दिशा प्लॉट
4: तीसरी और सातवीं संतान को आंशिक समस्याएँ व घर से बाहर रहना संभव है।
N
1: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी./ मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
W
2: दूसरी और छठी संतान को आंशिक समस्याएँ व घर से बाहर रहना संभव है।
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
विदिशा प्लॉट 4: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा Nur
|1E व मानसिक अशान्ति रहेगी।
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बुरी आदतें व घर से बाहर रहना संभव है।
2: मुख्य महिला व स्त्री संतान को मानसिक 'अशान्ति व घर से बाहर रहना संभव है।
सड़क टक्कर या मुख्य द्वार के प्रभाव
दिशा प्लॉट
6: महिलाएँ बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
N.
Road
5: घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना संभव है।
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक E अशान्ति रहेगी।
4: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान (बेटा होने पर) बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
| Road || Rozads/
Ro ad
3: मुख्य महिला, पहली व पाँचवीं संतान (बेटी होने पर) बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव
है।
विदिशा प्लॉट
6: महिलाएँ बीमार, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
1: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
I Ro.ad
Road || Road/
| Road
4+ 5 : घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना संभव है।
2: महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
WI41 w]
Rolad || Rolad|
3: घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है।
Page #8
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स्लैब
स्लैब
रसोई
-
-
स्लेव
-
-
-
-
-
-
-
-
रसोई
-
(H) रसोई / किचन के प्रभाव स्लैब, अलमारी इत्यादि का निर्माण दिखाई गई दीवारों पर होने या छत संक (मोटी) होने के प्रभाव
दिशा प्लॉट 4: धन की कमी, महिलाएं बीमार, 5: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस,
प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व 3: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगडे,
गर्भपात होना संभव है। मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ,
रसोई तीसरी व सातवीं संतान को समस्याएँ
2: पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक व विवाह से परेशानी रहेगी।
अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को समस्याएँ व विवाह से
परेशानी रहेगी।
S 6: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, विदिशा 7: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को
समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। 5: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान
रसोई
___1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान
न होना व गर्भपात होना संभव है। 4: घर का मुखिया व पुरूषों को समस्याएँ, बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है।
2: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, 3: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक
मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ
घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक व दूसरी संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ
समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को W रहेंगी।
समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
-
स्लैब
प्लॉट
रसोडे
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-
-
-
-
रसाड
रसोई
रसोर्ट
रसोई
अशान्ति, कोट-कस, प्रशासनिक समस्याएँ
। घटनाएँ, कोट-केस. प्रशासनिक
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बॉथरूम / टॉयलेट की छत संक (मोटी) होने पर
दिशा प्लॉट
4: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
टॉयलेट |
टॉयलेट
टॉयलेट
5: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
-
1
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टॉयलेट
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3: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े,/ मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
टॉयलेट
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1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
2: पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
विदिशा प्लॉट
6: धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
7: घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
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टॉयलेट
।
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टॉयलेट
टॉयलेट
A
5: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ. तीसरी व सातवीं संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
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टॉयलेट
टॉयलेट
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1: पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
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4: घर का मुखिया व पुरूषों को समस्याएँ, बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है।
टॉयलेट
टॉयलेट
3
2: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
3: महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ व दूसरी संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ रहेंगी।
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विषय सूची विषय
पृष्ठ सं0 विषय
पृष्ठ सं० 1. इंसान के लिए भगवान का कानून।
भवनों के नक्शे (वास्तु दोष व समाधान सहित) 2. सूर्य/कम्पास द्वारा दिशाएँ देखने की विधि।
एक तरफ सड़क
दिशा 3. भवन में मंदिर का स्थान।
पूर्व फेसिंग भवन
74-83 4. वास्तु के अनुसार भूमि का उपयोग।
उत्तर फेसिंग भवन
84-93 5. प्लॉट में दिशाओं का विभाजन।
दक्षिण फेसिंग भवन
94-103 6. ब्रह्मस्थान व मुख्य ब्रह्मस्थान का निर्धारण।
पश्चिम फेसिंग भवन
104-113 7. भवन/बेडरूम के आकार का प्रभाव।
विदिशा 8. भवन/बेडरूम में सदस्यों का स्थान।
नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन
114-123 . प्लॉट में निर्माण शुरू करने की विधि।
नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन
124-133 10. वास्तु के अनुसार भवन के निर्माण की विधि।
साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन
134-143
साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 11. कम्पाउन्ड वॉल।
144-153 12. कम्पाउन्ड वॉल के अंदर निर्माण के प्रभाव।
दो तरफ सड़क 13. बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक।
दिशा 14. दरवाजे।
पूर्व और उत्तर फेसिंग भवन
154-163 15. दरवाजे के साथ सीढ़ी व मुमटी का निर्माण।
पूर्व और पश्चिम फेसिंग भवन
164-173 उत्तर और दक्षिण फेसिंग भवन
174-185 16. दरवाजों की चाल (क्रम) का प्रभाव।
उत्तर और पश्चिम फेसिंग भवन
186-195 17. सीढ़ी व मुमटी।
दक्षिण और पश्चिम फेसिंग भवन
196-205 18. रसोई का स्थान।
दक्षिण और पूर्व फेसिंग भवन
206-215 19. टॉयलेट का स्थान। 20. सेप्टिक टैंक।
विदिशा
साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन 216-225 21. फर्श का लेबल/पानी का निकास।
नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 226-235 22. फर्श का सड़क से लेबल।
नार्थ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 236-246 23. बेसमेंट के प्रभाव।
नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 247-256 24. टाँड, परछत्ति व अलमारी।
साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन 257-266
साउथ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 267-276 25. डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर। 26. डक्ट/शॉफ्ट/खुला स्थान के प्रभाव।
तीन तरफ सड़क 27. कोना कटना/बढ़ना जानने की विधि।
दिशा 28. भवन/कमरे में बॉलकनी के प्रभाव।
पूर्व , पश्चिम और उत्तर फेसिंग भवन
277-286 29. बहुमंजिला भवन में बालॅकनी के प्रभाव।
पूर्व , पश्चिम और दक्षिण फेसिंग भवन
287-296 उत्तर , दक्षिण और पूर्व फेसिंग भवन
297-306 30. बॉलकनी के निर्माण की विधि।
उत्तर , दक्षिण और पश्चिम फेसिंग भवन 307-317 31. बिजली का तार (वॉयर)/रस्सी के प्रभाव। 32. भूमि/निर्माण/कमरे में कोना कटना व बढ़ना।
विदिशा 33. छत की स्लैब के निर्माण की विधि।
साउथ-ईस्ट , नार्थ वेस्ट और नार्थ ईस्ट फेसिंग भवन 318-330
साउथ-ईस्ट , नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन 331-340 34. छत का कोई एक भाग नीचा होना।
नार्थ ईस्ट , साउथ वेस्ट और साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन 341-350 35. छत का कोई एक भाग ऊँचा होना/ओवरहेड वॉटर टैंक।
नार्थ ईस्ट , साउथ वेस्ट और नार्थ वेस्ट फेसिंग भवन 351-360 36. छत पर निर्माण। 37. छत का आकार। 38. छत पर निर्माण से नीचे की मंजिल के कमरों पर प्रभाव। 39. भवन/बेडरूम के कोने में निर्माण/गढ़ढ़े के प्रभाव । 40. पैराफिट वॉल/रैलिंग। 41. छत पर झण्डा/एंटीना/खम्भे का प्रभाव। 42. भवन/कमरे में सड़क/गैलरी की टक्कर ।
द्वारकाधीश-वास्तु ( भवन निर्माण ) 43. आस-पड़ोस के भवनों/कमरों में बेसमेंट/गढ्ढ़े का प्रभाव।
द्वारकाधीश धार्मिक समिति, 44. आस-पड़ोस के भवनों/कमरों का प्रभाव।
ई-मेल : dwarkadheeshvastu@gmail.com 45. बहुमंजिली इमारत में फ्लैटों पर प्रभाव।
वेबसाईट : www.dwarkadheeshvastu.com 46. भवन/बेडरूम के आस-पास ऊँचा/नीचा होने का प्रभाव।। संस्करण : प्रथम-2010 47. भवन/बेडरूम में संतानों का स्थान।
लेखन, डिजाईन एण्ड सेटिंग : अंकित मिश्रा 48. सूर्य की स्थिति समय के अनुसार देखकर भवन में
फोन : 08010381364 वास्तु दोषों के प्रभाव जानने की विधि
ई-मेल : ankit_mishratilhar@rediffmail.com
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संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (10 _ देखें www.dwarkadheeshvatu.com इंसान के लिए भगवान का क़ानून/कृपा कवच जिस भवन/बेडरूम में हम रहते हैं उसे वास्तु के अनुसार देखकर पूरे परिवार के जीवन में चल रहे सभी कार्य (घटनाएँ) ईश्वर की कृपा से बताई जा सकती हैं और भवन/बेडरूम को वास्तु के अनुरूप ईश्वर की प्रेरणा से बनाने पर सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाता है। यह ईश्वर का विधान है।
वास्तु सिद्वान्तों पर विचार व समाज में चल रही मान्यताएँ वास्तु का स्वरूप :- भगवान अर्ध-नारीश्वर शिव (जिनके शरीर का दायाँ आधा भाग पुरूष व बायाँ आधा भाग नारी है) के चरण ही वास्तु का स्वरूप हैं। दाएँ चरण का अगला भाग (अँगूठा और उंगलियाँ) पूर्व और पिछला भाग (ऍड़ी) पश्चिम, पुरूषों का स्थान होता है। बाएँ चरण का अगला भाग (अँगूठा और उंगलियाँ) उत्तर और पिछला भाग (ऍड़ी) दक्षिण, महिलाओं का स्थान होता है। भगवान के दाएँ और बाँए चरणों के अँगूठों के नाखूनों से गंगा जी प्रकट हुईं हैं, यह स्थान नार्थ-ईस्ट है।
शास्त्रों व समाज की मान्यता है कि ईश्वर की ईच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। परमात्मा हर प्राणी के अंदर बसते हैं। और सारा ब्रह्माण्ड उनके अंदर है। परमात्मा की कृपा से ही जीव (पेंड़-पौधे, पशु-पक्षी इत्यादि) चेतन होते हैं। वास्तु विद्या भी प्रभू की उसी कृपा के दर्शन कराती है। जो परिवार जिस तरह के कर्म करता है उसे उसी तरह के वास्तु का भवन/स्थान मिलता है। इस विद्या का ज्ञान होने पर भी, वास्तु दोष दिखाई नहीं देते। वास्तु तभी ठीक होगा जब प्रभू की कृपा होगी। हमारे जीवन में सुख का अर्थ आनन्द, दुख का अर्थ तप, यानि परम आध्यात्म, जो जन्म-जन्म तक जीव के साथ रहता है। हम दस दिशाओं व उनके दिग्पालों की पूजा करते हैं, विशेषकर शक्ति स्वरूप माता भगवती से हम दस दिशाओं का रक्षा कवच पाने की प्रार्थना करते हैं। जो परिवार ईश्वर के पूर्ण भक्त हैं, उन परिवारों को विशेष रूप से वास्तु रूपी ईश्वर की कृपा का कवच मिलता है और राजा जनक जैसी स्थिति प्राप्त होती है। दिशाओं का परिचय :
दस दिशाएं 1. उत्तर, 2. पूर्व, 3. दक्षिण, 4. पश्चिम, 5. नार्थ-ईस्ट (ईशान), 6. साउथ-ईस्ट (आग्नेय), 7. साउथ-वेस्ट (नैरूति), 8. नार्थ-वेस्ट (वायव्य), 9. भूमि, 10. आकाश हैं। प्लॉट के फेसिंग का महत्व :
प्लॉट उत्तर/पूर्व/दक्षिण/पश्चिम/नार्थ-ईस्ट/ साउथ-ईस्ट/साउथ-वेस्ट/नार्थ-वेस्ट सभी दिशाओं का शुभ होता है और प्रत्येक दिशा का अपना एक विशेष महत्व है। वास्तु के अनुसार सही तरह से निर्माण करने पर उसके पूर्ण लाभ मिलते हैं। प्रकृति/वास्तु द्वारा निर्धारित नियम :
जिस प्रकार ग्रहों का घूमना, मौसम का बदलना इत्यादि प्रकृति के नियम हैं। इसी प्रकार वास्तु सिद्वान्त भी प्राकृतिक नियम हैं। भूमि/भवन के नार्थ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध धन, पूरे परिवार की सुख-शान्ति, पहली/चौथी/आठवीं संतान और घर के कमाने वाले सदस्य से होता है। साउथ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व दूसरी/छठी संतान से होता है। साउथ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध घर के मुखिया व पहली/पाँचवी संतान से होता है। नार्थ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व तीसरी/सातवीं संतान से होता है। पूर्व व पश्चिम भाग का सम्बन्ध पुरूषों के स्वास्थय, मान-सम्मान व स्वभाव से होता है। उत्तर और दक्षिण भाग का सम्बन्ध धन, महिलाओं के स्वास्थ्य, मान-सम्मान और स्वभाव से होता है।
पूर्व, पश्चिम, नार्थ-ईस्ट या साउथ-वेस्ट भाग में दोष होने पर, सबसे बुजुर्ग सदस्य जैसे दादा/पिता बीमार रहेंगे उनकी पहली, चौथी और पाँचवी संतान को विवाह व धन की समस्या रहेगी। दादा/पिता की मृत्यु होने पर डेढ़ बर्ष के अंदर-अंदर घर का सबसे बड़ा पुरूष सदस्य बीमार हो जाएगा।
उत्तर, दक्षिण, नार्थ-वेस्ट या साउथ-ईस्ट भाग में दोष होने पर, दादी/माता बीमार रहेंगी, दूसरी, तीसरी, छठी व सातवीं संतान को प्रशासनिक समस्याएँ, धन की कमी, विवाह से परेशानी, आग व चोरी की घटनाएँ, एक्सीडेंट, जेल इत्यादि होंगी। दादी/माता की मृत्यु होने पर डेढ़ बर्ष के अंदर-अंदर घर की सबसे बड़ी महिला बीमार हो जाएगी।
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संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (2)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com जिस भवन/कमरे में माता-पिता निवास करते हैं, उसका वास्तु जैसा भी होगा वह उनकी संतानों पर लागू रहेगा, चाहें वह संतान कहीं भी रहे । माता या पिता में से किसी एक के भी जीवित रहने पर वास्तु लागू रहेगा।
माता/पिता दोनो की मृत्यु के पश्चात यदि एक ही भवन में जितने भाई-बहन निवास करते हैं, वह अलग-अलग परिवारों के रूप में माने जाएंगे। जो परिवार भवन के जिस भाग में रहेगा, उसके दोष उस पर लागू हो जाएंगे।
माता/पिता दोनो की मृत्यु के पश्चात पति , पत्नी और बच्चे जिस भवन/कमरे में रहेंगे उसका वास्तु लागू होगा। यदि इनमें से कोई भी (पति/पत्नी/बच्चे) बाहर जाता या रहता है तो भी उस पर यही वास्तु लागू होगा।
जिस भवन आप रहते हैं उसमें कोई भी रिश्तेदार जैसे चाचा, मामा, भांजा, साला, जीजा, फूफा, गुरू, सेवक, बुआ, मामी, चाची, नानी, नौकरानी इत्यादि निवास करते हैं तो भवन के जिस भाग में यह रहेंगे उस भाग का वास्तु और इनके अपने भवन/कमरे का वास्तु भी इन पर लागू रहेगा।
भवन के किसी स्थान में दोष होने पर उससे सम्बन्धित संतान का विवाह भी उसी संतान से होगा जिसके भवन में उससे सम्बन्धित स्थान में दोष होगा। जिस संतान का अपने भवन में स्वयं से सम्बन्धित स्थान ठीक होगा उसका विवाह भी उसी संतान से होगा जिसका उसके भवन में उससे सम्बन्धित स्थान ठीक होगा। अन्यथा विवाह संभव नहीं है। विवाह के बाद यदि किसी एक संतान का उससे सम्बन्धित स्थान ठीक हो जाता है तो दूसरे का स्थान भी डेढ़ बर्ष के अदंर स्वयं ही ठीक हो जाएगा, यह प्राकृतिक विधान है।
आपके भवन/कमरे से सटते हुए उत्तर, पूर्व, नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में अन्य भवन/कमरा होने पर (चाहें उसमें पशु रहें या मनुष्य) आपके ऊपर वास्तु दोषों का प्रभाव आंशिक रहेगा। यदि इन दिशाओं में आपके भवन/कमरे से सटकर अन्य भवन/कमरे हैं किन्तु उसमें कोई निवास नहीं करता है तो आपके ऊपर वास्तु दोषों का प्रभाव कम नहीं होगा।
गर्भपात या किसी संतान की मृत्यु होने पर उसे भी गिनती में उसी नम्बर पर माना जाएगा। पहली, पाँचवीं व नौवीं संतान यदि पुरूष है तो लगभग पूरी तरह से पिता पर जाएगी, यदि महिला है तो आंशिक रूप से माता पर भी जाएगी। दूसरी, तीसरी, चौथी, छठी, सातवीं व आठवीं संतान माता और पिता दोनों पर लगभग समान रूप से जाएगी। यदि यह संतान महिला हैं तो माता और यदि पुरूष हैं तो पिता पर आंशिक प्रधानता रहेगी। घर का कर्ता-धर्ता सदैव, पश्चिम / दक्षिण / साउथ-वेस्ट / साउथ-ईस्ट / नार्थ-वेस्ट भाग में और अन्य सदस्य व बच्चे
सदैव पूर्व / उत्तर / नार्थ-ईस्ट भाग में ही रहते हैं। विशेष परिस्थितियों में जो सदस्य पूरे परिवार का पालन-पोषण करेगा (जैसे बेटा बड़ा होकर परिवार की सेवा करने लगता है) तो कुछ समय के पश्चात (लगभग 12 बर्ष) उसे घर का पश्चिम / दक्षिण / साउथ-वेस्ट / साउथ-ईस्ट / नार्थ-वेस्ट का स्थान ही मिलेगा। वह पिता के स्थान पर आ जाता है और माता-पिता को अन्र सदस्यों या बच्चों का स्थान मिल जाता है। परिवार में जमीन-जायदाद का बँटवारा होने पर अधिकतर घर की बड़ी संतान को सदैव साउथ-वेस्ट , दूसरी
संतान को साउथ-ईस्ट व तीसरी संतान को नार्थ-वेस्ट और चौथी संतान को नार्थ-ईस्ट का भाग ही मिलता है। प्राचीन मान्यताएँ :-हमारे ऋषि-मुनियों ने वास्तु में जो ज्ञान दिया है वह पूर्णता से मान्य है। उस समय ज्यादातर भवन एक मंजिल तक बनाकर रहने का प्रचलन था। छत पर कोई निर्माण नहीं होता था। आजकल भवन बहुमंजिला बनते हैं और पूरी छत पर या कुछ भाग में भी निर्माण होता है। उनके द्वारा बताए गए वास्तु नियम हर मंजिल और छत पर समान रूप से लागू करने से उनकी कही हुई बात सत्य साबित होती है। अक्सर लगने वाली गलतियाँ :- हम लोग मुख्य द्वार उच्च (शुभ) स्थान में बनाते हैं किन्तु सीढ़ी और मुमटी भी इसी स्थान पर बना देते हैं। इससे मुख्य द्वार के अच्छे प्रभाव नहीं प्राप्त होते हैं बल्कि सीढ़ी और मुमटी के अशुभ प्रभाव होते हैं।
ऊपरी मंजिलों पर रसोई / टॉयलेट/बॉथरूम के निर्माण में संक/गढ्ढ़ा बनाया जाता है, जिसमें से गन्दे पानी के पाईप फर्श में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में इस तरह से निर्माण होता
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संगीत व वास्तु पुस्तक ( PDF ) मुफ्त डाउनलोड करें
3 देखें www.dwarkadheeshvatu.com है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं । इसलिए संक / गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं।
मंजिलों पर प्रभाव :- भूमि (फर्श ) तथा आकाश (छत), इन पर किसी भाग में कोई भी निर्माण व गढ्ढा, बढ़ना, घटना, ऊँचा व नीचा होने का प्रभाव हर मंजिल में एक जैसा ही होता है। यदि किसी मंजिल पर निर्माण में कोई भाग बढ़ता या घटता है तो उसका प्रभाव उस मंजिल पर ही होगा ।
टॉयलेट का स्थानः- आजकल आधुनिक तरीके से टॉयलेट का निर्माण किया जाता है जिसमें गंदगी नहीं होती इसलिए टॉयलेट को भवन के किसी भी भाग में बना सकते हैं। टॉयलेट की सीट इस प्रकार लगाएँ कि सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ मुख करके मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए और यह भी ध्यान रखें कि सोते समय सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ पैर नहीं होने चाहिए। इससे जीवन के अन्तिम समय में अत्यधिक कष्ट होते हैं। ध्यान रहे कि नार्थ-ईस्ट में कूड़ा / गंदगी रखना वर्जित है । मंदिर का स्थान :- वास्तव में नार्थ-ईस्ट भूमिपूजन का स्थान होता है । मंदिर को पश्चिम, दक्षिण व साउथ-वेस्ट में ही बनाना चाहिए। हम अपनी सबसे प्रिय चीज भगवान को अर्पित करते हैं जैसे भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं जबकि उनके पास तो साक्षात गंगा जी हैं, इसी तरह भगवान को धन चढ़ाते हैं जबकि वह स्वयं लक्ष्मी-नारायण हैं। घर के मुखिया का स्थान दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट है, यहाँ मंदिर होने पर भगवान स्वयं घर के मालिक के रूप में रक्षा करते हैं । अनेक प्रसिद्ध मंदिरों जैसे तिरूपति बालाजी, बाँके बिहारी जी, गोल्डन टेम्पल, लोटस टेम्पिल इत्यादि में भगवान का स्थान पश्चिम दक्षिण व साउथ-वेस्ट में है व द्वार पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट में है ।
रसोई का स्थान :- मान्यताओं के अनुसार रसोई को साउथ-ईस्ट में ही बनाया जाता था। क्योंकि हवाएँ अक्सर पश्चिम से पूर्व व उत्तर से दक्षिण की ओर ही चलती हैं, इसलिए साउथ-ईस्ट कोने में रसोई का निर्माण होने से धुआँ घर के अन्दर नहीं आता था। शंशोधित नियमों के अनुसार रसोई व बिजली के मीटर को घर में कहीं भी बनाया जा सकता है। रसोई के ऊपर किसी भी हाल में टॉयलेट / बॉथरूम का निर्माण नहीं होना चाहिए ।
पैराफिट/कम्पाउन्ड वॉल:- पैराफिट / कम्पाउन्ड वॉल के निर्माण में चारो दीवारों की ऊँचाई एक समान कर देते हैं और इसके बाद फर्श/छत का ढ़ाल वास्तु नियमों के अनुसार नार्थ-ईस्ट की ओर बनाया जाता है। तल से मापने पर नार्थ-ईस्ट कोना ऊँचा हो जाता है व साउथ-वेस्ट कोना नीचा हो जाता है। इसके अशुभ प्रभाव होते हैं।
गढ्ढ़े के प्रभावः- बोरिंग, सेप्टिक टैंक, अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक या किसी भी प्रकार का कोई गढ्ढ़ा घर के अंदर होने पर इसके गम्भीर व घर के बाहर होने पर आंशिक प्रभाव होते हैं।
खम्भा / एंटीना :- छत के किसी भाग में ध्वज / एंटीना / खम्भा इत्यादि लगाने से उस भाग की ऊँचाई उतनी ही बढ़ जाती है । उत्तर, पूर्व, नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट भाग में ऊँचाई का बढ़ना अशुभ है । खम्भा इत्यादि सिर्फ पश्चिम दक्षिण व साउथ-वेस्ट की दीवार पर ही लगाने चाहिए ।
अक्सर लकड़ी की अलमारियों में दीमक लग जाती है, यह एक बुरा अपशकुशन है। दीमक उन्हीं अलमारियों में लगती है जो वास्तु के अनुसार भवन में गलत जगह पर बनी होती हैं। एक तरह से यह दीमक इन लकड़ियों को धीरे-धीरे खाकर वास्तु दोष ही दूर करती हैं। इन दीमक लगी हुई लकड़ियों को दवाई डालना, आग लगाना या पानी में नहीं डालना चाहिए, इससे जीवों की हत्या होती है। इसलिए इन लकड़ियों को किसी खुली जगह में छोड़ देना चाहिए और झाड़ियों को भी आग नहीं लगानी चाहिए, इनमें अनेक प्रकार में जीव निवास करते हैं, इससे जीवों की हत्या होती है।
प्रकृति ने पूरी पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों को बहुत ही अच्छी तरह से अपने नियमों के अनुसार व्यवस्थित किया हुआ है। इस नियमों के अनुसार प्रत्येक स्थान चाहें वह बेडरूम / घर / आफिस / मंदिर / धर्मशाला / सत्संग स्थल/सभा स्थल कुछ भी हो, वहाँ मुखिया व उच्च सदस्य सदैव क्रमशः साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भाग में ही रहेंगे व छोटे सदस्य सदैव नार्थ-ईस्ट, पूर्व व उत्तर भाग में रहेंगे ।
हमारे जीवन से जुड़े सभी व्यक्तियों लिए हमारे मन में श्रद्वा व दया दो तरह के भाव होते हैं। जैसे माता-पिता, गुरू, बड़ा भाई-बहन या सांसारिक कोई भी पूज्यनीय रिश्ता, इनके लिए हमारे मन में श्रद्वा भाव होता होता है। जब हम उनकी इतनी सेवा कर लेते हैं कि हमारा आध्यात्म या पुण्य उनके अधिक हो जाता है, तो हमारे मन में उनके लिए श्रद्वा भाव न
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संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें ( 4 ) देखें www.dwarkadheeshvatu.com रहकर दया भाव आ जाता है और उनके मन में जो हमारे प्रति पहले दया भाव रहता था वह श्रद्वा भाव में बदल जाता है। इसी तरह जैसे बेटा-बेटी, छोटे भाई-बहन, शिष्य व उसका पुण्य व आध्यात्म हमसे अधिक हो जाता है तो उनके प्रति हमारे मन में श्रद्वा भाव आ जाता है और उनके मन में हमारे लिए दया भाव आ जाता है। यह ईश्वरीय विधान है। इससे यह सिद्वहोता है कि पूरी श्रृष्टि में पुण्य व आध्यात्म ही एक सबसे बड़ा धन है। यदि हम किसी समिति के अध्यक्ष होने पर किसी व्यक्ति को किसी आध्यात्मिक कार्य के लिए जैसे मंदिर सेवा, भगवत या राम कथा इत्यादि के लिए नौकरी पर रखते हैं, सांसारिक रूप से वह हमारा सेवक है किन्तु क्योंकि उसका आध्यात्म हमसे काफी अधिक होने के कारण हम उसके प्रति श्रद्वा रखते हैं और सदैव उसका सम्मान व चरण वंदना करते हैं।
____ जिस व्यक्ति का आध्यात्म सबसे अधिक होगा वह मुखिया के स्थान पर आ जाएगा। वास्तु के अनुसार वह उच्च स्थान कमशः साउथ-वेस्ट, साउथईस्ट व नार्थ-वेस्ट भागों में ही रहेगा। सांसारिक रूप से चाहें वह रिश्ते में छोटा ही क्यों न हो।
जिस प्रकार बेडरूम में प्रत्येक संतान व सदस्य का स्थान निर्धारित होता है उसकी प्रकार यदि घर के मुखिया के कमरे के किसी कोने में दोष है तो उस कोने से सम्बन्धित संतान पर इसका प्रभाव लागू होगा। यदि प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग कमरों में रहता है तो उन पर उनके कमरों का वास्तु भी लागू होगा।
ऊपर बताए गए सभी नियम प्रकृति द्वारा निर्धारित हैं, इसमें किसी भी प्रकार का कोई संदेह नहीं है। यदि आप इन नियमों की सत्यता को जाँचना चाहते हैं तो किसी भी भवन को देखे, प्रत्येक भवन में मुखिया व बड़े सदस्य साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भागों में ही निवास करेंगे। छोटे सदस्य उत्तर, पूर्व व नार्थ-ईस्ट भाग में ही रहेंगे। यह भी प्रकृति द्वारा निर्धारित एक नियम है।
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छोटे सदस्यों का स्थान
छोटे सदस्यों का स्थान
छोटे
मुखिया सदस्यों व बड़े का स्थान सदस्यों
WEमुखिया व
बड़े सदस्यों का स्थान
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मुखिया व बड़े व सदस्यों का स्थान
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S
W
यह पुस्तक श्री द्वारकाधीश धार्मिक समिति के माध्यम से प्रभू जी के श्री चरणों में समाज के लिए सादर समर्पित है। यदि पुस्तक में कोई त्रुटि रह जाती है तो इसके लिए माफी चाहते हैं व आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
(श्री द्वारकाधीश धार्मिक समिति)
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दिशाएँ देखने की विधि
उत्तर दिशा
कम्पास के द्वारा दिशाओं का ज्ञान
NNW
INW N 750
NNE 22.5°
नार्थ-वेस्ट
विदिशा
NW
NE 45°
215337
विदिशा नार्थ-ईस्ट ।
WNW
ENE
29
67.5°
पश्चिम दिशा
270°
दिशा
वास्तु जानने के लिए दिशाओं का सही निर्धारण जरूरी है। दिशा जानने के लिए कम्पास का प्रयोग करते हैं। जिसमें एक चुम्बकीय सुई होती है जिसका तीर उत्तर दिशा में ही रूकता है।
कम्पास को भवन के मध्य में रखने पर सुई जिस दिशा में रूकती है वह उत्तर होता है। उत्तर से 180 डिग्री पर दक्षिण, दाईं ओर 90 डिग्री पर पूर्व व बाईं ओर 90 डिग्री पर पश्चिम होता है।
कम्पास से देखने पर यदि दिशा मध्य में न होकर 22.5 डिग्री तक हटी हो तो दिशा प्लॉट व इससे अधिक हटने पर विदिशा प्लॉट माना जाता है।
112.5°
WSW
ESE
-
225°
SW
202.5°
202
180°
157.5°5
SSW
विदिशा.
SE विदिशा
SSE
साउथ-ईस्ट ।
/ साउथ-वेस्ट ।
S
दिशा
दक्षिण
।
सर्य के द्वारा दिशाओं का ज्ञान समय के अनुसार सूर्य की स्थिति देखकर हम
लगभग दिशाओं का निर्धारण कर सकते हैं।
शाम 07:30 बजे के समय सूर्य
आंशिक रूप से वेस्ट-नार्थवेस्ट में होते हैं।
NW
N
सुबह 5 बजे के समय सूर्य आंशिक रूप से ईस्ट-नार्थईस्ट में होते हैं।
NE
शाम 06:00 बजे के समय सूर्य पूर्ण रूप से पश्चिम में होते हैं।
Me
सुबह 6 बजे के समय सूर्य पूर्ण रूप से पूर्व में होते हैं।
-------------------------
सुबह 08:00 बजे के समय सूर्य
आंशिक रूप से ईस्ट-साउथईस्ट में होते हैं।
शाम 04:00 बजे के समय सूर्य वेस्ट-साउथवेस्ट में होते हैं।
SW
SE
सुबह 10:00 बजे के समय सूर्य पूर्ण रूप से ईस्ट-साउथईस्ट में होते हैं।।
दोपहर 02:00 बजे के समय सूर्य साउथ-साउथवेस्ट में होते हैं।
M.
दोपहर 01:00 बजे के समय सूर्य दक्षिण में होते हैं।
सुबह 12:00 बजे के समय सूर्य साउथ-साउथईस्ट में होते हैं।
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भवन में मंदिर का स्थान
दिशा प्लॉट
विदिशा प्लॉट N
नार्थ-ईस्ट में गंगाजी का वास है। इसलिए N
नार्थ-ईस्ट भाग भूमिपूजन के लिए होता है। वास्तु नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट के अनुसार भवन/भूमि के नार्थ-ईस्ट का स्थान उत्तर - नार्थ-ईस्ट । पूर्व
सेवक/बच्चे/छोटे भाई का होता है। परिवार के - 2
मुखिया का स्थान सदैव साउथ-वेस्ट/उच्च स्थान
में होता है। इसलिए मंदिर सदैव दक्षिण, पश्चिम, WR पश्चिम ब्रह्मस्थान
नार्थ-वेस्ट | ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भाग ही बनाएँ। इन स्थानों पर मंदिर होने से घर में भगवान
के वास का एहसास होता है और भगवान स्वयं घर साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट
की रक्षा करते हैं। अनेक प्रसिद्ध मंदिरों जैसे पश्चिमसाउथ-वेस्ट दक्षिण FOA2
तिरूपति बालाजी, बाँके बिहारी जी, गोल्डन टेम्पिल, लोटस टेम्पिल इत्यादि में भगवान का
W स्थान दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट में है व द्वार पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट में है।
यदि मंदिर को बेडरूम में स्थापित करना है तो इसे चित्र में दिखाई गई बेडरूम की दिशाओं में ही करें। मंदिर बनाने के लिए : नं0 1 में दिखाई गई जगह सर्वश्रेष्ठ है। यहाँ संभव न होने पर नं0 2 में दिखाई गई जगह में बना सकते हैं।
HD
(2)
वास्तु के अनुसार भूमि का उपयोग
40 फीट
वर्गाकार प्लॉट सिर्फ मंदिर के लिए | | आयताकार प्लॉट सभी सांसारिक कार्यों के लिए जिस प्लॉट की चारो __40 फीट यदि प्लॉट की एक भुजा दूसरी से 10 प्रतिशत या इससे अधिक सामान्य से भुजाएँ समान या 5
बड़ी है तो यह आयताकार प्लॉट होगा। आयताकार प्लॉट का कम प्लॉट प्रतिशत छोटी बड़ी होने
| उपयोग सभी सांसारिक कार्यों जैसे मकान, दुकान, आफिस, 10 फीट से यह पूर्णतया वर्गाकार | वर्गाकार |इमारत, फैक्ट्री इत्यादि के लिए कर सकते हैं। प्लॉट होगा। इस प्लॉट ०
श्रेष्ठ प्लॉट प्लॉट
10 फीट का प्रयोग निवास, प
चौड़ाई x व्यापार या अन्य कार्यों के
सर्वश्रेष्ठ प्लॉट
लम्बाई लिए उपयुक्त नहीं है। 40 फीट
1x4 40 फीट
चौंड़ाई || | यदि प्लॉट की एक भुजा
चौंड़ाई x
लम्बाई दूसरी से 10 प्रतिशत से ।
आयताकार
लम्बाई 1x3 छोटी है तो इसे भी
वर्गाकार
प्लॉट
1x2 वर्गाकार प्लॉट ही माना ल प्लॉट जाएगा।
10 फीट
40 फीट
30 फीट
43 फीट
45 फीट
20 फीट
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
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-
-
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-
-
-
-
-
प्लॉट में दिशाओं का विभाजन दिशा प्लॉट
विदिशा प्लॉट
जिस प्लॉट में दिशा मध्य में आती हैं वह दिशा प्लॉट होता है। जिस प्लॉट में दिशा कोने में आती हैं वह विदिशा प्लॉट होता इसका विभाजन 3 बराबर भागों में करने पर यह 9 भागों में है। इसका विभाजन 3 बराबर भागों में करने पर यह 9 भागों में विभाजित हो जाता है जिसके मध्य में ब्रह्मस्थान होता है। विभाजित हो जाता है जिसके मध्य में ब्रह्मस्थान होता है। 45 फीट
45 फीट नार्थ-वेस्ट । उत्तर । नार्थ-ईस्ट
उत्तर । नार्थ-ईस्ट । पूर्व 15' 15' 15'
| 15' वायव्य
ईशान
ईस्ट-नार्थ
उत्तर
15' ईशान
15
→ -27 फीट वेस्ट-साउथ पश्चिम वेस्ट-नार्थ +
27 फीट
ब्रह्मस्थान
वायव्य
15 ब्रह्मस्थान
आग्नेय
पश्चिम नार्थ-वेस्ट
पामा साउथ-ईस्ट पूर्व
नैरूति
आग्नेय
ईस्ट-साउथ
नैरूति
| साउथ-वेस्ट। दक्षिण
। साउथ-ईस्ट
पश्चिम । साउथ-वेस्ट ।
दक्षिण
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________________
बालकना
---------
15
+-----
------ --- मख्य । 131 ।
45 फीट -
।
।
।
शान! ।
-45 फीट
--
1-LJ
------
AX
-----.....
