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वास्तु के अनुसार भवन के निर्माण की विधि
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ध्यान रखें : ऊपरी मंजिल पर रसोई/टॉयलेट/बॉथरूम के निर्माण में संक/गढ़ढ़ा बनाया जाता है, जिसमें से गन्दे पानी के पाईप फर्श में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में इस तरह से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक/गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं। दिशा प्लॉट उत्तर फेसिंग प्लॉट
रोड से फर्श का लेबल व पानी का निकास सिर्फ ऊपर की मंजिलों पर जाने के ग्राउन्ड फ्लोर के लिए मुख्य
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| +2 VI लिए दरवाजा नीच स्थान पर होने पर द्वार उच्च स्थान पर ही रखें।
भवन में फर्श का लेबल रोड से कम से
फीट भी सीढ़ी की वजह से दोष नहीं लगेगा।
कम 2 फीट ऊँचा रखें। भवन में शेड N
E द्वारा दिखाए गए भाग से ही पानी का सेप्टिक टैंक- मुख्य
भवन
निकास करें।
द्वार बोरिंग नार्थ-ईस्ट में ही रखें। सेप्टिक टैंक उत्तर के मध्य में ही बनाएँ। कमरे, उत्तर और पूर्व की
दीवारों की मोटाई रसोई, टॉयलेट इत्यादि भवन में कहीं
स्लैब का निर्माण कम या बराबर भी बना सकते हैं। सीढ़ी का निर्माण w|सीढ़ी रखें।
रसोई/स्टोर का निर्माण भवन में कहीं पश्चिम की दीवार के साथ करें, यह
भी कर सकते हैं किन्तु स्लैब को दक्षिण और पश्मिच उत्तर की मुख्य दीवार से नहीं सटनी
की दीवारों की
इ/ E दक्षिण और पश्चिम की दीवारों के
स्टोर चाहिए। उत्तर फेसिंग भवन में मोटाई अधिक या
साथ ही बनाएँ किसी भी हाल में उत्तर बेसमेंट का निर्माण नहीं होना चाहिए, बराबर रखें।
व पूर्व की दीवार के साथ न बनाएँ। बेसमेंट अशुभ है।
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टॉयलेट का निर्माण कम्पाउन्ड वॉल/पैराफिट वॉल(रैलिंग) दक्षिण और पश्चिम की उत्तर और पूर्व की
टॉयलेट भवन में कहीं भी बना सकते कम्पाउन्ड वॉल/
1. Nr कम्पाउन्ड वॉल/ w
हैं किन्तु शीट इस प्रकार लगाएँ कि
शीट पैराफिट वॉल की
-पैराफिट वॉल की
टॉयलेट
मल-मूत्र का त्याग करते समय मुख उँचाई व मोटाई अधिक wl E ऊँचाई व मोटाई कम
सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ न हो। रखें। इन दीवारों पर
रखें और इन दीवारों
टाँड/परछत्ति व अलमारी काँच के टुकड़े या तार
पर काँच के टुकड़े या इत्यादि लगा सकते हैं।
टाँड/परछत्ति, अलमारी या भारी
सामान जैसे सोफा इत्यादि किसी भी छत पर निर्माण व ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन
कमरा IF कमरे की दक्षिण और पश्चिम की दीवारों N छत पर मुमटी, ओवरहेड वॉटर टैंक/वजन या अन्य
पर शेड द्वारा दिखाए गए भाग में ही कोई भी निर्माण नं0 1 में दिखाई गई जगह में ही करें।
रखना चाहिए। यह कोनों से दूर हों। IF निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि प्रथम निर्माण 1
कमरों का आकार नं0 से शुरू करते हुए नं0 2 की तरफ आयताकार आकार में करें। यह कोनों से कम से कम 3 फीट दूर हो।
उत्तर, पूर्व व नार्थ-ईस्ट में कमरों का कमरा
आकार दक्षिण पश्चिम व डूप्लेक्स हाउस/मेजानाईन फ्लोर
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साउथ-वेस्ट के कमरों से छोटा होना शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में एक से अधिक कमरा
चाहिए। मंजिलों का निर्माण कर सकते हैं। ध्यान रहे कि भवन E E बिना शेड और शेड द्वारा दिखाए गए भाग की
दरवाजों का स्थान अन्तिम छत एक ही ऊँचाई पर होनी चाहिए।
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रखें और
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तार न लगाए।
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(I- दरवाजे चित्र में दिखाई गई दिशाओं स्टोर/मंदिर/ E टॉयलेट इत्यादि
में ही रखें।
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान
शाफ्ट/डक्ट/खुला स्थान बिना शेड़ द्वारा दिखाए गए भाग में ही रख सकते हैं | ध्यान रहे कि यह मुख्य दीवारों से कम से कम 3 फीट दूर होना चाहिए।
मंदिर का स्थान
ब्रह्मस्थान
ब्रह्मस्थान ब्रह्मस्थान में कोई भी निर्माण या गढ़दा नहीं होना चाहिए। यहाँ बोरिंग, सेप्टिक टैंक या स्तम्भ का निर्माण होने से पूरे परिवार का नाश होता है।
भवन/बेडरूम के शेड द्वारा दिखाए गए स्थान/ दिशाओं में ही मंदिर रखें।
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