________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें। ( 62 देखें www.dwarkadheeshvatu.com छत का कोई एक भाग नीचा होने के प्रभाव पूर्व , उत्तर व नार्थ-ईस्ट में छत का तल नीचा रखना सर्वश्रेष्ठ है, यदि यह संभव न हो, तो पूरी छत का तल एक समान ही रखें। किसी भी हाल में दक्षिण , पश्चिम और साउथ-वेस्ट में तल नीचा नहीं होना चाहिए। साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट का तल एक बराबर होना चाहिए तथा ढाल साउथ-वेस्ट से नार्थ-ईस्ट की ओर ही रखें। यदि किसी भाग में छत का तल 2 फीट से अधिक नीचा हो जाता है तो वह गढ़ढ़े के रूप में माना जाएगा जिससे शेष भाग ऊँचा हो जाएगा। शेड द्वारा दिखाई गई सही जगह N. नार्थ-वेस्ट ___ उत्तर नार्थ-ईस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट। शुभ प्रभाव : पूर्व , उत्तर व नार्थ-ईस्ट भाग में छत का लेबल नीचा होना श्रेष्ठ है। इससे पूरा परिवार सुखी, सम्पन्न व स्वस्थ, परिवार की प्रगति, धन की प्राप्ति, व समाज में मान-सम्मान होगा। ब्रह्मस्थान wl पश्चिम नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्ट / दक्षिण S W शेड द्वारा दिखाई गई गलत जगह में छत का तल नीचा होने के प्रभाव दिशा प्लॉट नार्थ-वेस्ट में धन की कमी, महिलाएं बीमार, स्वभाव चिड़चिड़ा व मान-सम्मान कम होगा। वेस्ट-नार्थ महिलाएं बीमार, कर्जे, झगडे, मानसिक अशान्ति, त. विदिशा प्लॉट दीवालिया होना, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, तीसरी व सातवीं संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे। - - - - ब्रह्मस्थान में घर का मुखिया, पहली -संतान व पूरा परिवार परेशान रहेगा व वंशनाश संभव है। - - - - उत्तर : नार्थ-ईस्ट| पूर्व नार्थ-वेस्ट उत्तर /नार्थ-ईस्ट पश्चिम में घर के मुखिया व पुरूष संतान ---बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। पश्चिम / ब्रह्मस्थान - पूर्व उE नार्थ-वेस्ट ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट पश्चिम साउथ-वेस्टु दक्षिण साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट -साउथ-वेस्ट में घर के मुखिया, पहली व पाँचवीं संतान बीमार, बुरी आदतें, अपराधी होना, जेल जाना, एक्सीडेंट व मृत्यु भी संभव है। W ES दक्षिण में महिला व स्त्री संतान बीमार, "मान-सम्मान में कमी, स्वभाव चिडचिडा और जिददी व मानसिक अशान्ति रहेगी। ईस्ट-साउथ में पुरूषों को गम्भीर बीमारी, भय लगना, मान-सम्मान व धन की कमी, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, संतान न होना व गर्भपात होना संभव है। साउथ-ईस्ट में महिलाएं बीमार, कर्जे, झगड़े, मानसिक अशान्ति, आग व चोरी की घटनाएँ, कोर्ट-केस, प्रशासनिक समस्याएँ, दूसरी व छठी संतान को अधिक समस्याएँ व विवाह से परेशान रहेंगे।