45 फीट
45 फीट
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com ब्रह्मस्थान व मुख्य ब्रह्मस्थान का निर्धारण | प्लॉट/भवन/बेडरूम का ब्रह्मस्थान ब्रह्मस्थान की स्थिति में बदलाव यदि किसी प्लॉट/भवन/ <- 27 फीट → यदि बॉलकनी/निर्माण से प्लॉट/भवन 27 फीट बेडरूम की लम्बाई 45 फीट व + + +
/बेडरूम की लम्बाई/चौंड़ाई बढ़ जाती है चौंड़ाई 27 फीट हो तो इसे तीन
तो ब्रह्मस्थान का निर्धारण बढ़ी हुई
999 बराबर भागों में विभाजित करने पर
लम्बाई/चौंड़ाई को मिलाकर ही किया यह चित्र में दिखाए अनुसार 9 भागों
जाएगा। में विभाजित हो जाएगा। इसके | मुख्य । 13
यदि बॉलकनी की लम्बाई 6 फीट ब्रह्म
*-1-12 मध्य का भाग ब्रह्मस्थान है।
स्थान-----
ॐ हो तो अब इस प्लॉट/भवन की कुल जिसकी लम्बाई 15 फीट व चौड़ाई
लम्बाई 51 फीट हो जाएगी। बॉलकनी के
स्थान -1-1-1 फीट है।
निर्माण के बाद इस प्लॉट/भवन/बेडरूम मुख्य ब्रह्मस्थान का
का ब्रह्मस्थान प्लॉट की लम्बाई व बॉलकनी निर्धारण करने के लिए इस
की लम्बाई को जोड़कर चित्र 1 के अनुसार ब्रह्मस्थान की लम्बाई व चौड़ाई को
ही निकाला जाएगा। यहाँ ब्रह्मस्थान की भी तीन बराबर भागों में विभाजित चित्र 1
चौड़ाई x लम्बाई 9' x 17 और मुख्य
चित्र 2 करने पर इसके मध्य का स्थान मुख्य ब्रह्मस्थान है, जिसकी ब्रह्मस्थान की चौड़ाई x लम्बाई 3' x 5.6' लम्बाई 5 फीट व चौंड़ाई 3 फीट है।
होगी। प्लॉट व निर्माण के ब्रह्मस्थान का निर्धारण - 27 फीट → <- 27 फीट → प्लॉट का ब्रह्मस्थान, प्लॉट मे निर्माण का ब्रह्मस्थान, निर्माण में किसी भी फ्लोर का
प्लॉट का ब्रह्मस्थान, फ्लोर में किसी भी बेडरूम का ब्रह्मस्थान, निर्माण की छत के ब्रह्मस्थान | मुख्य ब्रह्मस्थान में दोष के आंशिक प्रभाव रहेंगे व इनके मुख्य ब्रह्मस्थान में दोष के गंभीर प्रभाव होंगे। इनमें से किसी में भी बोरिंग, सेप्टिक टैंक, अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक, कुआँ, भारी मशीन, पानी की टंकी, स्तम्भ व फर्श का तल ऊँचा या नीचा होने पर घर के
निर्माण की जा मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान व वंशनाश संभव है।
a. छत का
प्लॉट का मुख्य | यदि किसी भवन में आगे की तरफ खुला स्थान है व पीछे की तरफ
मुख्य ब्रह्मस्थान ब्रह्मस्थान निर्माण हुआ है तो भवन में प्लॉट, निर्माण व बेडरूम तीनो के ब्रह्मस्थान का निर्धारण करना जरूरी है। तीनो ब्रह्मस्थानों में कोई भी वास्तु दोष नहीं होना चाहिए।
खुला स्थान प्लॉट का ब्रह्मस्थान चित्र 1 में दिखाए अनुसार ही निकालें। निर्माण के ब्रह्मस्थान को निकालने के लिए चित्र 1 में बताई गई विधि का ही प्रयोग करें, ध्यान रहे कि इसके लिए सिर्फ निर्माण की लम्बाई व चौंड़ाई की माप का ही प्रयोग करें। चित्र 3 का मुख्य ब्रह्मस्थान
चित्र 4 -----------------
बहुमंजिली इमारत में ब्रह्मस्थान का निर्धारण अक्सर देखा गया है कि बहुमंजिली इमारत में हम ग्राउन्ड फ्लोर पर ब्रह्मस्थान का निर्धारण करके उसके अनुसार निर्माण कर लेते हैं किन्तु इसके पश्चात ऊपर की मंजिलों या आखरी छत पर बॉलकनी का निर्माण
मंजिल कर देते हैं। इससे भवन की लम्बाई व चौंड़ाई उतनी ही बढ़ जाती है। ध्यान रहे कि ऊपर की मंजिलों या आखरी छत पर बॉलकनी/निर्माण से लम्बाई व चौड़ाई बढ़ने से पूरी ईमारत के ब्रह्मस्थान की लम्बाई व चौंड़ाई भी उसी अनुपात में बढ़ जाएगी व इसका स्थान भी बदल जाएगा। स्थान बदलने के पश्चात यदि ब्रह्मस्थान में बोरिंग, सेप्टिक टैंक, अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक, कुआँ, भारी मशीन, पानी की टंकी, स्तम्भ व फर्श
फ्लोर का तल ऊँचा या नीचा होने पर घर के मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान व वंशनाश संभव है।
। इसलिए यह ध्यान रखें कि हर मंजिल पर ब्रह्मस्थान का निर्धारण भवन की आखरी छत की लम्बाई व चौड़ाई से ही करना चाहिए। किसी एक मंजिल के ब्रह्मस्थान में दोष होने पर उस मंजिल के निवासियों पर ही इसके प्रभाव लागू होंगे किन्तु यदि ग्राउन्ड फ्लोर या छत पर ब्रह्मस्थान में दोष है तो इसके प्रभाव पूरी ईमारत पर लागू होंगे। चित्र 2 में दिखाए अनुसार यदि प्लॉट/भवन/बेडरूम 1 व
चित्र 2 प्लॉट/भवन/बेडरूम 2 के बीच की दीवार का पूरा या कुछ पर ब्रह्मस्थान की स्थिति
भाग हट जाता है तो दोनों को मिलाकर एक ही माना जाएगा। चित्र 1 में दो
चित्र 1
इसलिए इस पूरे प्लॉट/भवन/बेडरूम का ब्रह्मस्थान भी दिखाए अलग-अलग भनाभवनास
अनुसार एक ही होगा। जिस मंजिल पर यह किया गया है, उसके प्लॉट/भवन/बे
बेडरूम
नीचे की मंजिल की दीवार और उसके ऊपर की मंजिल की दीवार डरूम दिखाए गए
ब्रह्मस्थान में रहने से यह गंभीर वास्तु दोष होगा। इससे पूरा हैं। इन दोनों का
परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश भी संभव है। ब्रह्मस्थान भी
नोट : दीवार न हटाकर वहाँ केवल वह दरवाजा जो खोला और बंद किया जा सके अलग-अलग है।
लगाने पर यह दोष नहीं होगा।
-
-
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-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
छत
-ब्रह्मस्थान
दूसरी
बॉलकनी
पहली मंजिल
ग्राउन्ड
सड़क
माना जाएगा।
भवन/
भवन
N
भवन
| बडरूम
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान
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भवन / बेडरूम के आकार के अनुसार परिवार के सदस्यों पर प्रभाव
उत्तर, दक्षिण, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भाग महिलाओं का होता है ।
N
W
S
भवन / बेडरूम की लम्बाई उत्तर व दक्षिण में अधिक है। इसलिए इस भवन / बेडरूम में महिलाओं का प्रभाव अधिक होगा ।
W
इन भवन/बेडरूम में महिलाओं के दोनो भाग कट गए हैं। इसलिए इस तरह के भवन / बेडरूम में महिलाएँ नहीं रहेंगी व मृत्यु भी संभव है। कटे हुए भाग में मुख्य द्वार होने पर यदि पूरे भवन में एक ही परिवार निवास करता है तो कटे हुए भाग के प्रभाव आंशिक रह जाएँगे ।
N
N
W
W
N
W
N
W
भवन E W
S
भवन
S
N
भवन
भवन/बेडरूम का आकार नीचे दिखाए गए चित्रों के अनुसार होने पर इस भूमि/भवन/बेडरूम में महिलाओं का प्रभाव अधिक रहेगा । कटे हुए भाग में मुख्य द्वार होने पर यदि पूरे भवन में एक ही परिवार निवास करता है तो कटे हुए भाग के प्रभाव आंशिक रह जाएँगे ।
N
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भवन
N
भवन
4644
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W भवन E W भवन E
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भवन
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EN
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भवन / बेडरूम की लम्बाई साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में अधिक है। इसलिए इस भवन/बेडरूम में महिलाओं का प्रभाव अधिक होगा ।
E NI
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भवन
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E W भवन
भवन
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भवन
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भवन
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पूर्व पश्चिम नार्थ-ईस्ट व साउथ-वेस्ट भाग पुरूषों का होता है ।
N
भवन / बेडरूम की लम्बाई पूर्व व पश्चिम में अधिक है। इसलिए इस भवन / बेडरूम में पुरूषों का प्रभाव अधिक होगा ।
W
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इन भवन / बेडरूम में पुरूषों के दोनो भाग कट गए हैं। इसलिए इस तरह के भवन/बेडरूम में पुरूष नहीं रहेंगे व मृत्यु भी संभव है। कटे हुए भाग में मुख्य द्वार होने पर यदि पूरे भवन में एक ही परिवार निवास करता है तो कटे हुए भाग के प्रभाव आंशिक रह जाएँगे ।
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भवन/ बेडरूम का आकार नीचे दिखाए गए चित्रों के अनुसार होने पर भवन / बेडरूम में पुरूषों का प्रभाव अधिक रहेगा । कटे हुए भाग में मुख्य द्वार होने पर पूरे भवन में यदि एक ही परिवार निवास करता है तो कटे हुए भाग के प्रभाव आंशिक रह जाएँगे ।
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भवन
भवन / बेडरूम की लम्बाई नार्थ-ईस्ट व साउथ-वेस्ट में अधिक है। इसलिए इस भवन/बेडरूम में पुरूषों का प्रभाव अधिक होगा।
N
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भवन
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प्रकृति ने भवन / बेडरूम में प्रत्येक व्यक्ति का स्थान निर्धारित किया हुआ है। भवन
भवन / बेडरूम में सदस्यों का स्थान उस स्थान से सम्बन्धित व्यक्ति पर इसका आंशिक या गम्भीर प्रभाव पड़ता है ।
के किसी भी तरफ सड़क हो, भवन / बेडरूम के इन स्थानों में वास्तु दोष होने पर
उत्तर भाग का सम्बन्ध धन, महिलाओं के स्वास्थ्य, मान-सम्मान और स्वभाव से होता है।
W
दिशा प्लॉट
North west
N
South West
North
West Center East
South
S
नार्थ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध धन, पूरे परिवार की सुख-शान्ति, विदिशा प्लॉट पहली/चौथी / आठवीं संतान और घर के कमाने वाले सदस्य से होता है।
North
East
South
East
E
नार्थ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व तीसरी / सातवीं संतान से होता है।
- पूर्व भाग का सम्बन्ध पुरूषों के स्वास्थ्य मान-सम्मान व स्वभाव से होता है।
ब्रह्मस्थान का सम्बन्ध पूरे परिवार से है ।
साउथ-वेस्ट भाग का सम्बन्ध घर के मुखिया व -पहली / पाँचवी संतान से होता है।
प्लॉट में निर्माण शुरू करने की विधि
1. प्लॉट चाहें दिशा हो या विदिशा, नींव की खुदाई नार्थ-ईस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट तक साथ - साथ (समान्तर ) लाएँ, फिर नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट से शुरू करते हुए साउथ-वेस्ट तक साथ-साथ लाकर पूर्ण करें। चित्र 1 व 2 देखें :
3. नींव भराई का काम साउथ-वेस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट तक साथ-साथ (समान्तर) लाएं। फिर नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट से शुरू करते हुए नार्थ-ईस्ट तक साथ-साथ लाकर पूर्ण करें। चित्र 3 व 4 देखें :
2. भूमि पूजन नार्थ-ईस्ट में ही करना चाहिए। इसके बाद पूर्व, नार्थ-ईस्ट या उत्तर में अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक, कुआँ या बोरिंग बना सकते हैं। ध्यान रहे कि भवन बनने के SW बाद मंदिर का स्थान साउथ-वेस्ट में ही हो ।
4. दीवारें बनाते समय नींव की भराई वाला ही क्रम रखें। रोजाना शाम को ध्यान रखें कि दिनभर का कार्य पूरा होने के बाद पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट की दीवारों की ऊँचाई व मोटाई कभी भी दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट की दीवारों से ज्यादा न हो।
NW
6. सामग्री (सीमेंट, ईंट, पत्थर, लोहा, टाइल्स मिट्टी, रेत इत्यादि) को प्लॉट के दक्षिण पश्चिम या साउथ-वेस्ट में ही रखें। ध्यान रहे कि पूर्व उत्तर, नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में कोई भी सामग्री न रखें। संभव हो तो सामग्री सड़क के दूसरी तरफ ही डालें। अपने प्लॉट के सम्मुख न रखें।
W
7. भवन / बेडरूम में फर्श का ढ़ाल बनाते समय यह ध्यान रखें कि साउथ-वेस्ट में फर्श का ढ़ाल सबसे ऊँचा, साउथ-ईस्ट में साउथ-वेस्ट से नीचा, नार्थ-वेस्ट में साउथ-ईस्ट से नीचा व नार्थ-ईस्ट में सबसे नीचा रहना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि साउथ-वेस्ट का तल 1 फीट ऊँचा है तो साउथ-ईस्ट 10 इंच, नार्थ-वेस्ट 8 इंच व नार्थ-ईस्ट का तल 6 इंच पर रख सकते हैं ।
दक्षिण भाग का सम्बन्ध धन, महिलाओं के स्वास्थ्य, मान-सम्मान और स्वभाव से होता है।
- पश्चिम भाग का सम्बन्ध पुरूषों के स्वास्थ्य, मान-सम्मान व स्वभाव से
साउथ-ईस्ट भाग का सम्बन्ध सुख-शान्ति, प्रशासनिक कार्यों, महिलाओं व दूसरी / छठी संतान से होता है ।
नींव की खुदाई का क्रम
N
NE
NE
NW
W
NW
W
चित्र 1 दिशा प्लॉट
SW
चित्र 3 दिशा
प्लॉट
N
W
8
इंच
दिशा प्लॉट
N
S
E
6
इंच
North
North
West
1
10
फीट इंच
West
SE
W
S
SW
नींव की भराई का क्रम
N
NE
NE
E
SE
NE
NW
E
N
SE
NW
फर्श के तल का क्रम
North
East
SW
S
W
SW S
5. भवन के आँगन, बरामदा, प्रत्येक कमरे आदि के फर्श का लेवल इस प्रकार रखें कि साफ-सफाई करने के दौरान बहने वाला पानी दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट से उत्तर, पूर्व या नार्थ-ईस्ट की ओर ही बहे। फर्श का ढ़ाल शून्य भी रख सकते हैं । किन्तु यह ध्यान रहे कि ढ़ाल किसी भी हाल में दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट की तरफ नहीं होना चाहिए ।
Center
South West
N
NW
चित्र 2 विदिशा
प्लॉट
चित्र 4 विदिशा प्लॉट
East
South
East
South
8 इंच
विदिशा प्लॉट
1 फीट W
NE 6 इंच
SW
S
E
SE
S
E
SE
E
SE
S
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________________
N
सड़क
सडक
सड़क
सड़क
॥ सड़क
सड़क
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com वास्तु के अनुसार शुभ प्लॉट / भवन नीचे कुछ प्लॉट/भवन प्राकृतिक स्थितियों में दिखाए गए हैं। कोई भी प्लॉट/भवन नीचे दिखाई गई प्राकृतिक स्थितियो में होने पर अत्यधिक शुभ होता है। इस तरह के भवन में गम्भीर वास्तु दोष होने पर भी उसका प्रभाव आंशिक ही रहता है। प्लॉट/भवन के चारो तरफ सड़क होने पर :
___ N सड़क किसी प्लॉट/भवन के चारो तरफ सड़क होने पर यह अत्यधिक शुभ होता है। इस भवन
दिशा
विदिशा के निवासी स्वस्थ, निर्मल स्वभाव, धर्म-कर्म में रूचि रखने वाले व सन्त प्रवृत्ति के होंगे। प्लॉट / भवन
| प्लॉट / भवन | समाज में इनको उच्च स्थान की प्राप्ति होगी व धन की समस्या नहीं रहेगी।
TW सड़क प्लॉट/भवन सड़क टक्कर होने पर : प्लॉट/भवन के दिखाए गए भागों में सड़क टक्कर अत्यधिक शुभ है।
दिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट सड़क टक्करः नार्थ-नार्थईस्ट सड़क टक्करः ईस्ट-नार्थईस्ट सड़क वेस्ट-नार्थवेस्ट सड़क प्लॉट/भवन के नार्थ-ईस्ट प्लॉट/भवन के नार्थ-नार्थईस्ट टक्करः प्लॉट/भवन के टक्करः प्लॉट/भवन के कोने पर सड़क टक्कर होने पर भाग में सड़क टक्कर होने पर ईस्ट-नार्थईस्ट भाग में वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में सड़क निवासी बुद्विमान, धार्मिक, महिलाएँ बुद्धिमान, धार्मिक, निर्मल सड़क टक्कर होने पर पुरूष टक्कर होने पर पुरूष बुद्धिमान, मेहनती, ईमानदार, शिक्षित व स्वभाव, शिक्षित व उच्च पद पर बुद्विमान, धार्मिक, मेहनती, समाज में मान-सम्मान, उच्च उच्च पद पर कार्यरत व धन की कार्यरत होंगी। पुरूष महिलाओं ईमानदार, शिक्षित व उच्च पद पर कार्यरत व नेता बनना प्राप्ति होगी। घर के मुखिया व की अपेक्षा कमजोर रहेंगे। पहली पद पर कार्यरत होंगे। पहली संभव है। तीसरी/सातवीं पहली संतान को विशेष लाभ संतान स्त्री होने पर । । । संतान पुरूष होने पर वह संतान पुरूष होने पर उसे मिलेगा।
वह स्वस्थ व सुखी |Rolad स्वस्थ व सुखी रहेगा। विशेष लाभ मिलेगा। रहेगी।
N | 1
Road
N
N
Road
Road
------------
I Plot/I Building
I Plot/I Building
E
--------------
I Plot/I Building
M
-----------
I Plot/I Building
W
-
-
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-
-
S साउथ-साउथईस्ट सड़क टक्कर: प्लॉट/भवन के साउथ-साउथईस्ट भाग में सड़क टक्कर होने पर महिलाएँ स्वस्थ रहेंगी, स्वभाव विनम्र होगा व समाज में | मान-सम्मान होगा। दूसरी/छठी संतान स्त्री होने पर उसे विशेष लाभ मिलेगा।
-------- I Plot/i Building
-
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-
-
-
Rolad
Road
Rolad
-
-
-
-
-
-
विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट सड़क टक्कर: प्लॉट/भवन के पूरे या मध्य के नार्थ-ईस्ट भाग में सड़क टक्कर होने पर निवासी बुद्विमान, धार्मिक, मेहनती, ईमानदार, शिक्षित व उच्च पद पर कार्यरत व धन की प्राप्ति होगी। घर के मुखिया व पहली संतान को विशेष लाभ मिलेगा।
I Plot/I 'Building
| Plot/ Building
--
-
-
-
-
-
-
WL
SWL
पूर्व सड़क टक्कर: प्लॉट/भवन के पूर्व कोने में सड़क टक्कर होने पर पुरूष बुद्विमान, स्वस्थ, धार्मिक, निर्मल स्वभाव व समाज में प्रतिष्ठित होंगे।
उत्तर सड़क टक्कर: प्लॉट/भवन के उत्तर कोने में सड़क टक्कर होने पर महिलाएँ स्वस्थ, बुद्धिमान, धार्मिक व निर्मल स्वभाव की होंगी। धन की प्राप्ति होगी।
Road
Road
Road
Road
Road
Road
-------
-
-
I Plot/I Building
-----------
I Plot/I Building
-- - - - - - I Plot/I Building
-----------
I Plot/I
Building - - - - - - - - -
-
-
-
-
-
-
-
-
-
--
-
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11
प्लॉट / भवन में कोना बढ़ना : प्लॉट/ भवन का नार्थ-ईस्ट कोना बढ़ना अत्यधिक शुभ है।
नार्थ-ईस्ट कोना बढ़नाः निवासी बुद्धिमान, धार्मिक, मेहनती, ईमानदार, शिक्षित व उच्च पद पर कार्यरत व धन की प्राप्ति होगी। घर के मुखिया व पहली संतान को विशेष लाभ मिलेगा।
N
W
Plot / Building
पूर्व कोना बढ़ना : पूर्व कोने में सड़क टक्कर होने पर पुरूष बुद्धिमान, स्वस्थ, धार्मिक, निर्मल स्वभाव व समाज में प्रतिष्ठित होंगे।
भवन
--- सड़क
E
E
पश्चिम में पहाड़ इत्यादिः पुरूष स्वस्थ रहेंगे, मान-सम्मान व आत्मविश्वास में वृद्धि होगी । पुरूष थोड़े आलसी होंगे किन्तु इन्हें कम मेहनत में अच्छे परिणाम मिलेंगे ।
E
N
N
दिशा प्लॉट
नार्थ - नार्थईस्ट कोना बढ़ना : महिलाएँ बुद्धिमान, धार्मिक, निर्मल स्वभाव, शिक्षित व उच्च पद पर कार्यरत होंगी। पुरूष महिलाओं की अपेक्षा कमजोर रहेंगे। पहली संतान स्त्री होने पर वह स्वस्थ व सुखी रहेगी।
N
N
पूर्व में तालाब इत्यादिः पुरुष बुद्धिमान, स्वस्थ, धार्मिक, निर्मल स्वभाव व समाज में प्रतिष्ठित होंगे।
W
W
Plot / Building
विदिशा प्लॉट
E
Plot / Building
भवन
N
E
N
S W
पश्चिम/दक्षिण/ साउथ-वेस्ट में पहाड़ / ऊँची ईमारत इत्यादि होना। प्लॉट/ भवन के पश्चिम / दक्षिण / साउथ-वेस्ट में पहाड़, ऊँची ईमारतें इत्यादि होना शुभ होता है ।
दिशा प्लॉट
विदिशा प्लॉट
W
W
सड़क
दक्षिण में पहाड़ इत्यादिः महिलाएँ स्वस्थ रहेंगी, स्वभाव निर्मल होगा, मान-सम्मान व आत्मविश्वास में वृद्धि होगी । धन की कमी नहीं रहेगी ।
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ईस्ट - नार्थईस्ट कोना बढ़ना पुरूष बुद्धिमान, धार्मिक, मेहनती, ईमानदार, शिक्षित व उच्च पद पर कार्यरत होंगे। पहली संतान पुरुष होने पर वह स्वस्थ व सुखी रहेगा।
N
उत्तर में तालाब इत्यादिः महिलाएँ स्वस्थ, बुद्धिमान, धार्मिक व निर्मल स्वभाव की होंगी। धन की प्राप्ति होगी ।
Plot / Building
W
E
E
Plot / Building
पूर्व / उत्तर / नार्थ-ईस्ट में तालाब, कुआँ, गढ़ढ़ा, ढलान होना । प्लॉट / भवन के पूर्व / उत्तर / नार्थ-ईस्ट में तालाब, कुआँ, गढ्ढा, ढ़लान इत्यादि होना शुभ होता है I
W
दिशा प्लॉट
S
विदिशा प्लॉट
N
भवन
नार्थ-ईस्ट में तालाब इत्यादिः निवासी बुद्धिमान, धार्मिक, मेहनती,
ईमानदार, शिक्षित
व उच्च पद पर
S
- सड़क --------
N
साउथ-वेस्ट में पहाड़ इत्यादि : निवासी स्वस्थ रहेंगे, मान-सम्मान व आत्मविश्वास
S
Plot / Building
वृद्धि होगी कम मेहनत में अच्छे परिणाम मिलेंगे। घर के मुखिया व पहली संतान को विशेष लाभ मिलेगा।
E
W
कार्यरत व धन की प्राप्ति होगी। घर के मुखिया व पहली संतान को विशेष लाभ मिलेगा ।
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( 12
देखें www.dwarkadheeshvatu.coml
वास्तु के अनुसार भवन के निर्माण की विधि
is el
M
w
ध्यान रखें : ऊपरी मंजिल पर रसोई/टॉयलेट/बॉथरूम के निर्माण में संक/गढ़ढ़ा बनाया जाता है, जिसमें से गन्दे पानी के पाईप फर्श में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में इस तरह से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक/गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं। दिशा प्लॉट उत्तर फेसिंग प्लॉट
रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य
+0 N
| +2 VI लिए दरवाजा नीच स्थान पर होने पर द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
भवन में फर्श का लेबल रोड से कम से
फीट भी सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
कम 2 फीट ऊँचा रखें। भवन में शेड N
E द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का सेप्टिक टैंक- मुख्य
भवन
निकास करें।
द्वार बोरिंग नार्थ-ईस्ट में ही रखें। सेप्टिक टैंक उत्तर के मध्य में ही बनाएँ। कमरे, उत्तर और पूर्व की
दीवारों की मोटाई रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं
स्लैब का निर्माण कम या बराबर भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण w|सीढ़ी रखें।
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं पश्चिम की दीवार के साथ करें, यह
भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण और पश्मिच उत्तर की मुख्य दीवार से नहीं सटनी
की दीवारों की
इ/ E दक्षिण और पश्चिम की दीवारों के
स्टोर चाहिए। उत्तर फेसिंग भवन में मोटाई अधिक या
साथ ही बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर बेसमेंट का निर्माण नहीं होना चाहिए, बराबर रखें।
व पूर्व की दीवार के साथ न बनाएँ। बेसमेंट अशुभ है।
S
टॉयलेट का निर्माण कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल(रैलिंग) दक्षिण और पश्चिम की उत्तर और पूर्व की
टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते कम्पाउन्ड वॉल/
1. Nr कम्पाउन्ड वॉल/ w
हैं किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि
शीट पैराफिट वॉल की
-पैराफिट वॉल की
टॉयलेट
मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख उँचाई व मोटाई अधिक wl E ऊँचाई व मोटाई कम
सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो। रखें। इन दीवारों पर
रखें और इन दीवारों
टाँड/परछत्ति व अलमारी काँच के टुकड़े या तार
पर काँच के टुकड़े या इत्यादि लगा सकते हैं।
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
कमरा IF कमरे की दक्षिण और पश्चिम की दीवारों N छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन या अन्य
पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह में ही करें।
रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों। IF निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1
कमरों का आकार नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर हो।
उत्तर, पूर्व व नार्थ-ईस्ट में कमरों का कमरा
आकार दक्षिण पश्चिम व डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
w
साउथ-वेस्ट के कमरों से छोटा होना शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक कमरा
चाहिए। मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि भवन E E बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की
दरवाजों का स्थान अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
N
"की
बोट
रखें और
+
S
तार न लगाए।
WKA
छत
W
OINIIIIII
LUIIII
Z
VII
)
7
WI
(I- दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं स्टोर/मंदिर/ E टॉयलेट इत्यादि
में ही रखें।
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं | ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए।
मंदिर का स्थान
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़दा नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर रखें।
w
s
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(13)
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है प्लॉट में कम निर्माण के लिए
प्रथम चयन
देखें www.dwarkadheeshvatu.com बॉलकनी/छज्जे का निर्माण
N छज्जा/बॉलकनी भवन के पूरे भाग में ही बनाएँ।
इसका भार किसी स्तम्भ RCC
या दीवार पर ही रहना स्लैब
चाहिए।
W
निर्माण उत्तर से दक्षिण तक पूरे भाग में करें। यह खुला |
| सर्वश्रेष्ठ है। स्थान
दीवार
दीवार
J0
IYE
द्वितीय चयन
छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण निर्माण पश्चिम की दीवार पर ही करें। पूर्व की छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें । यहाँ तरफ खाली जगह छोड़ें। डॉटेड लाईन द्वारा किसी भी दिशा में झकी नहीं होनी चाहिए।
दिखाए अनुसार ढ़ाई फीट ऊँची दीवार बनाकर ME पीछे के प्लॉट को अलग कर दें। इस तरह से
3888899000000स्लै ब निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
दीवार
दीवार
दीवार
रखे।
IN
पूर्व फेसिंग प्लॉट ग्राउन्ड फ्लोर के लिए सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास मुख्य द्वार उच्च स्थान दरवाजा नीच स्थान पर होने पर भी
+
0E पर ही रखें। सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
+2
भवन में फर्श का लेबल रोड से कम से फीट
कम 2 फीट ऊँचा रखें। भवन में शेड मुख्य -सेप्टिक टैंक
भवन
द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का बोरिंग नार्थ-ईस्ट में ही रखें। सेप्टिक बोरिंग द्वार
निकास करें। टैंक पूर्व के मध्य में ही बनाएँ। कमरे, -उत्तर और पूर्व की
दीवारों की मोटाई रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं कम या बराबर
स्लैब का निर्माण भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण दक्षिण की दीवार के साथ करें, यह पूर्व
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं की मुख्य दीवार से नहीं सटनी चाहिए। दक्षिण और पश्मिच
भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण की दीवारों की पूर्व फेसिंग भवन में बेसमेंट का
रसोई/ और पश्चिम की दीवारों के साथ ही
मोटाई अधिक या निर्माण नहीं होना चाहिए, बेसमेंट
बराबर रखें।
स्टोर बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर व पूर्व की अशुभ है।
दीवार के साथ न बनाएँ। W कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल(रैलिंग)
W
टॉयलेट का निर्माण उत्तर और पूर्व की
दक्षिण और पश्चिम की कम्पाउन्ड वॉल/
कम्पाउन्ड वॉ ल/
टॉयलेट टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं पैराफिट वॉल की पैराफिट वॉल की उँचाई
किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि ऊँचाई व मोटाई कम N/ Is व मोटाई अधिक रखें। प्लॉट
(O )
|S मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख रखें और इन दीवारों -इन दीवारों पर काँच के
सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो।
शीट पर काँच के टुकड़े या
टुकड़े या तार इत्यादि तार न लगाएँ।
WL लगा सकते हैं।
टाँड/परछत्ति व अलमारी छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
E
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/ वजन या
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह
कमरे की दक्षिण और पश्चिम की
कमरा में ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि
° दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की
में ही रखना चाहिए। यह कोनों से दूर तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर हो।
कमरों का आकार मंदिर का स्थान
कमरा
उत्तर, पूर्व व नार्थ-ईस्ट में कमरों का भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए गए स्थान/
आकार दक्षिण , पश्चिम व भवन S दिशाओं में ही मंदिर रखें।
साउथ-वेस्ट के कमरों से छोटा होना कमरा
चाहिए। W
A
हों।
W
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(14)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com + डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
दरवाजों का स्थान शेड् द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि कमरा/रसोई
| दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं में भवन बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की
N स्टोर/मंदिर/ IS ही रखें।
टॉयलेट इत्यादि अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
NI
s
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान
भवन
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दर होना चाहिए।
0
ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़दा नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
प्लॉट में कम निर्माण के लिए
खुला KA
प्रथम चयन 1 निर्माण पूर्व से पश्चिम तक पूरे भाग में करें। यह MS सर्वश्रेष्ठ है।
स्थान
बॉलकनी/छज्जे का निर्माण बॉलकनी छज्जा/बॉलकनी
E भवन के पूरे भाग में ही
बनाएँ। इसका भार RCC स्लैब
किसी स्तम्भ या दीवार
पर ही रहना चाहिए। छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें । यह किसी भी दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए।
दीवार
दीवार
W
द्वितीय चयन निर्माण दक्षिण की दीवार पर ही करें। उत्तर की तरफ खाली जगह छोड़ें। डॉटेड लाईन द्वारा दिखाए अनुसार ढ़ाई फीट ऊँची दीवार बनाकर पीछे के प्लॉट को अलग कर दें। इस तरह से निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
NI दीवार
888888888600000DRO
8888889390Rcc
८
स्लै ब
दीवार
| दीवार
| दीवार
दक्षिण फेसिंग प्लॉट सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए दरवाजा नीच स्थान पर होने पर भी सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
s
कमरा
कमरों का आकार
उत्तर , पूर्व व नार्थ-ईस्ट में कमरों का आकार दक्षिण , पश्चिम व साउथ-वेस्ट के कमरों से छोटा होना चाहिए।
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
मुख्य द्वार
कमरा
दरवाजों का स्थान
दक्षिण और पश्मिच की दीवारों की मोटाई अधिक या सीढ़ी बराबर रखें।
w
बोरिंग नार्थ-ईस्ट में ही रखें। सेप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व के मध्य में ही बनाएँ। कमरे, रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण दक्षिण या पश्चिम की दीवार के साथ करें। बोरिंग व सेप्टिक टैंक घर से बाहर बना सकते हैं, इससे आंशिक दोष रहेंगे।
कमरा/रसोई/| दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं में | स्टोर/मंदिर/ |W ही रखें। टॉयलेट इत्यादि
उत्तर और पूर्व -की दीवारों की मोटाई कम या बराबर रखें।
. AN
मंदिर का स्थान
S
बोरिंग
N सेप्टिक टैंक
भवन
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए Nw गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर
रखें।
ब्रह्मस्थान
कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल (रैलिंग) उत्तर और पूर्व की
-दक्षिण और पश्चिम की कम्पाउन्ड वॉल/
कम्पाउन्ड वॉल/ पैराफिट वॉल की
पैराफिट वॉल की उँचाई ऊँचाई व मोटाई कम E
W व मोटाई अधिक रखें। रखें और इन दीवारों
इन दीवारों पर काँच के पर काँच के टुकड़े
टुकड़े या तार इत्यादि या तार न लगाएँ।
लगा सकते हैं।
ब्रह्मस्थान
E
IW
ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़दा नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
IN
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com डुप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से
अधिक मंजिलों का निर्माण कर सकते भवन
W हैं। ध्यान रहे कि बिना शेड और शेड
द्वारा दिखाए गए भाग की अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
E
Z
ON
| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (15)
छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन s छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/ वजन या
अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह w में ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से
कम से कम 3 फीट दूर हो। बेसमेंट का निर्माण अतिआवश्यक
साउथ फेसिंग भवन में बेसमेंट बनाना जरूरी है। बेसमेंट भवन के पूरे भाग या कम से कम 1/6वें भाग नार्थ-ईस्ट कोने में बनाना अति आवश्यक wहै। किन्तु ध्यान रहे भवन के पूरे भाग में बेसमेंट होने पर उत्तर/पूर्व में सड़क/खुला स्थान होने
पर भी दरवाजा नहीं होना चाहिए। पश्चिम में IN
दरवाजा रख सकते हैं। बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड टैंक को दिखाए अनुसार उत्तर व पूर्व की पानी का टैंक
दीवारों से कम से कम 1 फीट दूर बनाएँ।
स्लैब का निर्माण
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं भी कर सकते रसोई/! Iws पपुलमा
हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण और पश्चिम की दीवारों के स्टोर
साथ ही बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर व पूर्व की दीवार के साथ न बनाएँ।
भवन
----
ITA
EL
भवन
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना
शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख Hw सकते हैं। ध्यान रहे कि यह मुख्य
दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना
चाहिए। N रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास + 05 भवन में फर्श का लेबल रोड से 1 फीट से +1 फीट
ऊपर नही होना चाहिए। फर्श का ढ़ाल
साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही w रखें। शेड द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का निकास करें, नार्थ-ईस्ट से
अंडरग्राउन्ड पाईप के द्वारा पानी कहीं से N
भी निकाल सकते हैं। टाँड/परछत्ति व अलमारी
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी कमरा Aw
कमरे की दक्षिण और पश्चिम की दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही
रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों। बॉलकनी/छज्जे का निर्माण
5 छज्जा / बॉ ल क नी
भवन के पूरे भाग में स्लैब
ही बनाएँ।
टॉयलेट का निर्माण टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो।
टॉयलेट
N
UICID on za
प्लॉट में कम निर्माण के लिए
प्रथम चयन निर्माण दक्षिण से उत्तर तक पूरे भाग में करें। यह TIAW सर्वश्रेष्ठ है।
निर्माण].
खुला स्थान
RCC
दीवार
दीवार
1002
छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण द्वितीय चयन
छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें। यह निर्माण दक्षिण और पश्चिम की दीवार पर ही करें। किसी भी दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए। पूर्व और उत्तर की तरफ खाली जगह छोड़ें। इस तरह से निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि
स्लैब इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
388883.RCC
Albi
दीवार
दीवार
N
,
बोरिंग नार्थ-ईस्ट में ही रखें। सेप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व के मध्य में ही बनाएँ। कमरे, रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण दक्षिण या पश्चिम की दीवार के साथ करें। बोरिंग व सेप्टिक टैंक भवन/बेडरूम से बाहर बना सकते हैं, इससे आंशिक दोष रहेंगे।
पश्चिम फेसिंग प्लॉट सिर्फ ऊपर की
कमरों का आकार _w मुख्य द्वार
W मंजिलों पर जाने के
उत्तर , पूर्व व नार्थ-ईस्ट में कमरा
कमरों का आकार दक्षिण , लिए दरवाजा नीच . दक्षिण और पश्मिच की दीवारों की स्थान पर होने पर भी
पश्चिम व साउथ-वेस्ट के मोटाई अधिक या सीढ़ी की वजह से
|कमरा कमरों से छोटा होना चाहिए। बराबर रखें। दोष नहीं लगेगा।
दरवाजों का स्थान उत्तर और पूर्व की दीवारों की मोटाई कम या
कमरा/रसोई/| बराबर रखें। ग्राउन्ड फ्लोर के | स्टोर/मंदिर/ |N दरवाजे चित्र में दिखाई गई
टॉयलेट इत्यादि। लिए मुख्य द्वार उच्च
। दिशाओं में ही रखें। स्थान पर ही रखें।
बोरिंग सेप्टिक टैंक z
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W DIMA
देखें www.dwarkadheeshvatu.com
मंदिर का स्थान
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए। IN गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर
रखें।
भवन
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(16) बेसमेंट का निर्माण अतिआवश्यक
पश्चिम फेसिंग भवन में बेसमेंट बनाना जरूरी है।
बेसमेंट भवन के पूरे भाग या कम से कम 1/6वें IN
भाग नार्थ-ईस्ट कोने में बनाना अति आवश्यक है। किन्तु ध्यान रहे भवन के पूरे भाग में बेसमेंट होने पर उत्तर/पूर्व में सड़क/खुला स्थान होने
पर भी दरवाजा नहीं होना चाहिए। दक्षिण में बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड - पानी का टैंक
७ दरवाजा बना सकते हैं। बेसमेंट/ अन्डरग्राउन्ड टैंक को दिखाए अनुसार उत्तर व पूर्व की दीवारों से कम से कम 1 फीट दूर बनाएँ।
कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल रैलिंग)
E||
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़ढ़ा नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
टॉयलेट का निर्माण शीट| टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं।
किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि 'मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो।
10000000
टॉयलेट
दक्षिण और पश्चिम की.
