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________________ संगीत व वास्तु पुस्तक ( PDF ) मुफ्त डाउनलोड करें 3 देखें www.dwarkadheeshvatu.com है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं । इसलिए संक / गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं। मंजिलों पर प्रभाव :- भूमि (फर्श ) तथा आकाश (छत), इन पर किसी भाग में कोई भी निर्माण व गढ्ढा, बढ़ना, घटना, ऊँचा व नीचा होने का प्रभाव हर मंजिल में एक जैसा ही होता है। यदि किसी मंजिल पर निर्माण में कोई भाग बढ़ता या घटता है तो उसका प्रभाव उस मंजिल पर ही होगा । टॉयलेट का स्थानः- आजकल आधुनिक तरीके से टॉयलेट का निर्माण किया जाता है जिसमें गंदगी नहीं होती इसलिए टॉयलेट को भवन के किसी भी भाग में बना सकते हैं। टॉयलेट की सीट इस प्रकार लगाएँ कि सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ मुख करके मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए और यह भी ध्यान रखें कि सोते समय सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ पैर नहीं होने चाहिए। इससे जीवन के अन्तिम समय में अत्यधिक कष्ट होते हैं। ध्यान रहे कि नार्थ-ईस्ट में कूड़ा / गंदगी रखना वर्जित है । मंदिर का स्थान :- वास्तव में नार्थ-ईस्ट भूमिपूजन का स्थान होता है । मंदिर को पश्चिम, दक्षिण व साउथ-वेस्ट में ही बनाना चाहिए। हम अपनी सबसे प्रिय चीज भगवान को अर्पित करते हैं जैसे भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं जबकि उनके पास तो साक्षात गंगा जी हैं, इसी तरह भगवान को धन चढ़ाते हैं जबकि वह स्वयं लक्ष्मी-नारायण हैं। घर के मुखिया का स्थान दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट है, यहाँ मंदिर होने पर भगवान स्वयं घर के मालिक के रूप में रक्षा करते हैं । अनेक प्रसिद्ध मंदिरों जैसे तिरूपति बालाजी, बाँके बिहारी जी, गोल्डन टेम्पल, लोटस टेम्पिल इत्यादि में भगवान का स्थान पश्चिम दक्षिण व साउथ-वेस्ट में है व द्वार पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट में है । रसोई का स्थान :- मान्यताओं के अनुसार रसोई को साउथ-ईस्ट में ही बनाया जाता था। क्योंकि हवाएँ अक्सर पश्चिम से पूर्व व उत्तर से दक्षिण की ओर ही चलती हैं, इसलिए साउथ-ईस्ट कोने में रसोई का निर्माण होने से धुआँ घर के अन्दर नहीं आता था। शंशोधित नियमों के अनुसार रसोई व बिजली के मीटर को घर में कहीं भी बनाया जा सकता है। रसोई के ऊपर किसी भी हाल में टॉयलेट / बॉथरूम का निर्माण नहीं होना चाहिए । पैराफिट/कम्पाउन्ड वॉल:- पैराफिट / कम्पाउन्ड वॉल के निर्माण में चारो दीवारों की ऊँचाई एक समान कर देते हैं और इसके बाद फर्श/छत का ढ़ाल वास्तु नियमों के अनुसार नार्थ-ईस्ट की ओर बनाया जाता है। तल से मापने पर नार्थ-ईस्ट कोना ऊँचा हो जाता है व साउथ-वेस्ट कोना नीचा हो जाता है। इसके अशुभ प्रभाव होते हैं। गढ्ढ़े के प्रभावः- बोरिंग, सेप्टिक टैंक, अन्डरग्राउन्ड वॉटर टैंक या किसी भी प्रकार का कोई गढ्ढ़ा घर के अंदर होने पर इसके गम्भीर व घर के बाहर होने पर आंशिक प्रभाव होते हैं। खम्भा / एंटीना :- छत के किसी भाग में ध्वज / एंटीना / खम्भा इत्यादि लगाने से उस भाग की ऊँचाई उतनी ही बढ़ जाती है । उत्तर, पूर्व, नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट और नार्थ-वेस्ट भाग में ऊँचाई का बढ़ना अशुभ है । खम्भा इत्यादि सिर्फ पश्चिम दक्षिण व साउथ-वेस्ट की दीवार पर ही लगाने चाहिए । अक्सर लकड़ी की अलमारियों में दीमक लग जाती है, यह एक बुरा अपशकुशन है। दीमक उन्हीं अलमारियों में लगती है जो वास्तु के अनुसार भवन में गलत जगह पर बनी होती हैं। एक तरह से यह दीमक इन लकड़ियों को धीरे-धीरे खाकर वास्तु दोष ही दूर करती हैं। इन दीमक लगी हुई लकड़ियों को दवाई डालना, आग लगाना या पानी में नहीं डालना चाहिए, इससे जीवों की हत्या होती है। इसलिए इन लकड़ियों को किसी खुली जगह में छोड़ देना चाहिए और झाड़ियों को भी आग नहीं लगानी चाहिए, इनमें अनेक प्रकार में जीव निवास करते हैं, इससे जीवों की हत्या होती है। प्रकृति ने पूरी पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों को बहुत ही अच्छी तरह से अपने नियमों के अनुसार व्यवस्थित किया हुआ है। इस नियमों के अनुसार प्रत्येक स्थान चाहें वह बेडरूम / घर / आफिस / मंदिर / धर्मशाला / सत्संग स्थल/सभा स्थल कुछ भी हो, वहाँ मुखिया व उच्च सदस्य सदैव क्रमशः साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भाग में ही रहेंगे व छोटे सदस्य सदैव नार्थ-ईस्ट, पूर्व व उत्तर भाग में रहेंगे । हमारे जीवन से जुड़े सभी व्यक्तियों लिए हमारे मन में श्रद्वा व दया दो तरह के भाव होते हैं। जैसे माता-पिता, गुरू, बड़ा भाई-बहन या सांसारिक कोई भी पूज्यनीय रिश्ता, इनके लिए हमारे मन में श्रद्वा भाव होता होता है। जब हम उनकी इतनी सेवा कर लेते हैं कि हमारा आध्यात्म या पुण्य उनके अधिक हो जाता है, तो हमारे मन में उनके लिए श्रद्वा भाव न
SR No.009394
Book TitleVaastu Principles Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnkit Mishra
PublisherAnkit Mishra
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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