उत्तर और पूर्व की
W कम्पाउन्ड वॉल/
कम्पाउन्ड वॉल/ पैराफिट वॉल की
पैराफिट वॉल की उँचाई व मोटाई अधिक s
N ऊँचाई व मोटाई कम रखें। इन दीवारों पर
रखें और इन दीवारों काँच के टुकड़े या तार
पर काँच के टुकड़े या इत्यादि लगा सकते हैं।
EL
-तार न लगाएँ। छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन W छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/ वजन या
अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह में ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से
कम से कम 3 फीट दूर हो। डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
टाँड/परछत्ति व अलमारी
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी Sa कमरा
JN कमरे की दक्षिण और पश्चिम की
दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही रखना चाहिए। यह कोनों से दूर
हों। बॉलकनी/छज्जे का निर्माण
Wछज्जा/बॉलकनी RCC
नी भवन के पूरे भाग में स्लैब
ही बनाएँ। छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें । यह किसी भी दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए।
दीवार
दीवार
VAभवन
शेड् द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
200000028888888
00000000RROR स्लैब
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड् द्वारा
दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे EN
कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए।
दीवार
दीवार
दीवार
भवन
भवन/बेडरूम में कम निर्माण के लिए
w
+0
प्रथम चयन - खुला | निर्माण पश्चिम से पूर्व तक पूरे भाग में
स्थान |N करें। यह सर्वश्रेष्ठ है।
निर्माण
5
रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास W
- भवन में फर्श का लेबल रोड से 1 फीट से ऊपर +1 फीट
नही होना चाहिए। फर्श का ढाल साउथ-वेस्ट से भवन
नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें। शेड द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का निकास करें, नार्थ-ईस्ट से अंडरग्राउन्ड पाईप के द्वारा पानी कहीं से भी निकाल सकते हैं।
स्लैब का निर्माण रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं भी कर
सकते हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण और पश्चिम की रसोई/ स्टोर दीवारों के साथ ही बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर
व पूर्व की दीवार के साथ न बनाएँ।
Sm
द्वितीय चयन निर्माण दक्षिण और पश्चिम की दीवार पर ही करें। उत्तर और पूर्व की तरफ खाली जगह छोड़ें। इस तरह से निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
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संगीत व वास्तु पुस्तक ( PDF ) मुफ्त डाउनलोड करें विदिशा प्लॉट
सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के
लिए दरवाजा नीच स्थान पर होने पर भी सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
सेप्टिक
बोरिंग पूर्व में ही रखें। सेप्टिक टैंक टैंक उत्तर में ही बनाएँ। कमरे, रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण नार्थ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवारों से कम 3 फीट दूर करें। नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन में बेसमेंट का निर्माण नहीं होना चाहिए, बेसमेंट अशुभ है।
नार्थ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल / पैराफिट वॉल की N
ऊँचाई व मोटाई कम रखें
और इस दीवार पर काँच के टुकड़े या तार न लगाएँ ।
WI
N
W
छत
भवन
भवन
+0
नार्थ-वेस्ट JE साउथ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल / पैराफिट वॉल की ऊँचाई व मोटाई एक समान ही होनी चाहिए ।
S
साउथ-वेस्ट की कम्पाउन्ड वॉल / पैराफिट वॉल की उँचाई व मोटाई अधिक रखें। इस दीवार पर काँच के टुकड़े या तार इत्यादि लगा सकते हैं। छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक / वजन
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य N द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
N
W
कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल (रैलिंग)
+2
फीट
भवन
B
W
17
नार्थ-ईस्ट फेसिंग प्लॉट
मुख्य द्वार
's
नार्थ-ईस्ट की दीवार की मोटाई कम रखें।
सीढ़ी
नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट की दीवार की मोटाई एक समान रखें।
साउथ-वेस्ट की दीवार की मोटाई अधिक रखें।
बोरिंग
रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास
E
S
छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक / वजन या IE अन्य कोई भी निर्माण नं० 1 में दिखाई गई जगह में ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं० 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर हो
S
I
डूप्लेक्स हाउस / मेजानाईन फ्लोर
|E शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए ।
S
शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान
TE शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान बिना शेड् द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए ।
wl
व W
भवन में फर्श का लेबल रोड से कम से कम 2 फीट ऊँचा रखें। भवन में शेड द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का निकास करें।
N
W
N
N
N
W
N
W
N
W
कमरा
SW
कमरा
कमरा / रसोई / स्टोर / मंदिर / टॉयलेट इत्यादि
भवन
VE
देखें www.dwarkadheeshvatu.com
ब्रह्मस्थान
रसोई / स्टोर
स्लैब
AS
टॉयलेट शीट
कमरा
कमरों का आकार
E
S
दरवाजों का स्थान
RCC स्लैब
नार्थ-ईस्ट के कमरों का आकार साउथ-वेस्ट के कमरों से छोटा होना चाहिए ।
दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं
में ही रखें।
मंदिर का स्थान
E
भवन / बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए गए स्थान / दिशाओं में ही मंदिर रखें ।
S
ब्रह्मस्थान
E ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़ढ़ा नहीं होना चाहिए । यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
S
स्लैब का निर्माण
टॉयलेट का निर्माण
E
E
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को साउथ-वेस्ट की दीवार के साथ ही बनाएँ। किसी भी हाल में नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवार पर नहीं ।
S
टाँड / परछत्ति व अलमारी
टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो ।
टीवार
1E टाँड / परछत्ति, अलमारी या भारी सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी कमरे की साउथ-वेस्ट की दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही Is रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों ।
बॉलकनी/छज्जे का निर्माण
बॉलकनी NE
स्तम्भ
छज्जा / बॉलकनी भवन के पूरे भाग में ही बनाएँ। इसका भार किसी स्तम्भ या दीवार पर ही रहना चाहिए ।
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N
निर्माण
दीवार
wll
__
w
| दीवार
| दीवार
| दीवार
स्लब
सेप्टिका
टैंक
NLA
| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें
(18)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com प्रथम चयन प्लॉट में कम निर्माण के लिए,
निर्माण प्लॉट के मध्य में ही करें। छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण
द्वितीय चयन नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में खुला नार्थ-वेस्ट व 0
छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल साउथ-ईस्ट स्थान एक बराबर होना चाहिए।
एक समान ही रखें। यह किसी भी में खुला स्थान डॉटेड लाईन द्वारा दिखाए अनुसार
दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए। एक बराबर
ढ़ाई फीट ऊँची दीवार बनाकर पीछे होना चाहिए।
के भाग को अलग कर दें। इस तरह
से निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें निर्माण नार्थ-ईस्ट से साउथ-वेस्ट क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति
RCC तक पूरे भाग में करें। यह सर्वश्रेष्ठ है।
नहीं मिलेगी।
साउथ-ईस्ट फेसिंग प्लॉट सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए दरवाजा नीच स्थान पर होने पर
कमरों का आकार भी सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
E| कमरा
साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट के कमरों ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य E
का आकार एक दूसरे के बराबर ही द्वार उच्च स्थान पर ही रखें। Aioबोरिंग
होना चाहिए। I N कमरा w
दरवाजों का स्थान L_नार्थ-ईस्ट की दीवार बोरिंग व सेप्टिक टैंक पूर्व में ही बनाएँ।
की मोटाई कम रखें। कमरे, रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में
सीढ़ी कहीं भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण
कमरा/रसोई/| दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं में
नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट की दीवार के साथ, की दीवार की मोटाई एक
स्टोर/मंदिर/ ही रखें। साउथ-ईस्ट की दीवार से न सटते हुए
समान रखें।
टॉयलेट इत्यादि करें। साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन में साउथ-वेस्ट की दीवार ।
Jw बेसमेंट का निर्माण नहीं होना चाहिए,
की मोटाई अधिक रखें।
मंदिर का स्थान बेसमेंट अशुभ है। N
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल(रेलिंग)
भवन
गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर नार्थ-ईस्ट की कम्पाउन्ड
E s साउथ-वेस्ट की
रखें। वॉल/ पैराफिट वॉल की
कम्पाउन्ड वॉल/ पैराफिट N ऊँचाई व मोटाई कम रखें-- वॉल की उँचाई व मोटाई
ब्रह्मस्थान और इस दीवार पर काँच अधिक रखें। इस दीवार
ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़ढ़ा के टुकड़े या तार न
पर काँच के टुकड़े या तार
ब्रह्मस्थान
नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक लगाएँ। N / W इत्यादि लगा सकते हैं।
टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल की है
परिवार का नाश होता है। ऊँचाई व मोटाई एक समान ही होनी चाहिए।
रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
E +
0S छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन या
- भवन में फर्श का लेबल रोड से अधिक
+9 इंच 5 अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह
से अधिक 9 इंच ऊँचा रखें। भवन में में ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि
शेड द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की
का निकास करें। , तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से
W कम से कम 3 फीट दूर हो।
स्लैब का निर्माण डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
IS रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं भी
कर सकते हैं किन्तु स्लैब को साउथ वेस्ट
रसोई/ s शेड् द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक
की दीवार के साथ ही बनाएँ। किसी भी मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि भवन ।
हाल में नार्थ ईस्ट, साउथ-ईस्ट व बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की
-W नार्थ वेस्ट की दीवार पर नहीं। अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
टॉयलेट का निर्माण शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
| टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड़ द्वारा
किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि भवन त दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि
मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना
सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो। Ew चाहिए।
w
IV भवन |
VI
NAV
!
ब
स्लै
|
टॉयलेट
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दीवार
दीवार
दीवार
| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (19)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com| टाँड/परछत्ति व अलमारी
छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण IS टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी सामान जैसे
RCC स्लैब छत की आर.सी.सी. सोफा इत्यादि किसी भी कमरे की साउथ-वेस्ट
स्लैब का तल एक कमरा की दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही
समान ही रखें। यह An रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों।
किसी भी दिशा में झुकी
नहीं होनी चाहिए। प्लॉट में कम निर्माण के लिए प्रथम चयन द्वितीय चयन
बॉलकनी/छज्जे का निर्माण र निर्माण साउथ-वेस्ट की छज्जा/बॉलकनी भवन के पूरे भाग में ही बनाएँ।
साउथ-ईस्ट या नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन में नार्थ-ईस्ट में खुला स्थान बॉलकनी/छज्जा दोनो तरफ एक समान लम्बाई, चौड़ाई
छोड़ें। डॉटेड लाईन द्वारा व भार का बनाएँ या किसी भी तरफ इसका निर्माण न करें। स्थान
दीवार दिखाए अनुसार ढाई फीट किसी भी एक तरफ इसका निर्माण वर्जित है। KLIAw
wऊँची दीवार बनाकर पीछे निर्माण नार्थ वेस्ट से
NW
NW साउथ-ईस्ट तक पूरे के भाग को अलग कर दें। इस तरह से निर्माण भाग में करें। यह अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी
बॉलकनी
RCC
बॉलकनी सर्वश्रेष्ठ है।
तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
पनमाण
खुला
NL
SEN
SE
RCC
दीवार
| दीवार
दीवार
स्लैब
स्लैब Hw
साउथ-वेस्ट फेसिंग प्लॉट ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य,
SW द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
7w छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/ बोरिंग को पूर्व में बनाएँ। सेप्टिक टैंक
वजन या अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 उत्तर में ही बनाएँ। कमरे, रसोई,
साउथ-वेस्ट की दीवार की मोटाई अधिक रखें।
में दिखाई गई जगह में ही करें। टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं भी बना
निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि नार्थ-वेस्ट और सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण साउथ-वेस्ट
E साउथ-ईस्ट की दीवार
छत__N प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए की दीवार के साथ, साउथ-ईस्ट व की मोटाई एक समान रखें।
नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम नार्थ-वेस्ट की दीवार न सटते हुए करें।
नार्थ-ईस्ट की दीवार
से कम 3 फीट दूर हो। बोरिंग व सेप्टिक टैंक घर से बाहर
की मोटाई कम रखें। बना सकते हैं, इससे आंशिक दोष
बोरिंग -
स्लैब का निर्माण रहेंगे।
सेप्टिक टैंक N
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं
भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल(रैलिंग)
रसोई/
साउथ-वेस्ट की दीवार के साथ ही नार्थ-वेस्ट व .
स्टोर साउथ-वेस्ट की
बनाएँ। किसी भी हाल में नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट की
साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवार कम्पाउन्ड वॉल/ पैराफिट E कम्पाउन्ड वॉल/
पर नहीं। वॉल की उँचाई व मोटाई पैराफिट वॉल की. अधिक रखें। इस दीवार पर
कमरों का आकार ऊँचाई व मोटाई एक
काँच के टुकड़े या तार समान ही होनी
साउथ-वेस्ट के कमरों का आकार N इत्यादि लगा सकते हैं। चाहिए।
नार्थ-ईस्ट के कमरों से बड़ा होना
चाहिए। नार्थ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल की ऊँचाई व मोटाई कम | कमरा IN रखें और इस दीवार पर काँच के टुकड़े या तार न लगाएँ।
दरवाजों का स्थान बेसमेंट का निर्माण अतिआवश्यक
SV- 7W
कमरा/रसोई/ 7W साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन में बेसमेंट बनाना
दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं में
स्टोर/मंदिर/ जरूरी है। बेसमेंट भवन के परे भाग या कम से टॉयलेट इत्यादि
ही रखें। कम 1/6वें नार्थ-ईस्ट भाग में बनाना अति | F------
आवश्यक है। किन्तु ध्यान रहे भवन के पूरे भाग ER में बेसमेंट होने पर साउथ-ईस्ट/नार्थ-वेस्ट
___टॉयलेट का निर्माण | बेसमेंट/ अन्डरग्राउन्ड /नार्थ-ईस्ट में सड़क/खुला स्थान होने पर भी
, I] |W टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं | पानी का टैंक
( किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि दरवाजा नहीं होना चाहिए। बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड टैंक को दिखाए
मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख अनुसार उत्तर व पूर्व की दीवारों से कम से कम 1 फीट दूर बनाएँ।
टॉयलेट सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो।
7W
कमरा
KN
E
UN
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________________
ब्रह्मस्थान
N
भवन
दीवार
दीवार
388888888888883LRCC
दीवार
दीवार
दीवार
संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (20)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com टाँड/परछत्ति व अलमारी
मंदिर का स्थान W टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी सामान जैसे A
W
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए सोफा इत्यादि किसी भी कमरे की साउथ-वेस्ट
गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर
भवन कमरा की दीवारों पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही
रखें। रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों। डूप्लेक्स हाउस/ मेजानाईन फ्लोर
ब्रह्मस्थान
W ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़ढ़ा W शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक
नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि
टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे भवन बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की
परिवार का नाश होता है। अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
बॉलकनी/छज्जे का निर्माण शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
NE
SW aw शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड़ द्वारा
छज्जा/ बॉलकनी दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि
भवन के पूरे भाग में ही बॉलकनी
RCC यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना
स्लैब
बनाएँ। EN चाहिए। रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास
छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण भवन में फर्श का लेबल रोड से 1 फीट से ऊँचा
छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें। यह +1 फीट नही होना चाहिए। फर्श का ढ़ाल साउथ-वेस्ट से
किसी भी दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए। नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें। शेड द्वारा दिखाए भवन गए भाग से ही पानी का निकास करें, नार्थ-ईस्ट
स्लैब से अंडरग्राउन्ड पाईप के द्वारा पानी कहीं से भी N निकाल सकते हैं।
प्लॉट में कम निर्माण के लिए प्रथम चयन
द्वितीय चयन नि म IS
नार्थ-वेस्ट व SH
निर्माण प्लॉट के मध्य ही करें। नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में साउथ वेस्ट से
खुला स्थान एक बराबर होना चाहिए। इस तरह से निर्माण नार्थ-ईस्ट
साउथ-ईस्ट
>में खुला स्थान तक पूरे भाग में
अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं LVA
मिलेगी। इस तरह से निर्माण अस्थाई तौर पर ही करें कर ना
एक बराबर ही
क्योंकि इससे पूरी तरह से प्रगति नहीं मिलेगी। सर्वश्रेष्ठ है।
होना चाहिए।
नार्थ-वेस्ट फेसिंग प्लॉट सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास के लिए दरवाजा नीच स्थान पर द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
W +0 N होने पर भी सीढ़ी की वजह से दोष
भवन में फर्श का लेबल रोड से अधिक
+9 इंच नहीं लगेगा।
से अधिक +9 इंच ऊँचा रखें। भवन में बोरिंग
भवन
शेड द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी बोरिंग व सेप्टिक टैंक उत्तर में ही
का निकास करें। बनाएँ। कमरे, रसोई, टॉयलेट इत्यादि
नार्थ ईस्ट की दीवार की मोटाई कम रखें।
स्लैब का निर्माण भवन में कहीं भी बना सकते हैं। सीढ़ी सीढ़ी
IN रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं का निर्माण साउथ-वेस्ट की दीवार के नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट
भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण साथ नार्थ-वेस्ट की दीवार से न सटते की दीवार की मोटाई एक
रसोई/
समान रखें। हुए करें। नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन में
स्टोर
और पश्चिम की दीवारों के साथ ही
बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर व पूर्व की बेसमेंट का निर्माण नहीं होना चाहिए, साउथ-वेस्ट की दीवार || की मोटाई अधिक रखें।
|E दीवार के साथ न बनाएँ। बेसमेंट अशुभ है।
दरवाजों का स्थान कमरों का आकार M कमरा | नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट के कमरों का आकार
दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं में
स्टोर/मंदिर/ एक दूसरे के बराबर ही होना चाहिए।
ही रखें। टॉयलेट इत्यादि
VA
FVE
+ सेप्टिक टैंक
कामा
-VIN
N
का कमरा IE
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| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें
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टॉयलेट का निर्माण
W
टॉयलेट
कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल रैलिंग) नार्थ-ईस्ट की है
N साउथ-वस्ट का
साउथ-वेस्ट की कम्पाउन्ड वॉल/
कम्पाउन्ड वॉल/ पैराफिट वॉल की
पैराफिट वॉल की उँचाई ऊँचाई व मोटाई कम
व मोटाई अधिक रखें। रखें और इस दीवार पर
इस दीवार पर काँच के काँच के टुकड़े या तार
। टुकड़े या तार इत्यादि नलगाएँ।
लगा सकते हैं।
N टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते हैं। किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो।
E
मंदिर का स्थान
IN
नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल की ऊँचाई व मोटाई एक समान ही होनी चाहिए।
भवन
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर रखें।
छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
W
छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/ वजन या 7N अन्य कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह में
ही करें। निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर हो।
टाँड/परछत्ति व अलमारी
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी कमरा कमरे की साउथ-वेस्ट की दीवारों पर
शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही E रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों।
डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
ब्रह्मस्थान
WN
भवना
IN शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक
मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि
बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की IF अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
IN ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़ढ़ा ब्रह्मस्थान नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक
टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे
परिवार का नाश होता है। __E
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
छत की आर.सी.सी. स्लैब का निर्माण
भवन
ON शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड् द्वारा
दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे त
कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर HE होना चाहिए।
छत की आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रखें। यह किसी भी दिशा में झुकी नहीं होनी चाहिए।
दीवार
दीवार
दीवार
प्लॉट में कम निर्माण के लिए
बॉलकनी/छज्जे का निर्माण
प्रथम चयन WN द्वितीय चयन
छज्जा/बॉलकनी भवन के पूरे भाग में ही बनाएँ। W
। निर्माण साउथ-वेस्ट की साउथ-ईस्ट या नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन में
दीवार के साथ ही करें। बॉलकनी/छज्जा दोनो तरफ एक समान लम्बाई, चौड़ाई खुला
नार्थ-ईस्ट में खुला स्थान व भार का बनाएँ या किसी भी तरफ इसका निर्माण न करें। स्थान
छोड़ें। डॉटेड लाईन द्वारा किसी भी एक तरफ इसका निर्माण वर्जित है।
दिखाए अनुसार ढ़ाई फीट निर्माण नार्थ-वेस्ट से 5
E ऊँची दीवार बनाकर पीछे SE SE NW SE
NW साउथ-ईस्ट तक पूरे के भाग को अलग कर दें। इस तरह से निर्माण भाग में करें। यह अस्थाई तौर पर ही करें क्योंकि इससे पूरी
बॉलकनी
बॉलकनी सर्वश्रेष्ठ है।
तरह से प्रगति नहीं मिलेगी।
दीवार
RCC
दीवार
दीवार
स्लब
| दीवार
स्लैब
| दीवार
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कम्पाउन्ड वॉल में दोष होने पर इसके गंभीर प्रभाव होते हैं।
दिशा प्लॉट
1. उत्तर और पूर्व की
दीवार
पर
कम्पाउन्ड
वॉल
की मोटाई व ऊँचाई कम रखें ।
2. दक्षिण और पश्चिम
की दीवार पर
मोटाई व ऊँचाई ज्यादा रखें ।
W
दिशा प्लॉट
E
S
N
22
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नीचे दिए गए नियमों को ध्यान में रखकर ही इसका निर्माण करें । कम्पाउन्ड वॉल के निर्माण
3 फिट
साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है।
N
Ε
S
3. फर्श का ढ़ाल साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें 4. फर्श का ढ़ाल बनाने के बाद यह ध्यान रखें कि इसके ऊपर दक्षिण और पश्चिम की कम्पाउन्ड वॉल की ऊँचाई, उत्तर और पूर्व की कम्पाउन्ड वॉल से अधिक होनी चाहिए । 5. कम्पाउन्ड वॉल की माप फर्श के तल से ही करें। 6. उत्तर व पूर्व की दीवार पर तार या काँच के टुकड़े न लगाएँ क्योंकि इससे उत्तर व पूर्व की ओर से आनी वाली उर्जा के लिए यह काँटे का कार्य करते हैं, जोकि शुभ नहीं है ।
कम्पाउन्ड वॉल 1. नार्थ-ईस्ट में कम्पाउन्ड वॉल की मोटाई व ऊँचाई कम रखें ।
3.5 Feet
3.5
फिट
3.5%
W
विदिशा प्लॉट
2. साउथ-वेस्ट में मोटाई व ऊँचाई ज्यादा रखें ।
और 3. साउथ-ईस्ट नार्थ-वेस्ट में कम्पाउन्ड
वॉल की ऊँचाई व मोटाई E 3 ] फिट एक समान ही होनी चाहिए।
फर्श का ढ़ाल बनाने के बाद यह ध्यान रखें कि इसके ऊपर साउथ-वेस्ट की कम्पाउन्ड वॉल की ऊँचाई, नार्थ-ईस्ट की कम्पाउन्ड वॉल से अधिक होनी चाहिए ।
7. कम्पाउन्ड वॉल की माप फर्श के तल से ही करें।
8. नार्थ-ईस्ट की दीवार पर तार या काँच के टुकड़े न लगाएँ । क्योंकि इससे उत्तर व पूर्व की ओर से आनी वाली उर्जा के लिए यह काँटे का कार्य करते हैं, जोकि शुभ नहीं है ।
कम्पाउन्ड वॉल के
अंदर निर्माण के प्रभाव
नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व
उत्तर में धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान कम् व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा ।
पूर्व में पुरुषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिकअशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट केस, प्रशासनिक -समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है ।
साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े,' मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
S
4. दक्षिण कोने से पूर्व कोने और पश्चिम कोने से उत्तर कोने तक कम्पाउन्ड वॉल को चित्र में दिखाए अनुसार ढालयुक्त बनाएँ ।
5.
फर्श का ढ़ाल साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें ।
6.
WV
पश्चिम में घर का मुखिया व पुरूष संतान घर से बाहर रहेंगे ।
कम्पाउन्ड वॉल
3.5 फिट
N
3.2 फिट
N
W
विदिशा प्लॉट
E
दक्षिण में महिला व स्त्री स ंतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी।
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संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (23) देखें www. dwarkadheeshvatu.com
बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक घर के अंदर होने पर बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक गंभीर व घर के बाहर होने पर आंशिक प्रभाव होते हैं।
दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट
ततीय चयन इस भाग में कहीं भी बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बना सकते हैं।
प्रथम चयन इस भाग में कहीं भी बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना सर्वश्रेष्ठ है।
N
33
15
नार्थ-वेस्ट
उत्तरनार्थ-ईस्ट,
3 उत्तर
नार्थ-ईस्ट
--
-
---
------
-
wil
__ पश्चिम
ब्रह्मस्थान
नार्थ-वेस्ट । ब्रह्मस्थान
साउथ-ईस्ट
द्वितीय चयन इस भाग में कहीं भी बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बना सकते
साउथ-वेस्ट दक्षिण
साउथ-ईस्ट
पश्चिम
साउथ-वेस्ट
दक्षिण
W
| शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में बोरिंग व अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक के प्रभाव दिशा प्लॉट वेस्ट-नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति,
विदिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी,
दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व महिलाएं बीमार, स्वभाव
सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम
रहेंगे। होगा।
ब्रह्मस्थान में घर का मखिया, पहली -संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
उत्तर : नार्थ-ईस्ट|
पूर्व
नार्थ-वेस्ट। उत्तर //नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान
--बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल
जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। पश्चिम । ब्रह्मस्थान के पूर्व उE
नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
साउथ-वेस्त दक्षिण साउथ-ईस्ट
पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण
-साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
W
दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, 'मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी।
ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
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दरवाजे दरवाजों की गलत स्थिति होने पर आंशिक प्रभाव होते हैं।
दिशा प्लॉट
शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह
नार्थ-वेस्ट
W पश्चिम
W
साउथ-वेस्ट
नार्थ-वेस्ट
24
देखें www.dwarkadheeshvatu.com मुख्य द्वार गलत दिशा में होने पर गंभीर प्रभाव होते हैं। कमरे, रसोई, बाथरूम, स्टोर इत्यादि में
VTHIUUUN
पश्चिम
साउथ-वेस्ट
N
उत्तर नार्थ-ईस्ट
दिशा प्लॉट
नार्थ-वेस्ट में धन की कमी, महिलाएं बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम
होगा ।
ब्रह्मस्थान पूर्व E
दक्षिण साउथ-ईस्ट
S
N
उत्तर
दक्षिण
ब्रह्मस्थान पूर्व
नार्थ-ईस्ट
दिखाई गई दिशाओं में ही
साउथ-ईस्ट
मुख्य द्वार, बेडरूम, रसोई, बाथरूम, स्टोर इत्यादि के दरवाजे बनाएँ ।
शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में दरवाजे के प्रभाव
ईस्ट - साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
E
पश्चिम में घर के मुखिया व -पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
N
साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया व पहली संतान - बीमार, बुरी आदतें व घर से बाहर रहना संभव है ।
N
उत्तर नार्थ-ईस्ट
विदिशा प्लॉट
नार्थ-नार्थवेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
ईस्ट-साउथईस्ट में महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
W
विदिशा प्लॉट
नार्थ-वेस्ट
पश्चिम
W
ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
साउथ-वेस्ट दक्षिण
उत्तर नार्थ-ईस्ट
पश्चिम
. दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव, चिड़चिड़ा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
पूर्वः
नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान
पूर्व
S
साउथ-ईस्ट
साउथ-वेस्ट दक्षिण
VED
S
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छत
__N
N
मुमटी
N
भवन सीढ़ी
छत
N
सड़क
द्वारा
द्वार
भवन IE WI
| छत IE
भवन
| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें
देखें www.dwarkadheeshvatu.com अक्सर हम मुख्य द्वार उच्च स्थान में बनाते हैं किन्तु सीढ़ी और मुमटी भी
इसी स्थान पर बना देते हैं। इससे मुख्य द्वार के अच्छे प्रभाव नहीं प्राप्त होते हैं बल्कि सीढ़ी और मुमटी के अशुभ प्रभाव लागू होते हैं। मुमटी के ऊपर पानी की टंकी या कोई वजन होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाते हैं। दिशा प्लॉट
उत्तर फेसिंग भवन सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
___ N
N भवन के उत्तर में सड़क है। मुख्य द्वार नार्थ-नार्थईस्ट में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी
सड़क मुख्य द्वार
सड़क और मुमटी का निर्माण भी इसी कोने में है। इससे मुख्य द्वार के अच्छे प्रभाव प्राप्त नहीं होगें बल्कि सीढ़ी और मुमटी बनने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे घर के मुखिया, कमाने वाले पुरूष सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन व
VI भवन । VE W
सीढ़ी मान-सम्मान में कमी, पहली और चौथी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेगी। दोष का समाधान नं0 1 सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे नार्थ-ईस्ट कोने से नहीं सटते हुए बनाएँ। सड़क मुख्य द्वार
सड़क सीढ़ी व मुमटी नार्थ-ईस्ट कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा। यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो जाएगा। सीढ़ी की लैन्डिंग और मुमटी का निर्माण किसी भी हाल में नार्थ-ईस्ट कोने से नहीं सटना चाहिए। मुमटी की छत हल्की से हल्की सामग्री से ही बनाएँ व इसकी ऊँचाई कम से कम रखें और इस पर कोई भी सामान नहीं रखें। दोष का समाधान नं0 2 ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान
कम्पाउन्ड वॉल पर ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को पश्चिम की सड़क मुख्य द्वार
और ग्राउन्ड फ्लोर सड़क मुख्य द्वार दीवार के साथ बनाएँ। यह उत्तर की दीवार से
के लिए मुख्य द्वार खुला स्थान । कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी
उच्च स्थान में ही कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक WWE
रखें। सीढ़ी के लिए WE दूर हो तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों
|सीढ़ी
भवन के अन्दर से पर जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान
भी दरवाजा बना पर दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा।
S
सकते हैं। F--------------------------------------- पूर्व फेसिंग भवन
E सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
मुख्य द्वार सड़क
सड़क भवन के पूर्व में सड़क है। मुख्य द्वार नार्थ-नार्थईस्ट में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इसी कोने में है। इससे दोष के प्रभाव अधिक गम्भीर हो जाएँगे। इससे घर के मुखिया, कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न NV SN होना, धन व मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
W
W. दोष का समाधान नं0 1 सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे नार्थ-ईस्ट कोने से नहीं सटते हुए बनाएँ। मुख्य द्वार सड़क सीढ़ी व मुमटी नार्थ-ईस्ट कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो
मुमटी जाएगा। सीढ़ी की लैन्डिंग व मुमटी का निर्माण किसी भी हाल में नार्थ-ईस्ट कोने से
S N नहीं सटनी चाहिए। मुमटी की छत हल्की से हल्की सामग्री से ही कवर करें व इसकी ऊँचाई कम से कम रखें और इस पर कोई भी सामान नहीं रखें। दोष का समाधान नं0 2 W
W ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर E
E ही रखें। सीढी व मुमटी को पश्चिम की दीवार मुख्य द्वार सड़क
कम्पाउन्ड वॉल और . के साथ बनाएँ। यह पूर्व की दीवार से कम से
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार सड़क कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी कम हो
मुख्य द्वार उच्च स्थान जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो I
भवन
में ही रखें। सीढ़ी के
IS N तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों पर
लिए भवन के अन्दर
भवन जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान पर
से भी दरवाजा बना दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा।
W
W सकते हैं।
W
सीढ़ी
S
मुमटा
छत
छत /
भवन
सड़क
सीढ़ी भवन /
छत
सड़क
द्वार
सीढ़ी
छत
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26
दक्षिण फेसिंग भवन
सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
भवन के दक्षिण में सड़क है। मुख्य द्वार साउथ - साउथईस्ट में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से दोष के प्रभाव गम्भीर होंगे। इससे महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
दोष का समाधान नं० 1
सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे साउथ-ईस्ट कोने से न सटते हुए बनाएँ । सीढ़ी व मुमटी पूर्व की दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष नहीं लगेगा ।
दोष का समाधान नं० 2
S
S
मुख्य द्वार सड़क
सड़क
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को पश्चिम की दीवार के साथ बनाएँ। यह दक्षिण की दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक E दूर हो तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान पर दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा ।
भवन
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को दक्षिण की दीवार के साथ बनाएँ । यह पश्चिम की दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान पर दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा ।
S
N
द्वार
द्वार
सीढ़ी
सीढी
पश्चिम फेसिंग भवन
WE
सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
भवन के पश्चिम में सड़क है। मुख्य द्वार वेस्ट - नार्थवेस्ट में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव गम्भीर होंगे। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
छत
दोष का समाधान नं० 1
सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे नार्थ-वेस्ट कोने से न सटते हुए बनाएँ । सीढ़ी व मुमटी उत्तर की दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष नहीं लगेगा ।
W
सड़क मुख्य द्वार
भवन
E
N
मुमटी
(टंकी
मुमटी
(टंकी IN S
W
छत
E
दोष का समाधान नं० 2
W
सड़क
देखें www.dwarkadheeshvatu.com
N
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मुख्य द्वार सड़क
E
N
S
मुख्य द्वार सड़क
E सीढी
सीटी भवन
S
S
N
कम्पाउन्ड वॉल और ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्चस्थान में ही रखें । सीढ़ी के लिए भवन E के अन्दर से भी दरवाजा बना सकते
हैं ।
सड़क
भवन
सडक
W
भवन
सीढ़ी
E
W
W
मुख्य द्वार
WE
N सीढी
भवन
मुख्य द्वार
E
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कम्पाउन्ड वॉल और ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान में ही रखें। सीढ़ी के S लिए भवन के अन्दर से भी दरवाजा बना सकते हैं।
S
सड़क
टंकी
मुमटी
छत
N
S
सडक
मुमटी टंकी,
छत
S
मुख्य द्वार सड़क
खुला स्थान
द्वार
सीढ़ी
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भवन
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W
सडक
छत
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सड़क
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मुमटी
मुमटी
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सड़क खुला स्थान
द्वार
E
भवन
W
मुख्य द्वार
W
W
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N
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विदिशा प्लॉट
पूर्व कोने में निर्माण के दोष :
भवन के नार्थ-ईस्ट में सड़क है। मुख्य द्वार पूर्व कोने में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव गम्भीर होंगे। इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
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नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन
उत्तर कोने में निर्माण का दोष :
भवन के नार्थ-ईस्ट में सड़क है। मुख्य द्वार उत्तर कोने में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी व मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव अधिक गम्भीर होंगे। इससे धन की कमी, महिलाएँ बीमार मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा व सख्त होगा ।
दोष का समाधान N
E N
सड़क
मुख्य द्वार
भवन
सीढी
भवन
ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को साउथ-वेस्ट की E दीवार के साथ बनाएँ। यह साउथ-ईस्ट की मुख्य द्वार सड़क दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान पर दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा ।
सड़क
सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
भवन के साउथ-ईस्ट में सड़क है। मुख्य द्वार पूर्व कोने में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव गम्भीर होंगे। इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
छत
दोष का समाधान नं० 1
सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे पूर्व कोने से नहीं सटते हुए बनाएँ । सीढ़ी व मुमटी पूर्व कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो जाएगा। सीढ़ी किसी भी दीवार से नहीं सटनी चाहिए और इसका वजन किसी भी दीवार पर नहीं आना चाहिए । संभव हो तो भूमि पर स्तम्भ बनाकर उस पर वजन रखें और छत से जोड़ दें । मुमटी किसी भी दीवार से नहीं सटनी चाहिए, इसकी छत हल्की से हल्की सामग्री से ही कवर करें व इसकी ऊँचाई कम से कम रखें और इस पर कोई भी सामान नहीं रखें ।
सीढी
दोष का समाधान नं० 2
S E
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ममटी
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सड़क
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com
मुमटी
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सीढ़ी किसी भी दीवार से नहीं सटनी चाहिए और इसका वजन किसी भी दीवार पर नहीं आना चाहिए। संभव हो तो भूमि पर स्तम्भ बनाकर उस पर वजन रखें और छत से जोड़ दें। सीढ़ी व मुमटी कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो जाएगा। मुमटी की छत हल्की से हल्की सामग्री से ही कवर करें व इसकी ऊँचाई कम से कम रखें और इस पर कोई भी सामान नहीं रखें ।
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साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन
सडक
W
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मुख्य द्वार सड़क
भवन
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E मुख्य द्वार
सीढी
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सीढी
सीढी
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मुख्य द्वार
E
मुख्य द्वार सड़क
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भवन
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सड़क
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सड़क
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सड़क
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मुमटी
मुमटी
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भवन
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सीढ़ी
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S
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खुला स्थान द्वार
E कम्पाउन्ड वॉल और मुख्य द्वार सड़क ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान में ही रखें। सीढ़ी के लिए भवन के अन्दर से भी दरवाजा बना W सकते हैं ।
N
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S
W
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com __ साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
s W s Wl मुख्यद्वार सड़क
सड़क भवन के साउथ-वेस्ट में सड़क है। मुख्य द्वार दक्षिण में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव गम्भीर होगे। इससे घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
EN EL
सीढ़ी भवन
छत
S W मुख्य द्वार सड़क
S
सड़क
दोष का समाधान नं0 1 सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे दक्षिण कोने से नहीं सटते हुए बनाएँ। सीढ़ी व मुमटी दक्षिण कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो जाएगा। सीढ़ी की लैन्डिंग किसी भी हाल में साउथ-ईस्ट की दीवार से नहीं सटनी चाहिए।
छत
भवन
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द्वार
भवन
छत
दोष का समाधान नं0 2 ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान
IME
IN कम्पाउन्ड वाल S पर ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को साउथ-वेस्ट -
और ग्राउन्ड फ्लोर मुख्य द्वार सड़क
मुख्य द्वार सड़क की दीवार के साथ बनाएँ। साउथ-ईस्ट व
सड़क के लिए मुख्य द्वार
खुला स्थान। नार्थ-वेस्ट की दीवार से कम से कम एक फीट
उच्च स्थान में ही
सीढ़ी दूर होने पर दोष काफी कम हो जाएगा, यदि
रखें। सीढ़ी के लिए तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष
सीढ़ी
भवन के अन्दर से नहीं लगेगा। ऊपर की मंजिलों पर जाने के
भी दरवाजा बना
भवन लिए सीढ़ी की वजह से नीच स्थान पर E
___ N
__IN सकते हैं। दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा।
नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन । सीढ़ी व मुमटी के निर्माण का दोष
सड़क मुख्य द्वार
सड़क भवन के नार्थ-वेस्ट में सड़क है। मुख्य द्वार उत्तर में उच्च स्थान पर है। सीढ़ी और मुमटी का निर्माण भी इस कोने में होने से प्रभाव गम्भीर हो होंगे। इससे धन की कमी, महिलाएँ बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा व सख्त होगा।
छत
WN
W
मुमटा
भवन सीढ़ी
ES
W
W सड़क मुख्य द्वार
सड़क
दोष का समाधान नं0 1 सीढ़ी के दोष को दूर करने के लिए इसे उत्तर कोने से नहीं सटते हुए बनाएँ । सीढ़ी व मुमटी उत्तर कोने से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष का प्रभाव कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष काफी कम हो जाएगा। सीढ़ी की लैन्डिंग और वजन किसी भी दीवार और छत पर नहीं आना चाहिए, संभव हो तो भूमि पर स्तम्भ बनाकर उस पर वजन रखें और छत से जोड़ दें। मुमटी किसी भी दीवार से नहीं सटनी चाहिए, इसकी छत हल्की से हल्की सामग्री से ही कवर करें व इसकी ऊँचाई कम से कम रखें और इस पर कोई भी सामान नहीं रखें।
मुमटी
भवन सीढी
छत
SLE
SL
N
दोष का समाधान नं0 2 ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य द्वार उच्च स्थान पर w
N w ही रखें। सीढ़ी व मुमटी को साउथ-वेस्ट की
सड़क मुख्य द्वार सड़क मख्यादार
सड़क दीवार के साथ बनाएँ। यह नार्थ-वेस्ट की दीवार से कम से कम एक फीट दूर होने पर दोष काफी कम हो जाएगा, यदि तीन फीट या इससे अधिक दूर हो तो दोष नहीं लगेगा। ऊपर की । |सीढ़ी भवन मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ी की वजह से नीच , स्थान पर दरवाजा होने का दोष नहीं लगेगा।
कम्पाउन्ड वॉल W और ग्राउन्ड फ्लोर सड़क मुख्य द्वार के लिए मुख्य द्वार खुला स्थान उच्च स्थान में ही
द्वार रखें। सीढ़ी के लिए भवन के अन्दर से
भवन भी दरवाजा बना सीढ़ी सकते हैं। Sl
M
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भवन / बेडरूम में दरवाजों की चाल ( क्रम) के प्रभाव
भवन / बेडरूम में दरवाजों की चाल के शुभ व अशुभ परिणाम होते हैं । दरवाजों की चाल यदि भवन / बेडरूम के अंदर ही रूक जाती है तो इसके आंशिक प्रभाव लागू होते हैं किन्तु यदि दरवाजों की चाल भवन / बेडरूम में एक तरफ से शुरू हो कर दूसरी तरफ खुल जाती है तो इसके अत्यधिक गंभीर प्रभाव लागू होते हैं ।
दिशा प्लॉट
दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थ ईस्ट से साउथ- साउथईस्ट की तरफ होने पर पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, स्वस्थ, धन की प्राप्ति, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी। पहली व चौथी W संतान बेटी होने पर उसे विशेष लाभ मिलेगा। यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थईस्ट से साउथ- साउथईस्ट की तरफ खुल जाती है तो शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। साथ ही दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे भी लाभ मिलेगा।
कमरा
S
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थईस्ट से चलकर ईस्टसाउथईस्ट की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे ।
W
N
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थवेस्ट से साउथ- साउथवेस्ट की तरफ खुल जाती है W तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे ।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
S
दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थवेस्ट से साउथ- साउथवेस्ट की तरफ होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दिवालिया होना, कोर्ट-केस व प्रशासनिक समस्याएँ W रहेंगी । तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी ।
↓
+
+
+
-
N
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
S
उत्तर फेसिंग भवन / बेडरूम
शुभ प्रभाव
N
↓
N
कमरा
कमरा
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थईस्ट से चलकर साउथसाउथवेस्ट की तरफ W खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे ।
कमरा
कमरा
S
दरवाजों की चाल ईस्ट - नार्थईस्ट से वेस्ट - नार्थवेस्ट की तरफ होने पर पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, स्वस्थ, धन की प्राप्ति, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी। घर के मुखिया, पहली व चौथी संतान बेटा होने पर उसे विशेष लाभ मिलेगा। यदि दरवाजों की चाल ईस्ट - नार्थईस्ट से वेस्ट - नार्थवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे । साथ ही तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे भी लाभ मिलेगा।
कमरा
कमरा
E
N
कमरा
अशुभ प्रभाव
↓
↓
+
↓
E W
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थवेस्ट से वेस्ट - साउथवेस्ट E की तरफ खुल जाती W
है तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे ।
अत्यधिक अशुभ प्रभाव
कमरा
कमरा
कमरा
W
कमरा
↓
कमरा
कमरा
N
कमरा
N
कमरा
कमरा
S
SN
कमरा
कमरा
S
दरवाजों की चाल नार्थनार्थवेस्ट से साउथईस्ट की
तरफ होने पर नार्थ - W नार्थवेस्ट में मुख्य द्वार के अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे । यदि दरवाजों की
कमरा
S
पूर्व फेसिंग भवन / बेडरूम
शुभ प्रभाव
E
कमरा
N कमरा
कमरा
कमरा
E
JE
↓
कमरा
कमरा
E
कमरा
कमरा
W
दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थईस्ट से
साउथवेस्ट की तरफ होने पर W नार्थ-नार्थईस्ट में
मुख्य द्वार के शुभ प्रभावों में कमी आएगी।
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थईस्ट से चलकर वेस्टसाउथवेस्ट की तरफ wखुल जाती है तो अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे ।
S
N
↓
कमरा कमरा
कमरा
यदि दरवाजों की चाल नार्थ-नार्थवेस्ट से ईस्ट - साउथईस्ट E की तरफ खुल जाती W
है तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे ।
दरवाजों की चाल ईस्ट- नार्थईस्ट से साउथवेस्ट की तरफ होने पर ईस्ट - नार्थईस्ट में N
मुख्य द्वार के शुभ प्रभावों में कमी
आएगी।
कमरा
↓
+
कमरा
कमरा
S
चाल नार्थ-नार्थवेस्ट से साउथ - साउथईस्ट की तरफ खुल जाती है तो प्रभाव सामान्य रहेंगे ।
+
N
कमरा
कमरा
S
कमरा
N
कमरा
↓
↓
JEW ↓
कमरा
कमरा
S
कमरा
↓
कमरा
N
कमरा
↓ कमरा
कमरा
N
कमरा
कमरा
S
↓
कमरा ↓
E
+
कमरा
कमरा ↓ कमरा
↓
कमरा
W
日
E
E
S
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(30)
अशुभ प्रभाव यदि दरवाजों की
यदि दरवाजों की चाल ईस्ट-नार्थईस्ट ।
चाल ईस्ट-नार्थईस्ट । कमरा
कमरा से चलकर नार्थ
से चलकर वेस्टकमरा
कमरा नार्थवेस्ट की तरफ
साउथवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो
कमरा
खुल जाती है तो कमरा अशुभ प्रभाव प्राप्त कमरा अशुभ प्रभाव प्राप्त । कमरा होंगे।
होंगे।
1
यदि दरवाजों कीचाल ईस्ट-नार्थईस्ट ।।
कमरा से चलकर साउथ
कमरा साउथवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो । कमरा अशुभ प्रभाव प्राप्त कमरा होंगे।
W
w
W14
E
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
की घटनाएँ,
कमरा
दरवाजों की चाल ईस्ट-साउथईस्ट
E से वेस्ट-साउथवेस्ट की तरफ होने पर पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस व प्रशासनिक समस्याएँ। रहेंगी। दूसरी व छठी संतान बेटी होने
| कमरा
कमरा पर उसे समस्याएँ व विवाह से परेशानी
w रहेगी।
अत्यधिक अशुभ प्रभाव
दरवाजों की चाल ईस्टसाउथईस्ट से नार्थ-वेस्ट की । तरफ होने पर ईस्ट- | साउथईस्ट में मुख्य द्वार के N|
SN अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे।
कमरा यदि दरवाजों की चाल
W
w ईस्ट- साउथईस्ट से वेस्ट-नार्थवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो प्रभाव सामान्य रहेंगे।
1s अशुभ प्रभाव
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
-
कमरा
कमरा
यदि दरवाजों की चाल ईस्ट-साउथईस्ट से वेस्ट-साउथवेस्ट की। तरफ खुल जाती है तो N अशुभ प्रभाव कई गुना । बढ़ जाएँगे।
यदि दरवाजों की चा ल इस्ट - - साउथईस्ट से साउथ-साउथवेस्ट, की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे।
कमरा
कमरा
US कमरा
यदि दरवाजों कीचाल इस्ट -7
कमरा साउथईस्ट से नार्थ-नार्थवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
W
दक्षिण फेसिंग भवन/बेडरूम
शुभ प्रभाव
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
EFI
-
w
कमरा -! कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
1
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
N
N
| |
N
N
दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल दरवाजों की चाल साउथ-साउथईस्ट से साउथ-साउथईस्ट से साउथ-साउथईस्ट से साउथ-साउथईस्ट से साउथ-साउथईस नार्थ-नार्थईस्ट की तरफ नार्थ-नार्थईस्ट की चलकर ईस्ट-नार्थईस्ट चलकर वेस्ट-नार्थवेस्ट ट से नार्थवेस्ट की होने पर महिलाएँ स्वस्थ, तरफ खुल जाती है तो की तरफ खुल जाती है तो की तरफ खुल जाती है तरफ होने पर सुखी रहेंगी व मान- शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। तो शुभ प्रभाव बढ़ साउथ-साउथईस्ट सम्मान बढ़ेगा। दूसरी व साथ ही पहली व चौथी साथ ही पहली व चौथी जाएँगे। साथ ही तीसरी में मुख्य द्वार के शुभ छठी संतान बेटी होने पर संतान बेटी होने पर संतान बेटा होने पर उसे व सातवीं संतान बेटा होने प्रभावों में कुछ कमी उसे विशेष लाभ मिलेगा। उसे भी लाभ मिलेगा। भी लाभ मिलेगा। पर उसे भी लाभ मिलेगा। आएगी।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
अशुभ प्रभाव यदि दरवाजों की चाल साउथ-साउथवेस्ट से नार्थ-नार्थईस्ट या ईस्ट-नार्थईस्ट की तरफ द खुल जाती है तो अशुभ प्रभावों में कुछ कमी आएगी।
कमरा
यदि दरवाजों की चाल साउथ-साउथईस्ट से चलकर नार्थ- नार्थवेस्ट की E तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कम
कमरा
कमरा
कमरा
N
11 कमरा
N
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(31)
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S
कमरा
कमरा
कमरा
यदि दर वा जो की चाल साउथ-साउथवेस्ट से वेस्ट-नार्थवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव E ही लागू होंगे।
यदि दरवाजों की चाल साउथ-साउथवेस्ट | से नार्थ-ईस्ट की तरफ है तो अशुभ प्रभाव : ही लागू होंगे।
कमरा
#wl
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
N
अत्यधिक अशुभ प्रभाव
कमरा
कमरा
दरवाजों की चाल साउथ-साउथवेस्ट से नार्थवेस्ट की तरफ होने पर मुख्य महिला व महिलाएँ बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति, मान-सम्मान में कमी व E पहली और पाँचवीं संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी।
यदि दर वा जो की चाल | साउथ-साउथवेस्ट से नार्थ-नार्थवेस्ट की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव E कई गुना बढ़ जाएँगे।
कमरा
- कमरा
कमरा
W
!-
M
कमरा
कमरा
N
___कमरा
कमरा
N
पश्चिम फेसिंग भवन/बेडरूम
शुभ प्रभाव
W
W
W
कमरा
कमरा
कमरा .
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
IN
S
। कमरा ।
कमरा
NS कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
E
दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल दरवाजों की चाल वे स्ट-नार्थवेस्ट से वेस्ट-नार्थवेस्ट से वेस्ट-नार्थवेस्ट से वेस्ट-नार्थवेस्ट से चलकर वेस्ट-नार्थवेस्ट ईस्ट-नार्थईस्ट की तरफ ईस्ट-नार्थईस्ट की चलकर ईस्ट-नार्थईस्ट साउथ-साउथईस्ट की से साउथ-ईस्ट होने पर पुरूष स्वस्थ, सुखी तरफ खुल जाती है तो की तरफ खुल जाती है तो तरफ खुल जाती है तो शुभ की तरफ होने पर व उच्च पद पर कार्यरत शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। प्रभाव बढ़ जाएँगे। साथ ही वेस्ट-नार्थवेस्ट में होंगे। तीसरी व सातवीं साथ ही पहली व चौथी साथ ही पहली व चौथी। दूसरी व छठी संतान बेटी मुख्य द्वार के शुभ संतान बेटा होने पर उसे संतान बेटा होने पर संतान बेटी होने पर उसे होने पर उसे भी लाभ प्रभावों में कुछ कमी विशेष लाभ मिलेगा। उसे भी लाभ मिलेगा। भी लाभ मिलेगा। मिलेगा।
आएगी। अशुभ प्रभाव
W
W
W
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
HN
कमरा SIN
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा NS कमरा
कमरा कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
-
E
E
E
यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल यदि दरवाजों की चाल दरवाजों की चाल वे स्ट-नार्थ वेस्ट से वेस्ट - साउथ वेस्ट से वेस्ट-साउथवेस्ट से साउथ- वेस्ट-साउथवेस्ट से चलकर ईस्ट- साउथईस्ट ईस्ट-नार्थईस्ट या नार्थ-नार्थईस्ट साउथईस्ट की तरफ खुल जाती है नार्थ-ईस्ट की तरफ होने पर की तरफ खुल जाती है तो की तरफ खुल जाती है तो अशुभ तो साउथ-साउथवेस्ट में मुख्यद्वार वेस्ट-साउथवेस्ट में मुख्य द्वार अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे। प्रभावों में कुछ कमी होगी।
के अशुभ प्रभाव ही लागूहोंगे। के अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। अत्यधिक अशुभ प्रभाव
W दरवाजों की चाल वेस्ट-साउथवेस्ट से
यदि दरवाजों की चाल
कमरा साउथईस्ट की तरफ होने पर घर के मुखिया,
वेस्ट-साउथवेस्ट से साउथईस्ट की ।
कमरा पहली व पाँचवीं संतान बेटा होने पर बीमार, SF! -
तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव SF!बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव कमरा
कमरा कई गुना बढ़ जाएँगे। कमरा
कमरा
W
कमरा
कमरा
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विदिशा प्लॉट
W
N
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
दरवाजों की चाल पूर्व कोने से दक्षिण कोने की तरफ होने पर पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, पुरूष स्वस्थ, धन व मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी ।
यदि दरवाजों की N चाल पूर्व कोने से चलकर दक्षिण कोने में साउथ-ईस्ट की तरफ खुल जाती है
तो अशुभ प्रभाव प्राप्त होंगे।
S
दरवाजों की
चाल
पूर्व से
को ने
पश्चिम कोने
खुल जा
पर अशुभ
प्रभाव लागू होंगे । N
W
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
N
कमरा
कमरा
↓
कमरा
कमरा
W
S
यदि दरवाजों की चाल पूर्व कोने से दक्षिण कोने की तरफ खुल जाती है तो शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे ।
N
↓
कमरा
कमरा
S E
32
नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन / बेडरूम
शुभ प्रभाव
E
कमरा
कमरा
WN
E
दरवाजों की चाल पूर्व कोने से उत्तर कोने की तरफ होने पर पूरा परिवार. ↓ सुखी, सम्पन्न, महिलाएँ व पुरूष स्वस्थ, धन व मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी और निवासी बुद्धिमान होंगे।
E
-
यदि दरवाजों की चाल पूर्व कोने से उत्तर कोने की तरफ खुल जाती है तो शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे ।
N
isl
↓
दरवाजों की चाल उत्तर कोने से पश्चिम कोने की तरफ होने पर महिलाएँ बीमार स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति व मान-सम्मान में कमी होगी । यदि दरवाजों की S ↓ चाल उत्तर कोने से पश्चिम कोने की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे ।
↓
W
W
S
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
E
कमरा
↓
↓
E
W
कमरा
कमरा
कमरा
N
W
कमरा
S
↓
यदि दरवाजों की N चाल उत्तर कोने से चलकर दक्षिण कोने में साउथ-वेस्ट की तरफ खुल जाती है तो अशुभ प्रभाव सामान्य होंगे।
N
कमरा
कमरा
दरवाजों की चाल पूर्व कोने से पश्चिम कोने की तरफ होने पर पूर्व कोने में मुख्य द्वार के शुभ प्रभावों में कमी आएगी।
अशुभ प्रभाव
↓
↓
कमरा
कमरा
S
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
W.
W
अत्यधिक अशुभ प्रभाव
E
शुभ प्रभाव
E
N
S
↓
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
↓
I
कमरा
N
कमरा
कमरा
कमरा
साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन / बेडरूम
W
W
↓
W
नार्थ-ईस्ट से साउथ-वेस्ट की चाल को सामान्य माना गया है क्योंकि वापस में आने पर यह साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की चाल हो जाएगी।
N
↓
S E
कमरा
E
कमरा
कमरा
S
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
देखें www.dwarkadheeshvatu.com
↓
↓
↓
कमरा
E
S
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
E
S
मुख्य द्वार के अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे ।
S
↓
दरवाजों की चाल N उत्तर कोने से दक्षिण कोने की तरफ होने पर उत्तर कोने में
E
W
N
कमरा
↓
↓
↓
कमरा
कमरा
कमरा
उत्तर कोने से पश्चिम कोने की चाल शुभ नहीं माना गया है क्योंकि वापस में आने पर यह पश्चिम से उत्तर की चाल हो जाएगी।
↓ कमरा कमरा
कमरा
कमरा
N के
कमरा
↓
यदि दरवाजों N की चाल उत्तर कोने से चलकर दक्षिण कोने में साउथ-ईस्ट की तरफ खुल जाती है तो w
अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे ।
S E ↓
कमरा
कमरा
कमरा
दरवाजों की E चाल पूर्व कोने से पश्चिम कोने की तरफ होने पर
पूर्व कोने में मुख्य द्वार
शुभ प्रभावों में कमी आएगी।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
अशुभ प्रभाव
दरवाजों की चाल E दक्षिण कोने से उत्तर कोने की होने पर अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे ।
तरफ
W
W
N
दरवाजों की N `चाल दक्षिण कोने से उत्तर कोने की तरफ होने पर अशुभ प्रभावों में कमी होगी ।
कमरा
↓
कमरा
E
कमरा
S
कमरा
कमरा
कमरा
↓
↓ कमरा
कमरा
E
E
S
W
S
W
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E
E
.
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(33
देखें www.dwarkadheeshvatu.com - अत्यधिक अशुभ प्रभाव ___
SE यदि दरवाजों की चाल दक्षिण
कमरा
कमरा दरवाजों की चाल दक्षिण कोने से
कोने से चलकर पश्चिम कोने
कमरा
कमरा पश्चिम कोने की तरफ होने पर
में खुल जाती है तो अशुभ कमरा
कमरा
कमरा अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे।
कमरा प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
W
IN"
नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन/बेडरूम
शुभ प्रभाव NWN W
N
WN W
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
E Is
S
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
S
N
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा कमरा
कमरा SES
E
E दरवाजों की चाल उत्तर कोने से पूर्व कोने की तरफ होने पर दरवाजों की चाल उत्तर कोने दरवाजों की चाल उत्तर कोने महिलाएँ सुखी, स्वस्थ, धन व मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी। से दक्षिण में साउथ-वेस्ट की से दक्षिण कोने की तरफ होने
यदि दरवाजों की चाल उत्तर कोने से पूर्व कोने की तरफ खुलने से शुभ प्रभाव पर उत्तर कोने में मुख्य द्वार के तरफ खुल जाती है तो शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे।
बढ़ जाएँगे।
शुभ प्रभावों में कमी आएगी।
अशुभ प्रभाव दरवाजों की w दरवाजों की
दरवाजों की W .
N चाल उत्तर चाल पश्चिम
चाल पश्चिम कमरा
कमरा कोने से दक्षिण कोने से पूर्व
कोने से पूर्व कमरा
कमरा कोने में खुल कोने की तरफ
कोने की तरफ जाने पर अशुभ होने पर अशुभ
खुलने पर अशुभ प्रभाव लागू प्रभाव ही लागू प्रभावों में कमी
कमरा होंगे। होंगे।
होगी। अत्यधिक अशुभ प्रभाव
w! _ _N यदि दरवाजों की चाल - दरवाजों की चाल पश्चिम कोने से दक्षिण
पश्चिम कोने से चलकर कोने की तरफ होने पर अत्यधिक अशुभ
दक्षिण कोने में खुल जाती
कमरा प्रभाव लागू होंगे।
है तो अशुभ प्रभाव कई कमरा
IF गुना बढ़ जाएँगे। शुभ प्रभाव
साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन/बेडरूम दरवाजों की s w यदि दरवाजों
शुभ प्रभाव चाल दक्षिण
की चाल दक्षिण WSW
WS WS कोने से पूर्व
कोने से पूर्व या कोने की तरफ
उत्तर कोने की होने पर मुख्य
तरफ खुल जाती [" महिला व E N है तो शुभ प्रभाव [.
NTER
N
ENE महिलाएँ सुखी, स्वस्थ व बढ़ जाएग। - मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी। अशुभ प्रभाव
___ अत्यधिक अशुभ प्रभाव
दरवाजों की चाल पश्चिम कोने से उत्तर
कमरा दरवाजों की
कोने की तरफ होने या उत्तर कोने में खुल चाल पश्चिम | कमरा
जाने पर कोने से पूर्व कोने
अत्यधिक
कमरा . कमरा की तरफ होने
अशा E
NE NEN पर अशुभ प्रभाव | कमरा दरवाजों की चाल पश्चिम कोने से पर्व या उत्तर कोने
को प्रभाव लागू ही लागूहोंगे। E N में खल जाने पर अशुभ प्रभावों में कमी होगी।
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
IE|
so
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
|
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
|
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
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W
W
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
WS
M
कमरा
कमरा
कमरा
| कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
कमरा
होंगे।
कमरा
कमरा
NI
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सीढ़ी व
मुमटी
सीढ़ी का निर्माण
दिशा प्लॉट N
नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट
W
पश्चिम ब्रह्मस्थान पूर्व
साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट
W पश्चिम
N
नार्थ-वेस्ट उत्तर
ब्रह्मस्थान
34
देखें www.dwarkadheeshvatu.com का निर्माण दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट भाग में ही होना चाहिए। किसी भी हाल में पूर्व, उत्तर, नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में नहीं होना चाहिए ।
शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह
विदिशा प्लॉट
E
S
W
इस भाग में कहीं भी सीढ़ी बना सकते हैं ।
S
पूर्व
NI
नार्थ-ईस्ट
साउथ-वेस्ट में सीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं किन्तु ध्यान रहे कि छत पर साउथ-वेस्ट कोने में मुमटी का निर्माण होने से घर के मुखिया बड़ी संतान घर से बाहर व परेशान रहेंगे ।
साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट
उत्तर
नार्थ-ईस्ट पूर्व
नार्थ-वेस्ट ! ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
पश्चिम 11 साउथ-वेस्ट
E
दक्षिण
E
शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में सीढ़ी व मुमटी के निर्माण के प्रभाव
दिशा प्लॉट
विदिशा प्लॉट
S
नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
WE
दिशा प्लॉट
N
उत्तर में धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में क्रमी व स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्सैल होगा ।
नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य, और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
मुमटी का निर्माण विदिशा प्लॉट
E
S
W
इस भाग में ही मुमटी का निर्माण करें ध्यान रहे कि यह किसी भी कोने से नहीं सटनी चाहिए ।
पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय - लगना, मान-सम्मान व धन की कमी.. कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है ।
छत
साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, पुरुषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है ।
पश्चिम में घर का मुखिया घर से बाहर' रहेगा ।
N
E
N
उत्तर
W
छत
पश्चिम
नार्थ-ईस्ट
, नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
पूर्व
! साउथ-वेस्ट
दक्षिण
दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी।
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35 देखें www.dwarkadheeshvatu.com के निर्माण में संक / जाता है, जिसमें से गन्दे पानी के पाईप
रसोई का स्थान कपूर में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में इस तरह
से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक / गढ़दा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं।
दिशा प्लॉट
W
उत्तर, पूर्व, दक्षिण या पश्चिम फेसिंग भवन में रसोई को किसी भी भाग में बना सकते हैं। स्लैब बनाते समय नीचे दिए गए नियमों का ध्यान रखें ।
N
स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान
N
W
N
W
स्लैब, अलमारी, सिंक F
का
स्थान
रसोई
शीट
S
S
S
S
रसोई में दरवाजे दिखाई गई जगह में बना सकते हैं। स्लैब / अलमारी / सिंक, रसोई की दक्षिण और पश्चिम दीवारों पर ही बनाएँ। यह उत्तर और पूर्व की दीवार पर नहीं बननी चाहिए। लेकिन अलग से कांउटर, अलमारी या सिंक बनाकर जमीन पर दीवार से न सटते हुए कम से कम एक इंच दूर किसी भी दिशा में रख सकते हैं।
भवन
विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट, साउथ-वेस्ट या नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन में रसोई को किसी भी भाग में बना सकते हैं। स्लैब बनाते समय नीचे दिए गए नियमों का ध्यान रखें।
E N
E N
रसोई
S
शीट
E W
टॉयलेट
HOL
भवन
N
स्लैब, अलमारी, सिंक
का स्थान
E W
टॉयलेट E
N
स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान
S W
W
S W
S W
S W
S
रसोई में दरवाजे दिखाई गई जगह में बना सकते हैं। स्लैब / अलमारी / सिंक रसोई की साउथ-वेस्ट की दीवार पर ही बनाएँ। यह नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट की दीवार पर नहीं बननी चाहिए । लेकिन अलग से कांउटर, अलमारी या सिंक बनाकर जमीन पर दीवार से न सटते हुए कम से कम एक इंच दूर किसी भी दिशा में रख सकते हैं।
टॉयलेट का स्थान पाईप फर्श में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में
ऊपरी मंजिल पर टॉयलेट / बॉथरूम के निर्माण में संक / गढ्ढा बनाया जाता है, जिसमें से गन्दे पानी
इस तरह से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक / गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं।
नार्थ-ईस्ट में गंदगी वर्जित है टॉयलेट का निर्माण नहीं | आजकल आधुनिक तरीके से टॉयलेट का निर्माण किया जाता है जिसमें गंदगी नहीं होती इसलिए टॉयलेट को भवन के किसी भी भाग में बना सकते हैं। टॉयलेट की षीट इस प्रकार लगाएँ कि सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। सूर्यदेव की तरफ मुख करके मल-मूत्र का त्याग करने पर जीवन के अन्तिम समय में अत्यधिक कष्ट होते हैं।
दिशा प्लॉट N
N
N
N
रसोई
भवन
शीट
रसोई
S
भवन
E W
शीट
टॉयलेट
N
स्लैब, अलमारी, सिंक का रसोई स्थान
टॉयलेट
रसोई
E
W
स्लैब अलमारी. सिंक
का
स्थान
Is W
भवन
विदिशा प्लॉट
E
N
टॉयलेट
E W
- शीट
S
E N
भवन
टॉयलेट1 शीट
रसोई
E
रसोई
E
S
N
स्लैब,
अलमारी, E • सिंक
का
स्थान
W
N
W
स्लैब, अलमारी, सिंक
का
स्थान
टॉयलेट
शीट
भवन
E
S
14- शीट टॉयलेट्
भवन
E
E
S
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देखें www.dwarkadheeshvatu.com को जहाँ तक संभव हो घर के बाहर ही बनाएं इससे प्रभाव आंशिक रहेंगे। यदि घर के अंदर
बनाना है तो इसकी चौड़ाई व गहराई कम से कम रखें। दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह
विदिशा प्लॉट प्रथम चयन
द्वितीय चयन भवन/कमरे के उत्तर भाग में कहीं भी सेप्टिक टैंक
भवन/कमरे के नार्थ-ईस्ट भाग में कहीं भी सेप्टिक बना सकते हैं। घर के अंदर सेप्टिक टैंक होने से
टैंक बना सकते हैं। घर के अंदर सेप्टिक टैंक होने से महिलाओं में हल्की बीमारी व धन की कमी रहेगी।
पूरे परिवार को हल्की समस्याएं रहेंगी।
नार्थ-वेस्ट उत्तर 1 नार्थ-ईस्ट
उत्तर
नार्थ-ईस्ट
पूर्व
3
पप
W] पश्चिम
ब्रह्मस्थान
नार्थ-वेस्ट । ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
ततीय चयन भवन/कमरे के पूर्व भाग में कहीं भी सेप्टिक टैंक बना सकते हैं | घर के अंदर सेप्टिक टैंक होने से पुरूषों
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-
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-
-
-
-
-
साउथ-वेस्ट
दक्षिण साउथ-ईस्ट
पश्चिम
साउथ-वेस्ट
दक्षिण
भवन/कमरे में शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में सेप्टिक टैंक के प्रभाव
दिशा प्लॉट वेस्ट-नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, विदिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी,
दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व महिलाएं बीमार, स्वभाव
सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम
रहेंगे। होगा।
ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली -संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है।
उत्तर । नार्थ-ईस्ट|
पूर्व
नार्थ-वेस्ट उत्तर /नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान
|-----बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल
जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। Wपश्चिम ब्रह्मस्थान पूर्व E
नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
साउथ-वेस्त दक्षिण साउथ-ईस्ट
पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण
-साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
W
दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, "मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी।
ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
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फर्श का लेबल / पानी का निकास पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट में फर्श का तल नीचा
रखना सर्वश्रेष्ठ है व पानी का निकास भी इसी भाग से ही करें। यदि यहाँ पर लेबल नीचा रखना संभव न हो, तो पूरे फर्श का तल एक समान रख सकते हैं किन्तु दक्षिण पश्चिम और साउथ-वेस्ट में लेबल नीचा नहीं होना चाहिए । साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट का लेबल एक बराबर होना चाहिए तथा ढ़ाल साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही होना चाहिए । नार्थ-ईस्ट से अंडरग्राउन्ड पाईप के द्वारा पानी कहीं से भी निकाल सकते हैं ।
दिशा प्लॉट
N
नार्थ-वेस्ट
W पश्चिम
साउथ-वेस्ट
उत्तर
ब्रह्मस्थान
Wपश्चिम
दक्षिण साउथ-ईस्ट
N
S
नार्थ-वेस्ट उत्तर | नार्थ-ईस्ट
नार्थ-ईस्ट
ब्रह्मस्थान्
S
शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह
N
पूर्व
साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट
ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
E
E
शुभ प्रभाव : पूर्व उत्तर व नार्थ-ईस्ट भाग में फर्श का लेबल नीचा होना व पानी का निकास श्रेष्ठ है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न व स्वस्थ, परिवार की प्रगति, धन की प्राप्ति, व समाज में मान-सम्मान होगा ।
W
ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली - संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है ।
शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में फर्श का तल नीचा होने / पानी के निकास के प्रभाव
विदिशा प्लॉट
दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी, महिलाएं बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम
वेस्ट - नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
होगा ।
पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान -- बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है ।
उत्तर:
नार्थ-वेस्ट
- साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
पश्चिम
N
दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, "मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
विदिशा प्लॉट
W
नार्थ-ईस्ट
ब्रह्मस्थान
साउथ-वेस्ट
उत्तर
नार्थ-ईस्ट
साउथ-ईस्ट
दक्षिण
पूर्व
नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट
E
पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण
E
S
साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
S
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सड़क को प्लॉट का ही भाग माना जाता है।
फर्श का सड़क से लेवल
दिशा प्लॉट
सड़क
लेवल 0
उत्तर में सड़क है। सड़क से भवन
N को देखने पर यह दक्षिण में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क से कम से सड़क लेवल 0 कम 2 फीट ऊँचा रखें। इससे उत्तर नीचा व दक्षिण ऊँचा होने के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। इससे धन की W (लेवल +2फीट)|E प्राप्ति, महिलाएं स्वस्थ, खुशहाल रहेंगी और परिवार का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
भवन
भवन
पूर्व में सड़क है। सड़क से भवन को देखने पर यह पश्चिम में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क से कम से कम 2 फीट ऊँचा रखें। इससे पूर्व नीचा व पश्चिम ऊँचा होने के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। इससे धन की प्राप्ति, पुरूष स्वस्थ, खुशहाल रहेंगे और परिवार का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
N (लेवल +2फीट)|
W
W
सड़क
लेवल 0
दक्षिण में सड़क है। सड़क से भवन को देखने पर यह उत्तर में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क के बराबर ही सडक लेवल 0 बनाएँ यदि यह संभव न हो तो अधिक से अधिक एक फीट ऊँचा रखें, इससे
भवन दोष आंशिक रहेंगे। इससे अधिक E (लेवल ऊँचा होने पर धन की कमी, महिलाएँ +1 फीट) बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व पूरा परिवार परेशान रहेगा।
पश्चिम में सड़क है। सड़क से भवन को देखने पर यह पूर्व में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क के बराबर ही बनाएँ यदि यह संभव न हो तो अधिक
से अधिक एक फीट ऊँचा रखें, इससे N दोष आंशिक रहेंगे। इससे अधिक
ऊँचा होने पर धन की कमी, पुरूष बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व पूरा परिवार परेशान रहेगा।
|
w
भवन (लेवल .+1 फीट)
s]
विदिशा प्लॉट
नार्थ-ईस्ट में सड़क है। सड़क से . भवन को देखने पर यह साउथ-वेस्ट सड़क लेवल 0 में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क
भवन से कम से कम 2 फीट ऊँचा रखें। इससे नार्थ-ईस्ट नीचा व लेवल +2फीट) साउथ-वेस्ट ऊँचा होने के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। इससे धन की प्राप्ति, पूरा परिवार स्वस्थ, खुशहाल w
S रहेगा, मान-सम्मान बढ़ेगा व पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा।
W साउथ-वेस्ट में सड़क है। सड़क से सडक लेवल 0 भवन को देखने पर यह नार्थ-ईस्ट में
है। भवन के फर्श का लेवल सड़क के भवन बराबर ही बनाएँ यदि यह संभव न हो (लेवल
तो अधिक से अधिक एक फीट ऊँचा .+1 फीट)
रखें, इससे दोष आंशिक रहेंगे। इससे अधिक ऊँचा होने पर पूरा परिवार बीमार, परेशान, प्रगति न होना, धन व
मान-सम्मान में कमी होगी। घर के मुखिया, पहली, चौथी और पाँचवीं संतान को गम्भीर बीमारी, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
N
W
साउथ-ईस्ट में सड़क है। सड़क से E भवन को देखने पर यह नार्थ-वेस्ट में सड़क लेवल 0 है। भवन के फर्श का लेवल सड़क के बराबर ही बनाएँ यदि यह संभव न हो तो
भवन अधिक से अधिक 9 इंच ऊँचा रखें,
लेवल +9 इंच) इससे दोष आंशिक रहेंगे। इससे अधिक ऊँचा होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्ट केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दिवालिया होना. NEW आग व चोरी की घटनाएँ और दूसरी, तीसरी, छठी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
N नार्थ-वेस्ट में सड़क है। सड़क से
भवन को देखने पर यह साउथ-ईस्ट
में है। भवन के फर्श का लेवल सड़क भवन
के बराबर ही बनाएँ यदि यह संभव न (लेवल +9 इंच)
हो तो अधिक से अधिक 9 इंच ऊँचा रखें, इससे दोष आंशिक रहेंगे। इससे अधिक ऊँचा होने पर महिलाएँ बीमार
कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कोर्द S
केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दिवालिया होना, आग व चोरी की घटनाएँ और दूसरी, तीसरी, छठी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
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चबूतरे का निर्माण
उत्तर फेसिंग भवन
नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में होने पर महिलाएँ बीमार कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दिवालिया होना, W
तीसरी / सातवीं संतान
बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी ।
उत्तर भाग में होने पर धन की कमी, महिलाएँ बीमार स्वभाव चिड़चिड़ा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
N
ईस्ट - नार्थईस्ट भाग में
होने पर धन की कमी, पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, पहली / पाँचवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी ।
N
चबूतरा
साउथ- साउथईस्ट भाग में होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक E समस्याएँ तीसरी / सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी ।
भवन
S
पूर्व फेसिंग भवन
पूर्व भाग में होने पर पुरूष बीमार, भय, मान-सम्मान में कमी व स्वभाव अधिक गुस्सैल होगा।
E
वेस्ट - साउथवेस्ट भाग में होने पर घर का मुखिया व पहली / चौथी संतान बेटा होने पर बीमार, बुरी S आदतें अपराधी होना, जेल जाना व एक्सीडेंट संभव हैं।
चबूतरा
भवन
चबूतरा
भवन
W
दक्षिण फेसिंग भवन
दक्षिण भाग में चबूतरा होने से यह भाग बढ़ जाएगा। इससे मुख्य महिला व स्त्री संतान को बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मानसिक अशान्ति रहेगी ।
S
39
E
चबूतरा
दिशा प्लॉट
भवन
E
नार्थ-नार्थईस्ट भाग में होने पर धन की कमी, • पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, पहली / पाँचवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी।
N
पश्चिम फेसिंग भवन
पश्चिम भाग में चबूतरा होने से यह भाग बढ़ जाएगा। इससे मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना व् जेल जाना संभव है।
W
ईस्ट - साउथईस्ट भाग में होने पर पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, IS प्रशासनिक समस्याएँ.
तीसरी / सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी।
साउथ- साउथवेस्ट भाग - में होने पर मुख्य महिला बीमार बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना W व पहली / चौथी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी ।
वेस्ट - नार्थवेस्ट भाग में _ होने पर पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, प्रशासनिक N समस्याएँ, तीसरी / सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी ।
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चबूतरा फर्श के तल से ऊँचा होने पर इसके गंभीर प्रभाव होते हैं ।
समाधान :
उत्तर फेसिंग भवन में चबूतरा फर्श के तल से ऊँचा होना वर्जित है | W इसलिए इसे तोड़कर हटा दें ।
समाधान :
उत्तर फेसिंग भवन में चबूतरा फर्श के तल से ऊँचा होना वर्जित है । N इसलिए इसे तोड़कर हटा दें।
समाधान 1 :
दक्षिण फेसिंग भवन में किसी एक भाग में चबूतरा होने से यह भाग E बढ़ जाएगा, यह अशुभ है । इसलिए इसे तोड़कर हटा दें।
समाधान 2 :
यदि चबूतरा बनाना आवश्यक है तो इसे भवन के पूरे भाग में E दिखाए अनुसार ही बनाएँ ।
समाधान 1:
पश्चिम फेसिंग भवन में किसी एक भाग में चबूतरा होने से यह भाग बढ़ जाएगा, यह अशुभ है। इसलिए इसे तोड़कर हटा दें।
समाधान 2 :
यदि चबूतरा बनाना आवश्यक है तो इसे भवन के पूरे भाग में दिखाए अनुसार ही बनाएँ ।
S
N
भवन
S
E
भवन
W
S
भवन
INS
चबूतरा
भवन
N
W
भवन
E
SM
W
चबूतरा
S भवन
E
E
W
W
N
N
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________________ देखें www.dwarkadheeshvatu.com N संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (40) विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन नार्थ-ईस्ट भाग में होने पर धन की कमी, पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, पहली/पाँचवीं संतान को अधिक समस्याएँ रहेंगी। N उत्तर भाग में होने पर धन_ पूर्व भाग में होने पर पुरूष की कमी, महिलाएँ बीमार, बीमार, भय, मान-सम्मान चबूतरा स्वभाव चिड़चिड़ा व में कमी व स्वभाव अधिक मानसिक अशान्ति रहेगी। गुस्सैल होगा। भवन समाधान : नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन में चबूतरा फर्श के तल से ऊँचा होना वर्जित है। इसलिए इसे तोड़कर हटा दें। भवन - - - - - - - - - - - - - - - - - E भवन VVM W साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन साउथ-ईस्ट भाग में होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी/ सातवीं संतान को समाधान : अधिक समस्याएँ रहेंगी। S साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन में चबूतरा फर्श के दक्षिण भाग में चबूतरा तल से ऊँचा होना पूर्व भाग में होने पर पुरूष होने से यह भाग बढ़ चबूतरा वर्जित है। इसलिए इसे बीमार, भय, मान-सम्मान जाएगा। इससे मुख्य तोड़कर हटा दें। में कमी व स्वभाव अधिक भवन महिला व स्त्री संतान को गुस्सैल होगा। बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मानसिक अशान्ति W रहेगी। नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन नार्थ-वेस्ट भाग में होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दिवालिया समाधान : होना, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी/छठी संतान को अधिक समस्याएँ रहेंगी। नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन पश्चिम भाग में चबूतरा में किसी एक भाग में WIN उत्तर भाग में होने पर चबूतरा होने से यह भाग होने से यह भाग बढ़ धन की कमी, महिलाएँ बढ़ जाएगा, यह अशुभ जाएगा। इससे मुखिया व बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा है। इसलिए इसे चबूतरा पुरूष संतान बीमार, बुरी व मानसिक अशान्ति तोडकर हटा दें। आदतें, अपराधी होना व भवन जेल जाना संभव है। ------------------ समाधान 1 : साउथ-वेस्ट फेसिंग साउथ वेस्ट फेसिंग भवन भवन में किसी एक भाग में चबूतरा होने से यह साउथ-वेस्ट भाग में होने पर घर का मुखिया व पहली/चौथी संतान बीमार, बुरी भाग बढ़ जाएगा, यह आदतें अपराधी होना, जेल जाना व एक्सीडेंट संभव हैं। अशुभ है। इसलिए इसे SW तोड़कर हटा दें। दक्षिण भाग में चबूतरा होने पश्चिम भाग में चबूतरा से यह भाग बढ़ जाएगा। होने से यह भाग बढ़ समाधान 2: इससे मुख्य महिला व स्त्री चबूतरा जाएगा। इससे मुखिया व यदि चबूतरा बनाना संतान को बीमार, स्वभाव पुरूष संतान बीमार, बुरी आवश्यक है तो इसे भवन चिड़चिड़ा व मानसिक आदतें, अपराधी होना व भवन के पूरे भाग में अशान्ति रहेगी। जेल जाना संभव है। दिखाए अनुसार ही बनाएँ। भवन रहेगी। S - - - - - - - - - - - भवन E S W चबूतरा भवन
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________________ |संगीत व वास्त पस्तक (PDF) मफ्त डाउनलोड करें (41) देखें www.dwarkadheeshvatu.coml - सड़क को प्लॉट का ही भाग माना जाता है। बेसमेंट मे उच्च स्थान पर मुख्य द्वार व सीढ़ी होने से पूरी बेसमेंट गलत दिशा पसमट में हो जाती है, इसके अत्यन्त गंभीर दोष होते हैं। इसलिए बेसमेंट में दिखाए अनुसार ही मुख्य द्वार व सीढ़ी बनाएँ। दक्षिण फेसिंग भवन दिशा प्लॉट पश्चिम फेसिंग भवन ध्यान रहे कि उत्तर/पूर्व में गली हो तो यहाँ दरवाजा ध्यान रहे कि पूर्व/उत्तर में गली हो तो यहाँ दरवाजा लगाने से शुभ प्रभावों में कमी आएगी। यदि दक्षिण से लगाने से शुभ प्रभावों में कमी आएगी। यदि पश्चिम से उत्तर/पूर्व की सड़क अधिक चौंड़ी है तो दरवाजा लगाने पूर्व/उत्तर की सड़क अधिक चौंड़ी है तो दरवाजा लगाने से अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। से अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। ___ दक्षिण में मुख्य सड़क है। सड़क से भवन को - पश्चिम में मुख्य सड़क है। सड़क से भवन को __ w देखने पर उत्तर भाग में बेसमेंट है। जिससे उत्तर - देखने पर पूर्व भाग में बेसमेंट है। जिससे पर्व मुख्यद्वार से भाग नीचा व दक्षिण भाग ऊँचा हो गया है। इससे भाग नीचा व पश्चिम भाग ऊँचा हो गया है। E महिलाएँ व स्त्री संतान स्वस्थ, सुखी व उनके _ इससे पुरूष स्वस्थ, सुखी व उनके आत्मविश्वास में वृद्धि और धन की प्राप्ति होगी। आत्मविश्वास में वृद्धि और धन की प्राप्ति बेसमेंटयदि पश्चिम में गली या सड़क है तो यहाँ / बेसमेंट- होगी। यदि दक्षिण में गली या सड़क है तो दरवाजा होने से शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाऐंगे। -- यहाँ दरवाजा होने से शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथ-साउथवेस्ट में दिखाई। जाएंगे। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढियाँ वेस्ट-साउथवेस्ट गई जगह में ही बनाएँ, इससे शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। में दिखाई गई जगह में ही बनाएँ, इससे शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। सड़क मुख्यद्वार EL... वन IN भवन .... ... .......... सड़क दक्षिण में मुख्य सड़क है। दक्षिण , उत्तर व S पश्चिम में खाली जगह छोड़कर बेसमेंट का - निर्माण है। दक्षिण में ऊँची जगह ज्यादा व | खुली जगह --- उत्तर में कम है और पश्चिम भाग ऊँचा व पूर्व / भाग नीचा है, इसके आंशिक शुभ प्रभाव होंगे, E| बेसमेंट ! इससे पुरूष स्वस्थ व सुखी तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और धन की | खुली जगह प्राप्ति होगी, महिलाएँ स्वस्थ और सुखी रहेंगी व उनके मनोबल में वृद्धि होगी। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। L N --- पर्व भाग ऊँचा व पश्चिम भाग नीचा है। इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। s सड़क खुली जगह / सीढी बेसमेंट IW खुली जगह पश्चिम में मुख्य सड़क है। पश्चिम, दक्षिण व W सड़क पूर्व में खाली जगह छोडकर बेसमेंट का खुली जगह निर्माण है। पश्चिम में ऊँची जगह ज्यादा व पूर्व में कम है, और दक्षिण भाग ऊँचा व उत्तर भाग नीचा है, इसके आंशिक शुभ प्रभाव होंगे, ! बेसमेंट IN इससे महिलाएँ व स्त्री संतान स्वस्थ व सुखी / खुली जगह | तथा उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और धन की प्राप्ति होगी, पुरुष स्वस्थ, सुखी व उनके मनोबल में वृद्धि होगी। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। उत्तर भाग ऊँचा व दक्षिण भाग नीचा है। w सड़क इससे महिला व स्त्री संतान को गम्भीर बीमारी. खुली जगह मान-सम्मान व धन की कमी, प्रशासनिक Eसीढ़ी समस्याएँ, मानसिक अशान्ति व झगड़े रहेंगे। - बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। | खुली जगह E पूर्व फेसिंग भवन ध्यान रहे कि उत्तर में गली/सड़क हो तो यहाँ दरवाजा होने से अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। दक्षिण/पश्चिम में सड़क हो तो यहाँ दरवाजा होने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। पूर्व में मुख्य सड़क है। सड़क से भवन को _ E देखने पर पश्चिम भाग में बेसमेंट है। जिससे पश्चिम भाग नीचा व पूर्व भाग ऊँचा हो गया है। इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, / बेसमेंटमान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, NE प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। मुख्य द्वार व सीढ़ी को दिखाई गई जगह पर बनाने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। जगह खुली जगह -------- उत्तर फेसिंग भवन ध्यान रहे कि पूर्व में गली/सड़क हो तो यहाँ दरवाजा होने से अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। दक्षिण/पश्चिम में सड़क हो तो यहाँ दरवाजा होने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। उत्तर में मुख्य सड़क है। सड़क से भवन को देखने पर दक्षिण भाग में बेसमेंट है। जिससे मुख्याधार / दक्षिण भाग नीचा व उत्तर भाग ऊँचा हो गया है। इससे धन की कमी, महिलाएँ व स्त्री संतान बीमार, परेशान, स्वभाव चिड़चिड़ा, बेसमेंटमानसिक अशान्ति रहेगी। मुख्य द्वार व सीढ़ी को दिखाई गई जगह पर बनाने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। S सड़क मुख्याद्वार ------ EV VII W E सड़क खुली जगह उत्तर में ऊँची जगह ज्यादा व दक्षिण में - कम है और पश्चिम भाग ऊँचा व पूर्व भाग नीचा है। इससे उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ परिणाम कुछ कम होंगे। बेसमेंट में , जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। खुली जगह | बेसमेंट पूर्व में ऊँची जगह ज्यादा व पश्चिम में कम है और दक्षिण भाग ऊँचा व उत्तर भाग नीचा है। खुली जगह इससे उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ परिणाम कछ कम होंगे। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार वN| बेसमेंट सीढियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में L_ सीढ़ी बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। | खुली जगह W खुली जगह सीढ़ी खुली जगह
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________________ |संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (42) देखें www.dwarkadheeshvatu.com | सड़क खुली जगह खुली जगह पूर्व में मुख्य सड़क है। पूर्व , उत्तर व - पश्चिम में खाली जगह छोड़कर बेसमेंट का निर्माण है। पूर्व में ऊँची जगह ज्यादा व पश्चिम में कम है और उत्तर भाग ऊँचा व दक्षिण भाग नीचा है। इससे धन की कमी, N| महिलाएँ व स्त्री संतान बीमार, परेशान, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति रहेगी, पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, खुली जगह बेसमेंट उत्तर में मुख्य सड़क है। उत्तर , दक्षिण व पश्चिम में खाली जगह छोड़कर बेसमेंट का सड़क निर्माण है। उत्तर में ऊँची जगह ज्यादा व | खुली जगह दक्षिण में कम है, और पूर्व भाग ऊँचा व पश्चिम भाग नीचा है। इससे पुरूषों को l गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व / Fसीढ़ी धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक | खुली जगह समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है, धन की कमी, महिलाएँ व स्त्री संतान बीमार, परेशान, स्वभाव चिड़चिड़ा, मानसिक अशान्ति रहेगी। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। सीढ़ी खुली जगह | S समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ साउथवेस्ट में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। साउथ-वेस्ट फेसिंग विदिशा प्लॉट नारी ध्यान रहे कि साउथ-ईस्ट या नार्थ-वेस्ट में गली/सड़क है ध्यान रहे कि नार्थ-ईस्ट व साउथ-ईस्ट में गली/सड़क तो यहाँ दरवाजा होने से शुभ प्रभाव प्राप्त न होकर अशुभ होने पर यहाँ दरवाजा लगाने से अशुभ परिणाम कई गुना प्रभाव होंगे। नार्थ-ईस्ट में गली हो तो दरवाजा लगाने से शुभ बढ़ जाएँगे। साउथ-वेस्ट में गली/सड़क होने पर प्रभावों में कमी आएगी। यदि साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की यहाँ दरवाजा लगाने से अशुभ परिणामों में कमी सड़क/जगह अधिक चौंड़ी है तो दरवाजा लगाने से अशुभ परिणाम प्राप्त होंगे। आएगी। III साउथ-वेस्ट में मुख्य सड़क है। सड़क से भवन 5 मुख्य द्वारा को देखने पर नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट है। |जिससे साउथ-वेस्ट भाग ऊँचा व नार्थ-ईस्ट भाग नीचा हो गया है, यह शुभ है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, प्रगतिशील, मान-सम्मान बेसमेंटबढ़ेगा, निवासी उच्च पद पर कार्यरत होंगे व E--------N पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम में नार्थ-वेस्ट की दीवार से न सटते हुए दिखाए अनुसार बनाएँ, इससे शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। नार्थ-वेस्ट में सड़क है व भवन के पूरे W. मुख्य द्वार N भाग में बेसमेंट है। जिससे नार्थ-वेस्ट भाग ऊँचा व साउथ-ईस्ट भाग नीचा हो गया है, यह अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक बेसमेंटअशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, / प्रशासनिक समस्याएँ और दूसरी, S" तीसरी छठी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। मुख्य द्वार व सीढ़ी को दिखाई गई जगह पर बनाने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। --- खुली जगह खुली जगह साउथ-वेस्ट में मुख्य सड़क है। साउथ-वेस्ट, s सड़क नार्थ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में खाली जगह छोड़कर w | खुली जगह बिसमेंट का निर्माण है। इससे साउथ-ईस्ट भाग नीचा और नार्थ-वेस्ट भाग ऊँचा हो गया है, यह अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, | बेसमेंट मानसिक अशान्ति, प्रशासनिक समस्याएं, दिवालिया होना, आग व चोरी की घटनाएं | खुली जगह कोर्ट-केस, दूसरी तीसरी, छठी व सातवीं संतान E N को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। नार्थ-वेस्ट में मुख्य सड़क है। W सड़क नार्थ-वेस्ट , साउथ-वेस्ट व / खुली जगह / साउथ-ईस्ट में खाली जगह छोडकर बेसमेंट का निर्माण हआ है। नार्थ-वेस्ट में ऊँची जगह ज्यादा व साउथ-ईस्ट में कम है, यह अशुभ है। साउथ-वेस्ट SL खुली जगह भाग ऊँचा व नार्थ-ईस्ट भाग नीचा है, इससे उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ परिणामों में कुछ कमी आएगी। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। N साउथ-ईस्ट भाग ऊँचा व नार्थ-वेस्ट भाग नीचा सड़कw है, यह अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, T खुली जगह | झगड़े, मानसिक अशान्ति, प्रशासनिक समस्याएं, दिवालिया होना, आग व चोरी की घटनाएं, छ! बेसमेंट कोर्ट-केस, दूसरी तीसरी, छठी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। | खली जगह बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम में Eदिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। खुली जगह नार्थ-ईस्ट भाग ऊँचा व साउथ-वेस्ट सडक भाग नीचा है, यह अशुभ है। इससे | खुली जगह उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ परिणाम कई गुना बढ़ जाऐंगे। बेसमेंट बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम खुली जगह में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों SL के प्रभावों में कमी आएगी। खुली जगह - - - --
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (43) देखें www.dwarkadheeshvatu.com नार्थ-ईस्ट फेसिंग साउथ-ईस्ट फेसिंग ध्यान रहे कि साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में गली/सड़क ध्यान रहे कि नार्थ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में गली/सड़क होने होने पर यहाँ दरवाजा लगाने से अशुभ परिणाम कई गुना पर यहाँ दरवाजा लगाने से अशुभ परिणाम कई गुना बढ़ बढ़ जाएँगे। साउथ-वेस्ट में गली/सड़क होने पर यहाँ जाएँगे। साउथ-वेस्ट में गली/सड़क होने पर यहाँ दरवाजा दरवाजा लगाने से अशुभ परिणामों में कमी आएगी। लगाने से अशुभ परिणामों में कमी आएगी। VH भवन भवन नार्थ-ईस्ट में मुख्य सड़क है व भवन के पूरे N साउथ-ईस्ट में मुख्य सड़क है व भवन के पूरे : मुख्य द्वारा भाग में बेसमेंट है। जिससे नार्थ-ईस्ट भाग - भाग में बेसमेंट है। जिससे साउथ-ईस्ट भाग - ऊँचा व साउथ-वेस्ट भाग नीचा हो गया है, ऊँचा व नार्थ-वेस्ट भाग नीचा हो गया है, यह अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, यह अशुभ है। इससे घर के कमाने वाले कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, / बेसमेंट- की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ बेसमेंटप्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में W-------'s और दूसरी, तीसरी छठी व सातवीं संतान को N------V कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। मुख्य द्वार व सीढ़ी को परेशान रहेंगे। मुख्य द्वार व सीढ़ी को दिखाई गई जगह पर बनाने / दिखाई गई जगह पर बनाने से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। | खुली जगह जगह नार्थ-ईस्ट में मुख्य सड़क है। नार्थ-ईस्ट, N सड़क E साउथ-ईस्ट में मुख्य सड़क है। साउथ-ईस्ट, E सड़क साउथ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में खाली- | खुली जगह नार्थ-वेस्ट व साउथ-वेस्ट में खाली जगह जगह छोड़कर बेसमेंट का निर्माण है। छोड़कर बेसमेंट का निर्माण हुआ है। / नार्थ-ईस्ट में ऊँची जगह ज्यादा व बेसमेंट | बेसमेंट साउथ-ईस्ट में ऊँची जगह ज्यादा व साउथ-वेस्ट में कम है और नार्थ-वेस्ट भाग नार्थ-वेस्ट में कम है, यह अशुभ है। नीचा व साउथ-ईस्ट भाग ऊँचा है। इससे साउथ-वेस्ट भाग ऊँचा व नार्थ-ईस्ट भाग खुली जगह कर्जे, झगड़े, आग व चोरी की घटनाएँ, W नीचा है, इससे उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ और दसरी, तीसरी, छठी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। परिणामों में कुछ कमी आएगी। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढियाँ पश्चिम में दिखाई गई। सीढियाँ पश्चिम में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। सरी, तीसरानी रहेगी बसवी संतान को अकि समस्याएँ औरत सी आएगी। N सड़क खुली जगह E / सड़क खुली जगह | इस भवन में उपरोक्त चित्र के समान प्रभाव रहेंगे। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढ़ियाँ पश्चिम में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। खुली जगह ! बेसमेंट E नार्थ-ईस्ट भाग ऊँचा व साउथ-वेस्ट भाग नीचा है, यह अशुभ है। इससे उपरोक्त चित्र की अपेक्षा अशुभ परिणाम कई गुना बढ़ जाएंगे। बेसमेंट में जाने के लिए द्वार व सीढियाँ पश्चिम में दिखाई गई जगह में बनाने से दोषों के प्रभावों में कमी आएगी। खुली जगह / बेसमेंट खुली जगह खुली जगह
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (44) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन/कमरे के किसी भी एक भाग में बेसमेंट के प्रभाव सड़क चाहें किसी भी तरफ हो, भवन/कमरे के किसी एक भाग में बेसमेंट होने पर उसके प्रभाव नीचे दिखाए गए चित्रों के अनुसार ही होंगे। दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट ___ N नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व शुभ प्रभाव : पूर्व , उत्तर व -नार्थ-ईस्ट भाग मेंबेसमेंट होना श्रेष्ठ है। इससे पूरा परिवार सखी, सम्पन्न व स्वस्थ. परिवार की प्रगति, धन की प्राप्ति, व समाज में मान-सम्मान होगा। पश्चिम नार्थ-वेस्ट | ब्रह्मस्थान ब्रह्मस्थान w साउथ-ईस्ट ----- ------ साउथ-वेस्ट दक्षिण / साउथ-ईस्ट W शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में बेसमेंट होने के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी, महिलाएं बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम होगा। वेस्ट-नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, / त. विदिशा प्लॉट दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। - - - - ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली -संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है। - - - - उत्तर : नार्थ-ईस्ट| पूर्व नार्थ-वेस्ट उत्तर /नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान ---बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। पश्चिम / ब्रह्मस्थान - पूर्व उE नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्टु दक्षिण साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट -साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। W ES दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, "मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिडचिडा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी। ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें बेसमेंट के दोष को दूर करने का उपाय (45) देखें www.dwarkadheeshvatu.com नीचे दिखाए गए भवनों में बेसमेंट को भरवाकर पूरे भवन में फर्श का तल एक समान करें। इससे दोष दूर हो जाएगा। दिशा प्लॉट S सड़क खुली जगह E सड़क मुख्य सड़क सड़क | खुली जगह N ---- NH बेसमेंट Als N बेसमेंट बेसमेंट खाली जगह -- खुली जगह बेसमेंट Iw नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट w खुली जगह | खुली जगह W W N Vपश्चिमब्रह्मस्थान र पूर्व - N मुख्य सड़क सड़क W सड़क खुली जगह सड़क | खुली जगह बेसमेंट SI बेसमेंट HE WE बेसमेंट wi den wI बेसमेंट खुली जगह खुली जगह साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट् AN | खुली जगह गली S खुली जगह गली E विदिशा प्लॉट Nसन N सड़क E E N सड़क | खुली जगह सड़क खुली जगह Es सड़कw | खुली जगह बेसमेंट उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व भवन बेसमेंट खुली जगह खुली जगह बेसमेंट बेसमेंट खुली जगह W - - - -- खुली जगह खुली जगह | खुली जगह नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट N W N W N W सड़क -- -- -- बेसमेंट सड़क खुली जगह सड़क खुली जगह S सड़कw खुली जगह पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण भवन खुली जगह बेसमेंट बेसमेंट / खुली जगह खुली जगह i बेसमेंट W -------- खुली जगह | जगह : E Sखुल - खुली जगह खुली जगह | E सड़कs E E E सड़क | खुली जगह सड़कs खुली जगह बेसमेंट भवन बेसमेंट खुली जगह खुली जगह | बेसमेंट ------- W . खुली जगह W NL खुली जगह Jw नीचे दिखाए गए भवनों में बेसमेंट को पीछे की तरफ पूरे भाग में खुदवाना अति आवश्यक है। यह अति शुभ है। दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट ____ s w सड़क सड़क सड़क S सड़कW S सड़क खुली जगह खुली जगह खुली जगह खुली जगह खुली जगह खुली जगह सड़क M खुली जगह GEET खुली जगह बेसमेंट WE बेसमेंट / बेसमेंट बेसमेंट खुली जगह खुली जगह S! बेसमेंट खुली जगह बेसमेंट खुली जगह / IN L - - - - L खुली जगह खुली जगह खुली जगह खुली जगह - - - - खुली जगह खुली जगह NE
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (46) देखें www.dwarkadheeshvatu.com | भवन या कमरे की पूर्व , उत्तर , नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट की दीवारों और किसी भी कोने में नहीं बननी चाहिए। दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट N उत्तर उत्तर नार्थ-ईस्ट || -वेस्टN नार्थ-ईस्ट पूर्व IZITZA IZA ZA ANKA पश्चिम Nब्रह्मस्थान नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट भवन या कमरे की पूर्व, उत्तर, नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट दीवारों और किसी भी कोने मे टाँड/परछत्ति/ अलमारी या कोई वजन (सोफा, टी0वी0, गमला इत्यादि) होने पर इसके अशुभ प्रभाव होते हैं। लेकिन पहिए वाली अलमारी या कोई भी सामान जमीन पर दीवार से न सटते हुए कम से कम एक इंच दूर किसी भी दिशा में रख सकते हैं, इसमें दीमक भी नहीं लगती है। भवन या कमरे की केवल पश्चिम, दक्षिण व साउथ-वेस्ट दीवारों पर ही इसका निर्माण करना चाहिए। zzzzzzzzzzzzzzz साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण W भवन या कमरे में शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में टाँड/परछत्ति/ अलमारी या कोई वजन (सोफा, टी0वी0, गमला इत्यादि) के प्रभाव दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर में महिलाएं बीमार व धन की समस्या रहेगी। नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य। और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट उत्तर उत्तर / नार्थ-ईस्ट पूर्व - - - - - - - - - - - - - - - - - - -1-1 नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्त्र पश्चिम ब्रह्मस्थान पूर्व VAE पूर्व में पुरूषों को बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व साउथ वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट गर्भपात होना संभव है। ------ -------------------444 /पश्चिम साउथ-वेस्ट/दक्षिण साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग 'व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया व पहली संतान को अधिक समस्याएँ व घर से बाहर रहेंगे। दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिद्दी व मानसिक अशान्ति रहेगी। पश्चिम में घर का मुखिया घर से बाहर रहेगा।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (47) देखें www.dwarkadheeshvatu.com | का निर्माण भवन की लम्बाई व चौंडाई के एक तिहाई भाग से अधिक नहीं होना चाहिए। डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर ता निर्माण दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट N उत्तर - नार्थ-ईस्ट / पूर्व उत्तर नार्थ-ईस्ट इस भाग में एक से अधिक मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि शेड द्वारा दिखाए गए पूरे भाग में ही निर्माण होना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि बिना शेड दिखाए गए भाग की छत और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए। नार्थ-वेस्ट / ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-वेस्दा दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम में साउथ वेस्टा दक्षिण S w शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में डूप्लेक्स हाउस/ मेजानाईन फ्लोर बनने के प्रभाव दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर में महिलाएं बीमार व धन की समस्या रहेगी। नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट उत्तरलार्थ-ईस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व ----------+> W] पश्चिम ब्रह्मस्थान / पूर्व पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान नं होना व गर्भपात होना संभव है। ह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम/ साउथ-वेस्ट दक्षिण s WW साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दुसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। ब्रह्मस्थान में परिवार में झगडे, बीमारी व वंश वृद्धि न होना संभव है। साउथ-वेस्टे में घर के मुखिया बड़ी संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। साउथ में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। पश्चिम में घर का मुखिया घर से बाहर रहेगा।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (48) देखें www.dwarkadheeshvatu.com शाफ्ट/डक्ट/खुले स्थान के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार छत पर कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में 1 फीट से अधिक हो जाती है तो इससे धन की कमी, महिलाएँ। कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से बीमार, मान-सम्मान में कमी व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। परेशान रहेंगे। खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट से अधिक हो नार्थ-वेस्ट में इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। जाती है तो,परिणाम कई गुना बढ़ जाएंगे। खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने से IN यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट से अधिक हो जाती है तो महिलाएं बीमार, कर्जे, पूर्व में इसके आंशिक प्रभाव रहेंगे। खुले स्थान झगडे, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, को आखरी छत पर कवर करने से यदि इस भाग कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट से अधिक हो भवन 4E सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से जाती है तो इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, परेशान रहेंगे। भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। पश्चिम में पुरूषों में भय रहेगा व आत्मविश्वास कम होगा। खुले स्थान को किसी भी मंजिल की छत या आखरी छत पर कवर कर सकते हैं। दक्षिण में महिलाओं साउथ-ईस्ट में इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। में भय रहेगा व खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने से साउथ-वेस्ट घर के मखिया व बडी संतान को आत्मविश्वास कम यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट बीमारी, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना व होगा। खुले स्थान से अधिक हो जाती है तो महिलाएं बीमार, एक्सीडेंट संभव है। खुले स्थान को आखरी छत पर को किसी भी मंजिल पुरूषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से की छत या आखरी आग व चोरी की घटनाएँ. कोर्ट-केस] 1 फीट से अधिक हो जाती है तो घर का मुखिया, छत पर कवर कर प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को पहली और पांचवीं संतान घर से बाहर रहेंगे। सकते हैं। अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान रखने का स्थान : खुला शाफ्ट/डक्ट बिना शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। उत्तर, नार्थ-ईस्ट व पूर्व में शाफ्ट/डक्ट मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर दिखाए अनुसार बना सकते हैं। IN पश्चिम में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौंड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण पूर्व में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल पूर्व में शाफ्ट होने पर पश्चिम में होना जरूरी नहीं है। W E साउथ-वेस्ट में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौंड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण नार्थ-ईस्ट में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल नार्थ-ईस्ट में शाफ्ट होने पर साउथ-वेस्ट में होना जरूरी नहीं है। ZO साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट में शाफ्ट/डक्ट दोनो जगह पर एक समान लम्बाई व चौंड़ाई की होनी चाहिए। इनमें से किसी भी एक स्थान पर इसका निर्माण वर्जित है। दक्षिण में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौंड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण उत्तर में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल उत्तर में शाफ्ट होने पर दक्षिण में होना जरूरी नहीं VAA है।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (49) देखें www.dwarkadheeshvatu.com विदिशा प्लॉट उत्तर में धन की कमी, महिलाएँ बीमार, नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति मान-सम्मान में कमी व स्वभाव चिड़चिड़ा न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक होगा। खुले स्थान को आखरी छत पर समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने से कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट से अधिक हो जाती है तो परिणाम छत के तल से 1 फीट से अधिक हो जाती कई गुना बढ़ जाएंगे। है तो परिणाम कई गुना बढ़ जाएंगे। पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना नार्थ-वेस्ट में खुले स्थान को आखरी छत संभव है। खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई से यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल से 1 फीट से छत के तल से 1 फीट से अधिक हो जाती अधिक हो जाती है तो परिणाम कई गुना बढ़ जाएंगे। है तो महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी साउथ-ईस्ट में खुले स्थान को आखरी छत पर व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व कवर करने से यदि इस भाग की ऊँचाई छत के तल विवाह से परेशान रहेंगे। से 1 फीट से अधिक हो जाती है तो महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक W अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को को बीमारी, बुरी आदतें, अपराधी होना, अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। खुले स्थान को किसी भी मंजिल की छत या आखरी छत पर कवर कर सकते हैं। दक्षिण में महिलाओं में भय रहेगा व आत्मविश्वास कम होगा। भवन/TTA VIRALA साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया व बड़ी संतान को बीमारी, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना व एक्सीडेंट संभव है। खुले स्थान को किसी भी मंजिल की छत या आखरी छत पर कवर कर सकते हैं। शाफ्ट/डक्ट/ खुला स्थान रखने का स्थान : 7 खुला शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड् द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं। ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। उत्तर, नार्थ-ईस्ट व पूर्व में शाफ्ट/डक्ट मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर दिखाए अनुसार बना सकते हैं। पश्चिम में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौंड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण पूर्व में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल पूर्व में शाफ्ट होने पर पश्चिम में होना जरूरी नहीं है। साउथ-वेस्ट में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण नार्थ-ईस्ट में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल नार्थ-ईस्ट में शाफ्ट होने पर साउथ-वेस्ट में होना जरूरी नहीं है। साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट में शाफ्ट/डक्ट दोनो जगह पर एक समान लम्बाई व चौंड़ाई की होनी चाहिए। इनमें से किसी भी एक स्थान पर इसका निर्माण वर्जित है। दक्षिण में शाफ्ट/डक्ट होने पर इसके समान या अधिक लम्बाई व चौंड़ाई की शाफ्ट/डक्ट का निर्माण उत्तर में भी होना जरूरी है। किन्तु केवल उत्तर में शाफ्ट होने पर दक्षिण में होना जरूरी नहीं है। W
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (50) देखें www.dwarkadheeshvatu.com कोनों का कटना व बढ़ना जानने की विधि यदि किसी प्लॉट/भवन/कमरे का आकार अधिक टेढ़ा हो तो कोनो व भागों के कटने व बढ़ने का निर्धारण नीचे दिखाए गए चित्र के अनुसार कर सकते हैं। दिशा प्लॉट उत्तर भाग बढ़ गया है। नार्थ-वेस्ट कोना बढ़ गया है नार्थ-ईस्ट कोना कट गया है। LN --- - - - - - -ईस्ट-नार्थईस्ट बढ़ गया है। - - - प्लॉट - - - - - -ईस्ट-साउथईस्ट कट गया है। - - साउथ-वेस्ट कोना कट गया है। / s दक्षिण भाग बढ़ गया है। साउथ-साउथईस्ट बढ़ गया है। नार्थ-ईस्ट भाग बढ़ गया है। विदिशा प्लॉट उत्तर कोना बढ़ गया है। N E -पूर्व कोना कट गया है। -ईस्ट-साउथईस्ट बढ़ गया प्लॉट साउथ-साउथईस्ट कोना कट गया है। W-------- ------- पश्चिम कोना कट गया है। साउथ-वेस्ट भाग बढ़ गया है। साउथ-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया किसी एक कोने में बॉलकनी का निर्माण होने के गम्भीर प्रभाव होते हैं। भवन/कमरे में बॉलकनी के प्रभाव कमी दिशा प्लॉट NA नार्थ-नार्थईस्ट भाग में बॉलकनी का सही निर्माण होने से पूरा परिवार सुखी, धन की प्राप्ति, महिलाएँ चतुर, उच्च पद पर कार्यरत व पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ। " |निर्माण गलत होने पर अशुभ परिणाम होंगे। भवन ईस्ट-नार्थईस्ट भाग में बॉलकनी का सही निर्माण होने से पूरा परिवार सुखी, पुरूष संतान बुद्विमान, उच्च पद पर कार्यरत व पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। निर्माण गलत होने पर अशुभ परिणाम होंगे। भवन TE w N N पूर्व भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से पूर्व बढ़ने के लाभ नहीं मिलेंगे बल्कि ईस्ट-नार्थईस्ट कटने के प्रभाव लागू होंगे। इससे पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न... होना, भय, मान-सम्मान में कमी, पहली और" चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। भवन ईस्ट-साउथईस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से पुरूष बीमार, भय, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ,. कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी और छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। भवन
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (51) देखें www.dwarkadheeshvatu.com साउथ-साउथईस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी और छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। दक्षिण भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, स्वभाव w| भवन चिड़चिड़ा, मान-सम्मान में कमी व मानसिक w भवन E वेस्ट-साउथवेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव भवन N साउथ-साउथवेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर के मुखिया, मुख्य महिला व पहली और पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, w| भव अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। TE व वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी और सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। WI पश्चिम भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर के मुखिया व पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी WA भवन |E होना व जेल जाना संभव है। भवन नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी और W| wl भवन सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से उत्तर बढ़ने के लाभ नहीं मिलेंगे बल्कि नार्थ-नार्थईस्ट कोना कटने के प्रभाव लागू होंगे। इससे धन की कमी, पूरा परिवार w| भवन परेशान, बीमार, प्रगति न होना, पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। E विदिशा प्लॉट EN MIVE N AVE N भवन w नार्थ-ईस्ट इस भाग में NIVE भवन भवन बॉलकनी का निर्माण भवन होने से इसके बढ़ने के Sw शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे भवन w उत्तर भाग में बॉलकनी का सही बल्कि उत्तर और पूर्व पूर्व भाग में बॉलकनी का सही निर्माण होने निर्माण होने से धन की प्राप्ति, महिलाएँ कोने कटने के अशुभ w से पुरूष स्वस्थ और सुखी रहेंगे, स्वभाव स्वस्थ और सुखी रहेंगी, मान-सम्मान प्रभाव लागू होंगे। इससे धन की कमी, निर्मल होगा, मान-सम्मान और आय बढ़ेगी बढ़ेगा व स्वभाव निर्मल होगा। निर्माण महिलाएँ व पुरूष बीमार, मान-सम्मान में व उच्च पद पर कार्यरत होंगे। निर्माण गलत गलत होने पर अशुभ परिणाम होंगे। कमी व स्वभाव चिड़चिड़ा और गुस्सैल होगा। होने पर अशुभ परिणाम होंगे। E साउथ-ईस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण N होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी और छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। भवन N दक्षिण भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, मान-सम्मान में कमी व मानसिक अशान्ति रहेगी। भवन भवन S W N N भवन साउथ-वेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को गम्भीर बीमारी, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। पश्चिम भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से घर के मुखिया व पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। भवन भवन WALS सार्थ-वेस्ट माग में बॉलकनी का निर्माण होने से महिलाएँ बीमार कर्क जमो मानशिक अशान्ति दीलिया होना है। भवन | नार्थ-वेस्ट भाग में बॉलकनी का निर्माण होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी और सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। - भवन
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________________ w छत के छत संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें ( 52 ) देखें www.dwarkadheeshvatu.com बहुमंजिला भवन में बॉलकनी के प्रभाव छत और फर्श दोनों में समान रूप से कोई भी भाग बढ़ने पर प्रभाव पूर्ण रूप से लागू होते हैं / यदि कोई एक भाग बढ़ता है तो उसके आधे प्रभाव ही लागू होंगे। दिशा प्लॉट पूर्व फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-साउथईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है| इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। तीसरी मंजिल पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-साउथईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू होंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-नार्थईस्ट umlft दूसरी मंजिल बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-साउथईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग पहली मंजिल बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-नार्थईस्ट बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। ग्राउन्ड फ्लोर तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से ईस्ट-साउथईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत चौरस है - सड़क इसलिए ईस्ट-साउथईस्ट बढ़ने के 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। _s उत्तर फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है। इससे | 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। तीसरी मंजिल पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा Mama दूसरी हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थवेस्ट भाग मंजिल बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू होंगे। पहली दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थईस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा मंजिल हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू होंगे। ग्राउन्ड फ्लोर तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से नार्थ-नार्थईस्ट भाग बढ़ गया है, किन्तु छत चौरस है। / सडक इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। दक्षिण फेसिंग भवन छत त ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है। |WS तीसरी इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। || मंजिल पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा Mult दूसरी हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथईस्ट भाग मंजिल बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू ही होंगे। पहली दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा मंजिल हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथईस्ट भाग ग्राउन्ड बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू ही होंगे। फ्लोर तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से साउथ-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया है, किन्तु छत चौरस है। सड़क इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। पश्चिम फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है। इससे IAN 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। तीसरी मंजिल पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा Comml दूसरी हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-साउथवेस्ट मंजिला भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू ही होंगे। दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा मंजिल हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे / फर्श में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-साउथवेस्ट भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव लागू ही होंगे। ग्राउन्ड / फ्लोर | तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग बढ़ गया है, किन्तु छत चौरस है। - सड़क इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। छत पहली May
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________________ मंजिल ग्राउन्ड | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (53) _ देखें www.dwarkadheeshvatu.com विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। तीसरी पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है MIM दूसरी किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। मंजिल दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हआ पहली नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है मंजिल किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ गया है किन्तु छत चौरस है इससे 50 फ्लोर प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन W N ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। तीसरी पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ मंजिल नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे / छत में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ गया दूसरी है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। मंजिल दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा पहली हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पूर्व भाग बढ़ मंजिल गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु छत चौरस है इससे 50 फ्लोर प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। ___ सड़क S छत IITHI ग्राउन्ड सडक w छत / तीसरी मंजिल in दूसरी साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से दक्षिण भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु छत चौरस है इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। मंजिल पहली मंजिल 1000 ग्राउन्ड फ्लोर सडक तीसरी मंजिल MARATI नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन ग्राउन्ड फ्लोर : छत में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श चौरस है इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। पहली मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। छत में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। दूसरी मंजिल : छत में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है किन्तु फर्श में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। फर्श में बॉलकनी के निर्माण से पश्चिम भाग बढ़ गया है किन्तु छत में यह भाग बढ़ा हुआ नहीं है, इससे 50 प्रतिशत अशुभ प्रभाव ही लागू होंगे। तीसरी मंजिल : फर्श में बॉलकनी के निर्माण से उत्तर भाग बढ़ गया है किन्तु छत चौरस है इससे 50 प्रतिशत शुभ प्रभाव ही मिलेंगे। दूसरी मंजिल पहली मंजिल ग्राउन्ड फ्लोर सड़क
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (54) देखें www.dwarkadheeshvatu.com बॉलकनी के निर्माण की विधि दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट दक्षिण/पश्चिम में बॉलकनी/छज्जा बनाने से मुख्य दीवार | साउथ-वेस्ट में बॉलकनी/छज्जा sw सही निर्माण NE पर वजन आ जाता है। यह शुभ है। ध्यान रहे कि बनाने से मुख्य दीवार पर वजन आ जाता बॉलकनी/छज्जा भवन के पूरे भाग में ही बनना चाहिए, किसी / है। यह शुभ है। ध्यान रहे कि बॉलकनी RCC एक कोने में नहीं। बॉलकनी/छज्जा भवन के पूरे भाग में ही IS बॉलकनी सही निर्माण N W बॉलकनी सही निर्माण E बनना चाहिए, किसी एक कोने में नहीं। दीवार स्लैब दीवार RCC RCC | दीवार दीवार | दीवार दीवार वॉलकना दीवार RCC स्लैब दीवार नार्थ-ईस्ट/नार्थ-वेस्ट/ साउथ FNw गलत निर्माण SE ईस्ट में बॉलकनी/छज्जा बनाने से मुख्य दीवार पर वजन ज्यादा आ पूर्व/उत्तर/ नार्थ-ईस्ट में बॉलकनी/ छज्जा बनाने से / जाता है, जिसके गम्भीर अशुभ मुख्य दीवार पर वजन ज्यादा आ जाता है, जिसके गम्भीर परिणाम हैं। अशुभ परिणाम हैं। sw गलत निर्माण NE ___Nw गलत निर्माण SE s गलत निर्माण बॉलकनी N गलत निर्माण बॉलकनी E 8888888888 RCC RCC RCC स्लैब स्लैब स्लैब :::::: बालकनी दीवार दीवार दीवार दीवार RCC दीवार दीवार दीवार स्लैब दीवार सही निर्माण की विधि सही निर्माण की विधि 28] 353SNA RCC स्लब सही निर्माण बॉलकनी सही निर्माण बॉलकनीE नार्थ-ईस्ट में बॉलकनी/ sw सही निर्माण बॉलकनी छज्जा बनाते समय यह RCC ध्यान रखें कि इसका भार / RCC स्लैब स्लैब किसी स्तम्भ या दीवार पर ही रहना चाहिए। यदि पूर्व/उत्तर की तरफ बॉलकनी/छज्जा बनाना हो तो इसका भार किसी स्तम्भ या दीवार पर ही रहना चाहिए। | दीवार दीवार दीवार दीवार | दीवार दीवार AMANA स्तम्भ - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ----------- नार्थ-वेस्ट या साउथ-ईस्ट में बॉलकनी/छज्जा का निर्माण बॉलकनी सही निर्माण बॉलकनी NW सही निर्माण SE भवन के दोनो तरफ करें या किसी भी तरफ न करें। ध्यान रखें 38888 कि दोनो तरफ की बॉलकनी की लम्बाई, चौंड़ाई व वजन एक Nw RCC RCC ही समान हो। SE दीवार स्लैब दीवार | दीवार स्लैब दीवार बिजली के तार व रस्सी के प्रभाव नि बिजली का तार या रस्सी जिस दिशा से भवन में जुड़ी होती है वह भाग उतना ही बढ़ जाता है। विदिशा प्लॉट N उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व 4 यहाँ शेड द्वारा दिखाए गए स्थान में कहीं दिशा प्लॉट से भी बिजली का तार या रस्सी N छत/बॉलकनी/दीवार से बँधी होने से. शुभ प्रभाव प्राप्त होंगे क्योंकि पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट भाग का बढ़ना शुभ है। नार्थ-वेस्ट उत्तर बिना शेड द्वारा दिखाई गई जगह में कहीं से भी बिजली का तार या रस्सी W] पश्चिम ब्रह्मस्थान पूर्व AE इत्यादि छत/बॉलकनी/दीवार से पूर्व E3 बँधी होने पर उस भाग के बढ़ने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। यदि इस भाग से तार लाना अनिवार्य है तो इसे जमीन साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट के अन्दर से दबाकर (अन्डरग्राउन्ड) लाकर व दीवार से चिपकाकर ही मीटर तक ले जाएँ। | नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण W
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (55) देखें www.dwarkadheeshvatu.com माण/ कमर म काना कटना या बढ़ना सभी मंजिलों पर एक समान होगा। कोना कटने या बढ़ने का प्रभाव दिशा प्लॉट उत्तर फेसिंग भूमि/भवन/कमरा नार्थ-नार्थईस्ट कोना बढ़ने से शुभ प्रभाव नार्थ-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से महिलाएं बीमार, कर्जे, होंगे। इससे धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सड़क झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर - प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक कार्यरत, घर के मुखिया, पहली और चौथी w समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। संतान को विशेष लाभ होगा। निर्माण र्माणE नार्थ-नार्थईस्ट कोना कटने से पूरा परिवार परेशान, | नार्थ-नार्थवेस्ट कोना कटने से महिलाएँ बीमार, धन व मान-सम्मान में कमी और पहली कोई प्रभाव नहीं होगा। व चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। सड़क सड़क N N विस्ट-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें रहेंगी और पुरूषों को समस्याएँ रहेंगी। सड़क साउथ-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से मुख्य महिला, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें रहेंगी और / महिलाओं को समस्याएँ रहेंगी। W| JE निर्माण सड़क N N साउथ-वेस्ट कोना बढ़ने से मुख्य महिला, घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें रहेंगी। और महिलाओं व पुरूषों को समस्याएँ रहेंगी। ईस्ट-साउथईस्ट कोना बढ़ने से पुरूष बीमार, र सड़क कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। समस्याएँ, META wl H E निमाण साउथ-साउथईस्ट कोना बढ़ने से महिलाएँ ____ सड़क N बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक Wनिर्माण NE समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-ईस्ट कोना बढ़ने से महिलाएँ व पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक Wनिर्माण समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। ZON N सड़क N उत्तर भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे नार्थ-नार्थवेस्ट व नार्थ-नार्थईस्ट कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। इससे पूरा परिवार परेशान, महिलाएँ बीमार, धन व मान-सम्मान में कमी और पहली व चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। दक्षिण में खुला स्थान होने से निर्माण में यह भाग कट गया है, इससे महिलाएँ WE निर्माणE बीमार व घर से बाहर रहेंगी। दोष को दूर करने का उपाय : बॉलकनी किसी भी प्रकार भवन के बढ़े हुए भाग को चित्र में घने शेड द्वारा दिखाए की हो नीचे दिखाए सड़क अनुसार हल्की सामग्री से कवर करके चौरस करें। कवर - अनुसार इसे पूरे भाग में करने के लिए हल्की सामग्री जैसे फाईबर या टीन शेड का ही फीट ऊची आयताकार ही बनाना प्रयोग करें। यदि यह संभव न हो तो प्लॉट/भवन/बेडरूमW जरूरी है। ध्यान रहे कि W के बढ़े हुए भाग को चित्र में डॉटेड लाईन से दिखाए अनुसार इसका वजन पिलर पर कम से कम 2 फीट ऊँची दीवार खड़ी करके अलग कर दें, ही रहना चाहिए। दक्षिण इससे इसका आकार चौरस हो जाएगा। दीवार को लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर के खुले हुए भाग को शेड द्वारा दिखाए अनुसार सकते हैं। यह भी संभव न होने पर दीवार को तोड़कर सीधा करें। समान या भारी सामग्री से कवर करें। सड़क INITION -दीवार S सड़क N बढ़े हुए भाग को तोड़कर हटा दें या चित्र 1 में दिखाए अनुसार कवर करने से भी दोष दूर हो जाएंगे। Hin निर्माणNE सड़क N सड़क N सड़क N खुले हुए भाग को घने शेड सड़क N सड़क N द्वारा दिखाए अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के W निर्मा 1EWAनिर्माण समान वजनी सामग्री से कवर करने पर ही दोष दूर होंगे। इन भागों को कवर चित्र 1करना जरूरी है। 'निर्माण EWनिर्माण NEWनिर्माण
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________________ सड़क संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (56) देखें www.dwarkadheeshvatu.com पूर्व फेसिंग भूमि/भवन/कमरा ईस्ट-नार्थईस्ट कोना बढ़ने से शुभ _ प्रभाव होंगे। इससे धन की प्राप्ति, पूरा , ईस्ट-साउथईस्ट कोना बढ़ने से अशुभ प्रभाव होंगे। सड़क परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च इससे पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, पद पर कार्यरत, पुरूषों के आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, निर्माण मान-सम्मान व आत्मविश्वास में " निर्माण कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, पहली और न व विवाह से परेशान रहेंगे। चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। ईस्ट-नार्थईस्ट कोना कटने से गंभीर प्रभाव होंगे। W | ईस्ट-साउथईस्ट कोना कटने से कोई प्रभाव इससे पूरा परिवार परेशान, पुरूष बीमार, मान-सम्मान में कमी, भय और नहीं होगा। पहली व चौथी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। w E सड़क नार्थ-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को NI अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे और पूरा परिवार को समस्याएँ रहेंगी। वेस्ट-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी सड़क की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को NEनिर्माण अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को समस्याएँ रहेंगी। निर्माण VA सड़क E नार्थ-वेस्ट कोना बढ़ने से महिलाएँ व पुरूष सडक F बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, निर्माण कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे और पूरे परिवार को समस्याएँ रहेंगी। W साउथ-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें और महिलाएँ बीमार रहेंगी। सड़क E वेस्ट-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, NAनिर्माण घर से बाहर रहना, बुरी आदतें और पुरूष बीमार रहेंगे। साउथ-वेस्ट कोना बढ़ने से घर के मुखिया, सड़क E पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें और महिलाएं व पुरूष निर्माण बीमार रहेंगे। घर की मुख्य महिला बीमार रहेगी। W ME सड़क नर्माण दीवार सड़क E पूर्व भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे ईस्ट-नार्थईस्ट व ईस्ट-साउथईस्ट कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। इससे पूरा परिवार परेशान, बीमार, पुरूषों में भय, धन व मान-सम्मान में कमी और पहली व चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। पश्चिम में खुला स्थान होने से निर्माण में यह भाग कट गया है, इससे / पुरूष बीमार, बुरी आदतें व घर से बाहर रहेंगे। दोष को दूर करने का उपाय : W भवन के बढ़े हुए भाग को चित्र में घने शेड द्वारा दिखाए बॉलकनी किसी भी प्रकार की हो नीचे अनुसार हल्की सामग्री से कवर करके चौरस करें। कवर दिखाए अनुसार इसे पूरे भाग में सड़क E करने के लिए हल्की सामग्री जैसे फाईबर या टीन शेड आयताकार ही बनाना जरूरी है। UPIA का ही प्रयोग करें। यदि यह संभव न हो तो चित्र में ऊँची ध्यान रहे कि इसका वजन पिलर पर . डॉटेड लाईन से दिखाए अनुसार कम से कम 2 फीट 'N ही रहना चाहिए। दक्षिण के खले हए Nनिर्माण ऊँची दीवार खड़ी करके बढ़े हुए भाग को अलग कर दें। भाग को शेड द्वारा दिखाए अनुसार इससे प्लॉट/निर्माण का आकार चौरस हो जाएगा। समान या भारी सामग्री से कवर करें। दीवार को लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर सकते हैं। खुले हुए भाग को घने बढ़े हुए भाग को तोड़कर हटा दें या चित्र 1 में दिखाए शेड द्वारा दिखाए अनुसार सड़क सड़क अनुसार कवर करने से भी दोष दूर हो जाएंगे। सड़क E बने हुए भाग के निर्माण में सड़क E सड़क E सड़क E प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी सामग्री से N निर्माण NS NEनिर्माण, निर्माण कवर करने पर ही दोष IS NAनिर्माण NSNI निर्माण निर्माण दूर होंगे। इन भागों को W कवर करना जरूरी है। चित्र 1 ___ w W N NS E UINITION w W W W
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________________ सड़क सड़क संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (57) देखें www.dwarkadheeshvatu.com दक्षिण फेसिंग भूमि/भवन/कमरा साउथ-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से साउथ-साउथईस्ट कोना बढ़ने से अशुभ प्रभाव होंगे। इससे अशुभ प्रभाव होंगे। इससे मुख्य महिलाएँ बीमार, कजे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व महिला, घर के मुखिया, पहली व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, दूसरी पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से निर्माण WEEनिर्माण्व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी रहेंगे। होना व जेल जाना संभव है। साउथ-साउथवेस्ट कोना कटने से अशुभ प्रभाव | साउथ-साउथईस्ट कोना N होंगे। इससे घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को कटने से महिलाएँ बीमार रहेंगी व उनका स्वभाव बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव चिड़चिड़ा होगा। है। घर की मुख्य महिला भी बीमार रहेगी। ईस्ट-नार्थईस्ट कोना बढ़ने से इससे धन की सड़क s प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, पुरूषों के मान-सम्मान व आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, पहली | निर्माण W और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। नार्थ-नार्थईस्ट कोना बढ़ने से शुभ प्रभाव न होंगे। इससे धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, घर के मुखिया, पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। निर्माण नार्थ-ईस्ट कोना बढ़ने से इससे धन की - प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, मान-सम्मान व आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, F पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। वेस्ट-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से पुरूष बीमार, - कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी कीघटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व ELनिर्माण विवाह से परेशान रहेंगे। घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को समस्याएँ रहेंगी। निर्माण W N निर्माण NW नार्थ-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से पुरूष बीमार, सड़क 5 नार्थ-वेस्ट कोना बढ़ने से महिलाएँ व पुरूष - कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व -- सड़क S की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को F कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक EE निर्माण अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे और पूरा और पूरा परिवार बीमार व परेशान रहेगा। परिवार बीमार व परेशान, घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को समस्याएँ रहेंगी। N सड़क S दक्षिण भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे साउथ-साउथवेस्ट व साउथ-साउथईस्ट कोने कटने के - प्रभाव लागू होंगे। इससे इससे घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना व महिलाएँ बीमार रहेंगी और उनका स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। उत्तर में खुला स्थान होने से E निर्माण Aw निर्माण में यह भाग कट गया है, इससे धन की कमी, महिलाएँ बीमार व उनका स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। दोष को दूर करने का उपाय : चित्रों में डॉटेड लाईन से दिखाए - बॉलकनी किसी भी प्रकार की हो अनुसार कम से कम 2 फीट ऊँची 2 फीट D सड़क सड़क नीचे दिखाए अनुसार इसे पूरे 12 फीट दीवार खड़ी करके अलग कर दें। दीवार | ऊँची भाग में आयताकार ही बनाना दीवार इससे प्लॉट/निर्माण का आकार EEनिर्माणw Eनिर्माण जरूरी है। उत्तर के खुले हुए भाग को शेड द्वारा दिखाएE चौरस हो जाएगा। दीवार को निर्माणAW लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर अनुसार हल्की या समान सामग्री सकते हैं। से कवर करें। सड़क यदि इन भागों को कवर करना संभव नहीं है तो बढ़े हुए भाग को दिखाए अनुसार तोड़कर हटा दें। सड़क 5 सड़क 5 सड़क S खुले हुए भाग को घने शेड द्वारा दिखाए सड़क सड़क S सड़क S अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई EAANWER निर्माण WE निर्माण सामग्री के समान वजनी सामग्री से कवर करने पर दोष दूर हो जाएगा। Eनिर्माण |WENनिर्माण WE निर्माण W
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________________ W संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (58) देखें www.dwarkadheeshvatu.com पश्चिम फेसिंग भूमि/भवन/कमरा वेस्ट-साउथवेस्ट कोना बढ़ने से वेस्ट-नार्थवेस्ट कोना बढ़ने से अशुभ प्रभाव होंगे। इससे पुरूष W - अशुभ प्रभाव होंगे। इससे घर के बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को 1 घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, तीसरी व सातवीं बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। अपराधी होना व जेल जाना संभव है। SEनिर्माण निर्माण व वेस्ट-साउथवेस्ट कोना कटने से अशुभ प्रभाव होंगे। | वेस्ट-नार्थवेस्ट कोना कटने इससे घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से से पुरूष बीमार रहेंगे व उनका बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। आत्मविश्वास कम होगा। सड़क सडक साउथ-साउथईस्ट कोना बढ़ने से महिलाएं बीमार, सडक कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, कोर्ट-केस, दूसरी | व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से 5 परेशान रहेंगे और मुख्य महिला, पहली व पाँचवीं संतान को समस्याएँ रहेंगी। ईस्ट-साउथईस्ट कोना बढ़ने से पुरूष बीमार, सड़क W कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, निर्माणIN कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे और पूरा परिवार बीमार व परेशान रहेगा। निर्माणNN 6 साउथ-ईस्ट कोना बढ़ने से महिलाएं व पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व - सड़क W नार्थ-नार्थईस्ट बढ़ने से शुभ प्रभाव होंगे। सड़ चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, इससे धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व कोर्ट-केस, दूसरी व छठी संतान को अधिक s निर्माण सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, घर के 5 निर्माण समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे और पूरा मुखिया, पहली और चौथी संतान को विशेष परिवार बीमार व परेशान, मुख्य महिला, पहली व लाभ होगा। पाँचवीं संतान को समस्याएँ रहेंगी। नार्थ-ईस्ट कोना बढ़ने से इससे धन की सड़क w ईस्ट-नार्थईस्ट बढ़ने से इससे धन की प्राप्ति, सड़क W प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, पुरूषों के मान-सम्मान व उच्च पद पर कार्यरत, मान- सम्मान व निर्माणNN Sनिर्माण आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, पहली पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। होगा। सड़क W पश्चिम भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे वेस्ट-साउथवेस्ट व वेस्ट-नार्थवेस्ट कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। इससे इससे घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना व पुरूष बीमार रहेंगे व उनका आत्मविश्वास कम होगा। पूर्व में खुला स्थान होने से निर्माण में यह Sनिर्माण AN/ भाग कट गया है। दोष को दूर करने का उपाय : चित्रों में डॉटेड लाईन से दिखाए बॉलकनी किसी भी प्रकार की सड़क W अनुसार कम से कम 2 फीट ऊँची 2 फीट D सड़क र फीट हो नीचे दिखाए अनुसार इसे पूरे USA ऊँची. दीवार खड़ी करके अलग कर दें। दीवार दीवार भाग में आयताकार ही बनाना , इससे प्लॉट/निर्माण का आकार निर्माण N Sनिर्माण निर्माण AN जरूरी है। पूर्व के खुले हुए भाग ' चौरस हो जाएगा। दीवार को को शेड द्वारा दिखाए अनुसार LANA लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर हल्की या समान सामग्री से सकते हैं। कवर करें। यदि इन भागों को कवर करना संभव नहीं है तो | बढ़े हुए भाग को दिखाए अनुसार तोड़कर हटा दें। सड़क W सड़क W सड़क W खुले हुए भाग को घने शेड सड़क w सड़कw सड़कW द्वारा दिखाए अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी निर्माण NSEनिर्माणENSE निर्माण सामग्री से कवर करने पर दोष दूर हो जाएगा। KA निर्माण INSNनिर्माण NNS| निर्माण 8
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (59) देखें www.dwarkadheeshvatu.com विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट फेसिंग भूमि/भवन/कमरा पूर्व कोना बढ़ने से पुरूष स्वस्थ, सुखी, उत्तर कोना बढ़ने से धन की प्राप्ति, महिलाएँ स्वस्थ, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व स्वभाव व सड़क सुखी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व स्वभाव अच्छा होगा। अच्छा व पूज्यनीय होगा। पूर्व बढ़ना पूर्व कोना कटने से पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय ईश्वर की विशेष कृपा का प्रतीक है। निर्माण लगना, मान-सम्मान में कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक उत्तर कोना कटने से महिलाएँ समस्याएँ, संतान न होना संभव है। सामान्य रहेंगी। N सड़क WA पश्चिम कोना N सड़क E N सड़क E N सड़क E दक्षिण कोना N सड़क E N सड़क EN सड़क E] बढ़ने से धन बढ़ने से घर की की कमी, घर धन की कमी, के मुखिया व निर्माण निर्माण निर्माण निर्माण निर्माण निर्माण मुख्य महिला, पुरूष संतान र स्त्री संतान व को बीमारी, w s w पुरूष बीमार, WsWS Ws बुरी आदतें, घर से बाहर रहना व महिलाएं बीमार और सुस्त रहेंगी। मान-सम्मान में कमी, मानसिक अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। VA N सडक नार्थ-ईस्ट भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे पूर्व व उत्तर कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। पूर्व कटने से पुरूषों को गम्भीर N सड़क बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान में कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना संभव है। उत्तर कटने से धन की कमी, महिलाएँ बीमार, मान-सम्मान कम व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। साउथ-वेस्ट में खुला स्थान होने से निर्माण में यह भाग कट गया है, निर्माण इससे घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को बीमारी, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी स्वभाव व जेल जाना संभव है। दोष को दूर करने का उपाय : भवन के बढ़े हुए भाग को चित्र में WS घने शेड द्वारा दिखाए अनुसार बॉलकनी किसी भी प्रकार की हो नीचे दिखाए अनुसार इसे N सड़क E हल्की सामग्री से कवर करके MARRIA पूरे भाग में आयताकार ही बनाना जरूरी है। ध्यान रहे कि IA चौरस करें। कवर करने के लिए इसका वजन पिलर पर ही रहना चाहिए। निर्माण हल्की सामग्री जैसे फाईबर या निर्माण साउथ-वेस्ट के खुले हुए भाग को शेड द्वारा दिखाए टीन शेड का ही प्रयोग करें। WLL Is अनुसार समान या भारी सामग्री से कवर जरूरी है। WS +------------------------ -------------------------------------------------------------------------- खुले हुए भाग को घने शेड द्वारा - N सड़क E N सड़क E N सड़क E N सड़क E N सड़क E N सड़क F दिखाए अनुसार बने हुए भाग के . निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी सामग्री से कवर निर्माण निर्माण करने पर ही दोष दूर होंगे। इन ... WAS WALL Ass WZ/As wzmu , w भागों को कवर करना जरूरी है। " साउथ-वेस्ट फेसिंग भूमि/भवन/कमरा पश्चिम कोना बढ़ने से घर के मुखिया व पुरूष दक्षिण कोना बढ़ने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से बाहर सड़क डक W संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, मानसिक रहेंगे। अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। दक्षिण कोना कटने से घर की मुख्य महिला पश्चिम कोना कटने से घर के मुखिया व व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, निर्माण निर्माण पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से मानसिक अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। EA IN बाहर रहेंगे। चिड़चिड़ा होगा। निर्माण निर्माण पर्व कोना S सड़क ws सड़क ws सड़क w उत्तर कोना S सड़क WE सड़क ws सड़क W बढ़ने से पुरूष बढ़ने से धन की प्राप्ति, महिलाएँ स्वस्थ, सुखी, निर्माण निर्माण निर्माण स्वस्थ, सुखी, निम मान-सम्मान निर्माण मान- सम्मान में बढ़ोत्तरी वENNETA_INE OWNE में बढ़ोत्तरी वEस्वभाव अच्छा होगा। महिलाएँ सामान्य रहेंगी स्वभाव अच्छा होगा किन्तु पुरूष बीमार और सुस्त रहेंगे। साउथ-वेस्ट भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे दक्षिण व पश्चिम कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। दक्षिण 9 सडक कोना कटने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, मानसिक अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा Lom होगा। पश्चिम कोना कटने से घर के मुखिया व पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से बाहर रहेंगे। चिड़चिड़ा होगा। साउथ-वेस्ट बढ़ गया है और नार्थ-ईस्ट में खुला स्थान होने से यह भाग कट गया है, इससे घर के मुखिया व पहली और पाँचवीं संतान को बीमारी, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी स्वभाव व जेल जाना संभव है। निर्माण
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (60) देखें www.dwarkadheeshvatu.com उपाय: बॉलकनी के बढ़े हुए भाग ऊंची दीवार / प्लॉट/निर्माण के बढ़े हुए भाग को सडक सड़क तोड़कर चौरस करने से दोष दूर हो 2 फीट जाएगा। यदि यह संभव नहीं है तो चित्रों दीवार में डॉटेड लाईन से दिखाए अनुसार कम निर्माण निर्माण से कम 2 फीट ऊँची दीवार खडी करके अलग कर दें। इससे प्लॉट/निर्माण का E UN आकार चौरस हो जाएगा। दीवार को लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर सकते हैं। - बॉलकनी के बढे हए भाग 5 सड़क W को तोड़कर सीधा करें। URIA यदि यह संभव नहीं है तो निर्माण इसे नीचे दिखाए अनुसार पूरे भाग में आयताकार ही FLAININ बनाना जरूरी है। नार्थ-ईस्ट के खुले हुए भाग को शेड द्वारा दिखाए अनुसार हल्की सामग्री से कवर करना जरूरी है। AN ------- S सड़क W E सड़क Ws सड़क W खुले हुए भाग को घने शेड द्वारा दिखाए अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी सामग्री से कवर करने पर ही दोष दूर होंगे। इन भागों को कवर करना जरूरी है। निर्माण निर्माण निर्माण ZUZAN EAN EA11111 ZIN साउथ-ईस्ट फेसिंग भूमि/भवन/कमरा दक्षिण कोना बढ़ने से घर की मुख्य महिला व स्त्री = सड़क 5 E. सड़क पूर्व कोना बढ़ने से पुरूष स्वस्थ, सुखी, संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, मानसिक / - मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व स्वभाव अच्छा होगा। अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। दक्षिण कोना कटने से घर की मुख्य महिला | पूर्व कटने से पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान में कमी, कोर्ट-केस, निर्माण व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, निर्माण मानसिक अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना संभव है। N Jw उत्तर कोना E सड़क SE सड़क SE सड़क 5 बढ़ने से धन की प्राप्ति, महिलाएँ स्वस्थ रहेंगी। निर्माण र | निर्माण निर्माण किन्तु पुरूषों को बीमारी, भय, मान-सम्मान में NRN कमी, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। पश्चिम कोना E सड़क SE सड़क SE सड़क S| बढ़ने से घर के मुखिया व पुरूष निर्माण संतान को निर्माण / बीमारी, बुरी / आदतें व घर से N W N W NW बाहर रहेंगे। महिलाएँ बीमार व सुस्त रहेंगी। साउथ-ईस्ट भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे पूर्व व दक्षिण कोने कटने के प्रभाव लाग होंगे। पर्व कटने से 5 सड़क पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान में कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना संभव है। दक्षिण कोना कटने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, मानसिक अशान्ति व स्वभाव निर्माण चिड़चिड़ा होगा। नार्थ-वेस्ट में खुला स्थान होने से यह भाग हल्का हो गया है, इससे महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, प्रशासनिक समस्याएँ, दिवालिया होना, तीसरी व सातवीं संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। सड़क सड़क दोष को दूर करने का उपाय : प्लॉट/निर्माण के बढ़े हुए भाग को बॉलकनी किसी भी प्रकार की E तोड़कर चौरस करने से दोष दूर हो 2 फीट / 12 फीट हो नीचे दिखाए अनुसार इसे सड़क जाएगा। यदि यह संभव नहीं है तो दीवार चित्रों में डॉटेड लाईन से दिखाए निर्माण पूरे भाग में आयताकार ही अनुसार कम से कम 2 फीट ऊँची बनाना जरूरी है। नार्थ-वेस्ट दीवार खड़ी करके अलग कर दें। के खुले हुए भाग को शेड निर्माण - N इससे प्लॉट/निर्माण का आकार W N w द्वारा दिखाए अनुसार समान वजनी सामग्री से कवर करें। N चौरस हो जाएगा। दीवार को लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर सकते हैं। UNIA E सड़क S E सड़क SE सड़क S खुले हुए भाग को घने शेड द्वारा दिखाए अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी सामग्री से कवर करने पर ही दोष दूर होंगे। इन भागों को कवर करना जरूरी है। निर्माण निर्माण निर्माण ZW NWINNW N NL W
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (61) देखें www.dwarkadheeshvatu.com नार्थ-वेस्ट फेसिंग भूमि/भवन/कमरा उत्तर कोना बढ़ने से धन की प्राप्ति, महिलाएँ सडक NW सड़क सड़क पश्चिम कोना बढ़ने से घर के मुखिया व स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व . पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से स्वभाव अच्छा होगा। बाहर रहेंगे। पश्चिम कोना कटने से घर के मुखिया व निर्माण उत्तर कोना कटने से धन की कमी. पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से महिलाएँ बीमार, मान-सम्मान में कमी व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। बनम O S दक्षिण कोना बढ़ने से घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, पूर्व कोना बढ़ने से पुरूष स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व मान-सम्मान में कमी, मानसिक अशान्ति व स्वभाव चिड़चिड़ा स्वभाव अच्छा होगा। महिलाएँ सामान्य रहेंगी। होगा। पुरूष बीमार व सुस्त रहेंगे। W सड़क N W सड़क N W सड़क N W सड़क N W सड़क N W सड़क N निर्माण निर्माण निर्माण निर्माण | निर्माण निर्माण E SE S E SE SE W सड़क N नार्थ-वेस्ट भाग में बॉलकनी/निर्माण बढ़ गया है। इससे उत्तर व पश्चिम कोने कटने के प्रभाव लागू होंगे। उत्तर कोना कटने से धन की कमी, महिलाएँ बीमार, मान-सम्मान में कमी व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। पश्चिम कोना कटने से घर के मुखिया व पुरूष संतान को बीमारी, बुरी आदतें व घर से बाहर रहेंगे। साउथ-ईस्ट में खुला स्थान होने से यह भाग हल्का हो गया है, इससे महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। निर्माण। ----------------------------------------------- ऊँची टकवार -------------------------------- ___ दोष को दूर करने का उपाय : प्लॉट/निर्माण के बढ़े हुए भागW N NW बॉलकनी किसी भी प्रकार को तोड़कर चौरस करने से दोष HW सड़क N सडक सड़कफीट की हो नीचे दिखाए - दर हो जाएगा। यदि यह संभव 2 फीट D> अनुसार इसे पूरे भाग में नहीं है तो चित्रों में डॉटेड लाईन दीवार आयताकार ही बनाना निर्माण से दिखाए अनुसार कम से कम 2 निर्माण निर्माण जरूरी है। साउथ-ईस्ट फीट ऊँची दीवार खड़ी करके के खुले हुए भाग को शेड LA अलग कर दें। इससे se see द्वारा दिखाए अनुसार प्लॉट/निर्माण का आकार चौरस समान वजनी सामग्री से कवर करें। हो जाएगा। दीवार को लाँघकर इस भाग को प्रयोग कर सकते हैं। W सड़क N W सड़क N W सड़क N खुले हुए भाग को घने शेड द्वारा दिखाए अनुसार बने हुए भाग के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान वजनी सामग्री से कवर करने पर ही दोष दूर होंगे। इन भागों को कवर करना जरूरी है। निर्माण -निर्माण निर्माण SAVE SKIE SLUISE छत की स्लैब के निर्माण की विधि गलत निर्माण सही निर्माण RCC फर्श का ढ़ाल opowroomwww.RCO 388888888888888888 स्लैब स्लब [ दीवार दीवार | दीवार दीवार दीवार दीवार दीवार दीवार छत की आर.सी.सी. स्लैब का किसी भी दिशा में झुका होने से उस दिशा में वजन अधिक आ जाता है। पूरे भवन में आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान ही रहना चाहिए। आर.सी.सी. स्लैब का तल एक समान रखते हुए इसके ऊपर फर्श में दिखाए अनुसार ढ़ाल रखें।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें। ( 62 देखें www.dwarkadheeshvatu.com छत का कोई एक भाग नीचा होने के प्रभाव पूर्व , उत्तर व नार्थ-ईस्ट में छत का तल नीचा रखना सर्वश्रेष्ठ है, यदि यह संभव न हो, तो पूरी छत का तल एक समान ही रखें। किसी भी हाल में दक्षिण , पश्चिम और साउथ-वेस्ट में तल नीचा नहीं होना चाहिए। साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट का तल एक बराबर होना चाहिए तथा ढाल साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें। यदि किसी भाग में छत का तल 2 फीट से अधिक नीचा हो जाता है तो वह गढ़ढ़े के रूप में माना जाएगा जिससे शेष भाग ऊँचा हो जाएगा। शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह N. नार्थ-वेस्ट ___ उत्तर नार्थ-ईस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट। शुभ प्रभाव : पूर्व , उत्तर व नार्थ-ईस्ट भाग में छत का लेबल नीचा होना श्रेष्ठ है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न व स्वस्थ, परिवार की प्रगति, धन की प्राप्ति, व समाज में मान-सम्मान होगा। ब्रह्मस्थान wl पश्चिम नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट / दक्षिण S W शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में छत का तल नीचा होने के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी, महिलाएं बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम होगा। वेस्ट-नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, त. विदिशा प्लॉट दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। - - - - ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली -संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है। - - - - उत्तर : नार्थ-ईस्ट| पूर्व नार्थ-वेस्ट उत्तर /नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान ---बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। पश्चिम / ब्रह्मस्थान - पूर्व उE नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्टु दक्षिण साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट -साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। W ES दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, "मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिडचिडा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (63) देखें www.dwarkadheeshvatu.com छत का कोई एक भाग ऊँचा होने/ओवरहेड वॉटर टैंक के प्रभाव दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट भाग में ही होना चाहिए। किसी भी हाल में पूर्व, उत्तर, नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में नहीं होना चाहिए। ________-------- दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट N N उत्तर / नार्थ-ईस्ट / पूर्व नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट ------- --------- ------- - -- --- ----- ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट W] पश्चिम ब्रह्मस्थान में पूर्व नार्थ-वेस्ट E साउथ दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण W शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में छत ऊँची होने/ओवरहेड वाटर टैंक के प्रभाव | प्लाट नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर में महिलाएं बीमार व धन की समस्या रहेगी। नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट उत्तरलार्थ-ईस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व ----------+> W] पश्चिम ब्रह्मस्थान / पूर्व पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान नं होना व गर्भपात होना संभव है। ह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम/ साउथ-वेस्ट दक्षिण s WW साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, पुरूषों में भय, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दुसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। ब्रह्मस्थान में परिवार में झगडे, बीमारी व वंश वृद्धि न होना संभव है। साउथ-वेस्टे में घर के मुखिया बड़ी संतान को बीमारी, घर से बाहर रहना, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। साउथ में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। पश्चिम में घर का मुखिया घर से बाहर रहेगा।
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________________ |संगीत व वास्त पस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें ( 64 ) देखें www.dwarkadheeshvatu.com छत पर किसी कोने या भाग में निर्माण होने से उससे सम्बन्धित सदस्य पर प्रभाव पड़ता है। निर्माण केवल दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट भाग में ही होना चाहिए, किसी भी हाल में पूर्व, उत्तर,नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में नहीं होना चाहिए। दिशा प्लॉट शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह विदिशा प्लॉट N उत्तर नार्थ-ईस्ट / पूर्व Mनार्थ-वेस्ट तर नार्थ-ईस्ट ---- T N पश्चिम ब्रह्मस्थाने पूर्व नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट भवन चाहें दिशा हो या विदिशा छत पर निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1 नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में दिखाई गई जगह में ही कर सकते हैं। ध्यान रहे कि निर्माण आयताकार ही हो और यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण IAN दिखाई गई गलत जगह में निर्माण के प्रभाव विदिशा प्लॉट दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस,,प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर में धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान कम व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार---- परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान NI में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। पहली मंजिल पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान वधन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। पहली मंजिल ग्राउन्ड फ्लोर ग्राउन्ड फ्लोर ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार / परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है। सड़क सड़क साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया बड़ी संतान को बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है। दक्षिण में महिला व स्त्री सतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। पश्चिम में घर का मुखिया व बड़ी संतान घर से बाहर रहेंगे।
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________________ N | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (65) _ देखें www.dwarkadheeshvatu.com छत पर किसी कोने में निर्माण होने से भवन की सभी मंजिलों के निवासियों पर प्रभाव होता है। दिशा प्लॉट साउथ-ईस्ट व साउथ-वेस्ट कोनों में निर्माण के प्रभाव : दोष का समाधानः निर्माण को साउथ-ईस्ट और wl छत साउथ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से महिलाएं बीमार, कर्जे, साउथ-वेस्ट कोने से तीन झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, ट कोने से तीन ETal फीट तोड़कर अलग करें। कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को छत अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। या साउथ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से घर के मुखिया व पहली परी छत को समान या हल्की wVछत AE संतान को गम्भीर बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है। सामग्री से कवर करें। ZO h mo साउथ-वेस्ट व नार्थ-वेस्ट कोनों में निर्माण के प्रभाव : 1. W छत दोष का समाधानः छत निर्माण को नार्थ-वेस्ट और N/ साउथ-वेस्ट कोने से तीन / फीट तोड़कर अलग करें। या पूरी छत को समान या हल्की NKछत सामग्री से कवर करें। नार्थ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक N| समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से घर के मखिया व पहली संतान को गम्भीर बीमारी व घर से बाहर रहना संभव है। IS YS INN 2. W Dis छत नार्थ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट कोनों में निर्माण के प्रभाव : नार्थ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। 2. नार्थ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। दोष का समाधानः निर्माण को उत्तर , पूर्व की / दीवार व नार्थ-वेस्ट और E नार्थ-ईस्ट कोने से तीन फीट तोड़कर अलग करें। या पूरी छत को भारी या समान , सामग्री से कवर करें। IN ZONS N SZN छत IN 2. या FE E नार्थ-ईस्ट व साउथ-ईस्ट कोनों में निर्माण के प्रभाव : दोष का समाधानः निर्माण को पूर्व , उत्तर की नार्थ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से घर के कमाने वाले सदस्य छत और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की दीवार व साउथ-ईस्ट और ba कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को नार्थ-ईस्ट कोने से तीन फीट तोड़कर अलग करें। अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से महिलाएं बीमार, कर्जे, | झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, SVछत ANI कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को पूरी छत को भारी या समान अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। सामग्री से कवर करें। विदिशा प्लॉट साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवार से सटकर निर्माण के प्रभाव :- - 'दोष का समाधानः साउथ-ईस्ट की दीवार से सटने पर कर्जे, झगड़े, मानसिक निर्माण को नार्थ-वेस्ट और अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक / साउथ-ईस्ट की दीवार से समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व तीन फीट तोडकर अलग W विवाह से परेशान रहेंगे। करें। नार्थ-वेस्ट की दीवार से सटने पर से महिलाएँ मोटी और या पैरों में दर्द रहेगा व तीसरी और सातवीं संतान परेशान पूरी छत को समान सामग्री से "7w रहेगी। N छत छत 2. NA छत / /
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (66) देखें www.dwarkadheeshvatu.com नार्थ-वेस्ट व नार्थ-ईस्ट की दीवार से सटकर निर्माण के प्रभाव :- दोष का समाधानः S निर्माण को नार्थ-वेस्ट और E नार्थ-ईस्ट की दीवार से तीन | छत फीट तोड़कर अलग करें। छत नार्थ-वेस्ट की दीवार से सटने पर महिलाएं बीमार, कर्जे, E झगडे, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-ईस्ट की दीवार से सटने पर धन की कमी व घर के मुखिया और बड़ी संतान परेशान रहेंगे। या 2. EM पूरी छत को समान सामग्री से कवर करें। LA VV नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवार से सटकर निर्माण के प्रभाव: दोष का समाधानः 1. नार्थ-ईस्ट की दीवार से सटने पर घर के कमाने वाले सदस्य निर्माण को नार्थ-ईस्ट, S| साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट / और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की की दीवार से तीन फीट कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को - तोड़कर अलग करें। अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट की दीवार से सटने पर महिलाएँ छत या बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की पूरी छत को समान सामग्री से घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, दिवालिया होना, कोर्ट-केस, कवर करें। और दूसरी, तीसरी, छठी और सातवीं संतान को अधिक EN समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। 2. छत KI/ छत साउथ-ईस्ट व नार्थ ईस्ट की दीवार से सटकर निर्माण के प्रभाव :- दोष का समाधानः निर्माण को नार्थ-वेस्ट और W| 1. साउथ-ईस्ट की दीवार से सटने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, w नार्थ-ईस्ट की दीवार से तीन / झगडे, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, फीट तोड़कर अलग करें। कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-ईस्ट की दीवार से सटने पर धन की कमी व घर के पूरी छत को समान सामग्री से | मुखिया और बड़ी संतान परेशान रहेंगे। कवर करें। छत या WIN 2. छत छत का आकार नीचे चित्रों में दिखाए अनुसार छत का आकार मंदिर, मस्जिद, चर्च, छतरी, झोपड़ी, पिरामिड , गुम्बद व गोल किसी भी तरह हो सकता है। इससे कोई वास्तु दोष नहीं होगा। किन्तु ध्यान रहे कि चारो तरफ छत का ढ़ाल एक समान ही होना चाहिए या नार्थ-ईस्ट में अधिक ढ़ाल हो सकता है।
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (67) देखें www. dwarkadheeshvatu.com छत पर निर्माण से नीचे की सभी मंजिलों के कमरों पर प्रभाव दिशा प्लॉट उत्तर फेसिंग भवन सड़क N सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण पश्चिम में है। जोकि पूरे भवन के लिए ठीक जगह पर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर :कमरा 1: छत पर निर्माण इस कमरे की दक्षिण की दीवार व साउथ-वेस्ट कोने में है। यह शुभ है। कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे की पश्चिम की दीवार पर है, यह शुभ है। छत पर कमरा कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। निर्माण | कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की उत्तर की दीवार व नार्थ-वेस्ट कोने में है। इससे इस कमरे में रहने वाली महिलाएँ बीमार, धन की कमी, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति / यदि इस कमरे में पति-पत्नी रहते हैं तो उनकी तीसरी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी। कमरा WIछत पर ! कमरा कमरा 43 निर्माण से दक्षिण की दीवार की छत में प्रयोग की छत छत छत 2 बाम छत र Vलब दोष का समाधान : समाधान 1 समाधान 2 समाधान 1: पहले से बने हुए निर्माण से दक्षिण की दीवार तक शेड द्वारा दिखाए सड़क N सड़क N अनुसार निर्माण करें। निर्माण की छत के लिए पहले से बने हुए भाग की छत में प्रयोग की - छत गई सामग्री के समान या उससे भारी सामग्री का ही प्रयोग करें। निर्माण साउथ-वेस्ट छत कोने से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। निर्माण की छत का वजन रोकने के लिए दक्षिण की दीवार पर पिलर या दीवार खड़ी करें व पहले से बने हुए निर्माण से पिलर तक छत पर | छत E WI बीम डालें। निर्माण निर्माण समाधान 2 : छत पर बने हुए निर्माण को छोटा करें जिससे इसका वजन कमरा नं0 1 व VIIIIAबीम 4 की दीवारों पर न रहे। यदि इस निर्माण की दीवारें कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों से 3 VIIILA फीट तक दूर हो जाती हैं तो दोष दूर हो जाएगा। पिलर S पूर्व फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण उत्तर की दीवार से 3 फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो सड़क E डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर :कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की पश्चिम की दीवार पर है, जिससे इस दीवार पर वजन बढ़ जाएगा। यह शुभ है। कमरा 2: छत पर निर्माण इस कमरे के उत्तर भाग में है, इससे इस कमरे में महिलाएँ बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा, NI मान-सम्मान व धन की कमी रहेगी। निर्माण कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। कमरा | कमरा कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की पूर्व की दीवार पर है। इससे इस कमरे में रहने वाले पुरूषों को बीमारी, भय, मान-सम्मान में कमी, प्रशासनिक समस्याएँ व धन की कमी रहेगी। कमरा छत पर w छत छत पर पर निर्माण -------- IIIA बीम छत TA छत दोष का समाधान : समाधान 1 समाधान 2 समाधान 1: पहले से बने हुए निर्माण से पश्चिम की दीवार तक शेड द्वारा दिखाए सड़क E सड़क E अनुसार निर्माण करें। निर्माण की छत के लिए पहले से बने हुए भाग की छत में प्रयोग की गई सामग्री के समान या उससे भारी सामग्री का ही प्रयोग करें। निर्माण नार्थ-वेस्ट कोने ट कोने | छत / छत से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। निर्माण की छत का वजन रोकने के लिए पश्चिम की दीवार पर पिलर या दीवार खड़ी करें व पहले से बने हुए निर्माण से पिलर तक बीमा | छत ISNI डालें। इससे कमरा नं0 2 के लिए आंशिक दोष रहेंगे। निर्माण समाधान 2 : छत पर बने हुए निर्माण को छोटा करें जिससे इसका वजन कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों पर न रहे। यदि इस निर्माण की दीवारें कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों से 3 फीट तक दूर हो जाती हैं तो दोष दूर हो जाएगा। इससे कमरा नं0 2 के लिए आंशिक दोष रहेंगे। पिलर W दोष को पूरी तरह से दूर करने के लिए निर्माण को तोड़कर हटा दें। दक्षिण फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण पूर्व की दीवार से 3 फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड सड़क S लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर : कमरा कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की उत्तर की दीवार व नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में है। इससे इस कमरे में रहने वाली महिलाएँ बीमार, धन की कमी, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति / यदि इस कमरे में पति-पत्नी रहते हैं तो उनकी तीसरी संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ रहेंगी। | पर | कमरा कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे के पूर्व भाग में है, इससे इस कमरे के पुरूष बीमार, मान-सम्मान में कमी व |निर्माण भय रहेगा। कमरा कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की दक्षिण दीवार पर है, जिससे इस दीवार पर वजन बढ़ जाएगा। यह शुभ है। छत पर कमरा W कमरा N
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________________ स्लैब बीम छत छत E पर निर्माण निर्माण तु पटले से II छत स्लल बीम 1.. छत छत पर कमरा IN IN निर्माण कमरा 4 | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (68) देखें www.dwarkadheeshvatu.com दोष का समाधान : समाधान 1: पहले से बने हुए निर्माण से दक्षिण की दीवार तक शेड द्वारा दिखाए अनुसार समाधान 1 समाधान 2 निर्माण करें। निर्माण की छत के लिए पहले से बने हुए भाग की छत में प्रयोग की गई पलरS सड़क सड़क S सामग्री के समान या उससे भारी सामग्री का ही प्रयोग करें। निर्माण साउथ-ईस्ट कोने से II छत छत कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए। निर्माण की छत का वजन रोकने के लिए दक्षिण की दीवार पर पिलर या दीवार खड़ी करें व पहले से बने हुए निर्माण से पिलर तक बीम डालें। . छत WE इससे कमरा नं0 2 के लिए आंशिक दोष रहेंगे। समाधान 2 : छत पर बने हुए निर्माण को छोटा करें जिससे इसका वजन कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों पर न रहे। यदि इस निर्माण की दीवारें कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों से 3 फीट | छत / छत तक दूर हो जाती हैं तो दोष दूर हो जाएगा। इससे कमरा नं0 2 के लिए आंशिक दोष रहेंगे। / दोष को पूरी तरह से दूर करने के लिए निर्माण को तोड़कर हटा दें। पश्चिम फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण दक्षिण की दीवार पर दोष का समाधान: पिलरW सड़क है जोकि पूरे भवन के लिए सही जगह पर है। छत के नीचे समाधान 1 : पहले से कमरा कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे बने हुए निर्माण से पश्चिम के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर : की दीवार तक शेड द्वारा कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की पूर्व की दीवार व छत दिखाए अनुसार निर्माण S 2 निर्माण साउथ-ईस्ट कोने में है। इससे इस कमरे में रहने वाले पुरुषों करें। निर्माण की छत के को बीमारी, भय, मान-सम्मान में कमी, कर्जे, झगड़े, मानसिक कमरा लिए पहले से बने हुए छत छत अशान्ति, आग-चोरी की घटनाएँ व प्रशासनिक समस्याएँ भाग की छत में प्रयोग की रहेंगी। यदि इस कमरे में पति-पत्नी रहते हैं तो उनकी दूसरी E गई सामग्री के समान या E संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ रहेंगी। उससे भारी सामग्री का ही प्रयोग करें। निर्माण कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे की दक्षिण की दीवार पर है जिससे इस दीवार पर वजन साउथ-वेस्ट कोने से कम से कम 3 फीट दूर होना बढ़ जाएगा। यह शुभ है। चाहिए। निर्माण की छत का वजन रोकने के लिए कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। पश्चिम की दीवार पर पिलर या दीवार खड़ी करें व कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की पश्चिम दीवार पर है,जिससे इस दीवार पर वजन पहले से बने हुए निर्माण से पिलर तक बीम डालें। बढ़ जाएगा। यह शुभ है। विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण नार्थ-वेस्ट की N सड़क दोष का समाधान : E N सड़क E| दीवार से 3 फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो छत पर बने हुए निर्माण डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए को छोटा करें जिससे अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर : इसका वजन कमरा नं0 कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की साउथ-वेस्ट की 1 व 4 की दीवारों पर न दीवार पर है। यह शुभ है। |निर्माण रहे। यदि इस निर्माण कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे के नार्थ-वेस्ट भाग में है, की दीवारें कमरा नं0 1 ----- इससे इस कमरे में महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े व मानसिक ... व 4 की दीवारों से 3 अशान्ति रहेगी। फीट तक दूर हो जाती WE कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। हैं तो दोष दर हो जाएगा। किन्त कमरा नं02 के कमरा 4: छत पर निर्माण इस कमरे की नार्थ-ईस्ट की दीवार पर है। इस कमरे में महिलाएँ व लिए आंशिक दोष रहेंगे। पुरूष बीमार, मान-सम्मान व धन की कमी व प्रगति नही होगी। यदि इस कमरे को पति-पत्नी दोष को पूरी तरह से दूर करने के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो उनकी पहली/पाँचवी संतान को अधिक समस्याएँ रहेंगी। निर्माण को तोड़कर हटा दें। कमरा छत छत पर कमरा | 2 निर्माण कमरा / कमरा छत w
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________________ 1 छत छत पर निर्माण निर्माण | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (69) देखें www.dwarkadheeshvatu.com साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण नार्थ-ईस्ट की दीवार से 3 E सड़क दोष का समाधान E सड़क S फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड लाईन से : छत पर बने हुए कमरा छत दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन निर्माण को छोटा करने पर : करें जिससे इसका कमरा 1: छत पर निर्माण इस कमरे की नार्थ-वेस्ट की दीवार पर है। / पर | कमरा वजन कमरा नं0 1 इस कमरे में महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति व व 4 की दीवारों पर प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। यदि इस कमरे को पति-पत्नी प्रयोग कर कमरा / कमरा न रहे। यदि इस रहे हैं तो उनकी तीसरी संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ रहेंगी। निर्माण की दीवारें AL कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे के नार्थ-ईस्ट भाग में है। इस N W कमरा नं0 1 व 4 कमरे में महिलाएँ व पुरूष बीमार, मान-सम्मान व धन की कमी व प्रगति नही होगी। की दीवारों से 3 फीट तक दूर हो जाती हैं तो कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। दोष दूर हो जाएगा। किन्तु कमरा नं0 2 के कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की साउथ-ईस्ट की दीवार पर है। इस कमरे में महिलाएँ लिए आंशिक दोष रहेंगे। बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। दोष को पूरी तरह से दूर करने के लिए यदि इस कमरे को पति-पत्नी प्रयोग कर रहे हैं तो उनकी दूसरी संतान को समस्याएँ रहेंगी। निर्माण को तोड़कर हटा दें। - छत | 43 W सड़क कमरा नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण नार्थ-वेस्ट की दीवार से 3 फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर :कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की साउथ-ईस्ट की दीवार पर है। इस कमरे में महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। यदि इस कमरे को पति-पत्नी प्रयोग कर रहे हैं तो उनकी दूसरी संतान को समस्याएँ रहेंगी। कमरा 2: छत पर निर्माण इस कमरे के साउथ-वेस्ट की दीवार पर है, जिससे इस दीवार पर वजन बढ़ जाएगा। यह शुभ है। कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की नार्थ-वेस्ट की दीवार पर है। इस कमरे में महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति व प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। यदि इस कमरे को पति-पत्नी प्रयोग कर रहे हैं तो उनकी तीसरी संतान बेटी होने पर उसे समस्याएँ रहेंगी। कमरा पर निर्माण कमरा / कमरा s W सड़क N छत छत दोष का समाधान : छत पर बने हुए निर्माण को छोटा करें जिससे इसका वजन कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों पर न रहे। यदि इस निर्माण की दीवारें कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों से 3 फीट तक दूर हो जाती हैं तो दोष दूर हो जाएगा। पर | छत निर्माण छत S/43 s सड़क W कमरा साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन सामने दिखाए गए चित्र में छत पर निर्माण साउथ-ईस्ट की दीवार से 3 फीट दूर है। छत के नीचे कमरे बने हुए हैं जो डॉटेड लाईन से दिखाए गए हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग वास्तु का आकलन करने पर :कमरा 1 : छत पर निर्माण इस कमरे की नार्थ-ईस्ट की दीवार पर है। इस कमरे में महिलाएँ व पुरूष बीमार, मान-सम्मान व धन की कमी व प्रगति नही होगी। यदि इस कमरे को पति-पत्नी प्रयोग कर रहे हैं तो उनकी पहली/पाँचवी संतान को अधिक समस्याएँ रहेंगी। कमरा 2 : छत पर निर्माण इस कमरे के साउथ-ईस्ट भाग में है, इससे इस कमरे की महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ व प्रशासनिक समस्याएँ रहेंगी। कमरा 3 : छत पर निर्माण इस कमरे की दीवार से दूर है, इससे कोई प्रभाव नहीं होगा। कमरा 4 : छत पर निर्माण इस कमरे की साउथ-वेस्ट की दीवार पर है। यह शुभ है। कमरा छत पर |निर्माण कमरा कमरा 3 S सड़क W छत दोष का समाधान : छत पर बने हुए निर्माण को छोटा करें जिससे इसका वजन कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों पर न रहे। यदि इस निर्माण की दीवारें कमरा नं0 1 व 4 की दीवारों से 3 फीट तक दूर हो जाती हैं तो दोष दूर हो जाएगा। किन्तु कमरा नं0 2 के लिए आंशिक दोष रहेंगे। दोष को पूरी तरह से दूर करने के लिए निर्माण को तोड़कर हटा दें। छत पर निर्माण Fठत 4
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (70) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन/बेडरूम के कोने में निर्माण/गढ्ढे के प्रभाव निर्माण के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से निर्माण का वजन उत्तर व पश्चिम दोनों दीवारों पर आएगा। NNW N NNE किन्तु पश्चिम की दीवार पर वजन होना वास्तु दोष नहीं है। इसलिए तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ रहेंगी। किन्तु उत्तर की W दीवार पर वजन होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, 4 झगड़े, तीसरी व सातवीं संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। / SSW S SSE नार्थ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से निर्माण का वजन उत्तर व पूर्व दोनों दीवारों पर आएगा। इससे पहली व पाँचवीं संतान बेटा या बेटी कोई भी हो दोनों को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। ENE भवन WSW साउथ-ईस्ट कोने में निर्माण होने से निर्माण का वजन दक्षिण व पूर्व दोनों दीवारों पर आएगा। किन्तु दक्षिण की दीवार पर वजन होना वास्तु दोष नहीं है। इसलिए दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे कम समस्याएँ रहेंगी। किन्तु पूर्व की दीवार पर वजन होने से पुरूष बीमार, भय, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। साउथ-वेस्ट कोने में निर्माण होने से निर्माण का वजन दक्षिण व पश्चिम दोनों दीवारों पर आएगा। दक्षिण व पश्चिम की दीवार पर वजन होना वास्तु दोष नहीं है। किन्तु साउथ-वेस्ट कोने में निर्माण में होने से घर का मुखिया, पहली व चौथी संतान घर से बाहर रहेंगे। उत्तर कोने में निर्माण होने से वजन नार्थ-ईस्ट व विदिशा प्लॉट पूर्व कोने में निर्माण होने से वजन नार्थ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट दोनों दीवारों पर आएगा। इससे E साउथ-ईस्ट दोनों दीवारों पर आएगा। इससे महिलाओं को वी०पी० इत्यादि बीमारियाँ, NI पुरूषों को वी०पी० इत्यादि बीमारियाँ, भय, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। " बम मान-सम्मान में कमी, प्रशासनिक समस्याएँ, झगड़े, पहली, तीसरी, पाँचवीं व सातवीं संतान बेटी होने पहली, दूसरी, पाँचवीं व छठी संतान बेटा होने पर पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी और बेटा होने पर आंशिक रूप से परेशान रहेगा। और बेटी होने पर आंशिक रूप से परेशान रहेगी। / W/WSW SSW S पश्चिम कोने में निर्माण होने से वजन नार्थ-वेस्ट व साउथ-वेस्ट दोनों दीवारों पर आएगा। वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में वजन होने से पुरूष घर से बाहर रहेंगे व घर में मानसिक अशान्ति रहेगी। | वेस्ट-साउथवेस्ट में वजन होना वास्तु दोष नहीं है। दक्षिण कोने में निर्माण होने से वजन साउथ-ईस्ट व साउथ-वेस्ट दोनों दीवारों पर आएगा। साउथ-साउथईस्ट भाग में वजन होने से दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी और बेटा होने पर आंशिक रूप से परेशान रहेगा। साउथ-साउथवेस्ट की दीवार पर वजन वास्तु दोष नहीं है। ENE गढ़ढे के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट कोने में गढ़ढ़ा/तल नीचा होना शभ है। नार्थ-वेस्ट कोने में गढ़ ढा/तल नीचा होने पर इससे पूरा परिवार सुखी और स्वस्थ रहेगा, निवासी उत्तर की तरफ यह शुभ है इसलिए तीसरी व __NNW NNNE /उच्च पद पर कायरतहागपपहलाजारा उच्च पद पर कार्यरत होंगे व पहली और पाँचवीं संतान सातवीं संतान बेटी होने पर उसे कम समस्याएँ है को विशेष लाभ मिलेगा। Kavah रहेंगी। किन्तु पश्चिम की तरफ अशुभ होने से तीसरी व सातवीं संतान बेटा होने पर उसे अधिक W भवन E साउथ-ईस्ट कोने में गढ़ ढ़ा/तल नीचा होने पर समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। ___ पूर्व की तरफ यह शुभ है इसलिए दूसरी व छठी संतान बेटा होने पर उसे कम समस्याएँ रहेंगी। किन्तु दक्षिण साउथ-वेस्ट कोने में गढ्ढ़ा/तल नीचा होना अशुभ /ssws की तरफ अशुभ होने से महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगडे, है। इससे घर के मुखिया को बीमारी, बुरी आदतें, दूसरी व छठी संतान बेटी होने पर उसे अधिक समस्याएँ व जेल जाना, पहली व चौथी संतान बीमार, अधिक विवाह से परेशानी रहेगी। समस्याएँ व विवाह से परेशानी रहेगी। SSE की उत्तर कोने में गढ़ढ़ा/तल नीचा होना शुभ है। इससे महिलाएँ स्वस्थ व सुखी रहेंगी और धन की प्राप्ति होगी। विदिशा प्लॉट पर्व कोने में गढढा/तल नीचा होना शुभ है। इससे पुरूष स्वस्थ व सुखी रहेंगे, मान-सम्मान बढ़ेगा व उच्च पद पर कार्यरत होंगे। NNE NNWA ESE भवना पश्चिम कोने में गढ़ढ़ा/तल नीचा होने पर पुरूषों को वी0पी0 इत्यादि की बीमारी, बुरी आदतें, जेल जाना, एक्सीडेंट व असमय मृत्यु भी संभव है। WNW) दक्षिण कोने में गढ़ ढ़ा/तल नीचा होने पर महिलाओं को वी0पी0 इत्यादि की बीमारी, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा व w s मानसिक अशान्ति रहेगी। www
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (71) देखें www.dwarkadheeshvatu.com नीचे दिए गए नियमों को ध्यान में रखकर ही इसका निर्माण करें। 31 फिट ____3.5 फिट 3.51 फिट दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट पैराफिट 1. छत के फर्श का ढ़ाल - पैराफिट वॉल 1. छत के फर्श का ढाल s साउथ-वेस्ट से साउथ-वेस्ट से /वॉल नार्थ-ईस्ट की ओर ही नार्थ-ईस्ट की ओर ही 4 35 फिट 3.5 फिट रखें। रखें 2. फर्श का ढ़ाल बनाने के 2. फर्श का ढाल बनाने के बाद यह ध्यान रखें कि बाद यह ध्यान रखें कि इ स क ऊ प र इसके ऊपर दक्षिण फिट No IVN N |E 31 फिट N साउथ-वेस्ट की और पश्चिम की पैराफिट वॉल की भवन पैराफिट वॉल की भवन ऊँचाई, नार्थ-ईस्ट ऊँचाई, उत्तर और पूर्व की पैराफिट वॉल से अधिक होनी चाहिए। की पैराफिट वॉल से अधिक होनी चाहिए। 3. पैराफिट वॉल की माप फर्श के तल से ही करें। 3. पैराफिट वॉल की माप फर्श के तल से ही करें। 4. नार्थ-ईस्ट की दीवार पर पैराफिट वॉल की ऊँचाई कम 4. उत्तर और पूर्व की दीवार पर पैराफिट वॉल की ऊँचाई कम रखें तथा निर्माण में हल्की सामग्री का प्रयोग करें। | रखें तथा निर्माण में हल्की सामग्री का प्रयोग करें। 5. साउथ-वेस्ट की दीवार पर ऊँचाई ज्यादा रखें तथा 5. दक्षिण और पश्चिम की दीवार पर ऊँचाई ज्यादा रखें तथा निर्माण में भारी सामग्री का प्रयोग करें। | निर्माण में भारी सामग्री का प्रयोग करें। 6. साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट की दीवार पर पैराफिट वॉल 6. नार्थ-वेस्ट कोने से नार्थ-ईस्ट कोने तक व साउथ-ईस्ट की ऊँचाई एक समान ही होनी चाहिए। कोने से नार्थ-ईस्ट कोने तक पैराफिट वॉल का ढाल 7. दक्षिण कोने से पूर्व कोने और पश्चिम कोने से उत्तर कोने तक दिखाए अनुसार ही बनाएँ। पैराफिट को चित्र में दिखाए अनुसार ढालयुक्त बनाएं। 7. उत्तर व पूर्व की दीवार पर तार या काँच के टकडे न लगाएँ 8. नार्थ-ईस्ट की दीवार पर तार या काँच के टुकड़े न लगाएँ। क्योंकि इससे उत्तर व पूर्व की ओर से आनी वाली उर्जा के क्योंकि इससे उत्तर व पूर्व की ओर से आनी वाली उर्जा के लिए यह काँटे का कार्य करते हैं, जोकि शुभ नहीं है। लिए यह काँटे का कार्य करते हैं, जोकि शुभ नहीं है। झण्डा/एंटीना/खम्भा/बोर्ड/होर्डिंग के प्रभाव झण्डा/एंटीना या छत पर किसी भी प्रकार का कोई खम्भा लगाने से उस भाग की ऊँचाई उतनी ही बढ़ जाती है। दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट N नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट उत्तर / नार्थ-ईस्ट पूर्व -------- - - - - - . - -. - - - - - - - WA पश्चिम / ब्रह्मस्थान : पूर्व | नार्थ-वेस्ट / ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट बिना शेड द्वारा दिखाई गई जगह में कहीं भी झण्डा/ एंटीना/खम्भा लगाने से उस भाग के ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। ---- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - पश्चिम साउथ-वेस्ट / दक्षिण साउथ-वेस्ट दक्षिण / साउथ-ईस्ट W यहाँ शेड द्वारा दिखाए गए स्थान में कहीं भी झण्डा/एंटीना/खम्भा लगा सकते हैं। |किन्तु यह कोनों से कम से कम 3 फीट दर होना चाहिए। यहाँ शेड़ द्वारा दिखाए गए स्थान में कहीं भी झण्डा/ एंटीना/खम्भा लगा सकते हैं | किन्त यह दक्षिण कोने से कम से कम 3 फीट व पश्चिम कोने से 1 फीट दूर होना चाहिए।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (72) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन/कमरे में सडक/गैलरी की टक्कर कुछ सड़क टक्कर शुभ प्रभाव वाली होती हैं और कुछ अशुभ। दिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट सड़क टक्कर के पूर्णतया शुभ प्रभाव साउथ-वेस्ट सड़क टक्कर के पूर्णतया अशुभ है। इससे महिलाएँ व पुरूष सुखी, सम्पन्न, प्रभाव है। इससे धन की कमी, घर के मुखिया व मान-सम्मान व धन की प्राप्ति व उच्च पद पर पहली और पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, WIs| भवन कार्यरत होंगे, पहली और चौथी संतान को विशेष, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी लाभ मिलेगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं संभव है। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। काफी कम हो जाएंगे। सडक सड़क सडक सड़क सड़क सड़क नार्थ-वेस्ट सड़क टक्कर के पूर्णतया अशुभ प्रभाव है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक ME समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। भवन सड़क भवन TE सड़क S S सड़क साउथ-ईस्ट सड़क टक्कर के पूर्णतया अशुभ प्रभाव है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ,. कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी | संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। पूर्व फेसिंग भवन ईस्ट-नार्थईस्ट भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर आधे भाग तक लगना पूर्णतयाः शुभ है, इससे धन की प्राप्ति, परिवार की प्रगति होगी व सुख-शान्ति रहेगी, मान-सम्मान होगा व बड़ी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। क सड़क टक्कर उत्तर फेसिंग भवन नार्थ-नार्थईस्ट भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर आधे भाग तक लगना पूर्णतयाः शुभ है। इससे घर की महिलाएँ स्वस्थ, पूज्यनीय व धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होगी। परन्तु पुरुष मेहनती व कंजूस होगा। इसमें w बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। टक्कर भवन E भवन IS W सड़क सड़क 2 N E नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में एक फीट से लेकर आधे भाग तक सड़क टक्कर लगना पूर्णतयाः अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह / से परेशान रहेंगे। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। ईस्ट-साउथईस्ट भाग में एक फीट से लेकर आधे भाग तक सड़क टक्कर लगना पूर्णतयाः अशुभ है। इससे पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को / अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।" इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। भवन IE भवन IS भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही है। सड़क टक्कर चौड़ाई के बीच से पश्चिम की तरफ सड़क टक्कर नार्थ-नार्थवेस्ट अशुभ है और पूर्व की तरफ लगने वाली सड़क टक्कर INNWINNE नार्थ-नार्थईस्ट शुभ है। इस भवन में अशुभ परिणाम अधिक होंगे। शुभ सड़क टक्कर होने wl भवन के कारण गुजारे लायक धन आता रहेगा व अशुभ परिणामों में कुछ कमी होगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही है। सड़क टक्कर चौड़ाई के बीच से दक्षिण की तरफ सड़क टक्कर ईस्ट-साउथईस्ट अशुभ है और पूर्व की तरफ लगने वाली सड़क टक्कर | ENE | ESE | ईस्ट-नार्थईस्ट शुभ है। इस भवन में अशुभ परिणाम अधिक होंगे। शुभ सड़क टक्कर होने केN भवन IS कारण गुजारे लायक धन आता रहेगा व अशुभ परिणामों में कुछ कमी होगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएंगे। TE ---------- | L _ _ Nमुख्याद्वार मुख्याद्वार E मुख्यद्वार मुख्याद्वार E | दीवारें दीवारें दोष का समाधान : अशुभ सड़क टक्कर के सामने दिखाए अनुसार कम से कम 4 इंच मोटी व 8 फीट ऊँची दो दीवारे खड़ी करें, इन .. दीवारों के बीच में कम से कम 4 इंच की खाली जगह हो। इन दीवारों और मुख्य W] दीवार के बीच कम से कम चलने योग्य जगह अवश्य छोड़ें। मुख्यद्वार को दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। E भवन E N| भवन |S W] भवन |E N| भवन | S
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________________ (73) | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें दक्षिण फेसिंग भवन देखें www.dwarkadheeshvatu.com पश्चिम फेसिंग भवन सडक सड़क का वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में सड़क टक्कर एक __ w फीट से लेकर 33 प्रतिशत भाग तक लगना |WS WWN| शुभ है। इससे घर के पुरुष प्रतिष्ठित पद पर कार्यरत, समाज में मान-सम्मान, नेता बनना . भवन IN व पुरुषों का वर्चस्व संभव है। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। W साउथ-साउथईस्ट भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर 33 प्रतिशत भाग तक |SSE Sssw| लगना शुभ है। इससे घर की महिला व स्त्री संतान स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में वृद्वि वह भवन स्वभाव अच्छा होगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। __ N साउथ-साउथवेस्ट भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर 67 प्रतिशत भाग तक SV लगना अशुभ है। इससे घर के मुखिया, SSE S SSW मुख्य महिला व पहली और पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल | जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। इसमें भवन |W बिसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव काफी कम हो जाएँगे। सड़क टक्कर टक्कर NI IWSI W WN वेस्ट-साउथवेस्ट भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर 67 प्रतिशत भाग तक लगना अशुभ है। इससे घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव s है। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव काफी कम हो जाएँगे। भवन IN| IN N. भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही सड़क टक्कर भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही है। चौड़ाई के तीन भाग करने पर सड़क टक्कर है। चौड़ाई के तीन भाग करने पर साउथ-साउथईस्ट सड़क टक्कर शुभ है वेस्ट-नार्थवेस्ट सड़क टक्कर शुभ है और और दक्षिण व साउथ-साउथवेस्ट सड़क SSE S SSW पश्चिम व वेस्ट-साउथवेस्ट सड़क टक्कर WWN| टक्कर अशुभ है। इस भवन में अशुभ अशुभ है। इस भवन में अशुभ परिणाम . परिणाम अधिक होंगे। शुभ सड़क टक्कर के E भवन अधिक होंगे। शुभ सड़क टक्कर होने के __ भवन कारण अशुभ परिणामों में कुछ कमी आएगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कारण अशुभ परिणामों में थोड़ी कमी आएगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव काफी कम हो जाएंगे। काफी कम हो जाएंगे। --------------- दोष का समाधान : L _ / / अशुभ सड़क टक्कर के सामने दिखाए अनुसार मुख्य द्वार W मुख्य द्वार W अपने प्लॉट में आगे की तरफ कम से कम 4 मुख्य द्वार मुख्य द्वार Vफीट खाली जगह छोड़कर, इसके पश्चात दीवारें दीवारें। दीवारें दीवारें मुख्य दीवार व द्वार बनाएँ / छोड़ी हुई जगह में - E] भवन |ws| भवन IN E भवन w s| भवन IN अशुभ सड़क टक्कर के सामने कम से कम 4 5 इंच मोटी व 8 फीट ऊँची दो दीवारे खड़ी करें, इन दीवारों के बीच में कम से कम 4 इंच की खाली जगह हो। इन दीवारों और मुख्य दीवार के बीच कम से कम चलने योग्य जगह अवश्य छोड़ें। मुख्यद्वार को दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। S GE N NE क | भवन सड़क सड़क विदिशा प्लॉट पश्चिम सड़क टक्कर के पूर्णतया अशुभ ER N पूर्व सड़क टक्कर के पूर्णतया शुभ प्रभाव है। " सड़क प्रभाव है। इससे घर के मुखिया व पुरूष इससे पुरूष सुखी, स्वस्थ, मान-सम्मान व संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, धन की प्राप्ति व उच्च पद पर कार्यरत होंगे। भवन 4 जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यू भी संभव है। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव काफी बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। कम हो जाएंगे। W s उत्तर सड़क टक्कर के पूर्णतया शुभ प्रभाव प्रभाव IN__E दक्षिण सड़क टक्कर के पूर्णतया अशुभ प्रभाव है। इससे धन की प्राप्ति, महिलाएं स्वस्थ और है। इससे मुख्य महिला व स्त्री संतान बीमार, सुखी रहेंगी और उनका स्वभाव अच्छा होगा। मानसिक अशान्ति, मान-सम्मान में कमी व इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। इसमें बेसमेंट होने बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। पर अशुभ प्रभाव काफी कम हो जाएँगे। WS सडक S सड़क भवन सड़क सड़क भवन सड़क W सड़क
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________________ सडक टक्कर संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें नार्थ-ईस्ट फेसिंग भवन भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर पूर्व भाग में सड़क टक्कर के पूर्णतयाः N शुभ प्रभाव है। इससे पुरुष स्वस्थ, सुखी, N NE! E मान-सम्मान व आय में वृद्वि, उच्च पद पर कार्यरत होंगे व स्वभाव अच्छा होगा। इसमें बिसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। (74) देखें www.dwarkadheeshvatu.com साउथ-ईस्ट फेसिंग भवन भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर पूर्व भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर E s 33 प्रतिशत तक लगना शुभ है। इससे पुरुष |E ! SE! S स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान व आय में वृद्धि, उच्च पद पर कार्यरत होंगे व स्वभाव अच्छा भवन होगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। भवन सड़क टक्कर भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर उत्तर भाग में सड़क टक्कर के पूर्णतयाः N शुभ प्रभाव हैं। इससे धन की प्राप्ति, |NI NE, E महिलाएँ स्वस्थ, सुखी और स्वभाव अच्छा होगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। w! भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर सड़क टक्कर साउथ-ईस्ट और दक्षिण भाग में सड़क E MINS टक्कर एक फीट से 67 प्रतिशत तक लगना TETSETS अशुभ है। इससे महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, भवन कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। भवन सड़क टक्कर सड़क टक्कर E SE S भवन के पूरे नार्थ-ईस्ट भाग में सड़क / टक्कर के पूर्णतया शुभ प्रभाव हैं। इससे पूरा N परिवार स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में वृद्धि व धन की प्राप्ति होगी। निवासी बुद्विमान व मेहनती होंगे और पहली व चौथी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। W भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही है। / चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर पूर्व भाग में F सड़क टक्कर के शुभ प्रभाव हैं किन्तु - साउथ-ईस्ट और दक्षिण भाग में सड़क टक्कर के अशुभ प्रभाव हैं। इस भवन में अशुभ प्रभाव अधिक होगें। शुभ सड़क टक्कर के कारण अशुभ प्रभावों में कमी आएगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। N भवन भवन E मुख्य द्वार Fमुख्य द्वार IME दीवारें दोष का समाधान : अशुभ सड़क टक्कर के सामने दिखाए अनुसार कम से कम 4 इंच मोटी व 8 फीट ऊँची दो दीवारे खड़ी करें, इन दीवारों के बीच में कम से कम 4 इंच की खाली जगह हो। इन दीवारों और मुख्य दीवार के बीच कम से कम चलने योग्य जगह अवश्य छोड़ें। मुख्यद्वार को दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। भवन भवन N __ w NL w नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन सडक टक्कर सड़क साउथ-वेस्ट फेसिंग भवन भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर दक्षिण भाग में सड़क टक्कर एक फीट S w से लेकर 33 प्रतिशत तक शुभ है। इससे SISWW महिलाएँ व स्त्री संतान स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में वृद्वि व स्वभाव विनम्र होगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव बढ़ जाएँगे। i NWiN W ! भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर उत्तर भाग में सड़क टक्कर एक फीट से W लेकर 33 प्रतिशत तक शुभ है। इससे धन की प्राप्ति, महिलाएँ स्वस्थ, सुखी और स्वभाव अच्छा होगा। इसमें बेसमेंट होने पर शुभ प्रभाव नहीं मिलेंगे बल्कि अत्यधिक अशुभ प्रभाव लागू होंगे। भवन भवन N सड़क टक्कर। भवन की चौड़ाई के तीन बराबर भाग करने भवन की चौंडाई के तीन बराबर भाग करने पर पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में सड़क पर नार्थ-वेस्ट और पश्चिम भाग में सड़क टक्कर एक फीट से लेकर 67 प्रतिशत तक s SW टक्कर एक फीट से लेकर 67 प्रतिशत तक WILL अशुभ हैं। इससे घर का मुखिया, पुरुष, S SW W लगना अशुभ है। इससे महिलाएँ व पुरूष TWINWE N पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, मान-सम्मान में कमी, बुरी आदतें, घर से आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, बाहर रहना, अपराधी स्वभाव व जेल जाना प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संभव है। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से प्रभाव काफी कम हो जाएँगे। परेशान रहेंगे। भवन भवन N
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________________ सड़क टक्कर भवन भवन | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (75) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही भवन के पूरे भाग में सड़क टक्कर लग रही सड़क टक्कर है। चौंड़ाई के तीन बराबर भाग करने पर है। चौड़ाई भवन की चौड़ाई के तीन बराबर दक्षिण भाग में सड़क टक्कर के शुभ प्रभाव s भाग करने पर उत्तर भाग में सड़क टक्कर w KVINW हैं किन्तु साउथ-वेस्ट और पश्चिम भाग में |s iswi w] के शुभ प्रभाव हैं किन्तु नार्थ-वेस्ट और W NW N सड़क टक्कर के अशुभ प्रभाव हैं। इस भवन पश्चिम भाग में सड़क टक्कर के अशुभ में अशुभ प्रभाव अधिक होगें। शुभ सड़क प्रभाव हैं। इस भवन में अशुभ प्रभाव अधिक टक्कर के कारण अशुभ प्रभावों में कमी होगें। शुभ सड़क टक्कर के कारण अशुभ आएगी। इसमें बेसमेंट होने पर अशुभ प्रभाव प्रभावों में कुछ कमी आएगी। इसमें बेसमेंट काफी कम हो जाएँगे। होने पर अशुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। ---------------- दोष का समाधान : ___ _ दीवww दीयाएँ अशुभ सड़क टक्कर के सामने दिखाए अनुसार म N N . W दीवारे अपने प्लॉट में आगे की तरफ कम से कम 4 फीट खाली जगह छोड़कर, इसके पश्चात मुख्य दीवार व द्वार बनाएँ / छोड़ी हुई जगह में अशुभ सड़क ___ भवन भवन टक्कर के सामने कम से कम 4 इंच मोटी व 8 फीट ऊँची दो दीवारे खड़ी करें, इन दीवारों के JN E IN S ES बीच में कम से कम 4 इंच की खाली जगह हो। इन दीवारों और मुख्य दीवार के बीच कम से कम चलने योग्य जगह अवश्य छोड़ें। मुख्यद्वार को दिखाई गई जगह में ही बनाएँ। ---- दीवारें W SH दीवारें दीवारें IP भवन भवन आस-पड़ोस के भवनों/कमरों में बेसमेंट/गढ़ढ़े का प्रभाव आस-पड़ोस के भवनों/कमरों में बेसमेंट होने पर इसके गम्भीर प्रभाव होंगे। दिशा प्लॉट भवन नं0 3: भवन नं0 2: भवन नं0 1: 1. उत्तर और पश्चिम में सड़क व 1. Br 1. उत्तर में सड़क है। पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में 1. उत्तर और पूर्व में सड़क है व पश्चिम दक्षिण और पूर्व में अन्य निवास हैं। अन्य निवास हैं। और दक्षिण में अन्य निवास हैं। 2. पूर्व के भवन में बेसमेंट होना शुभ 2. पूर्व कम 2. पूर्व के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। इससे 2. पश्चिम के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे पुरूष स्वस्थ और सखी. पुरूष स्वस्थ और सुखी, उच्च पद पर कार्यरत है। इससे घर के मखिया व परूष उच्च पद पर कार्यरत होंगे व होंगे व मान-सम्मान बढेगा। संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी मान-सम्मान बढ़ेगा। 3. पश्चिम के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे होना व जेल जाना संभव है। 3. दक्षिण के भवन में बेसमेंट अशुभ घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी 3. दक्षिण के भवन में बेसमेंट अशुभ है। है। इससे महिला व स्त्री संतान आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। इससे महिला व स्त्री संतान बीमार, बीमार, मानसिक अशान्ति, 4. 4. दक्षिण के भवन में बेसमेंट अशुभ है। इससे मानसिक अशान्ति, मान-सम्मान कम मान-सम्मान कम व स्वभाव महिला व स्त्री संतान बीमार, मानसिक अशान्ति, व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। चिड़चिड़ा होगा। मान-सम्मान कम व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा। N सड़क भवन नं0 4 : भवन नं0 6 : 1. पूर्व और दक्षिण में सड़क है व उत्तर और 1. दक्षिण और पश्चिम में सड़क व उत्तर और भवन | भवन भवन पश्चिम में अन्य निवास हैं। / पूर्व में अन्य निवास हैं। नं. 3 नं. 2 2. उत्तर के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। 2. पूर्व के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। इससे इससे धन की प्राप्ति, महिलाएं स्वस्थ व पुरूष स्वस्थ और सुखी, उच्च पद पर भवन भवन भवन सुखी, स्वभाव निर्मल, मान-सम्मान कार्यरत होंगे व मान-सम्मान बढ़ेगा। नं. 6 नं.5 | नं.4 बढ़ेगा व मानसिक शान्ति रहेगी। 3. उत्तर के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। पश्चिम के भवन में बेसमेंट होना अशुभ इससे धन की प्राप्ति, महिलाएं स्वस्थ व सड़क है। इससे घर के मुखिया व पुरूष संतान सुखी, स्वभाव निर्मल होगा व बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल मान-सम्मान बढ़ेगा। जाना संभव है। भवन नं05: 1. दक्षिण में सड़क है। पूर्व, उत्तर और पश्चिम में अन्य निवास हैं। 2. पूर्व के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। इससे पुरूष स्वस्थ और सुखी, उच्च पद पर कार्यरत होंगे व मान-सम्मान बढ़ेगा। 3. उत्तर के भवन में बेसमेंट शुभ है। इससे धन की प्राप्ति, महिलाएं स्वस्थ व सुखी, स्वभाव निर्मल, मान-सम्मान बढ़ेगा व मानसिक शान्ति रहेगी। 4. पश्चिम के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना व जेल जाना संभव है। नं.1 सड़क
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________________ VIAS नं.3 भवन नं.1 सड़क 3 भवन भवन नं.5 सड़क नं.6 | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (76) देखें www.dwarkadheeshvatu.com| भवन नं0 3 : | समाधान भवन नं0 1 व 2 : दक्षिण के भवन में बेसमेंट होने पर इस भवन के दक्षिण, पश्चिम या साउथ-वेस्ट के भवनों में बेसमेंट शेड द्वारा दिखाए गए 1/6वें भाग नार्थ-ईस्ट होने पर इस भवन के शेड द्वारा दिखाए गए 1/6वें कोने में बेसमेंट या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक नार्थ-ईस्ट कोने में बेसमेंट या अन्डरग्राउन्ड वॉटर सड़क N बनाना अति आवश्यक है। इससे दोष का प्रभाव टैंक बनाना अति आवश्यक है। इससे दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा। बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड काफी कम हो जाएगा। बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड टैंक टैंक को कोने से एक फीट दूर ही बनाएँ। भवन | भवन को कोने से एक फीट दूर ही बनाएँ। | नं. 2 भवन नं06 : भवन नं0 4 व 5 : इस भवन के पूरे भाग में बेसमेंट का निर्माण पश्चिम के भवन में बेसमेंट होने पर इस भवन के शेड अतिआवश्यक है। यदि यह संभव नहीं है तो भवन द्वारा दिखाए गए 1/6वें नार्थ-ईस्ट कोने में बेसमेंट | शेड द्वारा दिखाए गए 1/6वें नार्थ-ईस्ट ग्या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना अति आवश्यक भाग में बेसमेंट या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक सड़क S है। इससे दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा। बनाना जरूरी है। बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड टैंक बेसमेंट/अन्डरग्राउन्ड टैंक को कोने से एक फीट को कोने से एक फीट दूर ही बनाएँ। दूर ही बनाएँ। --- विदिशा प्लॉट भवन नं0 3 : भवन नं0 2 : भवन नं0 1: 1. नार्थ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट में 1. नार्थ-ईस्ट में सड़क है व साउथ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट और 1. नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट में सड़क व साउथ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। सड़क व नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। 2. साउथ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे साउथ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। 2. साउथ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व 2. नार्थ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी होना अशुभ है। इससे महिलाएं कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक आग व चोरी की घटनाएँ, रहेंगे। अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, 3. नार्थ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे कोर्ट-के स, प्रशासनिक दूसरी व छठी संतान को अधिक महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया समस्याएँ, तीसरी व सातवीं समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व 3. साउथ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। विवाह से परेशान रहेंगे। अशुभ है। इससे घर के मुखिया व 4. साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट दोनो तरफ के भवनों में 3. साउथ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट पहली संतान बीमार, बुरी आदतें, बेसमेंट होने पर वास्तु दोष नहीं होगा। अशुभ है। इससे घर के मुखिया व अपराधी होना, जेल जाना, 5. साउथ वेस्ट के भवन में बेसमेंट अशुभ है। इससे घर के मुखिया व पहली संतान बीमार, बुरी आदतें, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। पहली संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल अपराधी होना, जेल जाना, जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। भवन नं06: 1. नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट में सड़क व | सड़क E भवन नं0 4 : साउथ-ईस्ट और नार्थ-ईस्ट में अन्य 1. साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट में सड़क व निवास हैं। नार्थ-वेस्ट और नार्थ-ईस्ट में अन्य भवन भवन साउथ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना निवास हैं। नं.3 अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, 2. नार्थ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट होना झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की. अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक भवन भवन होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नं. 6 | नं. 5 नं. 4 तीसरी व सातवीं संतान को अधिक 5. नार्थ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना शुभ समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, 3. नार्थ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। सड़क प्रगतिशील, निवासी चतुर और बुद्विमान इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, तथा उच्च पद पर कार्यरत होंगे व पहली प्रगतिशील, निवासी चतुर और बुद्धिमान और चौथी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। तथा उच्च पद पर कार्यरत होंगे व पहली भवन नं05: और चौथी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। 1. साउथ-वेस्ट में सड़क है व साउथ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट और नार्थ-ईस्ट में अन्य निवास हैं। 2. साउथ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट होना अशुभ है। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, / प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। 4. साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट दोनो तरफ के भवनों में बेसमेंट होने पर वास्तु दोष नहीं होगा। नार्थ-ईस्ट के भवन में बेसमेंट होना शुभ है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न, प्रगतिशील, निवासी चतुर और बुद्धिमान तथा उच्च पद पर कार्यरत होंगे व पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ मिलेगा। N नं. 2 भवन नं. 1 सड़क सड़क भवन
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (77) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन नं0 3 : दोष का समाधान : भवन नं0 1: साउथ-वेस्ट या साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट या नार्थ-वेस्ट के भवन में बेसमेंट के भवन में बेसमेंट होने पर भवन नं02 : होने पर इस भवन के शेड द्वारा दिखाए गए इस भवन के शेड द्वारा दिखाए साउथ-वेस्ट, नार्थ-वेस्ट या साउथ-ईस्ट के 1/6वें नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट या गए 1/6वें नार्थ-ईस्ट भाग में भवन में बेसमेंट होने पर इस भवन के शेड द्वारा अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना जरूरी है। बेसमेंट या अन्डरग्राउन्ड वॉटर दिखाए गए 1/6वें नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट . इससे दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा। टैंक बनाना जरूरी है। इससे या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना जरूरी है। दोष का प्रभाव काफी कम हो\ इससे दोष का प्रभाव काफी कम हो जाएगा। जाएगा। भवन नं0 4 : / सड़क E/ इस भवन के पूरे भाग में बेसमेंट का निर्माण भवन नं06 : NIसINI/ अतिआवश्यक है। यदि यह संभव नहीं है तो शेड इस भवन के पूरे भाग में द्वारा दिखाए गए 1/3वें नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट बि समेंट का निर्माण भवन | भवन भवन /या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना जरूरी है। अतिआवश्यक है। यदि यह नं. 3| नं. 2 संभव नहीं है तो शेड द्वारा भवन नं05: दिखाए गए 1/3वें इस भवन के पूरे भाग में बेसमेंट का निर्माण भवन / भवन / भवन नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट या नं. 6 | नं. 5 | नं. 4 अतिआवश्यक है। यदि यह संभव नहीं है तो शेड अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक द्वारा दिखाए गए 1/3वें नार्थ-ईस्ट भाग में बेसमेंट बनाना जरूरी है। ____ सडक C S या अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक बनाना जरूरी है। नं.1 सड़क सड़क आस-पड़ोस के भवनों/कमरों का प्रभाव दिशा प्लॉट ऊर्जा का प्रवाह सदैव उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। उत्तर और पूर्व में अन्य भवन/कमरे होने से इनसे ऊर्जा की प्राप्ति होगी, जिससे गम्भीर दोषों का प्रभाव आंशिक हो जाएगा। भवन नं0 3: उत्तर और पश्चिम में सडक व दक्षिण और पूर्व में अन्य निवास हैं। पूर्व में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है किन्तु दक्षिण में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए दोषों का प्रभाव सामान्य रहेगा। इस घर में निवासी उच्च पद पर कार्यरत होंगे व उच्च नेता बनेंगे। भवन नं0 2: उत्तर में सड़क व दक्षिण, पश्चिम और पूर्व में अन्य निवास हैं। पूर्व में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है किन्तु पश्चिम व दक्षिण में अन्य निवास होने से इस भवन की ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव सामान्य रहेगा। भवन नं0 1: उत्तर और पूर्व में सड़क है व पश्चिम और दक्षिण में अन्य निवास हैं। पूर्व और उत्तर में अन्य निवास न होने से ऊर्जा की प्राप्ति नहीं हो रही है किन्तु दक्षिण और पश्चिम में अन्य निवास होने से ऊर्जा उन भवनों में जा रही है। इसलिए छोटे दोषों का प्रभाव भी गम्भीर रहेगा। इस भवन में निवासी चतुर, मेहनती व उच्च पद पर कार्यरत होंगे। N सड़क भवन नं.3 भवन नं. 2 भवन नं. 1 क भवन नं0 6 : पश्चिम और दक्षिण में सड़क व पूर्व और उत्तर में अन्य अन्य निवास है। उत्तर व पूर्व में अन्य निवास होने से ऊर्जा मिल रही है और दक्षिण और पश्चिम में अन्य निवास न होने से ऊर्जा कहीं नहीं जा रही है। इसलिए गम्भीर वास्तु दोषों का प्रभाव भी काफी कम रहेगा। इस घर के निवासी दम्भी और आलसी होंगे किन्तु इन्हें कम मेहनत करने पर भी अच्छे फल की प्राप्ति होगी। सड़क भवन नं0 4 : पूर्व और दक्षिण में सड़क व उत्तर और पश्चिम में अन्य निवास है। उत्तर में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है किन्तु पश्चिम में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव सामान्य रहेगा। इस घर में निवासियों को धन की कमी नहीं होगी। भवन नं.6 भवन नं. 5 भवन नं.4 | सड़क भवन नं05: दक्षिण में सड़क व पूर्व, उत्तर और पश्चिम में अन्य निवास है। उत्तर व पूर्व में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है किन्तु पश्चिम में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहॉ जा भी रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव आंशिक रहेगा।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (78) देखें www.dwarkadheeshvatu.com विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट में अन्य भवन/कमरे होने से ऊर्जा की प्राप्ति होगी। नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति भी होती है और ऊर्जा जाती भी है। भवन नं0 3: नार्थ-ईस्ट और नार्थ वेस्ट में सड़क है व साउथ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। साउथ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। किन्तु साउथ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए दोषों का प्रभाव सामान्य रहेगा। भवन नं0 2: नार्थ-ईस्ट में सड़क व साउथ-ईस्ट, साउथ-वेस्ट व नार्थ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। किन्तु साउथ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव कम रहेगा। भवन नं0 1: नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट में सड़क है व नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट में अन्य निवास हैं। नार्थ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। किन्तु साउथ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा वहाँ जा भी रही है। इसलिए दोषों का प्रभाव सामान्य रहेगा। N सड़क भवन नं0 4 : साउथ-ईस्ट और साउथ-वेस्ट में सड़क व नार्थ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट में अन्य निवास है। नार्थ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। साउथ-वेस्ट में अन्य निवास न होने से ऊर्जा कहीं नहीं जा रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव काफी कम रहेगा। भवन भवन भवन नं. 3 सड़क भवन नं06: नार्थ-वेस्ट और साउथ-वेस्ट में सड़क है व नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट में अन्य निवास हैं। नार्थ-ईस्ट और साउथ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। साउथ-वेस्ट में अन्य निवास न होने से ऊर्जा कहीं भी नहीं जा रही है। इसलिए वास्तु दोषों का प्रभाव कम रहेगा। नं. 2 नं. 1 सड़क भवन नं. 6 भवन नं. 5 भवन नं. 4 भवन नं05: साउथ-वेस्ट में सड़क व नार्थ-ईस्ट नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में अन्य निवास है। नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। साउथ-वेस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा कहीं नहीं जा रही है। इसलिए दोषों का प्रभाव आंशिक रहेगा। W सड़क N सड़क E भवन नं0 1: नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में अन्य निवास नहीं होने से ऊर्जा की प्राप्ति नहीं हो रही है। इसलिए इस भवन में छोटे वास्तु दोषों का प्रभाव भी गंभीर रहेगा। इस भवन के निवासी चतुर और मेहनती होंगे। भवन नं. 1 भवन नं0 3: नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में सड़क है व नार्थ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। इसलिए इस भवन में गंभीर वास्तु दोषों का प्रभाव काफी कम रहेगा। इस भवन के निवासियों को कम मेंहनत करने पर भी काफी अधिक लाभ मिलेगा किन्तु स्वास्थय में कमजोर रहेंगे। सड़क भवन नं. 2 सड़क भवन नं. 3 भवन नं02: नार्थ-वेस्ट और साउथ-ईस्ट में सड़क है व नार्थ-ईस्ट में अन्य निवास होने से ऊर्जा की प्राप्ति हो रही है। इसलिए इस भवन में गंभीर वास्तु दोषों का प्रभाव भी कम रहेगा। इस भवन के निवासियों को कम मेंहनत करने पर भी अधिक लाभ मिलेगा किन्तु स्वास्थय में कमजोर रहेंगे। S सड़क
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (79) देखें www.dwarkadheeshvatu.com बहुमंजिली इमारत में फ्लैटों पर प्रभाव फ्लैट आयताकार नहीं होने पर, कोई भी कोना बढ़ने या घटने पर प्रभाव कोने बढ़ने व घटने के अध्याय में देखें। बहुमंजिली इमारत में सीढ़ी व मुमटी का प्रभाव सभी मंजिलों पर समान रूप से होता है। दिखाए गए चित्रों में हर मंजिल पर 4 फ्लैट हैं और बीच में सीढ़ी व मुमटी का निर्माण है। जिससे यह भाग ऊँचा और भारी हो गया है, इससे प्रत्येक फ्लैट के लिए अलग-अलग प्रभाव होंगे। दिशा प्लॉट N फ्लैट फ्लैट फ्लैट नं0 1 : सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के साउथ-ईस्ट में है इसलिए. इसमें साउथ-ईस्ट ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। फ्लैट नं0 2 : सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के साउथ-वेस्ट में है इसलिए इसमें साउथ-वेस्ट ऊँचा होने के शुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे घर के मुखिया व बड़ी संतान स्वस्थ और सुखी रहेगे, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा व कम मेहनत में अच्छे फल की प्राप्ति होगी। Nमुमटी | फ्लैट फ्लैट नं0 4 : सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के नार्थ-ईस्ट में है इसलिए इसमें नार्थ-ईस्ट ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। पूरी इमारत में साउथ-वेस्ट का फ्लैट होने से इसे वास्तु लाभ मिलेगा जिससे गुजारे लायक धन आता रहेगा। फ्लैट नं0'3 : सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के नार्थ-वेस्ट में है इसलिए इसमें नार्थ-वेस्ट ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। विदिशा प्लॉट N फ्लैट नं0 1: सीढ़ी व ममटी का निर्माण इस फ्लैट के दक्षिण में है इसलिए इसमें दक्षिण ऊँचा होने के शुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे महिलाएँ स्वस्थ, सुखी रहेंगी, स्वभाव निर्मल होगा व मान-सम्मान बढ़ेगा। फ्लैट नं0 2 : सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के पश्चिम में है इसलिए इसमें पश्चिम ऊँचा होने के शुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे पुरूष स्वस्थ, सुखी रहेंगे, मान-सम्मान बढ़ेगा, स्वभाव निर्मल होगा व पहली संतान को विशेष लाभ मिलेगा। फ्लैट फ्लैट 2 फ्लैट फ्लैट फ्लैट नं04: सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के पूर्व में है इसलिए इसमें पूर्व भाग ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। फ्लैट नं0 3: सीढ़ी व मुमटी का निर्माण इस फ्लैट के उत्तर में है इसलिए इसमें उत्तर भाग ऊँचा होने के अशुभ प्रभाव लागू होंगे। इससे धन की कमी, महिलाएँ बीमार, मान-सम्मान कम व स्वभाव चिड़चिड़ा होगा।
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (80) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन/बेडरूम के आस-पास ऊँचा और नीचा होने के प्रभाव भवन के आस-पड़ोस में निर्माण, फ्लाईओवर, मेट्रो लाईन, पहाड, इत्यादि भवन से सटा होने पर गंभीर प्रभाव होंगे और भवन से दूर होने पर आंशिक प्रभाव होंगे। यदि यह भवन से 40 फीट दूर है तो प्रभाव काफी कम हो जाएगा। ऊँचा होने पर दिशा प्लॉट उत्तर में महिलाएं बीमार,व धन की समस्या रहेगी। नार्थ-वेस्ट में पर महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को 'अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट / उत्तर नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर का मुखिया व पुरूष संतान स्वस्थ रहेंगे और उनका मान-सम्मान व आत्मविश्वास बढ़ेगा / यह शुभ है। - - - - - - - -- ----- --------- पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव I WI पश्चिम + पूर्व ----- - साउथ-वेस्ट में महिलाओं व पुरूषों का आत्मविश्वास बढ़ेगा वा उन्नति होगी। यह अत्यधिक शुभ है। साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। पश्चिम में घर की मुख्य महिला व स्त्री संतान स्वस्थ रहेंगे और उनका मान-सम्मान बढ़ेगा। विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट में घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। उत्तर में महिलाएं बीमार व धन। की समस्या रहेगी। पूर्व में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। उत्तर नार्थ-ईस्ट / पूर्व र - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। --+-------- -------- साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे] झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। पश्चिम साउथ-वेस्ट पश्चिम में घर का मुखिया व पुरूष संतान स्वस्थ रहेंगे और उनका मान-सम्मान बढ़ेगा। दक्षिण में घर की मुख्य महिला व स्त्री -संतान स्वस्थ रहेंगे और उनका मान-सम्मान बढ़ेगा। साउथ-वेस्ट में महिलाओं व पुरूषों का आत्मविश्वास बढ़ेगा व उन्नति होगी। यह अत्यधिक शुभ है।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (81) देखें www.dwarkadheeshvatu.com| नीचा होने पर आस-पड़ोस में नहर, तालाब, कुआँ, गढढा इत्यादि भवन से सटा होने पर गंभीर प्रभाव होंगे और भवन से दूर होने पर आंशिक प्रभाव होंगे। यदि यह भवन से 40 फीट दूर है तो प्रभाव काफी कम हो जाएगा। दिशा प्लॉट उत्तर में मध्य से नार्थ-वेस्ट की तरफ उत्तर में मध्य से नार्थ-नार्थईस्ट में धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी वा धन की कमी, महिलाएँ बीमार, नार्थ-ईस्ट की तरफ और सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, मान-सम्मान में मान-सम्मान में कमी व स्वभाव उत्तर के पूरे भाग में होने बढ़ोत्तरी, घर की मुख्य महिला, पहली और चौथी संतान चिड़चिड़ा होगा। उत्तर के पूरे भाग में पर धन की प्राप्ति, यदि बेटी है तो विशेष लाभ होगा। होने पर दोष नहीं लगेगा। महिलाएँ स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी ईस्ट-नार्थईस्ट में धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व स्वभाव अच्छा होगा। व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, केवल नार्थ-नार्थवेस्ट में पर मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, पहली और महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, चौथी संतान यदि बेटा हो तो विशेष लाभ होगा। मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटी हो तो पूर्व के मध्य से नार्थ-ईस्ट की तरफ होने पर अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान पुरूष स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में रहेंगे। बढ़ोत्तरी व स्वभाव अच्छा व पूज्यनीय होगा। नार्थ / उत्तर / ईस्ट | वेस्ट / उत्तर / नार्थ केवल वेस्ट-नार्थवेस्ट में पर पुरूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक, अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान बेटा हो तो अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेगा। पूर्व के मध्य से साउथ-ईस्ट की तरफ होने पर पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, /प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। ------ पूर्व .--E w| पश्चिम थान साउथ वेस्ट |------ / साउथ दक्षिण / ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। ईस्ट-साउथईस्ट में परूष बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की 'घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान यदि बेटा है तो अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। वेस्ट-साउथवेस्ट में घर के//साउथ-साउथवेस्ट में घर दक्षिण में महिला व मुखिया, पहली और पाँचवीं की मुख्य महिला, पहली स्त्री संतान बीमार, संतान बेटा हो तो बीमार, और पाँचवीं संतान बेटी हो मान-सम्मान में कमी, बुरी आदतें, अपराधी होना, तो गम्भीर बीमारी, मानसिक स्वभाव चिड़चिड़ा और जेल जाना, एक्सीडेंट व अशान्ति, एक्सीडेंट व मृत्यु जिददी व मानसिक मृत्यु भी संभव है। भी संभव है। अशान्ति रहेगी। साउथ-साउथईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान यदि बेटी है तो अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट में धन की प्राप्ति, पूरा परिवार सुखी व सम्पन्न, निवासी उच्च पद पर कार्यरत, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी, घर के मुखिया, पहली और चौथी संतान को विशेष लाभ होगा। पूर्व में धन की प्राप्ति, पुरूष स्वस्थ, सुखी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व स्वभाव अच्छा व पूज्यनीय होगा। उत्तर नार्थ-ईस्ट पूर्व --- ----- उत्तर में धन की प्राप्ति, महिलाएँ स्वस्थ, सुर्थी, मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी व स्वभाव अच्छा होगा। साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी 'की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट ----| पश्चिम साउथ-वेस्ट दक्षिण नार्थ-वेस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली और पाँचवीं संतान बीमार, बुरी अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (82) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन/बेडरूम में संतानों का स्थान भवन /बेडरूम में प्रत्येक संतान का एक विशिष्ठ स्थान होता है, यहाँ वास्तु दोष होने पर उस स्थान से सम्बन्धित संतान पर इसका गंभीर या आंशिक प्रभाव होता है। दिशा प्लॉट नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में दोष होने नार्थ-नार्थईस्ट भाग में दोष होने पर तीसरी और सातवीं संतान पर पहली और चौथी संतान यदि यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। रहेंगी। N नार्थ-वेस्ट ___उत्तर नार्थ-ईस्ट वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में दोष होने पर तीसरी और सातवीं संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ ईस्ट-नार्थईस्ट भाग में दोष होने पर पहली और चौथी संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। पश्चिम ब्रह्मस्थान W ___ पूर्व वेस्ट-साउथवेस्ट भाग में दोष होने पर पहली और पाँचवीं संतान यदि बिटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। ईस्ट-साउथईस्ट भाग में दोष होने पर दूसरी और छठी संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट साउथ-साउथवेस्ट भाग में दोष होने पर पहली और पाँचवीं संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। साउथ-साउथईस्ट भाग में दोष होने पर दूसरी और छठी संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ। रहेंगी। विदिशा प्लॉट नार्थ-नार्थईस्ट भाग में दोष होने पर पहली और चौथी.संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। ईस्ट-नार्थईस्ट भाग में दोष होने पर पहली और चौथी संतान,यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। उत्तर नार्थ-नार्थवेस्ट भाग में दोष होने पर तीसरी और सातवीं संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। नार्थनार्थईस्ट -2 नार्थईस्ट ईस्ट-साउथईस्ट भाग में दोष होने पर दूसरी और छठी संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। ......... नार्थनार्थवेस्ट ईस्टसाउथईस्ट ---- Center --- वेस्टनार्थवेस्ट साउथसाउथईस्ट ------ वेस्ट-नार्थवेस्ट भाग में दोष होने पर तीसरी और सातवीं संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। साउथ-साउथईस्ट भाग में दोष होने पर दूसरी और छठी संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। पश्चिम वेस्टसाउथवेस्ट दक्षिण साउथसाउथवेस्ट W वेस्ट-साउथवेस्ट भाग में दोष होने पर पहली और पाँचवीं संतान यदि बेटा है तो उसे समस्याएँ रहेंगी। साउथ-साउथवेस्ट भाग में दोष होने पर पहली और पाँचवीं संतान यदि बेटी है तो उसे समस्याएँ रहेंगी।
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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (83) देखें www.dwarkadheeshvatu.com सूर्य की स्थिति समय के अनुसार देखकर भवन में वास्तु दोष और उनके समाधान जानने की विधि दिशा प्लॉट भवन की आखरी छत पर और चारदीवारी के अंदर किसी भी कोने में (चाहें सड़क किसी भी तरफ हो) दिखाई गई पहली मंजिल जगहों में कोई निर्माण, वजन, भारी मशीन या तिरपाल w इत्यादि से ढके होने पर गंभीर प्रभाव होते हैं। ग्राउन्ड चारदीवारी फ्लोर S सड़क सड़क चाहें किसी भी तरफ हो, शेड द्वारा दिखाए गए स्थानों में वास्तु दोष होने पर इसका आंशिक या गम्भीर प्रभाव होता है। नार्थ-ईस्ट : सुबह 5.00 बजे के समय सूर्य नार्थ-ईस्ट कोने की गलत द्वार तरफ उदय होते हैं। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर घर ENW सुबह के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न A07:30 होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। ब्रह्मस्थान | इस कोने में शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान होने पर निर्माण में शाम/w | सुबह यह कोना कटने से यह प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। इसे आखरी 106:00 06:00 AM ब्रह्मस्थान छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो भी यही प्रभाव लागू होंगे। गलत 777 / / 05:007 शाम Swi PSRTद्वार IMसुबह पूर्व : सुबह 6:00 बजे के समय सूर्य पूर्व भाग में होते हैं। इस भाग 04:00ZZ 10:007 में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की शाम दोपहर सुबह टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय 02:00 01:00 12:00 लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। इस भाग में शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान होने पर निर्माण में यह भाग कटने से यही प्रभाव लागू होंगे। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो भी यही प्रभाव लागू होंगे। ध्यान रहे कि पूर्व के मध्य में दिखाए अनुसार लाईन से साउथ-ईस्ट की तरफ मुख्य द्वार, बोरिंग/सेप्टिक टैंक/ गढ़दा होने पर यही प्रभाव लागू होंगे। साउथ-ईस्ट :सुबह 10.00 बजे के समय सूर्य साउथ-ईस्ट कोने की तरफ होते हैं। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, बोरिंग, सेप्टिक टैंक/गढ़ढ़ा, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। ध्यान रहे कि ईस्ट-साउथईस्ट में मुख्यद्वार होने पर यही प्रभाव लागू होंगे। ___ इस कोने में शाफ्ट/डक्ट/खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है| तो यही प्रभाव लागू होंगे। ब्रह्मस्थान : शेड द्वारा दिखाए गए मुख्य ब्रह्मस्थान में बोरिंग, सेप्टिक टैंक/गढ्ढ़ा व स्तम्भ का निर्माण होने पर घर का मुखिया, पहली संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है। बिना शेड द्वारा दिखाए गए ब्रह्मस्थान में यह दोष होने पर प्रभाव आंशिक रहेंगे। इस भाग में शाफ्ट/डक्ट/खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है। तो यही प्रभाव लागू होंगे। दक्षिण : दोहपर 1:00 बजे के समय सूर्य दक्षिण भाग में होते हैं। इस भाग में बोरिंग, सेप्टिक टैंक/गढ़ढ़ा, मुख्यद्वार शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान होने पर महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
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| संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (84)
देखें www.dwarkadheeshvatu.com साउथ-वेस्ट : शाम 4:00 बजे के समय सूर्य साउथ-वेस्ट कोने में होते हैं। इस कोने में मुख्य द्वार, बोरिंग सेप्टिक टैंक/गढ्ढ़ा होने पर घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। | इस कोने में शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान होने पर निर्माण में यह कोना कटने से यही प्रभाव लागू होंगे। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 2 फीट से अधिक हो जाती है या छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि है तो घर का मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान घर से बाहर रहेंगे।
पश्चिम : शाम 6:.00 बजे के समय सूर्य पश्चिम भाग में होते हैं। इस भाग में बोरिंग, सेप्टिक टैंक/गढ्ढ़ा, मुख्यद्वार, शाफ्ट/डक्ट/ खुला स्थान होने पर घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
नार्थ-वेस्ट : शाम 7:30 बजे के समय सूर्य नार्थ-वेस्ट कोने की तरफ अस्त होते हैं। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, बोरिंग सेप्टिक टैंक/गढ्ढ़ा, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। | इस कोने में शाफ्ट/डक्ट/खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है। तो यही प्रभाव लागू होंगे।
ध्यान रहे कि नार्थ-नार्थवेस्ट में मुख्यद्वार होने पर यही प्रभाव लागू होंगे।
उत्तर : सूर्य जिस दीवार की तरफ नहीं आते वह उत्तर भाग है। इस भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी। | इस भाग में शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान होने पर निर्माण में यह भाग कटने से यही प्रभाव लागू होंगे। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे।
ध्यान रहे कि उत्तर के मध्य में दिखाए अनुसार लाईन से नार्थ-वेस्ट की तरफ मुख्य द्वार, बोरिंग/सेप्टिक टैंक/ गढ़दा होने पर यही प्रभाव लागू होंगे।
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दोष का समाधान आखरी छत या चारदीवारी के अंदर दक्षिण व पश्चिम की दीवारों के साथ। दिखाए अनुसार निर्माण कर सकते हैं। इससे कोई वास्तु दोष नहीं होगा। ध्यान रहे कि यह निर्माण किसी भी कोने से नहीं सटना चाहिए।
पहली मंजिल
चारदीवारी
ग्राउन्ड फ्लोर
सड़क
सही
द्वार
नार्थ-ईस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें। | छत पर इस कोने में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें। | इस कोने में शाफ्ट/डक्ट/खुले हुए भाग को हर मंजिल पर हल्की सामग्री से कवर करना जरूरी है। किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
शाम
सुबह 05:00 PM
07:30
ब्रह्मस्थान
-
- शाम 06:00
_सुबह 06:00
पूर्व : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम
KUTTA से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
W ITH sw
सुबह | छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका
10:00
दोपहर दोपहर दोपहर तल छत के बराबर करें।
02:00 01:00 12:00 सही द्वार । इस भाग में शाफ्ट/डक्ट/खुले हुए भाग को हर मंजिल पर समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। | पूर्व के मध्य से साउथ-ईस्ट की तरफ यदि मुख्य द्वार हो तो इसे बंद कर दें, बोरिंग/सेप्टिक टैंक/गढ़दा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। पूर्व के मध्य से नार्थ-ईस्ट की तरफ इनका निर्माण कर सकते हैं।
साउथ-ईस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें।
इस भाग में शाफ्ट/डक्ट/खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है। आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इस भाग में बोरिंग/सेप्टिक टैंक/गढ़दा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार सिर्फ साउथ-साउथईस्ट में ही बनाएँ।
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ब्रह्मस्थान : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, स्तम्भ या छत पर कोई निर्माण है तो उसे तोड़कर हटा दें।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है। ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इस भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है।
साउथ-वेस्ट : छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर कोने से कम से कम 3 फीट दूर करें ।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई दो फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
इस भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है। यदि इस स्थान पर मुख्यद्वार के साथ सीढ़ी का भी निर्माण है तो द्वार बंद करना जरूरी नहीं है ।
नार्थ-वेस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें।
इस भाग में शाफ्ट/डक्ट / खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है । आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इस भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार सिर्फ वेस्ट - नार्थवेस्ट में ही बनाएँ ।
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साउथ : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक/गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है। यदि इस स्थान पर मुख्यद्वार के साथ सीढ़ी का भी निर्माण है तो द्वार बंद करना जरूरी नहीं है ।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है।
वेस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक/गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है। यदि इस स्थान पर मुख्यद्वार के साथ सीढ़ी का भी निर्माण है तो द्वार बंद करना जरूरी नहीं है ।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है।
उत्तर : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें ।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को हर मंजिल पर समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
उत्तर के मध्य से नार्थ-वेस्ट की तरफ यदि मुख्य द्वार हो तो इसे बंद कर दें, बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़दा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। उत्तर के मध्य से नार्थ-ईस्ट की तरफ इनका निर्माण कर सकते हैं।
विदिशा प्लॉट
भवन की आखरी छत पर और चारदीवारी के अंदर किसी भी कोने में (चाहें सड़क किसी भी तरफ हो) दिखाई गई जगहों में कोई निर्माण, वजन, भारी मशीन या तिरपाल इत्यादि से ढ़के होने पर गंभीर प्रभाव होते हैं ।
N
सड़क चाहें किसी भी तरफ हो, शेड द्वारा दिखाए गए स्थानों में वास्तु दोष होने पर इसका आंशिक या गम्भीर प्रभाव होता है ।
नार्थ-ईस्ट : सूर्य जिस दीवार के मध्य तक नहीं जाते वह नार्थ-ईस्ट भाग है। इस भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर घर के कमाने वाले सदस्य और पूरा परिवार परेशान, बीमार, प्रगति न होना, धन की कमी, मान-सम्मान में कमी व पहली और चौथी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान होने पर निर्माण में यह भाग कटने से यह प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे । इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो भी यही प्रभाव लागू होंगे।
W
चारदीवारी
N
शाम NW
7:30 VA
शाम W 6:00
E
N
सुबह 5:00:
NE
SW
W
दोपहर 3:00
E
S
पहली मंजिल
ग्राउन्ड फ्लोर
सड़क
सुबह 6:00
SE सुबह NIZ 10:00
दोपहर 1:00
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पूर्व : सुबह 5:00 से 6.00 बजे के समय सूर्य पूर्व कोने की तरफ होते हैं। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है।
इस कोने में शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान होने पर निर्माण में यह कोना कटने से यह प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे।
ब्रह्मस्थान : ब्रह्मस्थान में बोरिंग, सेप्टिक टैंक / गढ्ढा व स्तम्भ का निर्माण होने पर पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशबृद्धि नहीं होगी ।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे।
साउथ-वेस्ट : दोपहर 03:00 बजे के समय सूर्य साउथ-वेस्ट में होते हैं। इस भाग में मुख्य द्वार, बोरिंग सेप्टिक टैंक / गढ्ढा, शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान होने पर घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार बुरी आदतें घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है।
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साउथ-ईस्ट : सुबह 10:00 बजे के समय सूर्य साउथ-ईस्ट भाग में होते हैं। इस भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, मुख्यद्वार, बोरिंग, सेप्टिक टैंक / गढ्ढा, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे।
साउथ : दोपहर 01:00 बजे के समय सूर्य दक्षिण कोने में होते हैं। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, बोरिंग, सेप्टिक टैंक / गढ्ढा, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर महिला व स्त्री संतान बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी।
वेस्ट : शाम 06:00 बजे के समय सूर्य पश्चिम कोने में होते हैं। इस कोने में मुख्यद्वार, बोरिंग, सेप्टिक टैंक / गढ्ढ़ा होने पर घर के मुखिया व पुरूष संतान बीमार, बुरी आदतें, घर से बाहर रहना, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। टाँड परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर मुखिया घर से बाहर रहेगा ।
इस कोने में शाफ्ट/डक्ट / खुला स्थान होने पर यह कोना कटने से यही प्रभाव लागू होंगे। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 2 फीट से अधिक हो जाती है या छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि है तो घर का मुखिया घर से बाहर रहेगा ।
दोष का समाधान
आखरी छत या चारदीवारी के अंदर साउथ-वेस्ट की दीवार के साथ दिखाए अनुसार निर्माण कर सकते हैं। इससे कोई वास्तु दोष नहीं होगा । ध्यान रहे कि यह निर्माण किसी भी कोने से नहीं सटना चाहिए ।
इस कोने में शाफ्ट / डक्ट / खुला स्थान होने पर निर्माण में यह कोना कटने से यही प्रभाव लागू होंगें। इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे ।
ध्यान रहे कि दक्षिण में साउथ-ईस्ट की तरफ मुख्यद्वार होने पर यही प्रभाव लागू होंगे ।
नार्थ-वेस्ट : शाम 07:30 बजे के समय सूर्य नार्थ-वेस्ट में होते हैं। इस भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, मुख्यद्वार, बोरिंग सेप्टिक टैंक / गढ्ढा, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर महिलाएँ बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे ।
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इस भाग में शाफ्ट/डक्ट / खुले स्थान को आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो यही प्रभाव लागू होंगे ।
उत्तर : सूर्य जिस कोने में नहीं जाते हैं वह उत्तर कोना है। इस कोने में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, अलमारी, छत पर मुमटी, कमरा, पानी की टंकी, टॉयलेट इत्यादि होने पर धन की कमी, महिलाएं बीमार, मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा व मानसिक अशान्ति रहेगी । इस कोने में शाफ्ट/डक्ट / खुला स्थान होने पर यह कोना कटने से यह प्रभाव कई गुना बढ़ जाएँगे । इसे आखरी छत पर कवर करने पर यदि इस भाग की ऊँचाई 1 फीट से अधिक हो जाती है तो भी यही प्रभाव लागू होंगे।
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चारदीवारी
W
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पहली मंजिल
सड़क
S
ग्राउन्ड
फ्लोर
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नार्थ-ईस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें।
इस भाग में शाफ्ट/डक्ट / खुले हुए भाग को हर मंजिल पर समान सामग्री से कवर करना जरूरी है । किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
पूर्व : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस कोने में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें ।
इस कोने में शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को हर मंजिल पर हल्की सामग्री से कवर करना जरूरी है। किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
ब्रह्मस्थान : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, स्तम्भ या छत पर कोई निर्माण है तो उसे तोड़कर हटा दें ।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है। ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
इस भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है।
वेस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है । मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है। यदि इस स्थान पर मुख्यद्वार के साथ सीढ़ी का भी निर्माण है तो द्वार बंद करना जरूरी नहीं है।
शाफ्ट/ डक्ट/ खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
नार्थ-वेस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें।
शाम
7:30
इस भाग में शाफ्ट/डक्ट / खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है । आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
-शाम
6:00
इस भाग में बोरिंग/सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है।
N
NW
VILA
W
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NE
SW
सुबह
5:00
दोपहर 3:00
E
V
साउथ-ईस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें ।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को कवर करना जरूरी नहीं है । आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
इस भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है।
सुबह.
6:00
SE सुबह
10:00
VIA
गलत द्वार
दोपहर.
1:00
साउथ : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में बोरिंग / सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार यदि साउथ-ईस्ट की तरफ हो तो इसे भी बंद करना जरूरी है।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
साउथ-वेस्ट : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में बोरिंग/सेप्टिक टैंक / गढ़ढ़ा हो तो इसे रेत व मिट्टी से भरकर बंद करना जरूरी है। मुख्य द्वार को भी बंद करना जरूरी है । यदि इस स्थान पर मुख्यद्वार के साथ सीढ़ी का भी निर्माण है तो द्वार बंद करना जरूरी नहीं है।
शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को बने हुए भाग की छत के निर्माण में प्रयोग की गई सामग्री के समान सामग्री से कवर करना जरूरी है।
उत्तर : यदि शेड द्वारा दिखाए गए भाग में सीढ़ी, टाँड, परछत्ति, स्लैब इत्यादि का निर्माण है तो कंक्रीट व सरिया काटकर इसे दीवार से कम से कम 3 इंच दूर करें या तोड़कर हटा दें।
छत पर इस भाग में कोई भी निर्माण होने पर उसे तोड़कर इसका तल छत के बराबर करें ।
इस भाग में शाफ्ट / डक्ट / खुले हुए भाग को हर मंजिल पर समान सामग्री से कवर करना जरूरी है। किन्तु ध्यान रहे कि आखरी छत पर कवर करने से इसकी ऊँचाई एक फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें (88) देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवनों के नक्शे (वास्तु दोष व समाधान सहित) -: ध्यान रखें : दिए गए सभी नक्शों में भवन चाहें किसी भी दिशा/फेसिंग का हो, उसमें किसी भी दिशा में दोष का जो प्रभाव बताया गया है। किसी और भवन में यदि उस दिशा में समान दोष है तो उसका प्रभाव उस भवन में भी लगभग समान रूप से आएगा। प्रत्येक नक्शे में ऊपर दिखाए गए की-प्लान में आस-पास के भवन और उनकी ऊँचाई दिखाई गई है। अपने भवन से मिलते जुलते चित्र को देखकर वास्तु दोष व उनके समाधान के बारे में जान सकते हैं। दिशा प्लॉट में ऊर्जा का प्रवाह सदैव उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम की तरफ ही होता है। यदि भवन को किसी भी तरफ से ऊर्जा मिल रही है तो उसमें वास्तु दोषों का प्रभाव कम हो जाएगा। विदिशा प्लॉट में ऊर्जा का प्रवाह नार्थ-ईस्ट से साउथवेस्ट, नार्थवेस्ट से साउथईस्ट व साउथ-ईस्ट से नार्थवेस्ट की तरफ होता है। यदि भवन को किसी भी तरफ से ऊर्जा मिल रही है तो उसमें वास्तु दोषों का प्रभाव कम हो जाएगा।